हिंदी माध्यम नोट्स
बख्तियार काकी कौन थे ? ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी उपाधि Qutbuddin Bakhtiyar Kaki in hindi
Qutbuddin Bakhtiyar Kaki in hindi बख्तियार काकी कौन थे ? ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी उपाधि ?
प्रश्न: बख्तियार काकी
उत्तर: यह दिल्ली के सुल्तान इस्तुतमिश का समकालीन था। कुतुबुद्दीन को बख्तियार की उपाधि मुइनुद्दीन चिश्ती ने दी थी जिसका अर्थ था सौभाग्यशाली। बख्तियार का जन्म 1186 ई. में फरगना में हआ था. एवं वह इल्तत्मिश के समय भारत आया। उसने दिल्ली में अपना “खानकाह” बनाया। चिश्ती संतों ने संगीत एवं वादन को धार्मिक मूल्य प्रधान किया। बख्तियार संगीत का बड़ा प्रेमी था। कहा जाता है, कि एक दिन (1235) आध्यात्मिक संगीत के दौरान आनंद में वह इतना हर्षोन्माद हो गया की उसने सदा के लिये अपनी आंखे बंद कर ली।
प्रश्न: सूफी आंदोलन
उत्तर: सूफी आंदोलन सिया और सुन्नी के मतभेद दूर करने के लिए 10 वी शताब्दी में ईरान से शुरू हुआ। सूफी सहायक का ब्रह्मज्ञानी तथा ध्यात्मकवादी माना जाता है। वैसे भी सूफी वहीं कहलाता है जो तसववुफ का अनुयायी और सभी धमों से प्रेम करने वाला होता है। सूफी सिलसिले का आधार कुरान है। कुरान की रूढ़ीवादी व्याख्या श्शरीयतश् तथा उदारवादी व्याख्या श्तरीफश् कहलाती है। सूफीवाद मूलतः दार्शनिक व्यवस्था पर टिका हुआ था। सूफीवाद का एकतत्वदर्शन, ष्वहदत-उल-वुजुदष् (एकेश्वरवाद) के सिद्धांतों मानव जाति की एकता पर आधारित था जिसके अनुसार सृष्टा (हक) तथा सृष्टि (जीव) एक समान थे।
प्रश्न: चिश्ती सिलसिला
उत्तर: इसका प्रारम्भ श्हैरातश् स हुआ। यह भारत का सबसे लोकप्रिय सूफी संप्रदाय था। सिजिस्तान के श्ख्वाजा मइनददीन चिश्तीश् (1141 ई. जन्म) ने 12वीं शताब्दी में इस सिलसिले की स्थापना की थी। ख्वाजा ने श्अजमेरश् में अपना खानकाह स्थापित किया। इनका श्खानकाहश् साधारण मिट्टी का था, जो एक दो कमरों का था। ये घास-फूस के छाये में रहते थे। ष्जमायत-खानाष् एक बड़ा कमरा होता था। सूफी संत जमायत खाना में अपने शिष्यों को उपदेश दिया करते थे। मुइनुद्दीन चिश्ती अपने समय में ही प्रसिद्ध हो गया था। इसके दो प्रसिद्ध शिष्य हुये श्ख्वाजा कुतुबद्दीन बख्तियार काकीश् एवं श्हम्मीमुद्दीन नागौरीश्।
प्रश्न: शेख हम्मीमुद्दीन नागौरी
उत्तर: ख्वाजा मुदनुद्दीन चिश्ती के प्रमुख शिष्य शेख हम्मीमुद्दीन ने अपना केन्द्र राजस्थान का श्नागौरश् बनाया, ये किसान का जीवन जीते थे। इन्होंने हिन्दी भाषा का प्रयोग किया था। ख्वाजा साहब ने नागौरी को ष्सुल्तान-उत-तारिफिनष् (सूफियोंका सुल्तान) की उपाधि दी।
प्रश्न: शेख फरिरूद्दीन गंज-ए-शक्कर (बाबा फरीद)
उत्तर: यह शेख बख्तियार काकी का शिष्य था तथा बलबन का दामाद था। इसने हांसी तथा अधोजन को अपना केन्द्र बनाया। इनका जन्म मल्तान में हआ था। पंजाब में ये बड़े लोकप्रिय हुये तथा गुरूग्रंथ साहिब में इनके उपदेशों को स्थान दिया गया है। काव्य में अभिव्यक्ति तथा एक प्रशुद्ध वक्ता के रूप में प्रसिद्धी हुई। इन्हें पंजाबी भाषा का प्रथम कवि कहा जाता है। इन्होंने चिश्ती सिलसिले को पूरे देश में प्रचारित किया और उसे लोकप्रिय बनाया।
प्रश्न: शेख निजामुद्दीन औलिया
उत्तर: यह बाबा फरीद का शिष्य था इनका जन्म 1236 में बदायूँ में हुआ। इन्होंने गियासपुर (दिल्ली) में अपना ष्खानकाहष् बनाया। कहा जाता है कि ष्औलिया के जीवन काल में दिल्ली की राजगद्दी पर एक-एक करके सात सुल्तान बैठे। लेकिन वे कभी भी किसी के भी दरबार में नहीं गये और न ही राजकीय संरक्षण स्वीकार किया। इन्होंने श्सियार-उल-औलियाश् नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखा। मुहम्मद-बिन-तुगलक ने दिल्ली में औलिया का मकबरा बनवाया।
प्रश्न: शेख सलीम चिश्ती
उत्तर: मुगल काल में चिश्ती शाखा में श्शेख सलीम चिश्तीश् प्रमुख संत हुये। शेख सलीम चिश्ती अकबर के काल के प्रम्मख संत थे। इन्होंने अपना खानकाह फतेहपुर सीकरी को बनाया। इन्हीं के आशिर्वाद से अकबर के एक पुत्र हुआ जिसका नाम सलीम रखा गया। सलीम चिश्ती को शेख-उल-हिन्द की उपाधि दी गई। इनके प्रमुख शिष्यों में श्शेख अब्दुल गंगोईश् तथा श्वायजीत अंसारीश् भी थे।
प्रश्न: सुहरावर्दी सिलसिला
उत्तर: भारत में सहरावर्दी सिलसिले का संस्थापक श्वहाउददीन जकारियाश् था। चिश्ती सती क विपरात सुहरावदा सप्रदाय ने जीवन के बजाय श्सम्पन्न और प्रभावीश् मल्ला का जीवन बिताया। राजनीति में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। जकारिया अपना केन्द्र श्सिंध एवं मुल्तानश् बनाया। सहरावर्दी आगे चलकर श्फिरदोशीश् तथा श्सत्तारीश् दो शाखाओं में बंट गये।
प्रश्न: शेख मुहम्मद गौस ।
उत्तर: सत्तारा सिलसिले के बाद इस शाखा में श्शेख महम्मद गौसश् प्रमख सफी संत हआ। इसने ग्वालियर को बनाया। उसने हिन्दुओं के प्रति उदारता की नीति बरती। इनकी रचनाओं में श्जबाहिर-ए-खाश् तथा श्अवराद-ए-गौसियाश् प्रमुख हैं। सत्तारी क्रियायें योग से प्रभावित थी। तानसेन ने इरानी संगीत की शिक्षा इन्हीं है। गौस ने अमृत कुण्ड नामक संस्कृत ग्रंथ का फारसी में अनुवाद किया। इन्होंने वहल-उल-हयात सिद्धांत दिया चलकर दारा शिकोह द्वारा प्रतिपादित मज्म-उल-बहरीन का आधार बना।
प्रश्न: सूफी एवं भक्त संतों के उपदेशों में समानताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: सूफीमार्गियों एवं भक्तिमार्गियों दोनों ने ही क्रमशः मुस्लिम और हिन्दू कट्टरवादिता का खण्डन किया। फारसी-अली संस्कृत के बदले लोक भाषाओं में उपदेश दिया। आध्यात्मिक रहस्यवाद, ईश्वरीय एकेश्वरवाद, ईश्वर के प्रति आत्म समर्पण, गुरू की सर्वोच्चता, पवित्र व सादा जीवन, ईश्वर के प्रति प्रेम, ईश्वरनाम स्मरण एवं प्रार्थना आदि तत्व सूफी भक्ति संतों में समान रूप से दिखाई दिए।
प्रश्न: सुहरावर्दी सूफी संतों की प्रमुख शिक्षाए
उत्तर: भारत में सुहरावर्दी सिलसिले का संस्थापक श्वहाउद्दीन जकारियाश् था। तथा श्जलाउद्दीन तबरीजीश् इनके सहायक भी चिश्ती संतों के विपरीत सुहरावर्दी संप्रदाय ने कठिन जीवन के बजाय श्सम्पन्न और प्रभावीश् मुल्ला का जीवन बिताया। राजनीति में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। सुहरावर्दी के शिष्य परम्परा में श्शेख जलालुउद्दीन तबरीजीश् का नाम प्रमुख है। इन्होंने श्बंगालश् में अपना खानकाह स्थापित किया। उन्होंने अपने खानकाह में श्मुफ्त लंगरश् की व्यवस्था की। ऐसा माना जाता है कि बंगाल के इस्लामीकरण में तबरीजी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा।
श्सत्तारी सिलसिलाश् की स्थापना लोदी काल में 1485 में श्सैयाद अब्दुल्ला सत्तारीश् के द्वारा की गई। सैया अब्दुल्ला ने कहा की, श्जो भी ईश्वर को प्राप्त करना चाहता है वह मेरे पास आये, मैं उसको ईश्वर तक पहुँचाउंगा।श् सत्तारी क्रियायें श्योगश् से प्रभावित थी।
प्रश्न: नक्शबंदी सूफी संतों की प्रमुख शिक्षाएं
उत्तरः इस शाखा की स्थापना 14वीं सदी में श्ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदश् ने की थी। नक्शबंदियों ने श्वहदत-उल-वुजुदश् के स्थान पर श्वंहदत-उल-शुहुतश् की स्थापना की। यह सबसे कट्टरवादी सिलसिला था। इसने श्वहदत-उल-वुजुदश् को पलटकर श्वहदत-उल-शुहूदश् का सिद्धांत दिया। इसकी वुजुदी शाखा के संस्थापक श्शाह वली उल्लाह देहलवीश् थे। इन्होंने दोनों संप्रदायों के सिद्धातों में समन्वय किया। इसी में से एक उपशाखा निकली जिसे ‘तरीका-ए-मुहम्मदिया‘ कहा गया। इसकी स्थापना ‘ख्वाजा मुहम्मद नासिर‘ के द्वारा कि गई।
नासिर का पुत्र मीरदर्द हुआ इन्होंने श्इल्म-ए-ईलाहीश् . सिद्धात प्रतिपादित किया।
प्रश्न: अकबर की दीन-ए-इलाही की प्रकृति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: अकबर ने सभी धर्मों के व्यक्तियों को समान समझकर तथा उचित व्यवहार कर राष्ट्रीय एकता का जो प्रयत्न किया उस चरम सीमा तक ले
जाने के लिए दीन-ए-इलाही नामक राष्ट्रीय धर्म स्थापित करने का प्रयास किया। हिन्दू-मुस्लिा कटटरता से परे एक ऐसा धर्म जिसमें सभी धर्मों के श्रेष्ठ गुणों का समन्वय कर स्थापित किया। वह चाहता था कि लोग इसे स्वीकार करे जो सुलह-ए-कुल एवं उदार विचारों से प्रभावित था। यह उसका राष्ट्र-निर्माण का प्रबल प्रयत उसकी राजनीतिक योग्यता एवं दूरदर्शिता का प्रमाण था। यह विभिन्न मतों के संकीर्ण विचारों से ऊपर केवल आदशा विश्वास करने वाला था लेकिन उसका यह महान प्रयत्न सफल नहीं हो सका।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…