संबंध एवं फलन कक्षा 12 गणित solution एनसीईआरटी समाधान हिंदी माध्यम relation and function class 12 in hindi
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संबंध और फलन दो प्रमुख शब्द हैं जो एक क्रिया या प्रक्रिया के तात्पर्यिक आधार को व्यक्त करते हैं। इन शब्दों का उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है, जैसे समाजशास्त्र, विज्ञान, गणित, भूगोल आदि।
संबंध:
संबंध एक निर्देशात्मक जटिलता का संकेत है जो दो वस्तुओं, प्रक्रियाओं या व्यक्तियों के मध्य संपर्क, आदान-प्रदान, या जुड़ाव को दर्शाता है। इसका मतलब है कि दो या अधिक वस्तुएं, प्रक्रियाएं या व्यक्तियों के बीच कोई संबंध होता है या वे एक दूसरे के साथ संबद्ध होते हैं। संबंध कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे परिवारिक संबंध, सामाजिक संबंध, धार्मिक संबंध, राष्ट्रीय संबंध, व्यापारिक संबंध, गणितीय संबंध, नेटवर्क संबंध आदि। संबंध व्यक्तियों और वस्तुओं के बीच एक परस्पर प्रभाव को दर्शाते हैं और समझाते हैं।
फलन:
फलन एक विशेष प्रक्रिया को व्यक्त करता है जो किसी वस्तु, प्रक्रिया या व्यक्ति के समय के साथ परिवर्तित होता है। फलन के द्वारा व्यक्त किया जाता है कि कुछ प्रक्रिया का परिणाम क्या होगा या किसी घटना के बाद क्या होगा। यह एक व्यक्ति, वस्तु, संघटना, समुदाय आदि के लिए स्थिति, अवस्था या परिणाम की भविष्यवाणी करने में मदद करता है। फलन अपेक्षित या अपेक्षित परिणामों को दर्शा सकता है और उनके पीछे कारणों और प्रभावों को समझने में मदद कर सकता है।
संबंध और फलन दोनों क्रियाएं और इनके परिणामों को समझने में महत्वपूर्ण हैं। संबंध वस्तुओं, प्रक्रियाओं या व्यक्तियों के बीच के परस्परित होने को दर्शाता है, जबकि फलन एक प्रक्रिया या घटना के परिणाम को व्यक्त करता है। इन दोनों के माध्यम से हम संबंधों की समझ और प्रभावी प्रबंधन कर सकते हैं, और फलन के माध्यम से हम अपने कार्यों और निर्णयों के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
Inverse Relation in hindi
Inverse Relation को हिंदी में “पलटी संबंध” कहा जाता है। जब दो वस्तुएं, प्रक्रियाएं या गणितीय आदियों के बीच पलटी संबंध होता है, तो एक के बदलने पर दूसरा उलटा हो जाता है। इसका मतलब है कि यदि वस्तु A वस्तु B के साथ पलटी संबंध में है, तो जब वस्तु A की स्थिति या गुण बदलते हैं, तब वस्तु B की स्थिति या गुण उलटा हो जाते हैं।
उदाहरण के रूप में, यदि हम वस्तु A को वृद्धि करते हैं और वस्तु B उसके साथ पलटी संबंध में है, तो वस्तु B घटाव करेगी। इसी तरह, यदि हम वस्तु A को कम करते हैं, तो वस्तु B वृद्धि करेगी। यह पलटी संबंध का उदाहरण है, जहाँ एक वस्तु की बदलती स्थिति दूसरी वस्तु की उलटी स्थिति का कारण बनती है।
“Void relation” को हिंदी में “शून्य संबंध” कहा जाता है। इसका अर्थ होता है कि दो वस्तुएं, प्रक्रियाएं या गणितीय आदियों के बीच कोई संबंध नहीं होता है। यह एक ऐसा संबंध है जिसमें कोई प्रभाव नहीं होता है और कोई भी वस्तु या प्रक्रिया दूसरी वस्तु या प्रक्रिया के लिए प्रभावी नहीं होती है।
यदि हम दो वस्तुएं A और B के बीच शून्य संबंध का उदाहरण लें, तो यह दर्शाता है कि A के साथ कोई संबंध नहीं है और A को B पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस प्रकार के संबंध में दो वस्तुएं पूरी तरह से अलग होती हैं और एक दूसरे के लिए कोई महत्वपूर्ण या सार्थक संबंध नहीं होता है।
शून्य संबंध एक व्यापक रूप से उपयोग होता है, जहां एक संबंध की अभाव को संकेतित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे गणित, समाजशास्त्र, विज्ञान और अन्य विषयों में अध्ययन करते समय उपयोग किया जा सकता है।
“Universal relation” को हिंदी में “सर्वसाधारण संबंध” कहा जाता है। यह एक ऐसा संबंध है जो सभी तत्वों या आदियों के बीच स्थापित होता है। इसका मतलब होता है कि कोई भी दो तत्वों या आदियों के बीच संबंध स्थापित किया जा सकता है, चाहे वे कैसे भी हों या किसी भी स्थिति में हों।
सर्वसाधारण संबंध में सभी तत्वों या आदियों के बीच एक प्रकार का संबंध होता है, जो सभी संभावित संबंधों को शामिल करता है। यह संबंध सभी संभावित तत्वों या आदियों के बीच सम्भव होता है और किसी भी स्थिति में उपयोगी हो सकता है।
एक उदाहरण के रूप में, यदि हम एक व्यक्ति संगठन के सभी सदस्यों के बीच सर्वसाधारण संबंध का उदाहरण लें, तो इसका मतलब होगा कि वह व्यक्ति सभी सदस्यों के साथ संबंध स्थापित कर सकता है, चाहे उनसे कोई स्थिति हो या विशेषता हो। यह संबंध सभी संभावित समूहीय या व्यक्तिगत संबंधों को सम्मिलित करता है और सभी सदस्यों के बीच एक संपूर्ण संबंध का प्रतिष्ठान करता है।
Mapping or Function in hindi
“Mapping” और “Function” दोनों ही हिंदी में “अभिकल्पन” कहलाते हैं। इन शब्दों का उपयोग गणित में किया जाता है, जहां ये एक वस्तु से दूसरी वस्तु के बीच का संबंध दर्शाते हैं।
एक “अभिकल्पन” या “फंक्शन” किसी तत्व के साथ दूसरे तत्व के बीच संबंध स्थापित करता है, जहां हर एक तत्व के लिए केवल एक ही उत्पादन होता है। इसका मतलब होता है कि हर एक आदि तत्व के लिए केवल एक निर्दिष्ट मान या उत्पादन होता है, जिसे इस तत्व के साथ जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है। अभिकल्पन को वाणिज्यिक भाषा में “फंक्शन” के रूप में भी जाना जाता है।
उदाहरण के रूप में, यदि हम एक “अभिकल्पन” बनाएं जिसमें विद्यार्थियों के नाम को उनके उंकनंदों से मैप किया जाता है, तो हर एक विद्यार्थी के लिए केवल एक ही उंकनंद मान होगा। इस तरह का अभिकल्पन हमें विद्यार्थियों के नाम के साथ उनके उंकनंदों को संबंधित करने में मदद करता है। अभिकल्पन या फंक्शन गणितीय और सांख्यिकी अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण अवयव हैं।
Surjective Mapping in hindi
“Surjective Mapping” को हिंदी में “सर्व-वाहक अभिकल्पन” कहा जाता है। सर्व-वाहक अभिकल्पन एक ऐसा अभिकल्पन है जो हर एक तत्व के लिए निर्दिष्ट उत्पादन को कम से कम एक बार उत्पन्न करता है। इसका मतलब है कि इस अभिकल्पन के द्वारा प्रत्येक विकल्पी तत्व का कम से कम एक उत्पादन होता है, यानी कोई भी उत्पादन बाकी नहीं रहता है।
सर्व-वाहक अभिकल्पन का दृष्टिकोण मुख्य रूप से परिवर्तनों की ओर होता है, जहां उत्पादन तत्वों का समूह, जिसे क्षेत्र नामक भी कहा जाता है, उत्पन्न होता है। इसका परिणामस्वरूप, यदि किसी उत्पादन क्षेत्र के बाहर का कोई तत्व होता है, तो उसका कोई भी उत्पादन नहीं होता है।
सर्व-वाहक अभिकल्पन के उदाहरण में, यदि हम एक अभिकल्पन बनाते हैं जो विद्यार्थियों के नाम को विभिन्न कक्षाओं के संख्याओं से मैप करता है, तो हर एक कक्षा के लिए कम से कम एक विद्यार्थी होगा जिसे उस कक्षा से मेल खाता है। यदि किसी एक कक्षा के संख्या के बाहर कोई भी विद्यार्थी होता है, तो उसका कोई उत्पादन नहीं होगा। सर्व-वाहक अभिकल्पन स्थापित होने पर, प्रत्येक कक्षा में कम से कम एक विद्यार्थी होगा जिसे वह संख्या मिलती है।
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