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जीन अभिव्यक्ति का नियमन , लैक प्रचालेक , HGP मानव जीनोम परियोजना
Regulation of gene expression in hindi HGP मानव जीनोम परियोजना
जीन अभिव्यक्ति का नियमन:-
यूकैरियोटिक में:- चार स्तरों पर होता है।
प्रारम्भिक अनुलेखन अनुलेखन स्तर
संसाधन स्तर सम्बंधन स्तर
अभिगमन केन्द्रक से कोशिका द्रव रूप में
स्थानान्तरण स्तर प्रोटीन संश्लेषण
प्रौकैरिमोटिक में:-
आसिमकेन्द्रकी में जीन आभिव्यक्ति का नियमन प्रारम्भिक अनुलेखन स्तर पर विशेष स्टान पर होता है। जिसे प्रारम्भन स्टाल/नियामक स्थल/उन्नायक स्थल कहते है। न्नायक की उपलब्धता सुनिश्चित करने वाले प्रोटीन े विशेष क्रम के प्रचालेक operator आॅपरेशन कहते है। यह उन्नायक के समीप होता है। प्रचालक जीन अभिव्यक्ति का नियमान सहयोगात्क रूप में सक्रिय कारक या जानकारी के रूप में (repression) कार्य करके किया जाता है।
उदाहरण:- लैक प्रचालेक (Lac -operon )
लैक प्रचालेक (Lac -operon ):-जब लेक्टोज प्रचालेक के रूप में कार्य करता है, तो उसे लैक प्रचालेक कहते है। लेैक-आॅपरेशन जीन अभिव्यक्ति का नियमन दम्नकारी के रूप मे ंरकता है इसीलिए इस प्रकार के नियमन को ़णात्मक नियमन कहते है।
चित्र
मानव जीनोम परियोजना HGP :-
1990 में मानव जीनोम के अनुक्रमणों की जानकारी प्राप्त करने हेतु एक योजना प्रारंम्भ की गई जिसे मानव जीनोन परियोजना कहते है। इसे महा परियोजना कहा गया क्योकि:-
1 अत्यधिक लम्बा समय लगा 13 वर्ष
2 अत्यधिक खर्च 9 मिलियन डाॅर
3 अनेक देशों का सहयोग अमेरिकी ऊर्जा विभाग राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, वेलकम ट्रस्र्ट तथा जर्मनी फ्राँस, जापान, चीन
4 हजार अक्षरों बनाए परो वाल 3300 पुस्तकों की आवश्यकता
5 उच्च संगण्क की आवश्यकता
लक्ष्य:-
1 मानव जीनोन के सभी 20 से 25 हजार जीवों की जानकारी प्राप्त करना।
2 लगभग 3 बिलियन रासायनिक क्षरकों के अनुक्रमों की जानकारी प्राप्त करना।
3 आँकड़ों का संग्रह करना।
4 आँकडों के संग्रह की तकनीक का विकास करना तथा उसका विश्लेषण करना।
5 भ्ळच् से उत्पन्न सामाजिक नैतिक और कानूनी समस्याओं का समाधान खोजना।
कार्यप्रणाली:- इसमे ंदो तरीकों का प्रयोग किया गया।
व्यक्त अनुक्रम घुण्डी EST :-
इसमें RNA मे व्यक्त होने वाले जीव अनुक्रमों की जानकारी प्राप्त की गई।
अनुक्रम टिप्पणी SA :-
इसमें व्यक्त एवं अव्यक्त प्रत्येक प्रकार की जीन की जानकारी प्राप्त की गईं DNA के लम्बे खण्डों को यादृच्दिक रूप से छोटे- 2 टुकडों में कांटा गया तथा उनके संवानकों की सहायता से अतियेय में प्रवेश करायाग या। आतिथेय के रूप में जीवाणु व यीस्ट का प्रयोग किया गया तथा संवालकों के रूप में जीवाणु कृत्रिम गुणसूत्र BAC तथा यीस्ट कृत्रिम गुणसूत्र YAC का प्रयोग किया गया।
HGP की विशेषताएँ:-
1. मनुष्य में 20000 जीन पाये जाते है।
2. गुणसूत्र 1 में सबसे अधिक जीन पाये जाते है 2968 जीन तथा गुणसूत्र ल् में सबसे कम जी ाये जाते है 231 जीन
3. एक जीन में औसत 3000 क्षरक पाये जाते है। सबसे बडी जीन डिस्ट्रापिन होती है जिसमें 2.4 करोड क्षारक पाये जाते है।
4. मानव जीनोम में कुल 31647 करोड क्षारक पाये जाते है।
5. सभी मनुष्यों में 99.9 प्रशित क्षरक लगभग समान होते है।
6. 50 प्रतिशत जीनों का कार्य ज्ञात है।
7. लगभग 2 प्रतिशत जीन ही कूट लेखन क्रियामें भाग लेते है।
8. के बहुत बडे भाग का निर्माण पुनरावृत्त अनुक्रमों के द्वारा होता है।
9. पुनरावृत्ति DNA कूट लेखन क्रिया संभाग नहीं लेता है।
10. कुछ स्थान पर ईकहरा क्षरक कम पाया जाता है। लगभग 1.4 करोड क्षरक ऐसे होते है जिन्हें एकल न्यूक्लिोटाइड बहुरूपता(SNP) कहते है। इनके द्वारा रोगों की पहचान की जा सकती है।
उपयोग व अविषय की चुनौतियाँ:-
1 शरीर की समान्ताओं एवं रोग के पहचान में।
2 रोग के उपचार में
3 रोगों के रोगधान में
4 क्छ। के विभिन्नताओं का पता लगाने में
5 अमानवीय जीवो के जीनोम चित्रण में जैसे आरेविकोप्सीस ड्रोसोफिला,म्.ब्ंसप आदि ।
6 अमानवीय जीवों के जीनोम चित्रण का उपयोग कृषि सुधार स्वास्थय सुरक्षा ऊर्जाउत्पादन एवं प्रदूषण रोकने में।
7 जीवन के रसायन को वँाछनीय बनाने में
8 अनेक आनुवाँशिक रहस्यों की जानकारी प्राप्त करने में
9 जैव सूचना विज्ञान के विकास में
जैव सूचना विज्ञान:-
के कारण आँकडों के लंगनक एवं विश्लेषण से जीव विज्ञान की जीस नयी शाखा का विज्ञान हुआ है उसे जीव सूचना विज्ञान कहते है।
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