JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indian

रहनुमाई माजदयासन समाज की स्थापना किसने की और कब की , rahnumai mazdayasnan sabha in hindi

rahnumai mazdayasnan sabha in hindi founded by रहनुमाई माजदयासन समाज की स्थापना किसने की और कब की ?

प्रश्न: रहनुमाई माजदयासन समाज
उत्तर: पारसी समाज सुधार के लिये नौरोजी फरदोन जी द्वारा रहनुमाई माजदयासन समाज की स्थापना 1851 में बंबई में की गई। पारसी समाज की महिलाओं की दशा में सुधार करना इसका मुख्य उद्देश्य था। दादा भाई नारौजी, एस.एस. बंगाली, दिनशा वाचा इसके अन्य प्रसिद्ध नेता थे।
प्रश्न: अहमदिया आन्दोलन
उत्तर: अहमदिया आन्दोलन की शुरूआत पंजाब में कादिया नामक स्थान पर मिर्जा गुलाम अहमद ने 1889 में की थी। इस आन्दोलन का उद्देश्य मुस्लिमों को इस्लाम के सच्चे स्वरूप को बताना तथा मुस्लिम समाज में आधुनिक औद्योगिक एवं तकनीकी प्रगति को धार्मिक मान्यता देना था।
प्रश्न: डी.के. कर्वे
उत्तर: भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक डॉ. धोंडो केशव कर्वे (1858-1962) जो महर्षि कर्वे के नाम से प्रसिद्ध थें। प्रो. डी.के. कर्वे पश्चिम भारत के एक महत्वपूर्ण समाज सुधारक थे। इन्होंने महिला शिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह की दिशा में विशेष कार्य किया। विधवा पुनर्विवाह को प्रचारित करने में उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने स्वयं भी एक विधवा से ही विवाह किया। उन्होंने ‘विधवा घर (ॅपकवू भ्वउम) की स्थापना की। उन्होंने 1916 में ‘इंडियन विमेन यूनिवर्सिटी‘ की स्थापना बंबई में की।
प्रश्न: प्रार्थना समाज
उत्तर: 1867 में बम्बई में केशवचन्द्र सेन की सहायता से प्रार्थना समाज की स्थापना की गयी थी। इसकी स्थापना ब्रह्म समाज के विचारों के प्रचार के लिए की गयी थी। प्रार्थना समाज के चार प्रमुख लक्ष्य थे- जाति प्रथा का विरोध, स्त्री शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह तथा विवाह की उम्र को बढ़वाना। प्रार्थना समाज के प्रमुख नेताओं में – आत्माराम पांडुरंग, महादेव गाविन्द रानाडे, आर.जी. भण्डारकर आदि थे।
प्रश्न: सत्यशोधक समाज
उत्तर: सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फले द्वारा 1873 में की गयी थी। इस समाज के अधिकांश नेताओं का संबंध समाज के निम्न वर्गों से था खासकर माली, तेली, कनबी आदि। यह उच्च वर्गों खासकर ब्राह्मणों के प्रभत्व के खिलाफ एक शक्तिशाली आंदोलन था। जाति प्रथा का विरोध तथा सामाजिक समानता पर बल देना इस आन्दोलन का प्रमुख लक्ष्य था।
प्रश्न: बी.एम. मालाबारी
उत्तर: भारत के प्रसिद्ध समाज सुधारक बहरामजी मैरवांजी मालाबारी (1853-1912) ने पारसी समाज में सुधार के लिये विशेष कार्य किया। उन्होंने बाल विवाह निषेध कानुन बनाने में सराहनीय योगदान दिया जैसे नेटिव मैरिज एक्ट (1872) इन्हीं के प्रयासों से पारित हुआ।
प्रश्न: अलीगढ़ आंदोलन
उत्तर: यह मुस्लिम समाज सुधार आंदोलन था जिसके प्रणेता सर सैय्यद अहमद खां थे। जो कार्य हिन्दुओं के लिए राम मोहन राय ने किया वही कार्य मुसलमानों के लिए सर सैय्यद अहमद खां ने किया। अलीगढ़ आंदोलन के अन्य प्रमुख नेता थे – अलताफ हुसैन हाली, नजीर अहमद, मौलाना सिवली नौमानी आदि थे।
प्रश्न: शारदा एक्ट
उत्तर: चाइल्ड मैरिज रेस्टेंट एक्ट 1929 जो शारदा एक्ट नाम से प्रसिद्ध है। राय बहादुर हरविलास शारदा द्वारा 28 सितम्बर 1929 को पारित करवाया गया। इसमें लड़की की उम्र 14 वर्ष तथा लड़के की उम्र 18 वर्ष से कम उम्र के विवाह को निषेध किया गया। यह 1 अप्रैल 1930 को सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत में लागू हुआ। यही आगे चलकर भारतीय हिन्दू बाल विवाह अधिनियम 1956 का आधार बना।

प्रश्न: भारत में पुनर्जागरण के जनक के नाम से कौन जाना जाता है ? 
उत्तर: राममोहन राय का जन्म 1772 में राधानगर हुगली (बंगाल) में एक सभ्रांत ब्राह्मण परिवार में हुआ। राजा राममोहन राय को ‘आधुनिक भारत का पिता‘, ‘भारतीय राष्ट्रवाद का जनक‘ ‘भौर का तारा (Morning Star)‘ ‘अतीत और भविष्य के मध्य सेतु‘ भारतीय पुनर्जागरण का मसीहा तथा ‘प्रथम समाज सुधारक‘ कहा जाता है।

भाषा एवं साहित्य
ओडिया
उड़िया (अब ओडिया) भाषा की उत्पत्ति 8वीं या नौवीं शताब्दी की मानी जा सकती है, लेकिन स्तरीय साहित्यिक रचनाएं तेरहवीं शताब्दी से ही आनी शुरू हुईं। 14वीं शताब्दी में सरलादास द्वारा लिखित महाभारत के ओडिया रूप ने ही ओडिया साहित्य को निश्चित स्वरूप प्रदान किया। 15वीं शताब्दी के ‘पंच सखा’ पांच कवि, बलराम, जगन्नाथ, अनंत, यशवंत और अच्युतानंद ने संस्कृत ग्रंथों को ओडिया में रूपांतरित किया ताकि आम आदमी इन्हें जाग सकें। भक्ति आंदोलन के दौरान चैतन्य के प्रभाव ने इस भाषा के साहित्य को भी गहराई तक प्रभावित किया। उपेंद्र भांजा अपने शब्द कौशल और रोमांटिक कविताओं के लिए जागे जाते थे। वैष्णववाद ने कई चर्चित कवि दिए बलदेव रथ, कृष्णदास, गोपालकृष्ण और भीम भोई (जो कि नेत्रहीन थे)।
उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से पश्चिमी सम्पर्क के कारण ओडिया साहित्य में क्रांति आ गई। राधानंद राय को आधुनिक ओडिया कविता का जनक माना जाता है। ओडिशा में ब्रह्म समाज आंदोलन के सूत्रधार मधुसूदन राव आधुनिक ओडिशा के एक अन्य महान कवि थे।
उन्नीसवीं शताब्दी में ही ओडिशा में गद्य लिखा जागे लगा। फकीर मोहन सेनापति कवि और उपन्यासकार होने के साथ-साथ प्रमुख गद्य लेखक भी थे।
क्रिश्चियन मिशनरियों द्वारा 1836 में प्रथम ओडिया प्रिटिंग टाइपसेट स्थापित की गई जिसने ताम्र पत्र को प्रतिस्थापित कर ओडिया साहित्य में क्रांति ला दी। पुस्तकें छपने लगीं, और जर्नल्स एवं पीरियोडिकल्स का प्रकाशन किया गया। प्रथम ओडिया पत्रिका बोध दायिनी (1861) बालासोर से प्रकाशित की गई। इस पत्रिका का प्रमुख उद्देश्य ओडिया साहित्य को प्रोत्साहित करना और सरकारी नीतियों में कमियों पर ध्यान दिलाना था। प्रथम ओडिया समाचार पत्र, उत्कल दीपिका,गौरी शंकर रे के संपादन में 1866 में सामने आया। 1869 में, भगवती चरण दास ने ब्रह्मों समाज के विश्वास का प्रचार करने के लिए उत्कल शुभकारी शुरू किया। 19वीं शताब्दी के आखिरी तीन दशकों में ओडिया में कई समाचार-पत्रों का प्रकाशन हुआ। उनमें प्रमुख थे उत्कल दीपिका, उत्कल पत्र, उत्कल हितैषिनी, उत्कल दर्पण और सम्बद्ध वाहिका, तथा संबलपुर हितैषिनी, इन समाचार पत्रों का प्रकाशन प्रकट करता है कि ओडिशा के लोगों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बना, रखने की अदम्य इच्छा एवं निश्चय था। राधानाथ रे (1849-1908) प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिन्होंने पश्चिमी साहित्य के प्रभावाधीन अपनी कविताओं को लिखने का प्रयास किया। उन्होंने चंद्रभागा, नंदीकेश्वरी, उषा, महाजात्रा, दरबार और चिल्का का लेखन किया।
20वीं शताब्दी में मधुसूदन दास हुए, जिन्होंने, यद्यपि बहुत नहीं लिखा है, लेकिन उनका ओडिया आंदोलन के लिए लिखा गया एक गीत आज भी ओडिशा में गाया जाता है। राष्ट्रवादी आंदोलन ने भी सत्यवादी लेखक समूह को जन्म दिया, जिसके अगुआ थे गोपबंधु दास और इनकी कृति थी करा कबिता।
स्वातंत्रयोत्तर काल में, ओडिया फिक्शन ने एक नई ऊंचाई एवं दिशा प्राप्त की। फाकिर मोहन द्वारा प्रारंभ चलन का वास्तव में 1950 के दशक के बाद विकास हुआ। गोपीनाथ मोहांती, सुरेंद्र मोहांती और मनोज दास को इस समय के तीन जवाहरात माना जाता है। सचितानंद रोउतरे ने परम्परागत समाज की बुराइयों को उद्घाटित किया और नवीन सामाजिक वास्तविकताओं को प्रस्तुत किया। उनकी बाजी राउत और पांडुलिपि सर्वोत्कृष्ट कृतियां हैं। उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। अन्य महत्वपूर्ण फिक्शन लेखकों में चंद्रशेखर रथ,शांतनु आचार्य, महापात्र नीलामनि साहू, रबि पटनायक, और जेपी दास प्रमुख हैं।
जगदीश मोहंती, कन्हैलाल दास, सत्य मिश्रा, रामचंद्र बेहरा, पद्मज पाल, यशोधरा मिश्रा तथा सरोजनी साहू ने बाद में फिक्शन में एक नए युग का सूत्रपात किया। जगदीश मोहंती को ओडिया साहित्य में अस्तित्ववाद को प्रस्तुत करने और एक प्रथा स्थापित करने वाला माना जाता है (एकाकी अश्वारोही, दक्षिण दवारी घर,एलबम, दिपाहरा देखीनाथिबा लोकोति, नियां ओ अन्यन्या गलपो, मेफेस्टोफेलसेरा, प्रुथुबी (लघु कथा संग्रह), गिजा गिजा पानीपाथा, कनिष्क कनिष्क, उत्तराधिकार और आद्रुशया सकल उनके उपन्यास हैं)। रामचंद्र बेहरा और पद्मज पाल को उनके लघु कहानियों के लिए जागा जाता है।
साहित्य में सौंदर्यता के समानांतर, 1960 के दशक के पश्चात् लोकप्रिय साहित्य का समानांतर चलन भी प्रकट हुआ। भागीरथी दास, कंदुरी दास, भगवान दास, विभूति पटनायक और प्रतिभा रे ओडिया साहित्य के सर्वाधिक बिकने वाले लेखक हैं। 1975 में शुरू होने वाली महिला पत्रिका सुचरित ने महिलाओं को उनकी बात कहने में बेहद मदद की। जयंती रथ, सुष्मिता बागची, परमिता सतपथी, हिरणमयी मिश्रा, चिराश्री इंद्रा सिंह, सैरिन्ध्रि साहू, सुप्रिया पांडा, गायत्री सर्राफ, ममता चैधरी इस समय के कुछ लोकप्रिय फिक्शन लेखक थे। सरोजनी साहू ने फिक्शन में नारीवादी एवं यौन-उन्मुखता शैली से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ओडिशा से लोकप्रिय विज्ञान लेखकों में गोकुलनंद महापात्र,गदाधर मिश्रा, देबकांत मिश्रा, सरत कुमार मोहंती, नित्यानंद स्वैन,शशिभूषण रथ, रमेश चंद्र परिदा, कमलकांत जेना एवं अन्य प्रमुख हैं।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now