हिंदी माध्यम नोट्स
संस्कार किसे कहते हैं बताइए | संस्कार की परिभाषा क्या है ritual in hindi meaning definition
ritual in hindi meaning definition संस्कार किसे कहते हैं बताइए | संस्कार की परिभाषा क्या है ?
संस्कारों के विभिन्न पहलू (Aspects of Ritual)
‘‘संस्कार‘‘ शब्द को केवल इस अर्थ में समझा जा सकता है कि इस का उपयोग/प्रयोग कौन कर रहा है। पादरी के संदर्भ में सभी संस्कार गिरजाघर के अंदर संपन्न होते हैं। लेकिन एक चिकित्सक के संस्कार उसके रोगी या रोगियों की कुछ आदतों से जुड़े हैं। दुर्खाइम के अनुसार संस्कार वस्तुतः व्यवहार के संस्कार होते हैं जो यह निश्चित करते हैं कि व्यक्ति को पवित्र वस्तुओं की मौजूदगी में कैसा व्यवहार करना चाहिए। (दुर्खाइमः 1915) डेनियल डि कोपे (1992) के संपादन में हाल में आए एक प्रकाशन में संस्कार को एक विशेष प्रकार की क्रिया बताया गया है जो अपने आप में क्रिया भी है और वक्तव्य भी। संस्कार किसी समाज की सांस्कृतिक अस्मिता या पहचान और सामाजिक संबंधों की रचना करते हैं और उन्हें बनाए रखने या उनके रूपांतरण का काम करते हैं। इस तरह, संस्कार क्रिया तो होती ही है, साथ ही वह संवाद की भी भूमिका अदा करता है। इसका अर्थ यह हुआ कि संस्कार के संदर्भ में मनुष्य के काम संवाद भी करते हैं। संस्कार को समझने के प्रयास में हम एक अज्ञात भाषा के व्याकरण और वाक्य विन्यास का पता लगाने का प्रयास कर रहे होते हैं।
जैसा कि रेडक्लिफ-ब्राउन (1966) का कहना है, जीवन के संकटकालीन संस्कार समाज पर उसकी ‘‘भावनाओं‘‘ को तरोताजा करने का प्रभाव डालते हैं, और इसे संसक्त करते हैं। वैन जेनेप (1966) ने इन संस्कारों या उत्सवों को पारगमन के अनुष्ठान कहा है और उसके अनुसार ये सभी समाजों में पाए जाते हैं। उसके अनुसार इसके तीन मुख्य चरण आसानी से देखे जा सकते हैंः
I) विच्छेद
II) संक्रमण/संक्रांति
III) समावेशन
इन चरणों को जन्म, विवाह और मृत्यु में देखा जा सकता है। अपने विषय में हम देखते हैं कि विच्छेद, संक्रमण और समावेशन की धारणाएँ इन संस्कारों के साथ पाए जाने वाले तनाव या संक्रांति का संकेत देती हैं। इस प्रकार, जन्म, विवाह और मृत्यु के जीवन चक्रीय संस्कारों में तनाव से निपटने की एक अंतर्निहित विधि अवश्य होती है। इसी तरह के विचार पूर्व संक्रांति, सक्रांति और उत्तर संक्रांति के तथ्यों के अर्थ में व्यक्त किए गए हैं। संक्रांति को हम ‘‘दहलीज‘‘ के अर्थ में लेते हैं और प्रत्येक जीवन संकटकालीन या जीवन चक्रीय संस्कार दहलीज को पार करते समय इस तनाव या संक्रांति की अनुभूति से गुजरता है। हम बाद में दिए उदाहरणों में इन श्रेणियों का उल्लेख करेंगे।
तनाव, शिशु जन्म, विवाह और मृत्यु के समय उत्पन्न होता है क्योंकि इन सभी घटनाओं की बहुत सजगता से देखरेख करनी पड़ती है। विशेषरूप से मृत्यु में भय की अनुभूति अनिवार्य होती है, ऐसा ही शेष घटनाओं में भी होता है। वैसे, जैसे कि वैन जेनेप की महत्वपूर्ण टिप्पणी है, विच्छेद, संक्रमण और समावेशन के तीन प्रमुख चरणों का सभी लोग या प्रत्येक उत्सव में समान रूप से विकास नहीं होता। विच्छेद के अनुष्ठान अंतिम संस्कार के समय प्रमुख होते हैं। समावेशन के अनुष्ठान विवाह संस्कार के समय प्रमुखता ग्रहण करते है। संक्रमण के अनुष्ठान गर्भावस्था और दीक्षा के संस्कारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
संस्कारों के विभिन्न कार्य (Functions of Rituals)
अब हम संस्कार के कार्यों की चर्चा करेंगे क्योंकि ये कार्य किसी भी जीवन चक्रीय संस्कार का एक महत्वपूर्ण अंग होते हैं। ये कार्य सामान्यतः इन जीवन चक्रीय संस्कारों में सम्मिलित रूप में मौजूद रहते हैं। सरस्वती (1984 रू 98-104) के अनुसार, संस्कार सभी धर्मों के केन्द्रीय तत्व हैं। संस्कार के नियम मौखिक या लिखित रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किए जाते हैं और, जैसा कि सरस्वती का कहना है ‘‘सांस्कारिक क्रिया के माध्यम से न केवल संस्कार को संपादित करने वाले का बल्कि आयोजक समाज का भी कल्याण होता है‘‘ (वही)। सरस्वती के अनुसार संस्कार ‘‘एक अनिवार्य सामाजिक व्यवहार होता है जिसे विभिन्न अवसरों के लिए निर्धारित किया जाता है।‘‘ संस्कार उसमें भाग लेने वालों को, विश्वास और कर्म दोनों में एक समुदाय के रूप में बांधे रखता है। यह सामाजिक और पारलौकिक दोनों लोकों को अर्थपूर्ण व्यवस्था प्रदान करता है। सांस्कारिक अनुभव में भागीदारी और भी अटूट बंधन का कारण बनती है। धार्मिक व्यवहार और संस्कार धर्मनिरपेक्ष या लौकिक संस्कार से भिन्न होता है। लेकिन, धार्मिक संस्कारं एकदृष्टि से सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखता है और धर्मनिरपेक्ष संस्कार दूसरी दृष्टि से।
सरस्वती ने संस्कार के सामाजिक कार्य बताए हैं। जैसा कि हम पहले कह चुके हैं कि ये कार्य हमें यह संकेत देते हैं कि संस्कार की एक विशिष्ट भूमिका होती है। इस भूमिका में रैडक्लिफ-ब्राउन (वही) के अनुसार समाज को संसक्त करने और समाज में निहित मूल्यों और आदर्शों को तरोताजा करने के कार्य भी शामिल है। इसमें समाजीकरण का पक्ष. भी सम्मिलित है। इस प्रकार, संस्कार एक शिक्षण का उपकरण है, और जैसा कि सरस्वती ने कहा है, इसके कार्यों में समाजीकरण के अलावा सामाजिक नियंत्रण, अस्मिता के अनुष्ठान आदि भी शामिल हैं। इस पर हम नीचे विचार कर रहे है, और हम विद्यार्थियों से कहेंगे कि वे इन कार्यों को उन संस्कारों में पहचानने का प्रयास करें जिनका हम आगे वर्णन करेंगेः
प) समाजीकरण के रूप में संस्कारः सभी समाजों में जीवन चक्रीय संस्कार होते हैं। ये संस्कार दो प्रकार के होते हैं, अर्थात, गर्भाधान से अंत्येष्टि तक के संस्कार, और दूसरे दैनिक या मौसमी बलिदान।
पप) सामाजिक नियंत्रण के रूप में संस्कारः संस्कार का महत्व समाकलनात्मक होता है और यह सामाजिक व्यवस्था को दुरुस्त रखता है। इनका संबंध पारलौकिक पुरस्कार या दंड से होता है। यह नियामक व्यवस्था का एक अटूट अंग होता है। इस प्रकार, सांस्कारिक व्यवस्था को बनाए रखने से सामाजिक व्यवस्था और आत्मिक व्यवस्था भी कायम हो जाती है।
पपप) पुण्य और प्रस्थिति के रूप में संस्कारः संस्कार की परिणति धार्मिक पुण्य में होती है और यह पुण्य और प्रस्थिति के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग करने वाले को सामाजिक प्रतिष्ठा और आध्यात्मिक पुण्य मिल जाता है।
पअ) अस्मिता के रूप में संस्कारः अनुकरण का संस्कार प्रत्येक सदस्य के लिए अनिवार्य है। इसके बिना सदस्यता प्राप्त नहीं हो सकती। संस्कार के रूप में किसी अंग का छेदना, खनना और कान को छेदना सभी अस्मिता के संस्कार हैं।
अ) आत्मिक उत्थान के रूप में संस्कारः प्रार्थना, तीर्थयात्रा, पूजा और दीक्षा से संबंधित संस्कारों का उददेश्य आत्मिक उत्थान होता है।
अप) अमौखिक संवाद के रूप में संस्कारः संस्कार में विभिन्न किस्म का दीक्षा संबंधी और सामान्य संवाद होता है। उनमें शब्द और स्थान का प्रयोग इस प्रकार का होता है कि वह आदिरूपी नजर आता है। दीक्षा संबंधी संस्कार का अर्थ गूढ और विशिष्ट होता है और वह केवल पुरोहित और अन्य विशेषज्ञों को उपलब्ध रहता है। सामान्य संवाद सभी संबंधित व्यक्तियों को उपलब्ध रहता है।
अपप) संस्कार और उत्कृष्टता का संवर्धनः लोगों को सौंदर्य के रसपान का बोध और सौंदर्य बोध, सांस्कारिक चित्रों और प्रतीकों में अच्छी तरह प्रतिबिंबित होता है। यहाँ संस्कार की परिणति उत्कृष्टता में होती है। यह नाच, चित्रकला या दस्तकारी के रूप में हो सकता है। सरस्वती (वही) के अनुसार ‘‘कोई भी ब्राहमणीय संस्कार सौंदर्यशास्त्रीय महत्व से रहित नहीं होता।‘‘
अपपप) उपचार के रूप में संस्कारः तंत्र-मंत्र और जादू-टोने या ओझाई संस्कारों की मदद से कई समाजों में कष्टों का निवारण भी किया जाता है। यह बात सरल धर्मों के संदर्भ में जितनी सही है उतनी ही जटिल और मिश्रित धर्मों के संदर्भ में भी लागू है।
पग) व्यवसाय के रूप में संस्कारः संस्कार के विशेषज्ञ सभी समाजों में होते हैं और उन्हें अतिरिक्त विशेषाधिकार और आर्थिक लाभ मिले होते हैं। हिंदुओं के तीर्थस्थानों में इस तरह का सांस्कारिक व्यवसाय बहुत मुनाफे वाला हो सकता है।
ग) जीवन शैली के रूप में संस्कारः धार्मिक व्यक्ति संस्कार के दायरे में रहता है। वह संस्कारों का प्रयोग दैनिक अनुष्ठानों, वार्षिक उत्सवों और कुछ पर्यों में भी करता है।
इस तरह, हम कह सकते हैं कि संस्कारों के उपर्युक्त कार्य सरस्वती के बताए गए कार्यों के विस्तृत विषय क्षेत्र में आते हैं।
बोध प्रश्न 1
1) वैन जेनेप ने परागमन के संस्कार की कौन सी तीन किस्में बताई हैं?
क) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
ख) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
ग) …………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
2) सरस्वती ने संस्कार के जो कार्य बताए हैं उनमें से चार का उल्लेख कीजिए।
क) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
बोध प्रश्न 1 उत्तर
प) क) समावेशन के संस्कार
ख) संक्रांति के संस्कार
ग) विच्छेद के संस्कार
पप) क) समाजीकरण के रूप में संस्कार
ख) अस्मिता के रूप में संस्कार
ग) पुण्य एवं प्रस्थिति के रूप में संस्कार
घ) मौखिक संवाद के रूप में संस्कार
उद्देश्य
इस इकाई को पढ़ने के बाद, आपः
ऽ धर्म की प्रतीकात्मक व्याख्या कर सकेंगे,
ऽ आदिवासी समाजों में धर्म का वर्णन कर सकेंगे,
ऽ संस्कारों के वर्गीकरण पर चर्चा कर सकेंगे,
ऽ कुछ विशेष समुदायों में जन्म संस्कारों का वर्णन कर सकेंगे, और
ऽ कुछ विशेष समुदायों में विवाह संस्कारों का विशलेषण का सकेंगे।
प्रस्तावना
इस इकाई का प्रारंभ हम संस्कारों के परिचय के साथ करेंगे, फिर हम सरस्वती की संस्कार संबंधी भूमिकाओं (सरस्वतीः 1984) की चर्चा करेंगे, फिर हम हिंदुओं, सीरियाई ईसाइयों, सिक्खों और कोरकुओं में जन्म से संबंधित संस्कारों का वर्णन और विश्लेषण करेंगे। इस दकाई में हम इन समदायों में विवाह के संस्कारों का भी अध्ययन करेंगे।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…