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प्रतिलोम परासरण या रिवर्स परासरण क्या है , विपरीत परासरण किसे कहते है (reverse osmosis in hindi)
(reverse osmosis in hindi) प्रतिलोम परासरण या रिवर्स परासरण क्या है , विपरीत परासरण किसे कहते है : पहले हम पढ़ते है कि परासरण क्या होता है ताकि आप प्रतिलोम या रिवर्स परासरण को ठीक से समझ सके।
परासरण : जब दो अलग अलग सांद्रता वाले विलयनों के मध्य अर्द्ध पारगम्य झिल्ली लगायी जाती है तो सान्द्रता में अंतर के कारण , कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन की तरफ विलायक के कण अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर गति करने लगते है , अणुओं की इस गति को परासरण कहते है।
अर्थात अणुओं की अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन में गति को परासरण कहते है।
परासरण दाब : विलायक के अणुओं का कम सांद्रता से अधिक सांद्रता वाले विलयन में गति रोकने के लिए आरोपित आवश्यक दाब के मान को परासरण दाब कहते है अर्थात विलयनों में परासरण को रोकने के लिए विलयन पर आरोपित दाब को परासरण दाब कहते है।
परासरण : जब दो अलग अलग सांद्रता वाले विलयनों के मध्य अर्द्ध पारगम्य झिल्ली लगायी जाती है तो सान्द्रता में अंतर के कारण , कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन की तरफ विलायक के कण अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर गति करने लगते है , अणुओं की इस गति को परासरण कहते है।
अर्थात अणुओं की अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर कम सांद्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन में गति को परासरण कहते है।
परासरण दाब : विलायक के अणुओं का कम सांद्रता से अधिक सांद्रता वाले विलयन में गति रोकने के लिए आरोपित आवश्यक दाब के मान को परासरण दाब कहते है अर्थात विलयनों में परासरण को रोकने के लिए विलयन पर आरोपित दाब को परासरण दाब कहते है।
प्रतिलोम परासरण या रिवर्स परासरण (reverse osmosis)
जब किसी विलयन पर परासरण दाब से अधिक दाब आरोपित किया जाता है तो परासरण की दिशा बिल्कुल विपरीत दिशा में संपन्न होने लगता है अर्थात परासरण दाब से अधिक दाब आरोपित करने पर विलायक के अणु अर्द्ध पारगम्य झिल्ली से होकर अधिक सांद्रता वाले विलयन से कम सांद्रता वाले विलयन की तरफ गति करने लगते है जो कि परासरण की घटना के विपरीत होता है इसलिए इसे प्रतिलोम या रिवर्स परासरण कहते है।
प्रतिलोम परासरण का उपयोग करके समुद्री जल को पिने योग्य बनाया जाता है , इस विधि में समुद्री जल को विलवणीकृत किया जाता है जिससे समुद्री जल भी पीने योग्य हो जाता है।
प्रतिलोम परासरण में अर्द्ध पारगम्य झिल्ली के रूप में सेलुलोज एसिटेट की फिल्म काम में ली जाती है क्यूंकि यह फिल्म अधिक दाब को सहन करने की क्षमता रखती है।
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