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Reactions of Carboxylic Acid Derivatives in hindi कार्बोक्सिलिक अम्ल व्युत्पन्नों की अभिक्रिया

कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने की पाँच विधियों के रासायनिक समीकरण लिखिए Reactions of Carboxylic Acid Derivatives in hindi कार्बोक्सिलिक अम्ल व्युत्पन्नों की अभिक्रिया ?

कार्बोक्सिलिक अम्ल व्युत्पन्नों की अभिक्रियायें (Reactions of Carboxylic Acid Derivatives)

ऐसिल क्लोराइड की अभिक्रियायें (Reactions of Acyl chloride) (i) कार्बोक्सिलिक अम्ल या उसके Na लवण के साथ-

(iv) जल अपघटन-

जल अपघटन पर संगत अम्ल और क्षारकीय जल अपघटन पर संगत अम्ल का लवण प्राप्त होता है।

(v) फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया – ऐसिल हैलाइड ऐरोमैटिक यौगिकों के साथ निर्जल AICI, की उपस्थिति में अभिक्रिया करके ऐसिल व्युत्पन्न बनाते हैं ।

(iv) रोजेनमुण्ड अभिक्रिया : पैलेडियम युक्त बेरियम सल्फेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन के साथ अपचयित होकर ऐसीटैल्डिहाइड बनाता हैं।

(vii) अपचयन : निर्जल लीथियम ऐलुमीनियम हाइड्राइड के साथ अपचयन पर ऐल्कोहल प्राप्त होता है।

(viii) ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया पर पहले कीटोन तथा फिर तृतीयक ऐल्कोहॉल बनाता है।

उपयोग : इसका उपयोग ऐसिटिलीकारक के रूप में किया जाता है। इसकी सहायता से अनेक कार्बनिक यौगिक जैसे ऐसीटाइमाइड, ऐसीटिक एनहाइड्राइड तथा एथिल ऐसीटेट आदि संश्लेषित किए जा सकते हैं।

कार्बोक्सिलिक ऐन्हाइड्राइड की अभिक्रियाऐं (Reactions of carboxylic anhydride)

(iv) फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया

अम्ल ऐन्हाइड्राइडों में O– C– ऑक्सीजन और कार्बोनिल समूह के बीच के बंध का विदलन एक महत्वपूर्ण अभिक्रिया है।

(v) अपचयन : ऐसीटिक एनहाइड्राइड का अपचयन LiAIH4 से कराने पर एथिल ऐल्कोहाल बनता

(vi) यह शुष्क HCI से क्रिया कराने पर ऐसीटिल क्लोराइड देता है ।

(vii) यह N2O5 के साथ अभिक्रिया पर ऐसीटिल नाइट्रेट देता है।

(viii) यह ऐसीटामाइड के साथ संघनन पर एथिलीडीन ऐसीटेट बनाता है 1

 उपयोग (Uses)

(i) ऐसिटिलीकारक के रूप में।

(ii) कार्बनिक यौगिक में OH तथा NH, समूहों के निर्धारण में ।

(iii) ऐस्पारिन, फेनिल ऐसीटेट तथा ऐसीटैल्डिहाइड के उत्पादन में । (iv) रंजक तथा कृत्रिम रेशम के संश्लेषण में।

एस्टर की अभिक्रियाऐं (Reactions of ester)

(i)  लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड से अपचयन-

(iv) जल अपघटन –

एस्टर का जल अपघटन अम्ल या क्षार द्वारा उत्प्रेरित हो सकता है और संगत अम्ल तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं। (क्रियाविधि खण्ड 7.9 देखें)

अम्लीय माध्यम में अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है। क्षारीय माध्यम में अभिक्रिया अनुत्क्रमणीय होती है।

(v) PCI5 के साथ अभिक्रिया

एस्टर की PCI5 के साथ अभिक्रिया पर ऐसिल क्लोराइड बनते हैं।

(vi) एथिल ऐसीटेट के दो अणु सोडियम एथॉक्साइड की उपस्थिति में संघनित होकर एथिल ऐसिटोएसिटेट बनाते हैं। इस अभिक्रिया को क्लेजन संघनन कहते हैं।

(vii) ऐल्कोहली अपघटन (Alcoholysis)

अम्ल अथवा क्षार की उपस्थिति ऐल्कोहॉल से अभिक्रिया पर एथॉक्सी समूह का ऐल्कॉक्सी समूह अन्तर्परिवर्तन हो जता है । इसे ट्रांस एस्टरीकरण (Transesterification) कहते हैं।

उच्च दाब पर कॉपर क्रोमाइट उत्प्रेरक की उपस्थिति में 250-300°C पर H2 के साथ गरम करने पर ऐल्कोहॉल बनता है।

(viii) अपचयन

यदि एस्टर का अपचयन सोडियम तथ एथेनॉल से कराते हैं तो इसे बूवो ब्लांक अपचयन (Bouveault Blanc reduction) कहते हैं।

(ix) क्लेजन संघनन (Claisen Condensation)

एथिल ऐसीटेट के दो अणु सोडियम एथॉक्साइड की उपस्थिति में संघनित होकर एथिल ऐसीटो ऐसीटेट बनाते हैं।

अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्नलिखित प्रकार है-

उपयोग (Uses)

(i) पेण्ट, वार्निश, गोंद, रेजिन, तेल, वसा, गोंद, आदि में विलायक के रूप में,

(ii) खाद्य पदार्थ में सुगन्ध कारक के रूप में

(iii) कृत्रिम रेशम तथा प्लास्टिक निर्माण में,

(iv) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर के निर्माण में ।

ऐमाइडों की अभिक्रियाऐं (Reactions of Amide)

1. ऐमाइडों का जल अपघटन – ऐमाइड जलीय अम्ल या जलीय क्षार के साथ गर्म करने पर जल अपघटित हो जाते हैं ।

N-प्रतिस्थापित ऐनाइडों का भी अम्लीय अथवा क्षारीय जल अपघटन इसी प्रकार होता है।

(ii) निर्जलीकरण- (a) ऐमाइडों को P2O5 के साथ गर्म करने पर या ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड के साथ उबालने पर निर्जलीकरण होकर नाइट्राइल बनते हैं।

(4) ऐमाइड को PCI5 के साथ गर्म करने पर भी नाइट्राइल प्राप्त होते हैं।

(iii) ऐलिफैटिक ऐमाइड नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया करके संगत अम्ल बनाते हैं।

(iv) अपचयन- ऐमाइड का Na / C2H5OH या LiAlH4 से अपचयन करने पर ऐमीन प्राप्त होते है ।

(v) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया या हाइपोब्रोमाइट अभिक्रिया (Hofmann Bromamide rection or Hypobromite reaction ) – जब किसी ऐमाइड को ब्रोमीन और कास्टिक क्षार (NaOH या KOH) के साथ गर्म किया जाता है तो प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होते हैं। इसमें ऐमाइड समूह का >C=0 समूह विलुप्त हो जाता है जिससे ऐमीन में ऐमाइड की अपेक्षा एक कार्बन परमाणु कम हो जाता है। इस अभिक्रिया को सजातीय श्रेणी के अवरोहरण में प्रयुक्त किया जाता है।

ब्रोमेमाइड अभिक्रिया की क्रियाविधि – यह अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है-

(vi) ऐसीटामाइड दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार की भांति व्यवहार करता है। कार्बोनिल समूह की उपस्थिति NH2 समूह की क्षारीयता को कम कर देती है।

(vi) अम्लीय एवं क्षारीय प्रकृति

उपयोग (Uses)

(i) उच्च ताप पर विलायक के रूप में

(ii) आर्द्रताग्राही के रूप में जिससे कागज, चमड़ा मुलायम हो जाता है।

(iii) प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।

एस्टरीकरण की क्रियाविधि (Mechanism of Esterification)

ऐल्केनोइक अम्ल, ऐल्कोहॉलों के साथ अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके एस्टर बनाते हैं। इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं।

एस्टरीकरण की अभिक्रिया अम्ल उत्प्रेरित होती है। अभिक्रिया में बने जल को हटाने पर अभिक्रिया की गति बढ़ जाती है और एस्टर की अधिक मात्रा प्राप्त होती है। इस अभिक्रिया में जल का अणु बनने में अम्ल से – OH तथा ऐल्कोहॉल से H- परमाणु का योगदान होता है।

जब ऐसीटिक अम्ल O18 वाले मेथेनॉल से अभिक्रिया करता है तो फलस्वरूप बने मेथिल ऐसीटेट में O18 ऑक्सीजन उपस्थित होता है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि ऐसीटिक अम्ल में C-OH बंध टूटता है।

अम्ल उत्प्रेरित एस्टरीकरण की क्रियाविधि निम्न प्रकार दी जा सकती है-

क्रिया-विधि-

7.9 एस्टर का जल अपघटन (Hydrolysis of Ester)

एस्टर उदासीन जलीय विलयन में स्थायी रहते हैं परन्तु प्रबल अम्ल तथा प्रबल क्षार के साथ जलीय विलयन में जल अपघटित हो जाते हैं और संगत अम्ल एवं ऐल्कोहॉल, बनाते हैं।

7.9.1 अम्ल उत्प्रेरित एस्टर जल अपघटन (Acid Catalysed Ester Hydrolysis)-

एस्टर का तनु अम्लीय जलीय विलयन में जल अपघटन हो जाता है और अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है।

अभिक्रिया साम्य को अग्रिम दिशा में बढ़ाने के लिये H2O की अधिकता लेते हैं और प्रतीप दिशा में बढ़ाने के लिये अभिक्रिया मिश्रण से जल को पृथक करते हैं।

अम्ल उत्प्रेरित एस्टर जल अपघटन की क्रियाविधि

पद 1: एस्टर के कार्बोनिल ऑक्सीजन का प्रोटॉनीकरण-

पद 2: प्रोटीनीकृत एस्टर पर जल का नाभिक स्नेही योग-

पद 3: ऑक्सोनियम आयन का विप्रोटॉनीकरण-

पद 4: चतुष्फलकीय मध्यवर्ती का ऐल्कॉक्सी ऑक्सीजन पर प्रोटॉनीकरण-

पद 5: उपर्युक्त पद में प्राप्त प्रोटॉनीकृत चतुष्फलकीय मध्यवर्ती का ऐल्कोहॉल एवं प्रोटॉनीकृत कार्बोक्सिलिक अम्ल में विघटन-

पद 6: प्रोटोनीकृत कार्बोक्सिलिक अम्ल का विप्रोटॉनीकरण-

7.9.2 क्षार प्रोन्नत एस्टर जल अपघटन ( Base Promoted Ester Hydrolysis)

एस्टर की क्षार प्रोन्नत जल अपघटन अभिक्रिया अनुत्क्रमणीय होती है क्योंकि अभिक्रिया में बना कार्बोक्सिलिक अम्ल क्षार से अभिक्रिया करके कार्बोक्सिलेट आयन में बदल जाता है। कार्बोक्सिलेट आयन ऐल्कोहॉल को ऐसिल समूह का स्थानान्तरण नहीं करते हैं। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं।

क्षार प्रोन्नत एस्टर जल अपघटन की क्रियाविधि (Mechanism of Base Catalysed ester Hydrolyse) एस्टर का क्षारीय जल अपघटन द्वितीय कोटि की अभिक्रिया है जिसमें एस्टर एवं क्षार दोनों की सांद्रतायें अभिक्रिया घटित होने में प्रयुक्त होती हैं। क्षार प्रोन्नत एस्टर जल अपघटन की स्वीकार्य क्रियाविधि में ऐसिल कार्बन पर नाभिकस्नेही योग-विलोपन (Nucleophilic addition – Eliminaiton) होता है। अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्न प्रकार दी जा सकती है-

प्रथम पद-हाइड्रॉक्साइड आयन का कार्बोनिल समूह पर नाभिक स्नेही योग-

द्वितीय पद- चतुष्फलकीय मध्यवर्ती ऋणायन को प्रोटॉन स्थानान्तरण-

तृतीय पद- चतुष्फलकीय मध्यवर्ती का विघटन

चतुर्थ पद – अम्ल से ऐल्कॉक्साइड आयन को प्रोटॉन स्थानान्तरण-

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