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विभेदन क्षमता (resolving power in hindi) , विभेदन सीमा क्या है ? परिभाषा (resolving limit)
resolving power in hindi , विभेदन क्षमता , विभेदन सीमा क्या है ? परिभाषा (resolving limit) :-
पोलेरॉइड की व्यवस्था : प्रत्येक पोलेराइड की एक अभिलाक्ष्णिक दिशा होती है जिसके अनुदिश अध्रुवित प्रकाश को गुजारा जाता है इसे पॉलेराइड की ध्रुवण दिशा कहते है। यदि दो पोलेराइडो की ध्रुवण दिशा अथवा अक्ष परस्पर समान्तर हो तब यह पोलेराइड की समान्तर व्यवस्था कहलाती है। यदि दोनों पोलेराइडो की अक्ष अथवा ध्रुवण दिशा परस्पर लम्बवत हो तब पोलेराइडो की यह व्यवस्था क्रोसित व्यवस्था कहलाती है।
पोलेराइड की समान्तर व्यवस्था में निर्गत प्रकाश की तीव्रता अधिकतम तथा क्रोसित व्यवस्था में निर्गत प्रकाश की न्यूनतम (शून्य) होती है।
मैलस नियम
मैलस के अनुसार किसी पोलेराइड अथवा ध्रुवक प्लेट से निर्गत प्रकाश की तीव्रता (I) पोलेराइड की अक्ष तथा आपतित अध्रुवित प्रकाश के विद्युत सदिश के कम्पन्न के मध्य बने कोण की कोज्या के वर्ग के समानुपाती होती है अर्थात –
I ∝ cos2ʘ
I = I0cos2ʘ समीकरण-1
यहाँ I0 = आपतित अध्रुवित प्रकाश की अधिकतम तीव्रता।
I = निर्गत प्रकाश की तीव्रता।
ʘ = प्रकाश सदिश के कम्पन्न 0 से 360 के मध्य सभी दिशाओ में सममित होते है।
I =I0cos2ʘ
cos2ʘ = 1/π 0∫2πcos2ʘ dʘ
cos2ʘ = 1/2π 0∫2π[(1+cos2ʘ)/2] dʘ
cos2ʘ = 1/4π 0∫2π1+cos2ʘ dʘ
हल करने पर –
cos2ʘ = 1/2
समीकरण-1 से –
I = I0/2 समीकरण-2
समीकरण-2 से स्पष्ट है कि एक पोलेराइड से निर्गत प्रकाश की तीव्रता , आपतित अध्रुवित प्रकाश की तीव्रता की आधी होती है।
नोट : यदि दो ध्रुवक प्लेटो अथवा पोलेराइडो की अक्षो के मध्य बना कोण ʘ हो तब दुसरे पोलेराइड से निर्गत प्रकाश की तीव्रता निम्न समीकरण द्वारा दी जाती है –
I2 = I1 cos2ʘ
यहाँ
I2 = दूसरी ध्रुवक प्लेट से निर्गत प्रकाश की तीव्रता।
I1 = प्रथम ध्रुवक प्लेट से निर्गत प्रकाश की तीव्रता
ʘ = दोनों ध्रुवक प्लेटो की अक्षो के मध्य बना कोण
I1 = I0/2
प्रश्न : दो पोलेराइड जिनकी ध्रुवण दिशा समान है इनसे निर्गत प्रकाश की तीव्रता समान है। दुसरे पोलेराइड की अक्ष को कितने कोण से घुमाया जाए जिससे निर्गत प्रकाश की तीव्रता –
- चौथाई हो जाये
- आधी हो जाए
उत्तर :
- चौथाई हो जाये
हम जानते है कि –
I2 = I1 cos2ʘ समीकरण-1
I2 = I1/4
समीकरण-1 से
I1/4 = I1 cos2ʘ
cos2ʘ = 1/4
cosʘ = ± 1/2
प्रथम स्थिति –
धनात्मक मान लेने पर –
cosʘ = + 1/2
ʘ = 60 डिग्री
द्वितीय स्थिति –
ऋणात्मक मान लेने पर –
cosʘ = – 1/2
ʘ = 120 डिग्री
- आधी हो जाए
हम जानते है कि –
I2 = I1 cos2ʘ समीकरण-1
I1/2 = I1 cos2ʘ
cos2ʘ = 1/2
ʘ = 45 डिग्री
ध्रुवित व अध्रुवित प्रकाश का संसूचन /जांच
प्रथम पोलेराइड जिसके द्वारा प्रकाश का ध्रुवण किया जाता है , ध्रुवक कहलाता है। तथा इस पोलेराइड से निर्गत प्रकाश की जाँच करने के लिए एक दूसरे पोलेराइड का उपयोग किया जाता है जिसे विश्लेषक कहते है , ध्रुवक पोलेराइड से निर्गत प्रकाश ध्रुवित अथवा अध्रुवित है इसकी जाँच करने के लिए विश्लेषक पोलेराइड को 0 से 360 डिग्री तक एक पूर्ण चक्र में घुमाते है।
- यदि विश्लेषक , पोलेराइड को एक चक्र पूर्ण कराने पर निर्गत प्रकाश की तीव्रता में कोई परिवर्तन नहीं होता है तब प्रथम पोलेराइड से निर्गत प्रकाश पूर्णतया अध्रुवित होता है।
- यदि विश्लेषण पोलेराइड को एक चक्र पूर्ण कराने पर निर्गत प्रकाश की तीव्रता दो बार अधिकतम तथा दो बार न्यूनतम शून्य हो जाती है तब प्रथम पोलेराइड से निर्गत प्रकाश पूर्णतया समतल ध्रुवित होता है।
- यदि विश्लेषक पोलेराइड को एक पूर्ण चक्र से घुमाने पर निर्गत प्रकाश की तीव्रता दो बार अधिकतम परन्तु दो बार न्यूनतम होती है , शून्य नहीं , तब प्रथम पोलेराइड से निर्गत प्रकाश आंशिक रूप से समतल ध्रुवित होता है।
विभेदन क्षमता (resolving power)
किसी प्रकाशिक उपकरण की विभेदन क्षमता दो वस्तुओ के मध्य की वह न्यूनतम दूरी है जिस पर प्रकाशिक उपकरण द्वारा दोनों वस्तुओ के प्रतिबिम्ब पृथक पृथक रूप से बनाये जा सके , इसे d से प्रदर्शित करते है तथा इसका मात्रक मीटर अथवा सेंटीमीटर होता है।
विभेदन सीमा (resolving limit)
किसी प्रकाशिक उपकरण की विभेदन सीमा उस न्यूनतम कोणीय दूरी के बराबर होती है जिस पर प्रकाशिक उपकरण द्वारा दोनों वस्तुओ के प्रतिबिम्बों को पृथक पृथक किया जा सके , इसे dʘ से दर्शाते है , इसका मात्रक रेडियन अथवा डिग्री होता है।
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