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Reflected Impedance in hindi प्रतिबिंबित (परावर्तित) प्रतिबाधा की परिभाषा क्या है समझाइये
Reflected Impedance in hindi प्रतिबिंबित (परावर्तित) प्रतिबाधा की परिभाषा क्या है समझाइये किसे कहते हैं ?
प्रतिबिंबित (परावर्तित) प्रतिबाधा (Reflected Impedance)
यदि दो परिपथ, प्राथमिक व द्वितीयक, परस्पर युग्मित हों तथा प्राथमिक परिपथ में वोल्टता स्रोत व द्वितीयक में लोड प्रतिबाधा प्रयुक्त किया जाय तो प्राथमिक परिपथ की निवेशी प्रतिबाधा (input impedance) लोड पर निर्भर होती है। इस प्रकार द्वितीयक परिपथ में लोड प्रतिबाधा के कारण एक प्रतिबीमिब्त प्रतिबाधा प्राथमिक परिपथ में उत्पन्न हो जाती है। चित्र (25) में दो युग्मित परिपथ दिखाय गये है। युग्मन अन्योन्य प्रेरकत्व M के द्वारा किया गया है। प्राथमिक परिपथ में वोल्टता स्रोत E व द्वितीयक में प्रतिबाधा Z2 का लोड प्रयुक्त किया गया है। अन्योन्य प्रेरकत्व के कारण प्रतिबाधा मान लीजिये Zm(-j ωM) है। प्राथमिक परिपथ में धारा lp के कारण द्वितीय परिपथ में वोल्टता Is Zm उत्पन्न होगी। इसी प्रकार द्वितीयक परिपथ में धारा ls के कारण प्राथमिक परिपथ में वोल्टता Is Zm उत्पन्न होगी।
युग्मित परिपथ के तुल्य परिपथ के अनुसार
Ip Z1 + IpZLl) = E+ls Zm …………………………..(1)
तथा ls ZL2 + ISZ2 = IPZM ………………………………..(2)
यदि (Z1+ ZL1) को ZP व (Z2 +ZL2) को ZS लिखें तो
IPZP = E + ISZM …………………………..(3)
ISZS = IPZM ………………………….(4)
समीकरण (4) से 1 का मान (3) में रखने पर
IPZP = E + IPZM2/ZS
जिससे IP = E/ZP – ZM2/Zs
अतः प्रभावी निवेशी प्रतिबाधा Z1= E/IP = (ZP – ZM2/ZS) ……………………(5)
यदि द्वितीयक परिपथ में लोड़ न होता अर्थात् परिपथ खुला होता तो Zs = अर्थात् धारा Is व इसके कारण प्राथमिक परिपथ में प्रेरित वोल्टता शून्य होती जिससे निवेशी प्रतिबाधा Zi = Zp होती। इस प्रकार
द्वितीयक परिपथ में लोड़ लगाने पर प्राथमिक परिपथ में (-Zm2/Zs) तुल्य प्रतिबाधा प्रतिबिम्बित होती है। अतः
प्रतिबिम्बित या परावर्तित प्रतिबाधा = (-Zm2/Zs) …………………….(6)
उदाहरण के लिये चित्र (26) के अनुसार एक ट्रॉसफॉर्मर के युग्मित परिपथ पर विचार करते हैं।
इस परिपथ में Zp = (R1 + j ωL1), Zs = (R2 + j ωL2)
तथा Zm =j ωM
यदि प्रारभिक कुण्डली में फेरों की संख्या n1 है व द्वितीयक में n2 और प्राथमिक कुण्डली के एक फेरे में एकांक धारा प्रवाहित होने से उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स है तो फ्लक्स क्षरण नगण्य मानते हुए। एकांक धारा से पूर्ण कुण्डली से उत्पन्न फ्लक्स होगा जो कुण्डली के प्रत्येक फेरे से सम्बद्ध है। अतः एकांक धारा के कारण पूर्ण कुण्डली से सम्बद्ध फ्लक्स =n1 (n1 φ) = स्वप्रेरक्त्व L1
L1 = n12 φ
इसी प्रकार L2 = n22 φ
M = n2 (np) = (n1 φ ) = n1n2 φ /L1 L2
लोड की उपस्थिति में निवेशी प्रतिबाधा
ZI = ZP – ZM2/ZS = (R1 + JωL1)- (J ω m)2/R2 + J ω l2
= (R1 + j ωl1) + ω2L1L2/R2 + jωl2
R1 R2 + jωR2 L1 + JωL2 R1 – ω2 L1 L2 + ω2 L1 L2
R1 R2 + jωl2 R1 + jωL1 R2 /R2 + jωL2 ……………………..(7)
R1 R2 के मान क्रमशः प्रतिबाधायें jωL1 jωL2से बहुत कम होते है अर्थात R1<< jωL1 R2 <<jωL2 I
अत: R1R2 को अश (numerator) तथा R2 को हर (denominator) में तुलनात्मक रूप से नगण्य मानते हुए
ZI = jωL2 R1 + jωL1 R2 / jωL2
= R1 + R2(L2/L1)
= R1 + R2/(n2/n1)2 ……………………………..(8)
इस प्रकार लोड प्रतिरोध R2 का प्राथमिक परिपथ में योगदान R2/(n2/n1)2 होता है जो प्रतिबिम्बत (परावर्तित) प्रतिरोध है। यहाँ (n2 /n1 ) ट्रांसफार्मर अनुपात (transformer ratio) है । अतः ट्रान्सफामर में
प्रतिबिम्बित (परावर्तित) प्रतिरोध = लोड प्रतिरोध/ (ट्रान्सफार्मर अनुपात)2
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