हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
नील नदी का वरदान किसे कहा जाता है ? मिस्र को नील नदी का वरदान किसने कहा river nile is called the lifeline of in hindi
river nile is called the lifeline of in hindi नील नदी का वरदान किसे कहा जाता है ? मिस्र को नील नदी का वरदान किसने कहा ?
(1) हेरोडोटस (Herodotus, 485-425 B.C.) – इन्होंने एशिया माइनर, यूनान, पर्शिया, काला सागर आदि को यात्राएं कर कुछ भू-वैज्ञानिक अवलोकन प्रस्तुत किये थे। उन्होंने नील नदी में प्रतिवर्ष जमा होन वाली गाद एवं मृत्तिका की दर एवं मात्रा के महत्व को पहचान तथा यह कथन प्रस्तुत किया कि, ‘‘मिस्त्र नील नदी का वरदान है।‘‘ यूनानी लोगों के इस अन्धविश्वास को स्पष्ट किया कि पर्वत किसी देवता के क्रोध से नहीं टूटते वरन इनके पीछे भूकम्प मुख्य शक्ति है। मिस्त्र में पहाड़ी क्षेत्रों में सीपियों के जमावा का अध्ययन कर बताया कि यहाँ पूर्व में सागरीय विस्तार था।
भू-आकृति विज्ञान का ऐतिहासिक विकास एवं
नवीन प्रवृत्तियाँ
(HISTORY OF DEVELOPMENT OF GEOMORPHOLOGY & RECENT TRENDS)
भू-आकृति विज्ञान का विकास किस प्रकार व कब हुआ यह निश्चित कहना कठिन है। क्योंकि वर्तमान स्वरूपा विभिन्न कालों में समय-समय पर अनेक चिन्तकों, इतिहासकारों, दार्शनिकों तथा जीव एवं भू-विज्ञानियों द्वारा इस विषय के अन्दर तथा विषय से बाहर स्थलरूपाों से सम्बन्धित प्रतिपादित विचारों के क्रमिक वित के फलस्वरूपा सम्भव हुआ है। भू-आकृति विज्ञान का दायरा मात्र स्थलरूपाों के वर्णन तक ही सीमित क्योंकि प्रारंभ में स्थलरूपाों को स्थायी माना गया। यह क्रम 18 वाँ एवं 19 वीं सदी तक चलता रहा। वीं सदी में जाकर भू-आकृति विज्ञानियों का स्थलरूपाों की नश्वरता का आभास हो गया। 20 वीं सदी में प्रथम एवं द्वितीय दशकों में विलियम मोरिस डेविस द्वारा प्रतिपादित स्थलरूपाों की चक्रीय संकल्पना ब्रिटेन में प्रचलित अनाच्छादन कालानुक्रम विधि को मिली व्यापक स्वीकृति एवं विश्वव्यापी समर्थन के कारण भूआकृति विज्ञान ने अपने विकास के स्वर्णकाल के स्वरूपा को प्राप्त किया। 1950 के बाद इस विज्ञान में डेविस द्वारा प्रतिपादित चक्रीय संकल्पना के अस्वीकरण एवं स्थलरूपाों की व्याख्या में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग, स्थलाकृति के विकास के गतिक संतुलन सिद्धान्त के प्रतिपादन, प्रक्रम भूआकारिकी पर अधिक बल, पर्यावरणीय भूआकारिकी के उदय, वृहद् क्षेत्रीय भूआकारिकी के स्थान पर लघु क्षेत्रीय भूआकारिकी, दीर्घ कालिक मापक के स्थान पर अल्प कालिक मापक के प्रयोग, विषय के अधिक से अधिक व्यावहारिक पक्ष की ओर झुकाव आदि रूपाों में इसके विधितंत्रात्मक एवं चिन्तन सम्बन्धी स्वरूपा में भारी परिवर्तन हुए हैं। भू-आकृतिक विज्ञान के विकास अवस्था का निम्न प्रकार से अध्ययन किया जा सकता है।
(1) प्राचीन चिन्तकों का काल –
यूनान, मिस्र तथा रोम, जहाँ पर सर्वप्रथम भू-आकृतिक विचारों का उदय हुआ था यह सभी प्राचीन सभ्यता के केन्द्र रह चुके हैं। हर क्षेत्र में बौद्धिक विकास के फलस्वरूपा इस क्षेत्र में कुछ भू-आकृतिक विचारों का प्रतिपादन अवश्यम्भावी ही था प्राचीन चिन्तकों में निम्नलिखित के विचार महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
(2) अरस्तु (Aristotle,348-322 B.C.) – अरस्तू ने तत्कालीन के जलस्रोतों का अध्ययन कर बताया कि इनमें प्रवाहित होने वाला जल निम्नलिखित स्रोतों से प्राप्त होता हैः (i) वर्षा से प्राप्त जल का कुछ भाग भूमिगत होकर नीचे की ओर रिसता रहता है जो आगे चलकर जल स्रोतों के रूपा में प्रवाहित होता है। (ii) भूमि में विद्यमान मृदा वायु के संघनन की क्रिया के जलवाष्प के जल में परिवर्तित होने से जल प्राप्त होता है। (iii) पृथ्वी के नीचे भापयुक्त अवस्था वाला जल भी संघनित होकर जल का रूपा ले लता है। अरस्तु ने अपने सहयोगियों के साथ अध्ययन कर बताया था कि समुद्री भाग किसी समय शुष्क स्थलीय भाग थे तथा भविष्य में भी ये सूख सकते हैं। उन्होंने बताया कि यूनान में चूना एवं संगमरमर प्रधाल शैले हैं जिस कारण भूमिगत प्रवाह अधिक है तथा कार्ट स्थलाकृतियाँ बनती है अरस्तू ने भूमिगत नदियों के द्वारा होने वाले अपरदन एवं निक्षेप का भी अध्ययन किया था।
(3) स्ट्रैबो (54 B.C. -25 B.C.) – इनका नदियों के सम्बन्ध में योगदान सराहनीय हैं। इनके अनुसार नदियाँ स्थलीय भाग का अपरदन करके अवसाद प्राप्त करती है तथा उन्हें काँप के रूपा में सागर में जमा कर देती हैं। नदियों द्वारा निर्मित डेल्टा का आकार भिन्न-भिन्न हुआ करता है। उसमें विकास, विस्तार तथा ह्रास भी होता रहता है। डेल्टा का आकार उस भाग पर आधारित होता है जिससे होकर सरिता प्रवाहित होती है। यदि वह भाग अत्यधिक विस्तृत है और उस भाग की चट्टानें कोमल हैं तो अपरदन द्वारा अवसाद अधिक प्राप्त होगा। परिणामस्वरूपा डेल्टा का आकार अधिक विस्तृत होता है। इस विवरण से परोक्ष रूपा में विशेषात्मक अपरदन की भी झीनी झलक मिलती है। स्थलीय भागों में स्थानीय उत्थान एवं अवतलन होता रहता हैं विसूवियस पर्वत की संरचना का अवलोकन करने के बाद स्ट्रैबो ने बताया कि इसकी उत्पत्ति ज्वालामुखी क्रिया द्वारा हुई है। सेनेका नामक विद्वान ने अरस्तू के उस मत का समर्थन किया कि जलवृष्टि द्वारा स्थायी सरिताओं का आविर्भाव नहीं हो सकता है।
(ii) अन्धकार युग (Dark Age) :
रोमन साम्राज्य के पतन के बाद भू-आकृति विज्ञान के रंगमंच से उठी यवनिका पुनः गिर पड़ती है। समस्त दृश्य ओझल सा होने लगता है। विज्ञान के क्षेत्र में अस्पष्टता तथा अस्त व्यवस्तता का साम्राज्य हो जाता है। यह क्रम कई सदियों तक चलता रहता है। प्रथम शताब्दी ई.से चैदहवीं शताब्दी तक न केवल भूआकृति विज्ञान में वरन् भूगोल के क्षेत्र में भी प्रगति के आगे पूर्ण विराम लग जाता है। इस दीर्घकाल को अन्धयुग कहा जाता है, क्योंकि लगभग चैदह सौ वर्षों तक स्थिरता का घना कुहरा छाया रहता है। इसके बावजूद कहीं-कहीं पर छिटपुट विचारों का सम्पादन अवश्य हुआ।
(iii) आकस्मिकवाद काल (Period of catastrophism) –
भू-आकृति विज्ञान के प्रथम शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक के लम्बे अन्तराल के उपरान्त 15वीं से 17 वीं शताब्दी के दौरान नवीन विषयवस्तु का समावेश हुआ। भू-आकृति विज्ञान के विद्वान यह मानने लगे कि भू-आकृतियों का निर्माण आकस्मिक घटनाओं के परिणामस्वरूपा हुआ है। पृथ्वी की आयु का आकलन कुछ हजार वर्षों में किया गया जिस कारण मनुष्य ने अपने जीवन-काल में पर्यवेक्षित एवं अवलोकित भूगर्भिक घटनाओं को ही महत्वपूर्ण माना तथा इन घटनाओं को आकस्मिक रूपा में निर्मित होना माना। ज्वालामुखी की अचानक क्रिया तथा भूकम्प की सेकण्डों में दिल दहला देने वाली ह्रदयविदारक घटनाओं ने आकस्मिकवाद की विचारधारा के प्रतिपादन पर बल प्रदान किया। इन घटनाओं द्वारा मानव युग के सामने त्वरित रूपा में अनेकानेक स्थलरूपाों का सृजन हो जाता है। परिणामस्वरूपा वह मान गति से सम्पादित होने वाली घटनाओं की ओर दृष्टिपात नहीं कर सका। पृथ्वी की आयु की इतनी कम परिकल्पित की गई कि उस लघु समय के अन्तर्गत केवल प्रलयकारी तथा आकस्मिक घटनाओं को ही स्थान दिया गया इसी विचारधारा के समर्थकों को आकस्मिकवादी की संज्ञा प्रदान की गई। यह विचारधारा इतनी तीव्र गति से आगे बढ़ी की कृवियर जो कि एक प्रकृति वैज्ञानिक था, इससे अप्रभावित नहीं रह सका। उसने बताया कि प्राचीन काल में प्रारम्भिक पर्वत निर्माणकारी घटनायें इतनी आकस्मिक थीं कि उससे प्रकृति के संचालन में व्यवधान उपस्थित हो गया था। आकस्मिकवाद की विचारधारा का प्रभाव केवल भू-गर्भशास्त्र तथा भू-आकृति विज्ञान तक ही सीमित नहीं था वरन् उसने जीवविज्ञान में भी प्रवेश किया।
Recent Posts
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…
elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है
दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…