हिंदी माध्यम नोट्स
ऋग्वेद किसे कहते हैं , ऋग्वेद में कितने सूक्त हैं की परिभाषा क्या है Rigveda in hindi definition meaning
Rigveda in hindi definition meaning ऋग्वेद किसे कहते हैं , ऋग्वेद में कितने सूक्त हैं की परिभाषा क्या है ?
प्रश्न: ऋग्वेद पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: ऋग्वेद भारतीय आर्यों का प्राचीनतम साहित्य है। जिसमें कुल 10 मण्डल और 1028 सूक्त हैं। इसका रचना काल 1500-1000 B.C. माना जाता है। 10वें मण्डल में वर्णोत्पत्ति का विवरण है। ऋग्वेद में प्राचीन आर्य सभ्यता की स्थापना, राजनीति, संस्कृति, धर्म, समाज एवं दाशराज्ञ युद्ध का वर्णन मिलता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: वेदों को भारतीय संस्कृति का मूल स्त्रोत क्यों कहा गया हैं ?
उत्तर: भारतीय समाज, नीति, राज्य आदि का केन्द्र बिन्दु धर्म रहा है। वेद भारत के धर्म ग्रंथ है। ऋग्वेद हमारा प्राचीनतम साहित्यिक स्त्रोत है। शेष वैदिक साहित्य – सामवेद, यर्जुवेद और अथर्ववेद की रचना बाद में हुई। आयों के जीवन और संस्थाओं के ऐतिहासिक पुनः निर्माण का आधार यही साहित्य है। इसलिए वेद भारतीय संस्कृति के मूल स्त्रोत है।
प्रश्न: बोगजकोई अभिलेख में उल्लेखित वैदिक देव एवं उनके संदर्भ का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: एशिया माइनर क्षेत्र से प्राप्त 1400 ई.पू. का अभिलेख है। इसमें, हित्ती शासक मतिऊअजा और मितन्नी शासक शुब्बिलिम्मा के मध्य हई सन्धि के साक्षी के रूप में वैदिक देवता इन्द्र, मित्र, वरुण, नासत्य का उल्लेख मिलता है। इस ‘मिलनी अभिलेख’ भी कहते हैं। इसका संदर्भ ईरानी ग्रंथ जेन्दावेस्ता है।
प्रश्न: रामायण एवं महाभारत का सांस्कृतिक महत्व बताइए।
उत्तर: ये महाकाव्य हमारी संस्कृति के उच्च मूल्यों एवं आदर्शों का स्त्रोत हैं। रामायण में राम को भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि के रूप में दर्शाया हैं। इसके पात्रों के माध्यम से उच्च मानवीय मूल्यों को प्रदर्शित किया गया हैं। जहां रामायण में उच्च सामाजिक आदर्शों का उल्लेख है वहीं महाभारत में राजनीति एवं शासन के विषय में बहुमूल्य सामग्री है। सत्यमेव जयते – सत्य की हमेशा विजय होती है। यदा-यदा ही धर्मस्य….. जब, जब धर्म की हानि होती है तो उसकी रक्षार्थ इश्वर अवतर के रूप में अवतरित होते हैं। यह महाकाव्यों से ही सिद्ध होता है। ।
प्रश्न: वैदिक साहित्य पर एक लघु निबंध लिखिए।
उत्तर: वेद चार है। सर्वाधिक प्राचीन ऋग्वेद है जिसकी रचना 1500-1000 ई.पू. में हुई, शेष सामवेद, यर्जुवेद और अथर्ववेद हैं जिनकी रचना 1000-600 ई.पू. के मध्य हुई। प्रत्येक वेद के चार भाग हैं।
पहला संहिता देवस्तुति मंत्र, दूसरा ब्राह्मण मंत्र व्याख्या, तीसरा आरण्यक आध्यात्मिक पक्ष मीमांसा तथा चैथा उपनिषद् दार्शनिक सिद्धान्तों की विवेचना। इनके पश्चात् के भाग वेदांगों में गृहस्थादि के नियम-विधान एवं पुराणों में मनु की वंशावलियों के राजा, रामायण और महाभारत के नायक हैं। इस साहित्य से वैदिक कालीन समाज, धर्म, राजनीति आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
प्रश्न: उपनिषदों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: उप-समीप का शाब्दिक अर्थ है श्निषद्-बैठनाश् अर्थात् ज्ञान प्राप्ति हेतु गुरु के निकट बैठना। इन्हें वेदांत कहा गया है। इनकी संख्या 108 मानी गयी है। अलोपनिषद् की रचना अकबर कालीन मानी गयी है। इनका विषय ब्रह्म विद्या या अध्यात्म विद्या है जिसे ‘पराविद्या‘ कहा गया है। इनमें आत्मा, परमात्मा, जन्म, पुर्नजन्म, मोक्ष इत्यादि विषयों की चर्चा की गई है। इनमें यांत्रिक यज्ञों के स्थान पर ज्ञान का प्रतिपादन, संसार के नानात्व के स्थान पर एकत्व का व बहुदेववाद के स्थान पर परब्रह्म का प्रतिपादन किया गया है। 12 उपनिषद् मुख्य माने हैं, वे हैंः- इशोपनिषद, केनोपनिषद, कठोपनिषद, प्रश्नोपनिषद, मुण्डकोपनिषद, माण्डूक्योपनिषद, एतेरय उपनिषद, तैतरीय उपनिषद, छान्दोग्य उपनिषद, कौषितकी उपनिषद, बृहदारण्यकोपनिषद, श्वेताश्वरोपनिषद।
प्रश्न: वेदांग एवं उनका विषय क्या हैं?
उत्तर: वेदों के अंग होने के कारण ये ग्रंथ वेदांग कहलाये। वेदों के अर्थ को सरलता से समझने व वैदिक कर्मकाण्डों के प्रतिपादन के सहायतार्थ रचित ग्रंथ ही वेदांग हैं। इनकी संख्या 6 है। वेदांगों की विषय वस्तु निम्नलिखित है-
शिक्षा – शुद्ध उच्चारण शास्त्र
कल्प – कर्मकाण्डीय विधि
निरूक्त – शब्दों की व्युत्पत्ति (भाषा विज्ञान)
व्याकरण – शब्दों की मीमांसा (भाषा संबंधी नियम)
छन्द – उच्चारण एवं पाठ
ज्योतिष – ग्रह व नक्षत्र
यास्क कृत निरूक्त, पाणिनी कृत व्याकरण (अष्टध्यायी), लगध मुनि कृत ज्योतिष (वेदांत), पतंजलि का छन्द प्राचीन ग्रंथ हैं।
प्रश्न: सूत्र साहित्य
उत्तर: सूत्र छोटे-छोटे वाक्य होते हैं, इनके अंतर्गत व्यवस्थाकारों ने समाज के समस्त धार्मिक व सामाजिक विधि निषेधों को छोटे-छोटे सूत्रों में संकलित किया है। सूत्र साहित्य में कल्प सूत्र का विशेष महत्व है, इसे 3 भागों में संगठित किया। पहला ‘श्रौत सत्र‘ जिनमें याज्ञिक क्रियाएं व कर्म काण्डीय व्यवस्था दी गई है। दूसरा ‘गृह सूत्र‘ जिनमें जीवन के विधि निषेध दिए गए हैं तथा तीसरा धर्म सूत्र है जिनमें सामाजिक नियमों व संस्थाओं का वर्णन किया गया है।
प्रश्न: रामायण
उत्तर: महाभारत की तुलना में रामायण में कलात्मक एवं रसात्मक एकता अधिक है और इसका मुख्यांश एक ही व्यक्ति की रचना है, जिसे वाल्मीकि कहा गया है। लेकिन इसके बावजूद इसमें सन्देह नहीं की महाभारत के समान इसमें भी प्रक्षिप्तांश भी मिलता है। यद्यपि ये संख्या में बहुत कम हैं। आजकल रामायण में करीब 24000 श्लोक मिलते हैं। लेकिन ज्ञान प्रस्थान की टीका महाविभाषा में जो प्रथम या द्वितीय शताब्दी का है, इसमें 12000 श्लोकों का ही उल्लेख है। आजकल सर्वसम्मत रूप से यह माना जाता है कि रामायण का प्रथम अर्थात् बालकाण्ड अंतिम तथा सातवां उत्तरकाण्ड पूर्णतः और बीच के 5 काण्डों के कुछ भाग इसमें बाद में जोडे गये हैं।
प्रश्न: स्मृति ग्रंथ
उत्तर: इन्हें धर्मशास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। मनुस्मृति सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मानी जाती है। जिसकी रचना ई. 200 ई.पू.-200 ई.पू. के मध्य मानी जाती है। सामान्यतया इसे शुंगकालीन स्वीकार किया जाता है जिसमें शुंगकालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक दशा का बोध होता है। अन्य स्मृतियों में याज्ञवल्यज्ञ, नारद, बृहस्पति, पाराशर, कात्यायन व देवल स्मृतियां उल्लेखनीय हैं। नारद स्मृति में गुप्तयुगीन महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं। कालान्तर में अनेक टीकाकारों ने टीकाएँ लिखी। मनुस्मृति एवं याज्ञवल्यज्ञ स्मृति के टीकाकार थे-मनुस्मृति के भारूचि, मेघातिथि, गोविन्दराज, के भट्ट, तथा याज्ञवल्यज्ञ के अपरांक, विश्वरूप, विज्ञानेश्वर टीकाकार हुए।
प्रश्न: पुराण
उत्तर: पुराण का शाब्दिक अर्थ है ‘‘प्राचीन आख्यानश्‘‘। अतः पुराण साहित्य के अंतर्गत प्राचीन भारत का धर्म, इतिहास, विज्ञान और आ जाते हैं। इनका रचयिता लोमहर्ष व उसका पुत्र उग्रश्रवा माने गये हैं। इनकी संख्या 18 बताई गयी है। जिनमें मत्स्य पुराण को सर्वाधिक प्राचीन व प्रमाणिक माना गया है। इतिहास की दृष्टि से विष्णु पुराण मौर्यों के लिये, वायु पुराण गुप्तों के लिए व मत्स्य पुराण शुंग व सातवाहन शासकों के लिए उपयोगी है। अमरकोशानुसार पुराण साहित्य के पांच विषय हैं-
1. सर्ग – सृष्टि की उत्पत्ति
2. प्रतिसर्ग – प्रलय के बाद पुनः सृष्टि
3. वंश – देवताओं व ऋषियों के वंश
4. मनवंतर – अनेक मनु
5. वंशानुचरित्र – राजवंशों का इतिहास
ऐतिहासिक रूप से 5वां विषय सबसे महत्वपूर्ण है।
प्रश्न: शुंग कालीन भाषा तथा साहित्य के बारे में बताइए
उत्तर: शुंग काल में संस्कृत भाषा का पुनरुत्थान हुआ। इस वंश के राजाओं ने संस्कृत को पर्याप्त प्रोत्साहन प्रदान किया और अब संस्कृत काव्य की भाषा न रहकर लोकभाषा के रूप में परिणत हो गयी। संस्कृत के पुनरुत्थान में महर्षि पंतजलि का कृत भाषा का स्वरूप स्थिर करने के लिए पाणिनि के सूत्रों पर एक ‘महाभाष्य‘ लिखा। पतंजलि ने ऐसे लोगों को शिष्ट बताया है जो बिना किसी अध्ययन के ही संस्कृत बोल लेते हैं। महाभाष्य में एक स्थान पर एक वैयाकरण (व्याकरण शास्त्र के ज्ञाता) तथा सारथि के बीच वाद-विवाद का बड़ा ही रोचक प्रसंग आया है जो ‘सूत‘ शब्द की व्युत्पत्ति पर विवाद करते हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि उस समय सारथि भी अच्छी संस्कृत बोल लेता था। महाभाष्य के अतिरिक्त मनुस्मृति का वर्तमान स्वरूप संभवतः इसी युग में रचा गया था। कुछ विद्वानों के अनुसार शुंगों के समय में ही महाभारत के शांतिपर्व तथा अश्वमेधपर्व का भी परिवर्द्धन हुआ।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…