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तापीय प्रसार क्या है समझाइए , किसे कहते हैं , तापीय संकुचन की परिभाषा Thermal expansion in hindi

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Thermal expansion in hindi  तापीय प्रसार क्या है समझाइए , किसे कहते हैं , तापीय संकुचन की परिभाषा ?

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admin Selected answer as best October 1, 2022
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तापीय प्रसार एवं संकुचन (Thermal expansion and contraction) : जब किसी पदार्थ का ताप बढ़ाया जाता है तो ऊष्मा ऊर्जा प्राप्त करके पदार्थ के अणुओं की गतिज ऊर्जा के मान में वृद्धि होती है जिससे अणुओं के मध्य की दूरी बढ़ती है फलतः पदार्थ के आयतन में वृद्धि होती है। ताप के प्रभाव से आयतन में हुई इस वृद्धि को तापीय प्रसार (Thermal expansion) कहते हैं। इसके विपरीत यदि पदार्थ के ताप में कमी की जाए तो उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान कम हो जाएगा जिससे उनके मध्य की दूरी कम होने लगेगी। फलतः उसका आयतन कम हो जाएगा। अर्थात् पदार्थ का संकुचन हो जाएगा। किसी पदार्थ के तापीय प्रसार को तापीय प्रसार गुणांक (Thermal expansion Coefficient) के रूप में व्यक्त किया जाता है और इसे ‘a’ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

किसी पदार्थ का तापीय प्रसार गुणांक एक निश्चित दाब पर एक डिग्री ताप के बढ़ाने से उसके आयतन। में हुई वृद्धि और वास्तविक आयतन का अनुपात होता है। अतः अथवा

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a = 1/V (V/T)P

अथवा                      A = 1/T (VT – VO/VO)

जहां, VO = 0°C ताप व स्थिर दाब पर आयतन

VT = T0 C ताप व उसी दाब पर आयतन`

a का मान सामान्यतया धनात्मक ही होता है, लेकिन कुछ समान ऋणात्मक हो सकता है। उदाहरणार्थ, oc से nc तब गणांक का मान ऋणात्मक होता है। इसका कारण यह है कि 0C स्पर कुछ दूरी पर स्थित रहते हैं। जब इन्हें ऊष्मा प्रदान का के अणु एक-दूसरे के निकट आ जाते सोमायतन घट जाता है। 4°C के बाद याद और ऊष्मा दा जाए तो अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ने के साथ ही उसका धनात्मक तापीय प्रसार होता है। यही कारण है कि 4C पर जल का घ द्रवों के तापीय प्रसार गुणांकों के मान निम्न सारणी में दिए जा रहे हैं :

द्रव C6H6 CCI4 C2H5OH CH3OH H2O Hg
a/10-4K-1 12.4 12.4 11.2 12.0 2.07 1.81

 

तापीय प्रसार पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में पाया जाता है, लेकिन सामान्यतया इसका क्रम निम्नानुसार

ठोस < द्रव < गैस

अर्थात् गैसों के तापीय प्रसार गणांक के मान उच्चतम होते हैं, जबकि ठोसा के लिए ता गुणांक के मान निम्नतम होते हैं।

(7) विसरण (Diffusion) चूंकि द्रवों व ठोसों में अन्तराण्विक बल बहुत प्रबल होता है और अन्तराण्विक दूरी बहुत कम, अतः द्रवों व ठोसों में विसरण नहीं होता जबकि गैसों का एक प्रमुख गुण विसरण मा हा द्रवों का वर्गीकरण (Classification of Liquids) द्रवा का वर्गीकरण उनके कणों के मध्य उपस्थित बन्ध की प्रकति के आधार पर करते है। इस हिसाब से द्रव निम्न प्रकार के होते हैं :

(1) आयनिक द्रव (lonic liquids) जिसमें द्रव के कण आयन हों, जैसे गलित (molten) अवस्था में सोडियम क्लोराइड।

(2) धात्विक द्रव (Metallic liquids) जिसमें गतिशील (mobile) इलेक्ट्रॉनों के मध्य में धनायन होते हैं। उदाहरणार्थ, मर्करी अथवा पिघली अवस्था में धातुएं।

(3) संयोजित ब (Cohesive liquids) इनमें सहसंयोजक अणु मुख्य रूप से परस्पर हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। उदाहरणार्थ, जल, ऐल्कोहॉल, आदि।

(4) सहसंयोजक द्रव (Covalent liquids) इनमें सहसंयोजक अणुओं के मध्य संयोजन मुख्य रूप से वाण्डर वाल्स बलों द्वारा होता है, अधिकांश कार्बनिक द्रव इसी श्रेणी में आते हैं, जैसे—ईथर बेन्जीन, आदि।

admin Selected answer as best October 1, 2022
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