जीवों में जनन कक्षा 12 जीव विज्ञान पीडीएफ डाउनलोड नोट्स , reproduction in organisms class 12 ncert notes pdf download in hindi
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जीवों में जनन (Reproduction) उनकी प्रजनन प्रक्रिया को संदर्भित करता है। जनन एक महत्वपूर्ण जीवविज्ञानिक क्रिया है जिसके द्वारा जीव अपने प्रजनन विशेषताओं को पुनर्जीवित करते हैं और नई पीढ़ियाँ पैदा करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से जीव अपने आप को संगठित करते हैं और नवजात पीढ़ियों की उत्पत्ति होती है।
जीवों में जनन कई विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। प्राथमिक रूप से, जीवों में जनन दो बड़े श्रेणियों में विभाजित होता है:
1. अकस्मात जनन (Asexual Reproduction): इसमें, एक जीव के एकल शरीरीय भाग से नये जीवों की उत्पत्ति होती है। इसमें न कोई यौन संपर्क होता है और न ही जीवों के बीच आपसी मिश्रण होता है। इस प्रक्रिया में जीव अपनी खुद की बढ़ती हुई ऊतकों या बिंदुओं से नवजात जीवों की उत्पत्ति करते हैं। यह उन्नति और परिवर्धन के लिए आवश्यक नहीं होता है, लेकिन इसकी विशेषता यह है कि एकल जीव अपनी प्रजनन प्रक्रिया के माध्यम से
बहुत संख्या में नवजात जीवों की उत्पत्ति कर सकता है। इस प्रकार का जनन वनस्पतियों, जैविक संघटनों, और कुछ जीवों में देखा जाता है।
2. संयुक्त जनन (Sexual Reproduction): इसमें, दो संयुक्त जीवों के बीच यौन संपर्क के माध्यम से नवजात जीवों की उत्पत्ति होती है। इस प्रक्रिया में जीवों के बीच लिंगानुपातिक परिणामी आपसी मिश्रण होता है जिससे नवजात जीवों की विविधता और विशेषताएं प्राप्त होती हैं। यह प्रकार का जनन ज्यादातर जीवों में देखा जाता है, जिसमें मानव, पशु, पक्षी, मछली, और पादप शामिल हैं।
जनन जीवों की आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इससे उनकी प्रजाति की संख्या, संघटन और संरक्षण में मदद मिलती है।
reproduction in organisms in hindi
जीवों में जनन (Reproduction) एक महत्वपूर्ण जीवविज्ञानिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा नए जीवों की उत्पत्ति होती है। यह उन विभिन्न प्राणियों में होता है जो संजीवित रहने, प्रजाति को संभालने और प्रजनन के माध्यम से आपने वंश को जारी रखने की क्षमता रखते हैं।
जीवों में जनन कई प्रकार का हो सकता है।
1. अकस्मात जनन (Asexual Reproduction): इसमें जीव अपने आप को एकल शरीरीय भाग से नवजात जीवों की उत्पत्ति करते हैं। इसमें किसी यौनिक संयोजन की आवश्यकता नहीं होती है और न किसी अन्य जीव की सहायता ली जाती है। यह विभिन्न प्राणियों में देखा जाता है, जैसे कि बैक्टीरिया, प्राचीन वृक्ष, और कुछ कीट-जंतु।
2. संयुक्त जनन (Sexual Reproduction): इसमें दो संयुक्त जीवों के बीच यौन संयोजन के माध्यम से नवजात जीवों की उत्पत्ति होती है। इसमें जीवों के बीच लिंगानुपातिक संयोजन होता है, जिसमें एक जीव की जननी ऊतक से जननकारी और एक जीव की जननी ऊतक से जननक्षम ऊतक का मिश्रण होता है। यह उन्नत प्राणियों में देखा जाता है, जैसे कि मनुष्य, पशु, पक्षी, मछली, और पादप।
जनन की प्रक्रिया जीवों की जीवन चक्र में महत्वपूर्ण होती है और इससे उनके वंश की बढ़ती हुई संख्या और विविधता का संचालन होता है।
संयुक्त जनन
संयुक्त जनन (Sexual Reproduction) जीवों में एक प्रकार का जनन है जिसमें दो संयुक्त जीवों के बीच यौन संयोजन के माध्यम से नवजात जीवों की उत्पत्ति होती है। यह जीवन प्रक्रिया प्राणियों के बहुतायत में पाई जाती है, जहां प्राणी अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए इस तरीके से जनन करते हैं।
संयुक्त जनन में, दो प्रमुख जीवों के बीच जननी ऊतक और जननकारी ऊतक का मिश्रण होता है। जननी ऊतक महिला जीव के शरीर में पाया जाता है जो गर्भाशय, योनि, और संबंधित अंगों को सम्मिलित करता है। जननकारी ऊतक पुरुष जीव के शरीर में पाया जाता है और वीर्य माध्यम से बाहर निकलता है। ये दो ऊतक आपस में मिलकर जननकारी को गर्भनिर्माण या गर्भकोष्ठ में पहुंचाते हैं, जहां नवजात जीव विकसित होता है।
संयुक्त जनन के माध्यम से जनन करने से नए जीवों की विविधता, अद्वितीयता, और विशेषताएं उत्पन्न होती हैं। इस प्रक्रिया में जीवों के वंश को संरक्षित रखने के लिए अलग-अलग प्रजातियों में नवीनीकरण और परिवर्धन होते रहते हैं।
अकस्मात जनन
अकस्मात जनन (Asexual Reproduction) जीवों में एक प्रकार का जनन है जिसमें जीव अपने आप को एकल शरीरीय भाग से नवजात जीवों की उत्पत्ति करता है। इसमें किसी यौनिक संयोजन की आवश्यकता नहीं होती है और न किसी अन्य जीव की सहायता ली जाती है।
अकस्मात जनन कई प्राणियों में पाया जाता है, जैसे कि बैक्टीरिया, अवशेषजीवी, कुछ कीट-जंतु, और कुछ पादप। इस प्रकार के जनन में, जीव अपने शरीर के एक भाग को अलग करके नए जीव का निर्माण करता है। इस नए जीव का जीवनावधि और विशेषताएं मूल जीव से मिलती-जुलती होती हैं। इस प्रक्रिया में युग्मकोषिका विभाजन, बुद्धिमत्ता, और बहुतायत का प्रतिस्थापन नहीं होता है।
अकस्मात जनन विभिन्न प्रकार का हो सकता है, जैसे कि बाइनरी फिशन (Binary Fission), बटनिंग (Budding), स्पोरोगनेसिस (Spore Formation), रेगनरेशन (Regeneration), आपमिति (Fragmentation), और इत्यादि। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से जीव नए जीवों की उत्पत्ति करता है और वंश को जारी रखता है।
ऊतक
ऊतक (एकेल ऊतक) जीवनी या जननशील वस्त्री जीविका का अविभाज्य अवयव होता है। यह जीविका जीवों के सभी संरचनात्मक और क्रियात्मक कार्यों की नींव होती है। ऊतक सबसे छोटा एकत्रित कार्यसूत्र होता है जिसमें जीविका के सभी आवश्यक संरचनात्मक और क्रियात्मक जीविका होती है।
ऊतक सबसे सूक्ष्म जीवन इकाई होता है और उत्पादक ऊतक संयुक्त रूप से इकट्ठे होकर विशेष संरचनात्मक और कार्यात्मक कार्यों को संपादित करते हैं। ऊतक में नियमित रूप से संचित होने वाले जीविका के तत्वों का विनिर्माण होता है, जो उत्पादक ऊतकों के निर्माण और प्रवर्धन में मदद करते हैं।
ऊतक में नियमित रूप से निर्मित होने वाली विशेष ऊतकों की संख्या और प्रकार जीविका के प्रकार पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, एक वनस्पति जीविका में ऊतक जैसे की पात्रीय ऊतक (leaf tissue), शाखा ऊतक (stem tissue), मूल ऊतक (root tissue), और फूल ऊतक (flower tissue) होते हैं। इसी तरह, जन्तुओं में मांसपेशी
ऊतक (muscle tissue), नर्वी ऊतक (nervous tissue), संयंत्री ऊतक (connective tissue), और पोषणीय ऊतक (nutritive tissue) होते हैं।
ऊतक महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे जीविका के संरचनात्मक स्थायित्व को सुनिश्चित करते हैं और विभिन्न कार्यों के लिए विशेषताएं प्रदान करते हैं। वे जीविका की रचना, रक्त परिसंचार, पोषण, संरचना के निर्माण, प्रतिरक्षा, और अनुक्रमणिका इत्यादि कार्यों को संभालते हैं।
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