हिंदी माध्यम नोट्स
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E एवं विद्युत विभव (V) में सम्बन्ध (relation between electric field intensity and potential)
चूँकि E = Kqr/R3
[3/2] = 1.5 x पृष्ठ
विभिन्न आवेशो के कारण विद्युत विभव की गणना :-
दर्शाए गए चित्र में विभिन्न आवेश q1 , q2 , q3……..qn के कारण प्रेक्षण बिंदु P पर विद्युत विभव का मान ज्ञात करने के लिए माना विभिन्न आवेशो की बिन्दु P से दूरियाँ क्रमशः r1 , r2 , r3……..rn है।
अत: q1 आवेश के कारण प्रेक्षण बिंदु P पर विद्युत विभव :-
V1 = kq1/r1 [समीकरण-1]
q2 आवेश के कारण बिंदु P पर विद्युत विभव :-
V2 = kq2/r2 [समीकरण-2]
q3 आवेश के कारण बिंदु P पर विद्युत विभव :-
V3 = kq3/r3 [समीकरण-3]
इसी प्रकार qn आवेश के कारण बिंदु P पर विद्युत विभव :-
Vn = kqn/rn [समीकरण-4]
बिंदु P पर कुल विद्युत विभव (Vp) =
अत: समीकरण-1 , 2 , 3 और 4 से –
Vp = V1 + V2 + V3 + …….Vn
Vp = kq1/r1 + kq2/r2 + kq3/r3 + …… kqn/rn [समीकरण-5]
प्रश्न 1 : समविभव पृष्ठ किसे कहते है ? इसकी कोई तीन विशेषताएं बताइये ?
उत्तर : समविभव पृष्ठ एक ऐसा काल्पनिक पृष्ठ होता है जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान समान रहता है।
समविभव पृष्ठ की निम्नलिखित विशेषताएँ होती है –
(i) समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत विभव का मान समान रहता है।
(ii) समविभव पृष्ठ पर स्थित किसी एक बिन्दु से परिक्षण आवेश को इसी पृष्ठ पर स्थित किसी दुसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य शून्य प्राप्त होता है।
यदि किसी परिक्षण आवेश को किसी बिंदु A से बिंदु B तक विस्थापित करे तो विभवान्तर –
0 = W/q0
(iii)परिक्षण आवेश को एक बिन्दु से दुसरे बिंदु तक विस्थापित करने में किया गया कार्य शून्य प्राप्त होता है क्योंकि विद्युत बल (f) व विस्थापन (dr) परस्पर लम्बवत होते है।
(iii) समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा पृष्ठ के सदैव लम्बवत होती है।
(iv) दो समविभव पृष्ठ परस्पर एक दूसरे को प्रतिच्छेदित नहीं करते है क्योंकि इस स्थिति में प्रतिच्छेदन बिंदु पर विभव के दो मान होंगे जो सम्भव नहीं है।
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E एवं विद्युत विभव (V) में सम्बन्ध (relation between electric field intensity and potential) :
किन्ही दो समविभव पृष्ठ जो एक-दूसरे के समान्तर है , अल्प दूरी पर व्यवस्थित किये गए है जिन पर विद्युत विभव के मान क्रमशः V व (V + dV) है। किसी परिक्षण आवेश q0 को बिन्दु A से बिंदु B तक dr दूरी तक विस्थापित किया गया है इसके द्वारा प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य w विभवांतर के बराबर होता है –
बिंदु B व बिंदु A के मध्य विभवान्तर ;-
dV = -F.dr/q0 [समीकरण-1]
परिक्षण आवेश q0 पर विद्युत क्षेत्र E की उपस्थित में विद्युत बल :-
F = q0.E [समीकरण-2]
समीकरण-1 व समीकरण-2 से :-
E = -dV/dr
यहाँ dV/dr = grad V
विभव प्रवणता सदिश राशि है।
यहाँ dV/dr = विभव प्रवणता है।
अत: E = -grad V
अत: स्पष्ट है कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता विभव प्रवणता के ऋणात्मक मान के बराबर होती है।
विभव प्रवणता की दिशा सदैव विद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…