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रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन किसे कहते है ? मुख्यालय कहां है स्थापना कब हुई ramakrishna vivekananda mission in hindi

ramakrishna vivekananda mission in hindi रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन किसे कहते है ? मुख्यालय कहां है स्थापना कब हुई ?

रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन
अन्य धार्मिक संगठनों की भांति ही आपको यह भी पता होना चाहिए कि रामकृष्ण मिशन में पृथकतावाद की एक नई आदत मौजूद है। मुख्य रामकृष्ण मिशन के भीतर कुछ सैद्धान्तिक .मतभेदों के चलते, रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन नामक एक गुट अलग होकर उभरा, जिसने उन विचारों पर प्रमुख जोर दिया, जो कि स्वामी विवेकानन्द के निम्नलिखित शब्दों में निहित हैं-
‘‘काश ! मैं बार-बार जन्म लूं और हजारों कष्टों का सामना करूं, यदि
मैं अपने सपनों के उस एकमात्र ईश्वर की पूजा कर सकूँ, मेरा ईश्वर
सताए हुए लोग और सभी प्रजातियों, सभी राष्ट्रों के गरीब लोग हैं।‘‘

रामकृष्ण विवेकानन्द मिशन, जो कि मनुष्य के भीतर के ईश्वर की सेवा करो तथा ‘‘श्रम ही पूजा है‘‘ के आदर्शों से प्रेरित था, एक पृथक संगठन के रूप में उभर कर आया और पश्चिम बंगाल सोसाइटीज एक्ट, 1961 के तहत पजीकरण सख्या 5/18606 ऑफ 1976-1977 के साथ पंजीकृत हुआ। इसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में करीब 25 कि. मी. उत्तर तथा कोलकाता हवाई अड्डे के उत्तर-पश्चिम में करीब 24 कि.मी. की दूरी पर 7, रिवरसाइड रोड, बैरकपुर, 24-परगना, जिले में स्थित है। इसकी एक 14 सदस्यीय शासी निकाय बनाया गया जिसके संस्थापक स्वामी नित्यानंद बनाए गए। श्री रामकृष्ण तथा स्वामी विवेकानन्द के नामों को सामने रखते हुए भारत तथा विदेशों में इस तरह के अनेक संस्थान काम कर रहे हैं।
रेखाचित्र 3
रामकृष्ण मिशन की संगठनात्मक संरचना

बारानागौर मठ (1886) स्वामी विवेकानन्द के नेतृत्व वाली रामकृष्ण के नाम पर एक मठवादी व्यवस्था जिसकी स्थापना अगस्त 1886 में हुई। कोलकाता के उत्तर में 3 कि.मी. की दूरी पर स्थित।
बेलूर मठ (1899) बारानागौर से मठ को 1899 में कोलकाता से 6 कि.मी. दूर स्थित बेलूर ले जाया गया।

रामकृष्ण मिशन की शुरुआत 1897 में स्वामी
विवेकानन्द द्वारा हुई, 1909 में यह पंजीकृत हुआ।

रामकृष्ण मठ रामकृष्ण मिशन
127 शाखाएं (31 मार्च 1989 तक)

(96 भारत में) (31 विदेशों में)

54 मिशन केन्द्र 50 मठ केन्द्र 23 मिशन तथा मठ दोनों के केन्द्र

टिप्पणी: जैसा कि रेखाचित्र 3 में दर्शाया गया है, शुरू में बारानागौर मठ की स्थापना 1886 में हुई थी और उसके साथ स्वामी विवेकानन्द सहित श्री रामकृष्ण के शिष्यों द्वारा श्री रामकृष्ण का नाम उसमें जोड़ा गया था।

करीब एक वर्ष बाद यह बेलूर मठ में आ गया, जो कि कोलकाता से लगभग 6 कि.मी. दूर है। दूसरी तरफ रामकृष्ण मिशन 1897 में स्वामी विवेकानन्द द्वारा शुरू किया गया और 1909 में उसका पंजीकरण हुआ।

1989 तक रामकृष्ण मिशन तथा मठ की 127 शाखाएं हो गई थीं, जिनमें से 96 भारत में तथा 31 विदेशों में थीं और इनमें से 54 मिशन केन्द्र, 50 मठ केन्द्र तथा 23 मिशन व मठ दोनों केन्द्र थे। यह जानकारी एक नजर में रेखाचित्र 3 में देखी जा सकती है।

 वित्तीय सहायता एवं गतिविधियां (Financial Support and Activities)
सांगठनिक ढांचे पर चर्चा कर लेने के बाद, आपको यह भी जानना चाहिए, कि रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ की विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियों को वित्तीय सहायता कैसे प्राप्त होती है।

 गतिविधियों को वित्तीय सहायता (Financing the Activities)
रामकृष्ण मिशन तथा रामकृष्ण मठ के अपने अलग कोष हैं तथा वे अलग-अलग खाते रखते हैं। उनके खातों की लेखापरीक्षा प्रशिक्षित लेखापरीक्षकों द्वारा की जाती है।

अपनी विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियों को आयोजित करने के लिए रामकृष्ण मिशन तथा मठ दोनों को तीन स्रोतों से अनुदान सहायता प्राप्त होती है, वे हैं रू
प) केन्द्र सरकार,
पप) राज्य सरकारें, तथा
पपप) सार्वजनिक निकाय ।
मठ की अन्य गतिविधियों को वित्तीय सहायता निम्न स्रोतों से प्राप्त होती है:
पअ) ‘भेंट, और
अ) प्रकाशनों की बिक्री इत्यादि,
मिशन को निम्नलिखित स्रोतों से भी सहायता मिलती है,
अप) छात्रों से प्राप्त शुल्क, और
अपप) सार्वजनिक चंदे, इत्यादि।

जैसा कि स्पष्ट देखा जा सकता है कि मिशन तथा मठ अपने वित्तीय साधनों के लिए पूरे तौर पर, केवल केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा सार्वजनिक निकायों पर ही निर्भर नहीं हैं। वे आम व्यक्तियों से भी चंदा प्राप्त करते हैं, छात्रों से शुल्क प्राप्त करते हैं और प्रकाशनों की बिक्री के जरिये भी वित्त जुटाते हैं।

 सामाजिक कल्याणकारी गतिविधियाँ (Social Welfare Activities)
हम आशा करते हैं कि आपको रामकृष्ण मिशन की समाज कल्याण सेवाओं से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी होगी। आपमें से अनेक लोग, उनमें से कुछ के साथ जुड़े हुए भी हो सकते हैं। रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण अपने पूजा, धार्मिक सेवाओं तथा धर्मोपदेशों के साथ अनेक आश्रम व मंदिरों का संचालन करते हैं। वे अनेक स्कूल, कालेज, पुस्तकालय, छात्रावास, सेवाश्रम (अस्पताल) जिनमें वार्डों की सुविधाएं मौजूद हैं, क्लीनिक, डिस्पैन्सरी, विकलांगों के केन्द्र, आदि भी चला रहे हैं। स्वामी विवेकानन्द के उपदेशों पर आधारित, वेदान्त के सिद्धान्तों पर एक धार्मिक पुनरोत्थान पैदा करने के अलावा, रामकृष्ण आन्दोलन ने दलित उत्थान में एक महान योगदान किया है। आपमें से अधिकांश लोग शायद शिक्षा, अस्पताल चलाने तथा संकट की घड़ी में इसके द्वारा किये जाने वाले राहत कार्यों आदि जैसी सेवाओं से अच्छी तरह परिचित होंगे। यदि आप इस पर मोटे तौर पर विचार करें, तो आप पाएंगे कि रामकृष्ण मिशन की विभिन्न गतिविधियों को दो आम श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
प) वे गतिविधियां जो कि विभिन्न तरह की धार्मिक सेवाओं से जुड़ी हैं, जैसे नियमित कार्यशाला, धर्मोपदेश इत्यादि, तथा
पप) वे गतिविधियाँ जो कि विभिन्न तरह की सामाजिक कल्याणकारी सेवाओं खासतौर से शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं।

शीघ्रता से याद कर लेने व समझ लेने के लिए, आप निम्नलिखित रेखाचित्र के जरिये इन । विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को भी चित्रित कर सकते हैं।

 

बोध प्रश्न 2
1) रामकृष्ण-विवेकानन्द मिशन पर पांच या सात पंक्तियों में लिखिए।
2) रामकृष्ण मिशन की कुछ गतिविधियों का उल्लेख कीजिए।
क) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
ख) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
ग) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
घ) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….
च) ……………………………………………………………………………………………………………………………………………….

बोध प्रश्न 2 उत्तर
1) रामकृष्ण-विवेकानन्द मिशन, रामकृष्ण मिशन के मुख्य संगठन से अनेक गुटों के अलग हो जाने के फलस्वरूप स्थापित हुआ था। इसने स्वामी विवेकानन्द की सभी प्रजातियों व राष्ट्रों के गरीब लोगों के यहां बार-बार जन्म लेने की इच्छा पर बल दिया । यह मिशन 1961 में स्थापित हुआ, जबकि इसका पंजीकरण हुआ और इसका मुख्यालय कोलकाता शहर से 25 कि.मी. उत्तर में स्थित बैरकपुर में बनाया गया।
क) पूजा, धार्मिक सेवाएं, महान संतों के जन्मदिन पर उपदेश एवं समारोह आदि जैसी धार्मिक गतिविधियां।
ख) शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं जैसी समाज कल्याणकारी सेवाएं, जैसे: अस्पताल, क्लीनिक रोग-निदान केन्द्र, डिस्पैन्सरियां तथा विकलांग केन्द्र ।

सारांश
इस इकाई की शुरुआत हमने श्री रामकृष्ण, श्री शारदा देवी एवं स्वामी विवेकानन्द की प्रेरणा से, रामकृष्ण मिशन एवं मठ की शुरुआत को परिलक्षित करते हुए की थी। इसके बाद हमने मिशन की विचारधारा, इसके उद्देश्यों व गतिविधियों पर चर्चा की। फिर हमने मठ, मिशन तथा शासी निकाय के सांगठनिक ढांचे की व्याख्या की। इसके अंतर्गत सामाजिक कल्याण एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना शामिल है। इस तरह हमने इस विषय पर पर्याप्त चर्चा की है।

 कुछ उपयोगी पुस्तकें
स्वामी गंभीरानन्द, 1957, हिस्ट्री ऑफ द रामकृष्ण मठ एंड मिशन (क्रिस्टोफर आइश्रवुड द्वारा एक आमुख सहित) अद्वैत आश्रम, कोलकाता।
रामकृष्ण मिशनय 1990, रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली।
जॉन येल, 1961, ए बैंकी एंड द स्वामीज, जार्ज औलन एंड अनविन लि., लंदन।
गोस्पल ऑफ श्री रामकृष्णय स्वामी निखिलानन्द द्वारा अनूदित तथा एल्डोस हक्सले द्वारा आमुख सहित (दो खंडों में) रामकृष्ण मठ, कोलकाता।

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