JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

समानता का अधिकार किस आर्टिकल में है | अनुच्छेद कौनसा है ? परिभाषा क्या है right to equality in which article

right to equality in which article in hindi समानता का अधिकार किस आर्टिकल में है | अनुच्छेद कौनसा है ? परिभाषा क्या है ?

परिशिष्ट-I
मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (संक्षिप्त रूप) संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने विश्व के सभी लोगों तथा संपूर्ण राष्ट्रों के लिए मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा की है उस दस्तावेज में उपलब्धि का सामान्य स्तर प्रस्तुत किया है। अतः प्रत्येक व्यक्ति एवं समाज के प्रत्येक अंग को इस घोषणा को हमेशा दिमाग में रखना आवश्यक होगा ताकि इन अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं के प्रति इस शिक्षण एवं शिक्षा से इन के प्रति आदर भावना तेजी आयेगी और इनको विकसित करने में सहयोग और सहायता प्राप्त होगी।
अनुच्छेद-1 समानता का अधिकार ।
अनुच्छेद-2 शोषण से मुक्ति।
अनुच्छेद-3 जीवन, स्वतंत्रता, व्यक्तिगत सुरक्षा का अधिकार ।
अनुच्छेद-4 दासता से मुक्ति का अधिकार।
अनुच्छेद-5 यातना या यंत्रण, अपमानजनक व्यवहार के विरूद्ध अधिकार।
अनुच्छेद-6 विधि के समक्ष एक व्यक्ति के रूप में मान्यता का अधिकार ।
अनुच्छेद-7 विधि के समक्ष समानता का अधिकार ।
अनुच्छेद-8 प्राधिकृत अधिकरण द्वारा शिकायत के समाधान का अधिकार ।
अनुच्छेद-9 मनमाने ढंग से बंदी बनाना, देश निकाला देने के विरूद्ध अधिकार ।
अनुच्छेद-10 उचित सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार ।
अनुच्छेद-11 दोष सिद्ध न होने तक निर्दोष मानने का अधिकार ।
अनुच्छेद-12 एकांत, परिवार, निवास तथा पत्राचार में बाधाओं से स्वतंत्रता का अधिकार ।
अनुच्छेद-13 देश के किसी भी हिस्सों में अन्दर बाह्य स्वतंत्र आवागमन का अधिकार।
अनुच्छेद-14 अत्याचार से बचने के लिए दूसरे देशों में शरण लेने का अधिकार।
अनुच्छेद-15 राष्ट्रीय प्राप्त करने तथा राष्ट्रीयता परिवर्तन की स्वतंत्रता का अधिकार ।
अनुच्छेद-16 विवाह तथा परिवार का अधिकार ।
अनुच्छेद-17 अपनी सम्पत्ति रखने का अधिकार ।
अनुच्छेद-18 विश्वास और धर्म का अधिकार ।
अनुच्छेद-19 मत एवं सूचना का अधिकार।
अनुच्छेद-20 शांतिपूर्वक एकत्रित होने और समा करने का अधिकार ।
अनुच्छेद-21 सरकार और स्वतंत्र चुनाव में भागीदारी का अधिकार ।
अनुच्छेद-22 सामाजिक सुरक्षा का अधिकार ।
अनुच्छेद-23 वांछित कार्य तथा श्रमिक संघों में शामिल होने का अधिकार।
अनुच्छेद-24 आराम करने एवं अवकाश का अधिकार ।
अनुच्छेद-25 समुचित जीवन स्तर का अधिकार ।
अनुच्छेद-26 शिक्षा का अधिकार ।
अनुच्छेद-27 समुदाय के सांस्कृतिक जीवन में भागीदारी का अधिकार।
अनुच्छेद-28 सामाजिक व्यवस्था में मानव अधिकारों के लिए आश्वासन का अधिकार।
अनुच्छेद-29 स्वतंत्र और संपूर्ण विकास के लिए समुदाय के आवश्यक कर्तव्य।
अनुच्छेद-30 उपर्युक्त अधिकारों को प्राप्त करने के लिए राज्य एवं व्यक्तिगत बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करने का अधिकार।

भूमंडलीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था में कार्यनीतिक परिवर्तन
साम्यवाद के विरोधस्वरूप अमरीका के विदेश नीति योजनाकारों ने जिसमें जार्ज केयान एंव उसके बाद के नीतिकारों ने विदेशनीति का निर्माण किया था इसके दरवाजे उसी समय बंद हो गए जब शीत युद्ध का समापन हुआ। इसकी विरोध की भूमि 70 के दशक में तीसरे देश के सक्रिय देशों ने. तैयार की थी। उस समय वे नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने की मांग कर रहे थे। याद रहे यह भी अपनी गति को खो चुकी है। इस नीति को विलियम रोबिन्सन ने उपयुक्त कहा और इसे साम्यवाद से युक्त माना है। इसका अर्थ यह हुआ कि अमरीका ने जिस नीति का शीत युद्ध के दिनों में जम कर विरोध किया था उसी नीति को कानूनी रूप देने का प्रयास किया गया है। अब इसको लोकतंत्र की प्रगति तथा मानव अधिकार संरक्षण का नाम देकर बदल दिया है। अतः जिसके लक्ष्य एवं उद्देश्य वे ही हैं जिस तरह से भूमंडलीय नेतृत्व प्राप्त करने के लिए पहले भी इस तरह की कूट नीतियां अपनाई जा चुकी हैं। इस तरह हमारे समक्ष अमरीका की शीत युद्ध के बाद की विदेशी नीति के इस विश्लेषण से स्पष्ट हो गया है कि उसने सीधी आधिपात्य संकल्पना के स्थान पर अप्रत्यक्ष दबाव वाली नीति अपना ली है जिससे वह शीत युद्ध के विरोधी के रूप में उभर कर सामने आया है। इसके बारे में प्रसिद्ध विद्वान प्रो. हॅटिंगटन का दावा है कि यह प्रक्रिया या व्यवस्था समाजवाद की तीसरी लहर है।

अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में बाजार शक्तियों को मुक्त रूप से कार्य करने के लिए स्थितियां निर्मित कर दी गई हैं मुक्त बाजार के माध्यम से पूंजीपतियों को भरपूर लाभ तो मिलेगा ही साथ में राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर भी भूमंडलीय एकीकृत करने का काम भी सुनिश्चित हो गया है। इसके साथ ही भूमंडलीयकरण की परिघटना ने राष्ट्रीय व्यवस्था की असमानताओं को अनदेखा कर दिया है इसमें केवल संप्रभुसत्ता राज्यों की राजनीतिक समानता को प्रमुखता देकर राष्ट्रों की अंदरूनी अर्थव्यवस्था को नष्ट करने के सशक्त साधन तैयार कर लिए गए हैं। हमारे समक्ष बहुत स्पष्ट उदाहरण हैं जिसे ध्यान में रखना चाहिए यह कि विश्व के दो अत्याधिक धनी एवं उद्योगपति अमरीका के ही हैं और उनका वार्षिक कारोबार उसी तरह से होता है जिस तरह से भारत के जी डी पी की उद्योग व्यवस्था है इनमें भी उसी तरह से लाभ कमाने की व्यवस्था है।

अब हम भूमंडलीयकरण की प्रक्रिया के बारे में बताना चाहते हैं इसका शीत युद्ध के समापन से आरंभ होता है और मुक्त व्यापार की व्यवस्था की स्थापना में बदल जाती है। इस संबंध में अनेक मानव विकास रिपोर्टों में व्यक्त विपरीत विचारों को ध्यान में रखा जाना चाहिए इस तरह के विचार यू एन डी पी (संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम) द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित करता है। उसके विचार व्यापक रूप से इस व्यवस्था को हानिकारक मानते हैं। वे इस संबंध में असहमति प्रकट करते है। 1992 में प्रकाशित रिपोर्ट विश्व की भूमंडलीय आय का असमान ब्यौरा निम्न प्रकार से प्रकाशित किया गया हैः

‘‘वर्ष 1960 तथा 1989 के दौरान विश्व की जनसंख्या का 20 प्रतिशत भाग और अत्याधिक गरीब देश हैं। उनका सामूहिक हिस्सा 2.3 प्रतिशत से 1.4 प्रतिशत हो गया जो एक भयानक गिरावट है। आर्थिक असमानताओं के लिए यह घटनाएं बहुत ही नाटकीय मानी जाती हैं। 1960 में सबसे ऊपर के 20 प्रतिशत लोगों ने तीस गुना अधिक लाभ प्राप्त किया था जो नीचे के 20 प्रतिशत से कहीं अधिक था। परन्तु 1989 में उन्होंने 60 गुना से अधिक प्राप्त किया था। दूसरी ओर हम वास्तविक उपभोग की स्थिति को देखें तो ‘‘उत्तर विश्व की जनसंख्या का चैथा हिस्सा है और इसने कल खाद्य का 70 प्रतिशत भाग का उपभोग किया है। यह आंकडे चैकाने वाले हैं।‘‘

अब यह कहानी पुरानी हो गई है कि यूरोप के उत्पादन की पूंजीवादी व्यवस्था ने विश्व के बाहरी । हिस्सों में व्यापारिक संबंध स्थापित करके विस्तार कर लिया है। आज व्यापारिक निगम (टी एन विश्व के समी देशों को एक साथ मिला कर जितना निर्यात किया जाता है उससे कहीं यह निगम अपना उत्पाद बेच देती है। इसे हम दूसरे शब्दों में इस प्रकार कह सकते हैं कि आज दुनिया का सबसे प्रमुख व्यापारिक कार्य क्षेत्र जिसे हम कुटनीतिक व्यापार भी कहते हैं उसी टी एन सी से ही संबंध रखता है। उसी का व्यापार पर आधिपत्य है। इन निगमों के समक्ष सरकारें भी स्वयं पीछे हो गई हैं। इस तरह से परिवर्तित स्थिति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में आई है। यहां यह मुद्दा विशेष रूप से ध्यान में रखा जाना चाहिए कि इन निगमों में सबसे अधिक अमरीका में स्थिति हैं। इसके बाद भी शेष 80 प्रतिशत व्यापार भी शेष विश्व इन्हीं टी एन सी के बैनरों के नीचे या इनके माध्यम से सम्पन्न करते हैं।

यहां यह स्पष्ट कर देना अत्यंत आवश्यक है कि एन टी सी के कार्य आरंभ करने से पूर्व (जो वास्तव में विषमतापूर्व वित्तीय भूमंडलीकरण का तीव्रगामी पक्ष प्रस्तुत करता है) तीसरी दुनिया के देश पहले से ही कर्जे के चंगुल में फंसे हुए थे। ये देश विकास की निर्भरतात्मक नीतियों के तहत विदेशी सहायता प्राप्त करते रहे हैं। यह उसी तरह से अनुकरण करते थे जिस तरह से किसी एक गुट का नेतृत्व का आदेश देते थे और उनके गुट के तहत नीतियों का निर्धारित करते थे।

ऋण संकट समाधान से परे है और इसका कोई भी विकल्प नहीं है। अधिकतर विकासशील देश विश्व बैंक एवं आई एम एफ (जहां से इन्होंने असीमित ऋण प्राप्त किया है) की शर्तों के अधीन ऋण प्राप्त किया हुआ है। इसलिए यह देश अपने यहाँ संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम) (एस ए पी) तथा उदार आर्थिक सुधारों को मजबूरन लागू कर रहे हैं अथवा स्वयं अपना रहे हैं। यह तथाकथित उदार आर्थिक सुधारों का वास्तविक अर्थ यह है कि अर्थव्यवस्था के राज्य नियंत्रण से अलग करना है और दिखावटी रूप में यानि की मामूली तौर पर श्रमिक वर्ग अथवा कामगारों को जिनकी संख्या असीमित है उन्हें मामूली सी सामाजिक सुरक्षा देने का दिलासा देते हैं। यह भंयकर आंकड़े हैं कि युनीसेफ के एक आंकलन के अनुसार इस ऋण के कारण तीसरी दुनिया के देशों में प्रत्येक वर्ष 650,000 से अधिक बच्चों की अकाल मृत्यु हो जाती है। यह सभी लोग जानते हैं कि विकासशील देशों को इन आई एम एफ तथा विश्व बैंक के बोर्डो में बहुत मामूली सा प्रतिनिधित्व है जो इनको अपना मत देते हैं, उनका वहां पर किसी तरह का कोई अस्तित्व नहीं हैं। सच्चाई यही है कि विश्व के परिदृश्य में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आधिपत्य केवल अमरीका के नेतत्व में है अमरीका के नियंत्रण में यह सब निगमें अपना विश्व का कार्य संपन्न करती हैं। यहां तक जन माध्यमों में भी इनकी प्रमुखता से दखल है, इनका कब्जा है। श्री चन्द्र मुजफर का कहना है विश्व के मुद्रित माध्यम के संरचण अर्थात् वितरण व्यवस्था में 90 प्रतिशत जन माध्यमों पर नियंत्रण है यह नियंत्रण चाहे वह प्रत्यक्ष हो या फिर अप्रत्यक्ष हो। केवल उत्तर में ही चार विदेशी एजेंसिया अपना आधिपत्य जमाए हुए हैं।

इस शीत युद्ध के बाद के युग की पृष्ठभूमि के परिवर्तन के परिदृश्य में आए दिन सुनने को मिलता है कि मानव अधिकार, मुक्त बाजार और लोकतंत्र के तीन तत्वों को व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। हम यह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि यह तीन तत्व विश्व के लिए कोई नए नहीं हैं। लोकतंत्र एवं मानव अधिकारी के संपूर्ण विश्व पहले से ही आदर के साथ देखता है और उन्हें स्वीकार भी करता है। केवल मुक्त बाजार का लक्ष्य शीत युद्ध के बाद की देन है। इसे बाद में जोड़ा गया है। इसका सीधा कारण यह है कि मानव अधिकारों के अपने स्वार्थ के लिए उनका निर्माण पूर्वाग्रहों के चलते किया है जो एक विशेष वर्ग ने विश्व पर आधिपत्य जमाने के लिए किया है। इसलिए आज विश्व के सामाजिक समूहों ने इसका खुलकर विरोध किया है क्योंकि इसके माध्यम से सांस्कृतिक मूल्यों को नष्ट किया जा रहा है। जिसे तीसरी दुनिया के लोग भलिभांति परिचित हैं।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

22 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

22 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now