Plotter in Computer in Hindi | प्लॉटर आउटपुट डिवाइस किसे कहते हैं , परिभाषा कितने प्रकार के होते हैं
कंप्यूटर के बारे में विस्तार से जान लीजिये कि Plotter in Computer in Hindi | प्लॉटर आउटपुट डिवाइस किसे कहते हैं , परिभाषा कितने प्रकार के होते हैं कौन सा डिवाइस है का क्या कार्य होता है ?
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प्लॉटर (Plotter) : यह एक आउटपुट डिवाइस है जो चार्ट (Charts), चित्र (Drawings), नको (Maps), त्रिविमीय रेखाचित्र (Three dimensional illustrations) और अन्य प्रकार की हार्ड कॉपी (Hard Copy) प्रस्तुत करने के कार्य करता है। प्लॉटर सामान्यतया दो प्रकार के होते है-
(i) ड्रम पेन प्लॉटा (Drum Pen Plotter) : इसमें एक डम पर कागज लिपटा रहता है जो ड्रम के साथ आगे-पीछे घूम सकता है। ये समतल पृष्ठ पर आकृति बनाते हैं, जो रंगीन भी हो सकती हैं। रंगीन प्लाटर में चार या इससे अधिक पेज हो सकते हैं।
( ii) फ्लैट बेड प्लाटर (Flat bed Plotter) : इसमें कागज को स्थिर रखने के लिए एकट होती है एक मुजा हाता है जिस पर एक पेन लगा रहता है. यह कागज पर सीधी व खडी दिशा अथांत एवं दोनो अक्षों पर चल सकता है। कम्प्यूटर के नियन्त्रण से यह कागज पर आकृति बनाता जाता है। यह धीमी गति से कार्य करता है और मंहगा भी होता है।
विशेष उद्देशीय आउटपुट उपकरण (SPECIAL-PURPOSE OUTPUT EQUIPMENTS)
इस भाग में हम ऐसी आउटपुट डिवाइसेज का अध्ययन करेंगे जिनका उपयोग विशेष उद्देश्यों के लिए हापता हमकम्प्यूटर आउटपुट माइक्रोफिल्म (Computer Output Microfilm) फिल्म रिकॉर्डर (Film Kecorder) आर वायस-आउटपुट डिवाइसेज (Voice Output Devices) की तकनीक का वर्णन करेंगे :
(1) कम्प्यूटर आउटपुट माइक्रोफिल्म (Computer Output Microfilm—COM) यह कम्प्यूटर आयुटका माइक्रोफिल्म माध्यम (Microfilm Media) पर उतारने की तकनीक है। माइक्रोफिल्म माध्यम एक माइक्रोफिल्म रील या एक माइक्रोफिश कार्ड (Microfitche Card)के रूप में प्रयुक्त होता है। माइक्रोफिल्म तकनीक के प्रयोग से कागज की लागत और संग्रह-स्थल (Storage Space) की बचत होती है। उदाहरणार्थ, एक 4×6 इंच के आकार के माइक्रोफिश कार्ड में लगभग 270 छपे हए पृष्ठ के बराबर स्थान होता है। COM तकनीक उन कार्यालयों में अधिक उपयोगी होती है। जहां डाटा और सूचना की फाइलों में संशोधन नहीं होता है और फाइलों की संख्या बहुत अधिक होती है। माइक्रोफिल्म या माइक्रोफिश तैयार करने की तकनीक ऑफ लाइन (Off line) होती है। ये एक Off line COM यूनिट में तैयार की जाती हैं। पहले कम्प्यूटर आउटपुट को एक संग्रह-माध्यम मेग्नेटिक टेप (Magnetic Tape) पर संग्रहीत करता है। इसके बाद COM यूनिट प्रत्येक पृष्ठ का प्रतिबिम्ब स्क्रीन पर दिखाती है और माइक्रोफिल्म के फोटोग्राफ तैयार करती है। COM यूनिट को कम्प्यूटर में जोड़कर ऑन लाइन (On line) भी किया जा सकता है। माइक्रोफिल्म माइक्रोफिश को पढ़ने के लिए मिनी कम्प्यूटर में एक अलग डिवाइस होती है जो आउटपुट को अलग-अलग फ्रेम्स (Frames) में दिखाती है। (2) फिल्म रिकॉर्डर (Film Recorder) फिल्म रिकॉर्डर एक कैमरे (Camera) के समान डिवाइस है जो कम्प्यूटर से उत्पन्न उच्च रेजोलूशन के चित्रों को सीधे 35 एम.एम. की स्लाइड, फिल्म और ट्रांसपेरेन्सी (Transparencies) पर स्थानान्तरित कर देता है। कुछ वर्षों पहले यह तकनीक बड़े कम्प्यूटरों में ही सम्भव थी, लेकिन अब यह माइक्रोकम्प्यूटर्स में भी उपलब्ध है। विभिन्न कम्पनियां अपने उत्पादों की जानकारी देने के लिए प्रस्तुतीकरण (Presentation) तैयार करती हैं। आजकल इस प्रस्तुतीकरण के लिए स्लाइड (Slide), फिल्म रिकॉर्डिंग तकनीक से ही बनाई जाती है।
(3) वॉयस-आउटपुट डिवाइसेज (Voice-Output Devices) कभी टेलीफोन पर नम्बर मिलाने पर जब लाइन व्यस्त होती है तो एक आवाज सुनाई देती है- ”The number which dialed by you is presently busy. Kindly try after some time.” यह सन्देश वॉयस आउटपुट डिवाइसेज (Voice Output Devices) की सहायता से हमें टेलीफोन पर सुनाई देता है। पूर्व संग्रहीत शब्दों को एक फाइल में। से प्राप्त कर कम्प्यूटर इन सन्देशों का निर्माण करता है। कम्प्यूटरीकृत आवाज का उपयोग हवाई अडडे या रेलवे स्टेशन पर यात्रियों तक आवश्यक सूचना पहुंचाने के लिए भी किया जाता है।
कम्प्यूटर में सैकड़ों शब्दों के उच्चारण कर शब्द-भण्डार (Vocabulary) सगृहात किया जाता हाजन्ह कम्प्यूटर प्राणान्स क निर्देशों के आधार पर संयोजित कर सन्देश बनाता है और वायस-आउटपुट डिवाइस Voice Ourpur Device) इन सन्देशों का स्पीकरों (Speakers) के द्वारा आवश्यकतानसार उच्चारण करती है।
संख्या प्रणाली [NUMBER SYSTEM)
संख्या प्रणाली : परिचय
कम्प्यटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (Digital Electronic Circuits) से निर्मित होता है। इसक परिपथ के मुख्य भाग ट्रांजिस्टर (Transistors) होते हैं जिनकी प्रकृति बाइनरी (Binary) होती है। यहां बाइनरी प्रकृति (Binary Nature) का यह अर्थ है कि टान्जिस्टर केवल दो अवस्थाओं में कार्य करता है-ऑन (On) या पूर्ण चालकता (Fully Conducting) और ऑफ (Off) या कुचालकता (Non-Conducting)| यहां चालकता (Conductivity) का अर्थ है—विद्युत (Electricity) का संचरण। अतः ट्रांजिस्टर एक स्विच (Switch) के समान कार्य करता है जो ऑन (On) या ऑफ (Off) हो सकता है।
इस प्रकार कम्प्यूटर बाइनरी तार्किक परिपथ (Binary Logical Circuits) से निर्मित होता है आर। डाटा (Data) को इसमें इलेक्ट्रॉनिक संकेतों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के रूप में व्यक्त किया जाता है। डाटा का यह प्रतिनिधित्व (Representation) बाइनरी (Binary) या द्वि-अवस्था (Two State) निरूपण कहलाता है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने के लिए संख्या-पद्धति (Number System) की सहायता ली। जाती है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली संख्या-प्रणाली बाइनरी अवस्था (Binary State) की होनी चाहिए क्योंकि इसके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के ट्रांजिस्टर दो अवस्थाओं को समझते हैं—ऑन (On) और ऑफ (Off)। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली संख्या प्रणाली (Number System) बाइनरी संख्या-प्रणाली (Binary Number System) कहलाती है।
जब डाटा को कम्प्यूटर में इनपुट करते हैं तो की-बोर्ड (Keyboard) की दबाई गई (Pressed) प्रर कुन्जी (key) के संकेत को बाइनरी करेक्टर-संकेत में परिवर्तित कर देता है। यह संकेत (code) कन्न र में संचरित होता है। जब कम्प्यूटर डाटा को प्रिन्टर (Printer), स्क्रीन (Screen) या डिस्क (Disk) का मार संचरित करता है तो प्रत्येक करैक्टर (Character) बाइनरी संकेत (Binary code) में होता है। यह बाइनरा कोड छपते समय या स्क्रीन पर दिखाई देते समय पुनः करेक्टर (Character) में परिवर्तित हो जाता है।
बाइनरी संख्या प्रणाली में प्रत्येक करैक्टर (Character) 0 और 1 की बाइनरी अंक की श्रृंखला या स्ट्रिग (String) द्वारा व्यक्त किया जाता है। जैसे_अंग्रेजी वर्णमाला के A अक्षर (Character) का बाइनरी कोड (Binary Code) 1000001 है।
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