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परागकण भित्ति रचना में टेपीटम की भूमिका की व्याख्या करें।

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प्रश्न 17. परागकण भित्ति रचना में टेपीटम की भूमिका की व्याख्या करें।

इसका उत्तर निम्नलिखित प्रकार दिया जा सकता है –

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प्रश्न 17. परागकण भित्ति रचना में टेपीटम की भूमिका की व्याख्या करें।
उत्तर : लघुबीजाणुधानी में बाहर की तरफ तीन परतें पायी जाती है और ये लघुबीजाणुधानी की बाह्य तीन पर्ते लघुबीजाणुधानी को सुरक्षा प्रदान करती हैं तथा यह स्फुटन में भी सहायता करती हैं। सबसे भीतरी टेपीटम परत की कोशिकाएँ विकासशील परागकणों को पोषण प्रदान करती हैं। यह परागकणों की स्पोरोपोलेनिन युक्त बाह्यभित्ति (exine) बनाने में भी मददगार होती है। परागकण की भित्ति पर यह तेलयुक्त पदार्थ लगाता है। कीट परागित पुष्पों में परागकण की पोलेन किट का निर्माण टेपीटम के द्वारा होता है ।
सामान्यतया देखा जाए तो एक पुंकेसर के परागकोष में 4 लघुबीजाणुधानी का निर्माण होता है या पाए जाते है और प्रत्येक लघुबीजाणुधानी स्वयं चार परतों से घिरी होती है | जब बाहर से अन्दर की तरफ जाए तो हमें चार परतें निम्नलिखित प्राप्त होती है –

  1. बाह्य त्वचा
  2. अंतस्थीसियम
  3. मध्य परत
  4. टेपीटम

इन चारों परतों में से प्रारंभ की तीन परतें लघुबीजाणुधानी को सुरक्षा या संरक्षण प्रदान करने का कार्य करती है जबकि अंतिम या अन्दर की परत जिसका नाम टेपीटम है इसकी कोशिकाएं विकासशील परागकणों को पोषण प्रदान करने का कार्य करती है |

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