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प्रतिनिधि फर्म किसे कहते है | प्रतिनिधि फर्म की परिभाषा क्या है representative firm in hindi meaning
representative firm in hindi meaning definition in economic प्रतिनिधि फर्म किसे कहते है | प्रतिनिधि फर्म की परिभाषा क्या है ?
प्रतिनिधि फर्म
प्रतिनिधि फर्म की अवधारणा का प्रतिपादन अल्फ्रेड मार्शल ने किया है। मार्शल ने इस अवधारणा का प्रतिपादन उत्पादन लागत का अध्ययन करने की दृष्टि से किया था, जहाँ इसका निर्धारण तब होगा जब कोई फर्म उत्पत्ति वृद्धि नियम के अंतर्गत कार्यशील है।
मार्शल के अनुसार प्रतिनिधि फर्म एक ऐसी फर्म है जिसका काफी लम्बा जीवन रहा हो तथा जिसे पर्याप्त सफलता मिल चुकी है, जिसका प्रबन्धन सामान्य योग्यता द्वारा किया जाता है तथा जिसे उत्पादन की कुल मात्रा के परिणामस्वरूप सामूहिक उत्पत्ति की बाह्य और आंतरिक बचतें प्राप्त होती है; जबकि सामान्यतया उत्पादित वस्तुओं की किस्म, उनके विक्रय की दशाओं और आर्थिक वातावरण को ध्यान में रखा जाता है।
आलोचना
प्रतिनिधि फर्म की अवधारणा में कई कमियाँ हैं, इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण निम्नलिखित है:
एक, प्रतिनिधि फर्म की अवधारणा अत्यन्त ही संक्षिप्त और जड़ है जिससे इसकी व्यावहारिक उपयोगिता काफी कम रह जाती है। दो, ऐसी कई छोटी फर्मे हैं जिनके लिए लम्बे कार्यकाल के बाद भी विस्तार करना लाभप्रद नहीं हो सकता है। तीन, बहुत से ऐसे फर्म हैं जिनका आकार आरम्भ से ही काफी बड़ा होता है।
संक्षेप में, यह आवश्यक नहीं कि प्रतिनिधि फर्म अनुकूलतम फर्म भी हो। अनुकूलतम फर्म वह है जिसकी दी गई तकनीक, ज्ञान और संगठनात्मक योग्यता में निर्गत की प्रति इकाई औसत दीर्घकालीन उत्पादन लागत न्यूनतम है।
अन्य निर्धारक
हमने ऊपर भाग 11.7 में फर्म के आकार को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकीय घटकों का विश्लेषण किया है। इसके अतिरिक्त, अन्य घटकों द्वारा भी फर्म का आकार प्रभावित होता है। हम इन अन्य घटकों पर नीचे चर्चा करेंगे।
प्रबन्धकीय घटक
जब एक फर्म का आकार बड़ा हो जाता है तो उसे प्रबन्धकीय मितव्ययिता लाभ प्राप्त होता है। एक बड़ा फर्म प्रबन्धन का कार्य विभाजित करने और इसका दायित्व विशेषज्ञों को सौंपने की स्थिति में होता है। प्रत्येक कार्य को निष्पादित करने के लिए बड़ा फर्म मनोवृत्ति और अनुभव की दृष्टि से सबसे उपयुक्त व्यक्ति का चयन करता है। एक बड़ा फर्म आधुनिक यांत्रिक उपकरणों को स्थापित और उसका उपयोग कर सकता है जिससे दक्षता बढ़ती है। एक बड़े फर्म में प्रबन्धन, के क्षेत्र में अनुसन्धान और प्रयोगों का कार्य अधिक सूक्ष्मता से होता है, और बड़े फर्म में उत्पादन, छोटे फर्म की तुलना में अधिक संगठित और नियोजित रूप से होता है।
एक फर्म का आकार सफलतापूर्वक कहाँ तक बढ़ सकता है यह इस बात पर निर्भर करेगा कि फर्म विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों में समन्वय की समस्या को कैसे हल करता है।
वित्तीय घटक
पूँजी जुटाने का कार्य फर्म के आकार को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है क्योंकि विभिन्न प्रकार की फर्मे अलग-अलग मात्रा में ऋण प्राप्त कर सकती हैं और फर्मों के लिए ऋण की ब्याज दर भी अलग-अलग होती हैं। दीर्घ कालीन पूँजी उगाहने में, बड़ा सार्वजनिक निर्गम (पब्लिक इश्यू) छोटे सार्वजनिक निर्गम की अपेक्षा सस्ता होता है। यथेष्ट रूप से बड़ी औद्योगिक इकाइयों को बैंकों से कार्यशील पूँजी प्राप्त करने में अधिक सुविधा होती है क्योंकि आकार से ऋणशोधन क्षमता, स्थायित्व और सुरक्षा का पता चलता है और बड़ी वित्तीय संस्थाओं का झुकाव बड़ी इकाइयों की ओर अधिक होता है।
विपणन घटक
अनुकूलतम विपणन इकाई बड़े पैमाने पर खरीद और बिक्री की मितव्ययिता और अपमितव्ययिता का परिणाम होता है। दक्षतापूर्ण खरीद और बिक्री अंतिम लाभ पर उतना ही प्रभाव डालती हैं जितना कि दक्षतापूर्ण विनिर्माण। एक छोटे फर्म की तुलना में बड़ा फर्म आपूर्तिकर्ता के साथ मोल-भाव करने की बेहतर स्थिति में होता है। यह विशेषज्ञ खरीदारों जिन्हें पूरी वैज्ञानिक जानकारी होती है और जो अधिक साधन सम्पन्न होते हैं को खरीदारी का दायित्व सौंप सकता है। खरीदारी संबंधी विशेष विवरण अधिक व्यापक हो सकते हैं जिससे तैयार उत्पाद की गुणवत्ता अधिक बेहतर और अधिक समरूप होती है, फलतरू इसे अधिक मूल्य पर बेचा जा सकता है।
जोखिम घटक
व्यापार सामान्यतः जोखिमों और अनिश्चितताओं से भरा होता है। फर्म ऐसी स्थिति से निपटने में उतना ही सक्षम होगा जितना कि वह बड़ा होगा। जोखिम और अनिश्चितताएँ अनेक रूपों में प्रकट होती हैं:
(प) उत्पाद के लिए माँग में अप्रत्याशित परिवर्तन हो सकता है (पप) सरकारी नीतियाँ और व्यापारिक परिवेश बदल सकती हैं ।
एक बड़ा फर्म इस तरह के जोखिमों और अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए विभिन्न उपाय कर सकता है। यह बड़े पैमाने पर उत्पादन की मितव्ययिताओं से अधिक वंचित हुए बिना अपने उत्पाद, अपने बाजार और अपने आपूर्तिकर्ताओं में परिवर्तन कर सकता है। कुल मिलाकर जोखिम को कम करने के लिए विविधिकरण की रणनीति अधिक उपयोगी उपाय है। यह ‘‘मास्ड रिजर्व‘‘ एकत्र आरक्षित के साधन का उपयोग कर सकता है। इस स्थिति में, एक फर्म आकस्मिक अथवा अप्रत्याशित माँगों या आपात स्थिति के लिए उपकरणों, स्टॉक, नकद और संभवतः श्रमिकों का आरक्षित भण्डार रखता है।
एक बड़े फर्म के पास आकस्मिक हानियों को संतुलित करने का अधिक अवसर होता है। यह औसतों के नियम के आधार पर इस तरह की हानियों का पूर्वानुमान कर सकता है और उनसे बचने के लिए आवश्यक तंत्र बनाए रख सकता है।
रोजगार घटक
एक बड़ा फर्म दक्ष और अनुभवी कर्मचारियों को आकर्षित करने की स्थिति में रहता है जो पुनः फर्म की उत्पादकता और दक्षता को बढ़ाने में योगदान करता है। बड़े फर्मों द्वारा दी जाने वाली रोजगार सुरक्षा छोटे फर्मों की अपेक्षा अधिक है।
विविध घटक
बड़े फर्मों को प्राप्त होने वाले कुछ अन्य लाभ संक्षेप में इस प्रकार है:
प) फर्म का आकार आपूर्तिकर्ताओं, प्रतिस्पर्धियों और उपभोक्ताओं पर इसकी सर्वोच्चता का तात्कालिक निर्धारक होता है,
क) एक बड़ा फर्म सर्वोत्तम स्थान, सर्वोत्तम प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम विशेषज्ञ खरीद सकता है।
ख) एक बड़ा फर्म छोटे प्रतिस्पर्धियों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर सकता है,
ग) एक बड़ा फर्म नए प्रतिस्पर्धियों के प्रवेश को अवरुद्ध कर सकता है।
पप) एक बड़े फर्म को अधिक आर्थिक लाभ होने की संभावना रहती है। इस तरह के लाभ का एक अंश फर्म के बड़े आकार के कारण बाजार में प्राप्त शक्ति के परिणामस्वरूप होता है।
पपप) बेकार उत्पादों को उप-उत्पाद के रूप में उपयोग करने से बड़े पैमाने की मितव्ययिता आती है। एक बड़ा फर्म इस तरह के उत्पादों का स्वयं उपयोग कर सकता है अथवा इसे दूसरों को उपलब्ध करा सकता है। बड़े फर्मों को इस तरह के सहायक व्यापार से भारी लाभ हो सकता है।
आकार की सीमाएँ
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, अधिकांशतया किसी भी फर्म का निरंतर विकास जारी नहीं रह सकता है तथा यह निरंतर विकास के साथ बड़े पैमाने का लाभ नहीं अर्जित कर सकता है। कभी न कभी एक स्थिति आती है जहाँ उत्पादन के पैमाने में और विस्तार करने से उत्पादन लागत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो जाता है। यह स्थिति तब आती है जब एक फर्म अपने उत्पादन के पैमाने में विस्तार करके बड़े पैमाने की अपमितव्ययिता का अनुभव करने लगता है।
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