हिंदी माध्यम नोट्स
प्रतिवेदन लेखन क्या है (रिपोर्ट) , उदाहरण , नमूना , report writing in hindi , शिकायती प्रतिवेदन
(report writing in hindi) प्रतिवेदन लेखन क्या है (रिपोर्ट) , उदाहरण , नमूना , शिकायती प्रतिवेदन ?
प्रतिवेदन (रिपोर्ट)
प्रतिवेदन शब्द अंग्रेजी के रिपोर्ट (त्मचवतज) शब्द का हिन्दी रूपान्तर हैं। शिकायत के अर्थ । ‘रिपोर्ट‘ का प्रयोग होता है। किसी व्यक्ति के नियम-विरुद्ध कार्य की शिकायत जब सम्बन्धित अधिकार से की जाती हैं, तो उसे रिपोर्ट की संज्ञा दी जाती है । इधर रिपोर्ट (प्रतिवेदन) शब्द का विस्तार हं गया है। अतः प्रतिवेदन दो प्रकार के हो सकते हैं.–
(1) शिकायती प्रतिवेदन—इसके अन्तर्गत किसी नियम – विरुद्ध कार्य के करने वाले व्यक्ति के शिकायत संबद्ध विभाग के अधिकारी से की जाती है । जैसे-नियमित समय पर बर सेना उपलब्ध न होने की शिकायत स्टेशन-प्रभारी के पास, डाक – वितरण में असाधान बरतने वाले डाकिए के विरुद्ध डाकपाल के पास शिकायत, निर्धारित मूल्य से अधिक पैरं लेने वाले दुकानदार के खिलाफ जिलाधिकारी के पास शिकायत, शरारती छात्र की शिकायत प्रिंसिपल के पास आदि ।
(2) विवरणात्मक प्रतिवेदन-वेतन आयोग द्वारा प्रस्तुत सरकारी कर्मचारियों की वेतन सम्बन्धी सिफारिशों का विवरण, किसी परिषद् के क्रियाकलापों का विवरण, किसी संस्थ की वार्षिक उपलब्धियों का विवरण, किसी शिविर की विस्तृत रिपोर्ट आदि को भी प्रतिवेदन या रिपोर्ट कहते हैं।
शिकायती प्रतिवेदन
नमूना-1
प्रेषक,
रामसुरेश प्रसाद,
आचार्यपुरी,
लालकोठी, गया । दिनांक 5-1-77
सेवा में,
मुख्य डाकपाल,
प्रधान पोस्ट ऑफिस,
गया (बिहार)
विषय- डाक-वितरण में विलम्ब
महोदय,
हमारा निवासस्थान लालकोठी मुहल्ला है जो गया शहर के मध्य में स्थित है । यहाँ नित्य है डाक बँटती है । दुख की बात है कि डाकिया नित्य दिखायी नहीं देता । आज मुझे एक रजिस्टर्ड पर मिला जिस पर 3-1-77 की मोहर अंकित है । वितरण प्रक्रिया का ठीक से पालन किया गया होता है यह पत्र मुझे निश्चित 4-1-77 तक मिल गया होता । इस पत्र के अनुसार आज ही 5-1-77 व वाराणसी में मेरा एक साक्षात्कार था, जिसका समय दिन में दस बजे था । विलम्ब से पत्र मिलने हिन्दी कारण मैं साक्षात्कार में उपस्थित न हो सका । इसी प्रकार न जाने कितने लोग साक्षात्कार से वंचित हो जाते होंगे।
आपसे विनम्र निवेदन है कि उक्त अवधि में जिस डाकिये पर पत्र-वितरण का कर्तव्यभार था, उसके विरुद्ध अविलम्ब कार्रवाई की जाय, अन्यथा मैं उच्चतर अधिकारियों के पास अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हो जाऊँगा । कृपया इस पत्र की प्राप्ति की सूचना दें तथा कृत कार्रवाई से भी अवगत करायें।
भवदीय,
रामसुरेश प्रसाद
नमूना-2
प्रेषक,
अविनाश द्विवेदी
21/109, कमच्छा, वाराणसी ।
सेवा में,
नगर प्रशासक,
नगर महापालिका, वाराणसी
विषय-जल-पूर्ति करने के सम्बन्ध में ।
महोदय,
विगत दो दिनों से कमच्छा क्षेत्र में जल की एक बूंद भी नहीं मिली । ऐसा ज्ञात हुआ था कि सम्बन्धित नल में खराबी के कारण पानी सुलभ नहीं हो रहा है, परन्तु ऐसी बात है नहीं। यह तो एक ! बहाना प्रतीत होता है । यहाँ की समस्त जनता की ओर से मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि वस्तुस्थिति का अच्छी तरह पता लगाकर इस क्षेत्र में जल-पूर्ति की समस्या का समाधान करने की कृपा करें।
भवदीय,
अविनाश द्विवेदी
विवरणात्मक प्रतिवेदन
नीचे विवरणात्मक प्रतिवेदन की रूपरेखा प्रस्तुत की जा रही है, जिसमें बहुत सारे तथ्य, नाम आदि काल्पनिक हैं । परीक्षार्थी इसके आधार पर सही रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।
नमूना-1
वार्षिक विवरण, 1974-75
साहित्य-परिषद्, डी० ए० वी० कालेज, वाराणसी
यह कालेज नगर की प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थाओं में से एक है। अगस्त 1974 को साहित्य-परिषद् की स्थापना हुई । कालेज की अन्य विभागीय परिषदों की तुलना में यह साहित्य-परिषद् अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रधानाचार्य जी ने इस वर्ष कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए स्वस्थ पद्धति अपनाने का आदेश दिया, जिसमें 5 पदाधिकारी होंगेकृअध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, उपसचिव और कोषाध्यक्ष। बी० ए० तृतीय खण्ड से अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एवं सचिव, बी० ए० द्वितीय खण्ड से उपाध्यक्ष एवं उप सचिव का निर्वाचन किया जायगा । इन पदों के प्रत्याशियों को बताया गया कि 1974 की परीक्षा में जिन प्रत्याशियों को हिन्दी में सर्वाधिक अंक मिले हों, उन्हें ही क्रमशः इन पदों के लिए निर्वाचित किया जायगा । इस पद्धति के अनुसार निम्नलिखित छात्र पदाधिकारी (1974-75 के लिए) चुने गये—-
अध्यक्ष-श्रीकृष्णा तिवारी, बी० ए० भाग 3
उपाध्यक्ष-श्री खेमराज सिंह, बी० ए० भाग 2
कोषाध्यक्ष-श्री अनुराग मेहरा, बी० ए० भाग 3
सचिव-श्री अविनाश द्विवेदी, बी० ए० भाग 3
उपसचिव-श्री दीपक मलिक, बी० ए० भाग 2.
14 सितम्बर 1974 को हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डा० शितिकण्ठ मिश्र के सभापतित्व में कार्यकारिणी की प्रथम बैठक हुई। इस बैठक में पूरे सत्र के लिए परिषद् की गतिविधियों की रूपरेखा तैयार की गयी। बैठक में कई निर्णय लिये गयेय जैसे–परिषद् का उद्घाटन समारोह मनाया जाय, प्रति सप्ताह सामान्य ज्ञान की एक प्रतियोगिता की जाय एवं सर्वाधिक अंक पानेवाले प्रतियोगी को पुरस्कार दिया जाय, साथ ही कहानी प्रतियोगिता, निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाय तथा अन्य परिषदों के साथ नाटक भी खेले जायें।
उद्घाटन समारोह-साहित्य परिषद् का उद्घाटन 25 सितम्बर 1974 को 2 बजे कालेज के भव्य हॉल में सम्पन्न हुआ । परिषद् का उद्घाटन करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० कालूलाल श्रीमाली ने कहा कि परिषद् के गठन से छात्रों का विविध दिशाओं में विकास होगा। उन्हें अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का सुअवसर मिलेगा। माननीय मुख्य अतिथि के अतिरिक्त समारोह में नगर के प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं विद्वान उपस्थित थे। माननीय मुख्य अतिथि के अभिभाषण के पूर्व कालेज के प्राचार्य ने सभी अन्यान्यागतजनों का स्वागत किया। समारोह में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। समारोहक के धन्यवाद ज्ञापन द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ।
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता-पूरे सत्रभर में पाँच बार सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रति बार सौ से भी ऊपर छात्रों ने भाग लिया जिनमें चार बार अनुराग द्विवेदी, बी० ए० तृतीय खण्ड तथा एक बार अविनाश पाठक, बी० ए० द्वितीय खण्ड को सर्वप्रथम स्थान मिले।
निबन्ध प्रतियोगिता-सत्रभर में पाँच बार ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई’ विषय पर निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें पैंतीस छात्रों ने भाग लिया। अविनाश द्विवेदी, बी० ए० भाग 2 को प्रथम पुरस्कार मिला।
वाद-विवाद प्रतियोगिता-26 जनवरी 1975 को वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई जिसमें विषय था-‘प्रजातंत्र में जनता सुखी रहती है।‘ 11 छात्रों ने पक्ष में तथा सात छात्रों ने विपक्ष में भाषण दिया । पवन दीवान बी० ए० अन्तिम वर्ष को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
नाटक प्रदर्शन-बसन्तपंचमी के दिन छात्रों ने साहित्य परिषद् के तत्वावधान में ‘पर्दे के पीछे‘ शीर्षक एकांकी का सफल मंचन किया। प्रमुख कलाकार थे बी० ए० भाग 3 के केशवमणि, प्रवन दीवान, अरुण चटर्जी, श्रीकृष्ण लाल तथा बी० ए० भाग 2 के रामप्रसाद, राधेश्याम तिवारी, चतुर्भज लाल आदि । अन्त में प्रधानाचार्य जी ने कलाकारों को बधाई दी।
पिकनिक-इस सत्र में एक पिकनिक का भी आयोजन किया गया था। 13 फरवरी 1975 को साहित्य परिषद के सभी सदस्य और विभागीय अध्यापक वाराणसी के निकट स्थित सारनाथ गये। सभी छात्रों ने मिलकर भोजन बनाया । सबने सामूहिक रूप से भोजन किया । तदुपरान्त एक काव्यगोष्ठी हुई जिसमें छात्रों ने स्वरचित कविताएँ सुनायीं ।
30 अप्रैल 1975 को साहित्य परिषद् का 1974-75 का समापन समारोह मनाया गया । उक्त अवसर पर प्राचार्य जी ने सभी छात्रों को अनुशासनबद्ध होकर कार्य करने के उपलक्ष्य में बधाई दी। अन्त में हिन्दी-विभागाध्यक्ष ने परिषद् के पदाधिकारियों तथा छात्रों को धन्यवाद दिया।
अविनाश द्विवेदी
सचिव
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…