हिंदी माध्यम नोट्स
रस की परिभाषा क्या है | रस किसे कहते है , प्रकार , उदाहरण बताओ हिंदी ग्रामर ras ki paribhasha aur uske bhed
ras ki paribhasha prakar udaharan sahit ras kitne prakar ke hote hain with example in hindi रस की परिभाषा क्या है | रस किसे कहते है , प्रकार , उदाहरण बताओ हिंदी ग्रामर ?
काव्यशास्त्र
रस
काव्य को पढ़ने से जो आनन्द प्राप्त होता है उसे ‘रस‘ कहते हैं। इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक भरत मुनि हैं, जिन्होंने अपने ग्रन्थ नाट्यशास्त्र में रस सूत्र दिया है-विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगात् रस निष्पत्तिः। अर्थात् विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव का (स्थायी भाव से) संयोग होने पर रस की निष्पत्ति होती है।
यद्यपि इस इस सूत्र में कहीं पर भी स्थायी भाव का उल्लेख नहीं है तथापि विभाव से स्थायी भाव जाग्रत होता है, अनुभाव से प्रतीत योग्य बनता है और व्यभिचारी भाव उसे पुष्ट करते हैं। इस प्रकार इन तीनों का स्थायी भाव से संयोग होने पर रस की निष्पत्ति होती है। इस सूत्र में संयोग, निष्पत्ति शब्द अस्पष्ट हैं। इसकी व्याख्या बाद में चार आचार्यों ने की जिन्हें रस सूत्र के व्याख्याता आचार्य कहा जाता है। भरतमुनि ने नाटक के तीन तत्व-वस्तु, नेता, रस बताए हैं, उन्होंने नाटक में इस पर विचार किया है। वे रसों की संख्या आठ मानते हैं, उनके अनुसार निर्वेद स्थायी भाव का अभिनय नहीं हो सकता अतः शान्त रस की निष्पत्ति नहीं हो सकती।
ऽ इस सूत्र के व्याख्याता आचार्यों और उनके मत के नाम इस प्रकार हैं
रस सूत्र के व्याख्याता आचार्य
व्याख्याता आचार्य का नाम संयोग का अर्थ निष्पति का अर्थ मत का नाम विशेष
1. भट्ट लोल्लट
2. आचार्य शंकुक
3. भट्टनायक
4. अभिनवगुप्त उत्पाद्य-उत्पादक सम्बन्ध
अनुमाप्य-अनुमापक सम्बन्ध
योज्य-योजक सम्बन्ध
व्यंग्य-व्यंजक सम्बन्ध उत्पत्ति
अनुमिति
भुक्ति
अभिव्यक्ति उप्पत्तिवाद, आरोपवाद
अनुमितिवाद
भुक्तिवाद
अभिव्यक्तिवाद रस सूत्र के पहले व्याख्या आचार्य।
चित्र-तुरंग न्याय के आविष्कारक।
साधारणीकरण सिद्धान्त के प्रणेता।
रस ध्वनि को काव्यात्मा मानते है।
रस के अवयव
रस के चार अवयव हैं-
(1) विभाव- आश्रय के हृदय में स्थायी भाव उबुद्ध करने के कारणों को विभाव कहते हैं। विभाव दो प्रकार के होते हैंकृआलम्बन विभाव, उद्दीपन विभाव।
(2) अनुभाव-अनुभावो भाव बोधकः, अर्थात् भाव के बोधक कारण
अनुभाव कहे जाते हैं। ये चार प्रकार के होते हैंकृवाचिक, कायिक, सात्विक, आहार्य।
(3) व्यभिचारी भाव-इन्हें संचारी भाव भी कहते हैं। ये सभी रसों में संचरण करते हैं। इनकी संख्या 33 बताई गयी है।
(4) स्थायी भाव-जो सहृदय में स्थायी रूप से रहते हैं और अनुकूल कारण पाना उबुद्ध (जाग्रत) हो जाते हैं। स्थायी भावों की संख्या 9 बताई गयी है।
सात्विक अनुभाव
ये आठ प्रकार के होते हैं-
(1) अश्रु, (2) स्वेद,
(3) रोमांच, (4) कम्प,
(5) स्वर भंग, (6) वैवर्ण्य,
(7) स्तम्भ, (8) प्रलय।
संचारी भाव
ये 33 होते हैं इन्हें व्यभिचारी भाव भी कहा जाता है। इनके नाम हैं-
(1) निर्वेद, (17) अपस्मार,
(2) शंका, (18) विबोध,
(3) मद, (19) अवहित्था,
(4) आलस्य, (20) यति,
(5) दैन्य, (21) उन्माद,
(6) मोह, (22) ज्ञान,
(7) ग्लानि, (23) हर्ष,
(8) असूया (24) जड़ता,
(9) श्रम, (25) विषाद,
(10) ब्रीड़ा, (26) निद्रा,
(11) चिन्ता, (27) स्वप्न,
(12) धृति, (28) अवमर्ष
(13) चपलता, (29) उग्रता,
(14) आवेग, (30) ब्याधि,
(15) गर्व, (31) मरण,
(16) औत्सुक्य, (32) त्रास,
(33) वितर्क।
रसों की संख्या
रसों की संख्या 9 मानी गयी है। भरत मुनि के अनुसार, नाटक में केवल 8 रस ही सम्भव हैं । शान्त रस के स्थायी भाव श्निर्वेदश् का अभिनय सम्भव नहीं है, अतः नाटक में शान्त रस नहीं हो सकता, ऐसा उनका मत है। रति भाव तीन प्रकार का होता हैकृदाम्पत्य रति, वात्सल्य रति, ईश्वर विषयक रति । अतः रति भाव से श्रृंगार रस के साथ-साथ वात्सल्य रस, भक्ति रस भी निष्पन्न हो सकता है, तब रसों की कुल संख्या 11 हो जायेगी। किन्तु मूलतः नव रस ही माने गये हैं। इन रसों के स्थायी भाव इस प्रकार हैं-
रस स्थायी भाव
1. शृगार रति
2. हास्य हास
3. करुण शोक
4. वीर उत्साह
5. अद्भुत विस्मय
6. शान्त निर्वेद
7. भयानक भय
8. वीभत्स जुगुप्सा
9. रौद्र क्रोध
ज्ञान-वात्सल्य रस का स्थायी भाव संतान विषयक रति और भक्ति रस का स्थायी भाव भगवद् विषयक रति है, किन्तु इन्हें श्रृंगार में ही अन्तर्भूत कर लिया गया है अतः रसों की मूल संख्या 9 ही है। श्रृंगार को ‘रसराज’ माना गया है।
रस का उदाहरण
राधा को देखकर कृष्ण के मन में रति भाव जाग्रत हुआ, जो यमुना का एकांत किनारा, उपवन, चाँदनी के कारण उद्दीप्त हो गया। कृष्ण मंद-मंद मुस्कराने लगे और राधा से प्रेमालाप करने लगे। हर्ष, आवेग आदि संचारी भाव इसे पुष्ट कर रहे हैं। इन सबसे मिलकर श्रृंगार रस की निष्पत्ति हो रही है। इस उदाहरण में
ऽ राधा आलम्बन विभाव
ऽ कृष्ण आश्रय
ऽ स्थायी भाव रति
ऽ उद्दीपन विभाव यमुना का एकान्त किनारा, उपवन ।
ऽ अनुभाव कृष्ण का मन्द-मन्द मुस्कराना, राधा से प्रेमालाप।
ऽ संचारी हर्ष, आवेग
ऽ रस श्रृंगार रस की सभी सामग्री उपलब्ध होने से यहाँ उत्पन्न रति भाव श्रृंगार रस की निष्पत्ति कर रहा है।
8.2 काव्य सम्प्रदाय
काव्य सम्प्रदाय प्रवर्तक ग्रन्थ का नाम
1. रस सम्प्रदाय भरत मुनि नाट्यशास्त्र
2. अलंकार सम्प्रदाय भामह काव्यालंकार
3. रीति (गुण) सम्प्रदाय वामन काव्यालंकार सूत्रवृत्ति
4. वक्रोक्ति सम्प्रदाय कुन्तक वक्रोक्ति जीवित
5. ध्वनि सम्प्रदाय आनन्दवर्धन ध्वन्यालोक
6. औचित्य सम्प्रदाय क्षेमेन्द्र औचित्य विचार चर्चा
काव्य हेतु-
1. प्रतिभा, 2. अभ्यास, 3. व्युत्पत्ति ।
काव्य प्रयोजन-मम्मट ने छः काव्य प्रयोजन बताये हैं
1. यश प्राप्ति, 2. धन प्राप्ति, 3. व्यवहार ज्ञान, 4. शिवेतर क्षतये,
5. आत्म-शान्ति, 6. कान्ता सम्मित उपदेश।
काव्य लक्षण-काव्य की निम्न परिभाषाएँ आचार्यों ने दी हैं,
1. तद्दोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलंकृती पुनः क्वापि। -मम्मट
2. शब्दार्थों सहितौ काव्यम् । -भामह
3. शरीरंतावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली । -दण्डी
4. वाक्यं रसात्मकं काव्यम् । -विश्वनाथ
5. रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् । -पण्डितराज जगन्नाथ
साधारणीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न आचार्यों के निम्न मत हैं-
1. भट्टनायक भावकत्वं साधारणीकरणं तेन हि व्यापारेण
विभावादय स्थायी च साधारणी क्रियन्ते।
2. विश्वनाथ परस्य न परस्येति ममेति न ममेति च ।
3. रामचंद्र शुक्ल साधारणीकरण आलम्बनत्व धर्म का होता है।
4. डॉ. नगेन्द्र साधारणीकरण कवि की अनुभूति का होता है।
5. श्यामसुन्दरदास साधारणीकरण सहृदय के चित्त का होता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…