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मूलक , धन/भास्मिक , ऋण मूलक (अम्लीय) , अणुभार / आण्विक द्रव्यमान / मोलर द्रव्यमान /परमाणु भार / परमाण्विक द्रव्यमान
मूलक : परमाणु/परमाणुओं का समूह जिस पर कोई रासायनिक अभिक्रिया में एक समूह की भांति कार्य करता है मूलक कहलाता है।
मूलक दो प्रकार के होते है –
1. धन मूलक (भास्मिक)
2. ऋण मूलक (अम्लीय)
धन/भास्मिक मूलक
मूलक दो प्रकार के होते है –
1. धन मूलक (भास्मिक)
2. ऋण मूलक (अम्लीय)
धन/भास्मिक मूलक
+1 | +2 | +3 | +4 |
सीजियम | Mg2+ | Fe3+ | Pb4+ (प्लाम्बिक) |
अमोनिया | Ca2+ | Al3+ | Sn4+ (स्टैनिक) |
क्यूप्रस | Ba2+ (बेरियम) | As3+ | |
मर्क्युरस | Sr2+ (स्ट्रांशियम) | Cr3+ | |
सिल्वर | Mn2+ | ||
Zn2+ | |||
Fe2+ (फैरस) | |||
Cu2+ (क्युप्रिक) | |||
Hg2+ (मरक्यूरिक) | |||
Pb2+ (प्लमब्स) | |||
Sn2+ (स्टैनस) |
ऋण/अम्लीय मूलक
-1 | -2 | -3 | -4 |
फ्लुआराइड | SO32- (सल्फाईट) | N3- (नाइट्राइड) | Fe(CN)64- (फेरो साइनाइड) |
क्लोराइड | SO42- (सल्फेट) | P3- (फास्फाइड) | |
ब्रोमाइड | CO32- (कार्बोनेट) | PO43- (फास्फेट) | |
आयोडाइड | S2O32- (थायो सल्फेट) | BO33- (बोरेट) | |
सायनाइड | C2O42- (ओक्सेलेट) | ||
हाइड्राइड | O2- (ऑक्साइड) | ||
एसिटेट | O22- (पर ऑक्साइड) | ||
बाईसल्फेट | MnO42- (मैग्नेट) | ||
HSO3– (बाइ सल्फाईट) | Cr2O42- (क्रोमेट) | ||
HCO3– (बाइ कार्बोनेट) | S2- (सल्फाइड) | ||
NO2– (नाइट्राइट) | |||
NO3–(नाइट्रेइट) | |||
O2– (सुपर ऑक्साइड) |
सूत्र निर्माण
- धन मूलक प्रथम में व ऋण मूलक बाद में लिखते है।
- समान घातें आपस में कट जाती है।
- संयोजकताओं को मूलक के नीचे लगाते है।
उदाहरण निम्न है –
Ca2+ P3-
= Ca3P2
= Ca3P2
Mg2+ SO42- = MgSO4
अणुभार / आण्विक द्रव्यमान / मोलर द्रव्यमान /परमाणु भार / परमाण्विक द्रव्यमान
उदाहरण
तत्व का प्रतिक | अणुभार |
H | 1 |
C | 12 |
N | 14 |
O | 16 |
F | 19 |
Na | 23 |
Mg | 24 |
Al | 27 |
P | 31 |
S | 32 |
Cl | 35.5 |
Ca | 40 |
Cu | 63 |
Fe | 56 |
Br | 80 |
I | 127 |
विलयन : दो या दो से अधिक पदार्थो के समांगी मिश्रण को विलयन कहते है।
विलयन बनाते समय जिस पदार्थ को कम मात्रा में लिया जाता है , उसे विलेय कहते है और जिस पदार्थ को अधिक मात्रा में काम में लिया जाता है उसे विलायक कहते है।
विलेय + विलायक = विलयन
यदि विलयन बनाते समय दो/तीन पदार्थ काम में आते है तो उसे द्विअंगीय /त्रिअंगीय विलयन कहते है।
सांद्रता : विलेय की वह मात्रा जो विलयन या विलायक की निश्चित मात्रा में घुली हुई होती है सान्द्रता कहलाती है।
सांद्रता को विभिन्न प्रकार से व्यक्त करते है –
1. द्रव्यमान प्रतिशत : 100 ग्राम विलयन में उपस्थित किसी विलेय की ग्राम में मात्रा को द्रव्यमान प्रतिशत कहते है।
2. आयतन प्रतिशत : 100 मिली लीटर विलयन में उपस्थित किसी विलेय की मिलीलीटर में मात्रा को आयतन प्रतिशत कहते है।
3. द्रव्यमान-आयतन प्रतिशत : 100 मिली लीटर विलयन में उपस्थित किसी विलेय की ग्राम में मात्रा को द्रव्यमान-आयतन कहते है।
4. नॉर्मलता : एक लीटर विलयन में उपस्थित किसी विलेय के ग्राम तुल्यांक की संख्या को नॉर्मलता कहते है , इसे N द्वारा व्यक्त करते है।
नॉर्मलता की इकाई ग्राम तुल्यांक/लीटर होती है।
नॉर्मलता का सूत्र
नॉर्मलता = विलेय के ग्राम तुल्यांक की संख्या/विलयन का आयतन (लीटर)
ग्राम तुल्यांक का सूत्र
ग्राम तुल्यांक = विलेय का ग्राम में भार/तुल्यांकी भार
अम्लता : किसी क्षार द्वारा त्यागे गए OH आयन की संख्या को उस क्षार की अम्लता कहलाती है।
क्षारकता : किसी अम्ल द्वारा त्यागे गए H आयन की संख्या उस अम्ल की क्षारकता कहलाती है।
मोलरता : एक लीटर विलयन में उपस्थित किसी विलेय के ग्राम-मोल की संख्या को मोलरता कहते है , इसे M से प्रदर्शित करते है।
इकाई = ग्राम मोल/लीटर
मोललता : एक किलोग्राम विलायक में उपस्थित किसी विलेय के ग्राम-मोल की संख्या को मोललता कहते है , इसे m द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
इकाई = ग्राम मोल/किलोग्राम
नोट : मोललता ताप से अप्रभावित रहती है।
पीपीएम या पार्ट्स पर मिलियन : 106 ग्राम विलयन में उपस्थित किसी विलेय की ग्राम में मात्रा को पीपीएम कहते है।
पीपीबी पार्ट्स पर बिलियन : 109 ग्राम विलयन में उपस्थित किसी विलेय की ग्राम में मात्रा को पीपीबी कहते है। नोट : जब किसी विलयन में विलेय की मात्रा बहुत बहुत कम होती है तो उसकी मात्रा को पीपीएम या पीपीबी में व्यक्त करते है।
मोल अंश / मोल भिन्न / मोल प्रभाज : विलयन में किसी घटक के मोलों की संख्या और उस विलयन में उपस्थित कुल मोलों की संख्या के अनुपात को उस घटक के मोल अंश या मोल भिन्न या मोल प्रभाज कहते है , इसे X द्वारा प्रदर्शित करते है।
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