रेजोल्यूशन क्या है समझाइए , resolution definition in hindi कंप्यूटर मॉनिटर के रेजोल्यूशन का मापन किससे होता है
कंप्यूटर मॉनिटर के रेजोल्यूशन का मापन किससे होता है रेजोल्यूशन क्या है समझाइए , resolution definition in hindi ?
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आउटपुट डिवाइसेज (OUTPUT DEVICES)
प्रक्रिया (Processing) के पश्चात् कम्प्यूटर, परिणामों (Results) को आउटपुट डिवाइसेज की सहायता से प्रस्तुत करता है। आउटपुट (Output) प्रायः डिस्प्ले डिवाइसेज (स्क्रीन) या प्रिण्टर के द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं। कम्प्यूटर की स्क्रीन डिस्ले डिवाइस (Display Device) होती है जिसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट(Visual Display Unit-VDU) भी कहते हैं।
टैक्स्ट और ग्राफिक्स (Text and Graphics) — आउटपुट जब अक्षरों, चिह्नों और अंकों में प्राप्त होता है तो इसे टैक्स्ट (Text) आउटपुट कहते हैं जबकि चित्र, फोटोग्राफ या रेखाचित्र के रूप को ग्राफिक्स (Graphics) कहते हैं। आजकल आने वाली अधिकतर डिस्प्ले डिवाइसेज टैक्स्ट और ग्राफिक्स दोनों प्रकार के आउटपुट डिस्ले करने में सक्षम हैं।
रेजोलूशन (Resolution) – डिस्प्ले डिवाइस का महत्वपूर्ण लक्षण होता है रेजोलूशन (Resolution) या स्क्रीन के चित्र की स्पष्टता (Sharpness)। अधिकतर डिस्प्ले (Display) डिवाइसेज में चित्र (Image) स्क्रीन के छोटे-छोटे डॉट (Dots) के चमकने से बनते हैं। स्क्रीन के ये छोटे-छोटे डॉट (Dot), पिक्सेल (Pixels) कहलाते हैं। यहां पिक्सेल (Pixel) शब्द Picture Element का संक्षिप्त रूप है। स्क्रीन पर इकाई क्षेत्रफल में पिक्सेलों की संख्या रेजोलूशन (Resolution) को व्यक्त करती है। स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सेल होंगे स्क्रीन का रेजोलूशन माउस का निचला भाग (Resolution) भी उतना ही अधिक होगा अर्थात् चित्र स्पष्ट होगा। एक डिस्प्ले रेजोलूशन माना 640 by 480 है तो इसका अर्थ है स्क्रीन 640 डॉट के स्तम्भ (Column) और 480 डॉट की पंक्तियों (Rows) से बनी है। टैक्स्ट के अक्षर या करैक्टर (Character) स्क्रीन पर डॉट मैटिक्स (Dot-Matrix) विन्यास से बने होते है। सामान्यतया मैट्रिक्स का आकार 5×7=35 पिक्सेल या 7×12 = 84 पिक्सेल के रूप में टैक्स्ट डिस्ले करने के लिए होता है। इस प्रकार एक स्क्रीन पर 65 करेक्टर की 25 पंक्तियां डिस्प्ले की जा सकती हैं। स्क्रीन पर हम इससे अधिक रेजोलूशन (Resolution) प्राप्त कर सकते है।
बिट मैपिंग (Bit Mapping) : प्रारम्भ में डिस्प्ले डिवाइसेज केवल करेक्टर एड्रेसेबल (Character Addressable) होती थी जो केवल टैक्स्ट (Text)को ही डिस्प्ले करती थीं। स्क्रीन पर भेजा जाने वाला प्रत्येक करैक्टर समान आकार और एक निश्चित संख्या के पिक्सेलों (Pixels) के ब्लॉक (समूह) का होता था। ग्राफिक्स डिस्प्ले डिवाइस की मांग बढ़ने पर मॉनीटर निर्माताओं ने बहुउपयोगी डिस्प्ले डिवाइसेज विकसित की जिनमें टैक्स्ट और ग्राफिक्स, दोनों डिस्प्ले हो सकें। ग्राफिक्स आउटपुट डिस्प्ले करने के लिए जो तकनीक काम में लाई जाती है, वह बिट मेपिंग (Bit Mapping) कहलाती है। इस तकनीक में बिट मेप ग्राफिक्स का प्रत्येक पिक्सेल ऑपरेटर द्वारा स्क्रीन पर नियन्त्रित होता है। इससे ऑपरेटर किसी भी आकृति की ग्राफिक्स स्क्रीन पर बना सकता है। नीचे कुछ आउटपुट डिवासेज का विवरण इस प्रकार है :
मॉनीटर (Monitor)
मोनोक्रोम और कलर डिस्ले डिवाइसेज (मॉनीटर) (Monochrome and Color-Display Devices Monitors) मोनो (Mono) का अर्थ है एकल (Single) और क्रोम (Chrome) का अर्थ रंग (Colour), इसीलिए मोनोक्रोम डिस्ले डिवाइस, एकल रंग के मॉनीटर होते हैं जैसे ब्लैक एण्ड व्हाइट टी. वी.। कलर मॉनीटर (Colour Monitor) रेड-ग्रीन-ब्लू (Red-Green-Blue-RGB) प्रकार का होता है। RGB प्रकार के कारण उच्च रेजोलूशन (Resolution)का आउटपुट डिस्प्ले हो सकता है। कम्प्यूटर में पर्याप्त रैम (RAM) के उपलब्ध होने पर इस मॉनीटर में हम 8 से 16,000,000 रंगों को डिस्प्ले कर सकते हैं। कम्प्यूटर में सामान्यतया दो प्रकार के मॉनीटर प्रयोग में आते हैं :
CRT मॉनीटर (CRT Monitor)
ये सामान्यतया TV जैसे प्रतीत होते हैं। इनमें पिक्चर देखने के लिए कैथोड किरण नली (Cathode Ray Tube या CRT) का प्रयोग होता है। इनके स्क्रीन पर फॉस्फोरस की कोटिंग होती है, जब इस पर इलेक्ट्रॉन गिरते हैं तो स्क्रीन पर रोशनी दिखती है। मोनोक्रोम या ब्लैक व ह्वाइट मॉनीटर में इलेक्ट्रॉनों से एक किरण उत्पन्न होती है, जबकि रंगीन मॉनीटर में तीन लाल, नीले व हरे रंग की किरणें उत्पन्न होती हैं जो विभिन्न प्रकार के संयोजन से मॉनीटर पर रंगीन तस्वीर दर्शाती हैं। इन मॉनीटरों में क्षेतिज (Horizontal) तथा ऊर्ध्वाधर (Vertical) डिफ्लेक्शन इलेक्ट्रॉड के दो सेट होते हैं।
(2) LCD मॉनीटर (LCD Monitor) : ये सामान्य मॉनीटर की तुलना में काफी पतले व कम स्थान घेरने वाले होते हैं। देखने में छोटे, सुन्दर व सुविधाजनक लगते हैं। इनमें पिक्चर देखने के लिए द्रव क्रिस्टल Liquid crystal का प्रयोग होता है इस कारण इसे लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display या LCD मॉनीटर कहा जाता है। इसमें कांच की दो परतों के मध्य द्रवीय क्रिस्टल पदार्थ भरा रहता है और इसकी बाहरी परत पर टिन ऑक्साइड अथवा इण्डियम ऑक्साइड टन आक्साइड अथवा इण्डियम ऑक्साइड का लेप लगा रहता है जिससे उस चालकता आती है। LCD मॉनीटर पर प्रकाश गिरने से ध्रुवीकरण द्वारा तस्वार CD मानीटर का पतला व छोटा आकार होने के कारण इसका उपयोग लैपटॉप (Laptop) या बनाने में किया जाता है। आकार छोटा व पतला होने के कारण आजकल इसका सामान्य कम्यूटर उपयोग होने लगा है। इसमें बिजली की खपत भी कम होती है। लेकिन यह काफी महंगा आता है और इसका रिजॉल्यूशन भी अधिक अच्छा नहीं होता।
(2) प्रिन्टर्स (Printers)
डिस्प्ले डिवाइसेज में आउटपुट डिवाइस के रूप में मॉनीटर की दो कमियां होती हैं-
(1) एक बार में सीमित डाटा ही दिखाई देता है और
(2) स्क्रीन पर आउटपूट की सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) स्थानान्तरणीय नहीं होती है जिससे इसे कागज पर नहीं लिया जा सकता। उपर्युक्त दोनों कमियां आउटपुट डिवाइस के रूप में प्रिन्टर पूरी करता है। प्रिन्टर एक ऑन-लाइन (On line) आउटपुट डिवाइस है, जो आउटपट को कागज पर छापकर प्रस्तुत करता है। कागज पर आउटपुट का यह प्रातालाप हाड कापी (Hard Copy) कहलाती है। कम्प्यूटर से प्राप्त डिजिटल सकत । (1 और के बिट) प्राकृतिक भाषा (अंग्रेजी, हिन्दी, आदि) में परिवर्तित होकर हार्ड कॉपी के रूप में छपत है जिसे मानव पढ़ सकता है। प्रिन्टर्स में विविधता के अनेक आधार हैं, जैसे प्रिन्टिंग तकनीक के आधार पर ये दो प्रकार के होते हैं इम्पैक्ट (Impact) और नॉन-इम्पैक्ट (Non-Impact) तथा कार्य करने की गति के आधार पर ये दो प्रकार कहात ह-निम्न गति प्रिन्टर (Low Speed Printer) जो एक अक्षर एक बार में छापते है तथा उच्च गति प्रिन्टर (High Speed Printer) जो आउटपट की एक पूरी लाइन या पृष्ठ एक बार में छाप सकते है
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