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Categories: chemistry

श्वसन गुणांक (respiratory quotient in hindi) , कार्बोहाइड्रेट का श्वसन गुणांक , वसा , प्रोटीन , कार्बोक्सीलिक

श्वसन की क्रिया में अन्तर्गत उपयोग जाने वाले विभिन्न श्वसनाधारो के मध्य अन्त: सम्बन्ध : सामान्यत: श्वसन की क्रिया के अन्तर्गत श्वसनाधार के रूप में कार्बोहाइड्रेट का उपयोग किया जाता है परन्तु कभी कभी कार्बोहाइड्रेट की अनुपस्थिति में प्रोटीन तथा वसा को श्वसनाधार के रूप में उपयोग किया जा सकता है अत: विभिन्न श्वसनाधार के मध्य पाया जाने वाला प्रमुख अंत: सम्बन्ध निम्न है –
नोट : सजीवो में संपन्न होने वाली श्वसन की क्रिया अभिचय या उभचय या Amphibolic प्रकार की क्रिया है क्योंकि इस क्रिया के अन्तर्गत कार्बनिक पदार्थो का विघटन तथा संश्लेषण होता है जिन्हें क्रमशः अपचय तथा उभचय के नाम से जाना जाता है।

श्वसन गुणांक (respiratory quotient)

1. प्रत्येक सजीव में संपन्न होने वाली श्वसन की क्रिया हेतु कार्बनिक पदार्थो के ऑक्सीकरण के लिए ऑक्सीजन का अवशोषण किया जाता है तथा क्रिया संपन्न होने के फलस्वरूप कार्बन डाइ ऑक्साइड का विमोचन होता है अत: श्वसन की क्रिया के अन्तर्गत विमुक्त होने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड के आयतन तथा उपयोग की जाने वाली ऑक्सीजन के आयतन का अनुपात श्वसन गुणांक कहलाता है।
श्वसन गुणांक (R.Q) = विमुक्त होने वाली CO2 का आयतन/प्रमुक्त होने वाली O2 का आयतन
श्वसन गुणांक (R.Q) की मात्रा का मापन Ganongs श्वसनमापी या Respirometer के द्वारा किया जाता है।
2. श्वसन की क्रिया के अन्तर्गत उपयोग किये जाने वाले विभिन्न श्वसनाधारो का श्वसन गुणांक भिन्न भिन्न होता है जो निम्न प्रकार है –
(i) कार्बोहाइड्रेट का श्वसन गुणांक :
  • यदि श्वसन की क्रिया के अंतर्गत श्वसनाधार के रूप में कार्बोहाइड्रेट का उपयोग किया जाए तो श्वसन गुणांक का मान सदैव 1 पाया जाता है क्योंकि विमुक्त होने वाले कार्बन डाइ ऑक्साइड तथा प्रयुक्त होने वाली ऑक्सीजन का आयतन समान पाया जाता है।
  • उपरोक्त क्रिया के अन्तर्गत श्वसन गुणांक के मान को निम्न प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है –
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ऊर्जा

R.Q = 6CO2/6O2 = 1

(ii) वसा का श्वसन गुणांक :  कुछ तेलीय बीज जैसे सरसों , मूंगफली कपास आदि के अंकुरण के समय वसा श्वसनाधार के रूप में उपयोग की जाती है परन्तु वसा में कार्बोहाइड्रेट के तुलना में कम मात्रा में ऑक्सीजन के अणु पाए जाते है अत: वायुमण्डल से अधिक ऑक्सीजन का अवशोषण किया जाता है।
जिसके कारण श्वसन गुणांक 1 से कम पाया जाता है।
C51H98O6 + 145O2 → 102CO2 + 98H2O + ऊर्जा
CO2 << O2

R.Q. = 102/145 = 0.7

(iii) प्रोटीन का श्वसन गुणांक : वसा की भाँती प्रोटीन में भी ऑक्सीजन की मात्रा कम पायी जाती है अत: श्वसन क्रियाधार के रूप में प्रोटीन का उपयोग किये जाने पर उसके ऑक्सीकरण हेतु अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है अत: प्रोटीन का श्वसन गुणांक 1 से कम होता है जो सामान्यत: 0.7 से 0.9 के मध्य पाया जाता है अर्थात प्रोटीन का श्वसन गुणांक वसा से थोडा अधिक होता है।
नोट : सजीव की कोशिकाओ के द्वारा वसा तथा कार्बोहाइड्रेट की अनुपस्थिति में ही प्रोटीन को ही श्वसनाधार के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे किसी मनुष्य के निराहार रहने पर प्रोटीन को श्वसनाधार के रूप में उपयोग करता है तथा इसे लगातार उपयोग से यह मृत्यु का सूचक होता है।
iv. कार्बोक्सीलिक(carboxylic) अम्लो का श्वसन गुणांक : श्वसन क्रियाधार के रूप में कार्बोक्सीलिक अम्ल के उपयोग किये जाने पर बाह्य वातावरण से कम मात्रा में ऑक्सीजन को अवशोषित किया जाता है तथा अधिक मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड विमुक्त होती है अत: इसके फलस्वरूप प्राप्त श्वसन गुणांक 1 से अधिक प्राप्त होता है।
कार्बोक्सीलिक अम्लो को मुख्यतः पादपो के द्वारा श्वसन क्रियाधार के रूप में उपयोग किया जाता है।
नोट : यदि पादपो के द्वारा श्वसन क्रियाधार के रूप में सिट्रिक अम्ल का उपयोग किया जाता है तो प्राप्त श्वसन गुणांक 1.14 प्राप्त होगा।  वही मेलिक अम्ल के उपयोग से यह श्वसन गुणांक 1.33 प्राप्त होगा।
इसके अतिरिक्त ओक्सेलिक अम्ल को क्रियाधार के रूप में उपयोग करने पर श्वसन गुणांक का मान 4 प्राप्त होगा जो निम्न प्रकार से है –
2(COOH) + O2 → 4CO2 + H2O
R.Q. = 4CO2/O2

R.Q. = 4

v. माँसल या सरस पादपो का श्वसन गुणांक : पादप जगत के कुछ माँसल पादप जैसे नागफनी आदि के द्वारा श्वसन क्रियाधार के रूप में कार्बोहाइड्रेट का उपयोग किया जाता है।  जिसके फलस्वरूप कुछ मध्यवृत्ति उत्पादों का निर्माण होता है परन्तु CO2 का निर्माण नहीं होता है अत: इस प्रकार के पादपो में श्वसन गुणांक का मान शून्य होता है।
2C6H12O6 + 3O2 → mallic acid

R.Q. = 0/3 = 0

vi. अवायवीय श्वसन का श्वसन गुणांक : अवायवीय श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में संपन्न होता है अत: अवायवीय श्वसन का श्वसन गुणांक अनन्त होता है।
C6H12O6 → 2C2H5OH + 2CO2 + ऊर्जा
R.Q. = 2CO/O = 2/0 = अन्नत

अत: R.Q = अन्नत

नोट : श्वसन की क्रिया के अंतर्गत विमोचित होने वाली ऊर्जा श्वसन गुणांक के मान के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात श्वसन गुणांक का मान जितना कम होगा उतनी ऊर्जा अधिक होगी वही श्वसन गुणांक का मान जितना अधिक होगा , उतनी ही ऊर्जा का मान कम होगा।
अत: वसा को श्वसन क्रियाधार के रूप में उपयोग से अधिक ऊर्जा का निर्माण होता है वही कार्बोक्सीलिक अम्लो के उपयोग से ऊर्जा अत्यधिक कम मात्रा में निर्मित होगी।
Sbistudy

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