हिंदी माध्यम नोट्स
न्यूक्लिक अम्लों का जैविक कार्य , DNA की पुनरावर्ती व स्वप्रतिकृतिकरण , आनुवांशिक कूट
(1) डीएनए (DNA) की पुनरावर्ती एवं स्वप्रतिकृतिकरण (replication of dna) : वह गुण जिसमे कोई जैव अणु अपने समान दूसरे अणु का संश्लेषण करता है replication कहलाता है।
डीएनए अणु में यह गुण पाया जाता है और डीएनए के इसी गुण के कारण आन्वांशिक लक्षण जनको से संतति में स्थानांतरित होते है।
डीएनए की पुनरावर्ती में इसकी दोहरी कुण्डली धीरे धीरे खुलती है और इस प्रकार पृथक हुए दोनों स्तंभ दो नए स्तम्भ के संश्लेषण के लिए साचे के समान कार्य करते है। डीएनए अणु में क्षार युग्म की विशिष्टता के कारण एक स्तम्भ के प्रत्येक क्षार के सामने उसके पूरक क्षार के निर्माण के साथ न्युक्लियोटाइडो का निर्माण होता जाता है जिससे प्रत्येक स्तम्भ द्विकुंडलित होती है इस प्रकार एक DNA अणु से उसके दो नये प्रतिरूप तैयार हो जाते है जो कोशिका विभाजन के समय नयी कोशिका में चले जाते है।
डीएनए का प्रतिकृतिकरण अर्द्धसंरक्षी विधि द्वारा होता है क्योंकि इस प्रक्रिया में मूल डीएनए का एक सांचा (templet) संरक्षित रहता है , केवल एक ही नये templet का संश्लेषण होता है।
एक स्तम्भ में नीचे से तो दूसरे स्तम्भ में ऊपर से नए templet का संश्लेषण होता है।
इस प्रक्रिया में निम्न प्रकार के RNA काम आते है –
- m-RNA – यह सूचनाएं प्रेक्षित करता है।
- t-RNA – यह एमीनो अम्लों का स्थानान्तरण करता है।
- r-RNA – इस पर प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया होती है।
न्यूक्लिक अम्लों द्वारा प्रोटीन संश्लेषण में मुख्य रूप से दो पद होते है।
(i) अनुलेखन (transcription) : डीएनए द्वारा m-RNA के संश्लेषण की प्रक्रिया अनुलेखन कहलाती है।
यह क्रिया केन्द्रक में सम्पन्न होती है।
(ii) अनुवादन (translation) : m-RNA द्वारा प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया अनुवादन कहलाती है , इस प्रक्रिया में m-RNA , आनुवांशिक कूट के रूप में DNA द्वारा दी गयी सूचनाओं के अनुसार प्रोटीन संश्लेषण करता है।
3. उत्परिवर्तन : विशेष परिस्थितियों में न्यूक्लिक अम्लों के नाइट्रोजनी क्षारको का अनुक्रम परिवर्तित हो जाता है।
कई बार ये परिवर्तन स्थायी हो जाते है जिससे जीव के शरीर में किसी विशेष लक्षण की उत्पत्ति हो जाती है।
सजीव के शरीर में उत्पन्न हुए ये लक्षण DNA द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते रहते है यह प्रक्रिया उत्परिवर्तन कहलाती है।
आनुवांशिक कूट
- आनुवांशिक कूट त्रिक होते है।
- आनुवांशिक कूट सर्वव्यापी होती है अर्थात सभी कोशिकाओं में एक समान आनुवांशिक कूट होते है।
- आनुवांशिक कूट कोमा रहित होते है अर्थात इनमे अतिव्यापन नहीं होता है।
- आनुवांशिक कूट डीजनरेट होते है अर्थात एक से अधिक कोड़ोन एक ही एमीनो अम्ल को कोडित कर सकते है।
- आनुवांशिक कूट ध्रुवीय होते है।
- AUG कोडोन प्रारंभिक कोडोन होता है।
- UAA , UGA , UAG तीन समापन कोडोन होते है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…