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कानून का शासन किसे कहते हैं , विधि का शासन क्या है परिभाषा अर्थ rule of law in hindi pdf definition

rule of law in hindi pdf definition कानून का शासन किसे कहते हैं , विधि का शासन क्या है परिभाषा अर्थ ?
कानून का शासन (Rule of Law)

कानून के शासन से अभिप्राय यह है कि सरकार का कोई भी अंग कानून के ऊपर नहीं। कोई भी पदाधिकारी अथवा कर्मचारी (लोक सेवक) कानून की सीमा से बाहर नहीं है और इसीलिए उन्हें कोई भी कार्य करने अथवा निर्णय लेने का मनमाना और एकतरफा (एकपक्षीय) अधिकार नहीं है अर्थात् उन्हें अपना हर काम कानून की हद में रहकर करना है। इसी तथ्य को कभी-कभी इस रूप में कहा जाता है। ‘‘कानून से ऊपर कोई नहीं‘‘ अर्थात् कानून ही सर्वोच्च है।
‘कानून के शासन‘ को ही किसी भी शासन-व्यवस्था का आधार माना जाता है जिसके अंतर्गत सभी व्यक्ति, संस्थान तथा निजी एवं सार्वजनिक उद्यम बल्कि स्वयं राज्य की भी कानून के प्रति जवाबदेयता मापी जाती है। यहां कानून का अर्थ ऐसे नियम से है जिसका निर्माण स्वतंत्र रूप से किया गया हो, जिसे सार्वजनिक रूप से अध्यारोपित किया गया हो तथा प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा हो। अतः ‘कानून के शासन‘ की अवधारणा अत्यन्त महत्वपूर्ण है और इसीलिए कानून के समक्ष समानता, इसके प्रति जवाबदेयता तथा इसकी सर्वोच्चता बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।

समानता बनाम समानों के साथ समान व्यवहार (Equality and Equity)

समानता का अर्थ है सभी के साथ समान व्यवहार और यह इस अवधारणा पर आधारित है कि मौलिक रूप से सभी मनुष्य समान है, अतः सभी के साथ एक समान व्यवहार होना चाहिए। Equity अर्थात् समदृष्टि की अवधारणा ‘समानता‘ से कुछ अलग है। यहां समदृष्टि का अभिप्राय है समानों के साथ समान व्यवहार तथा असमानों के साथ असमान व्यवहार। समानों के साथ समान व्यवहार का तात्पर्य इस बात पर आधारित है कि सभी मनुष्य जन्म से एक समान नहीं होते। शारीरिक तथा बौद्धिक स्तर पर वे एक-दूसरे से भिन्न होते हैं तथा उनका विकास भी एक समान नहीं होता। इसी कारण से कोई बुद्धिमान तो कई अपेक्षाकृत कम बुद्धिमान या मंदबुद्धि होता है। कोई बेहद शिक्षित तथा सम्पन्न होता है तो कोई सिर्फ साक्षर या फिर निरक्षर रह जाता है। सामाजिक सोपानक्रम में भी सभी व्यक्ति एक स्तर पर नहीं होते। अतः मानसिक, शारीरिक अथवा भौतिक स्तर पर जो व्यक्ति या व्यक्ति समूह वंचित रह जाते हैं उन्हें अपने विकास के लिए विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ती है। अतः Equity (समदृष्टि) अर्थात् समानों के साथ समान व्यवहार सिद्धान्त के अनुसार ऐसे वंचित व्यक्ति या व्यक्ति समूह के साथ सकारात्मक भेदभाव किया जा सकता है अर्थात् उनके साथ वैसा व्यवहार उचित नही जो सबल व्यक्ति या व्यक्ति समूह के साथ किया जाए। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो समानता के व्यवहार के सिद्धान्त में संशोधन करते हुए ऐसे वंचित समूह के लिए विशेष नीति, कानून और सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है ताकि उनके विकास में किसी प्रकार की बाधा न हो और इन सुविधाओं का उनके पक्ष में बेहतर परिणाम आए। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर भारत के संविधान में दलितों के लिए विशेष उपबंध किए गए हैं ताकि उन्हें भी विकास के पूर्ण अवसर मिले। यही नहीं महिलाओं तथा बच्चों के लिए भी हमारे संविधान में विशेष उपबंध हैं ताकि इनकी यथोचित सुरक्षा तथा इनके विकास को सुनिश्चित किया जा सके।

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