जूल थॉमसन प्रभाव नियम क्या है , joule thomson effect in hindi जूल टॉमसन गुणांक किसे कहते हैं
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जूल- टॉमसन प्रभाव (Joule-Thomson’s effect)
जब किसी गैस को निर्वात (vacuum) में प्रसारित होने दिया जाता है तो शीतलन प्रभाव (cooling effect) होता है, अर्थात गैस का ताप कम हो जाता है, इसे जल-टॉमसन प्रभाव कहते हैं। इसे समझाने के लिए हमें मानना पड़ेगा कि गैस अणुओं के मध्य आकर्षण बल होता है, जब इन्हें प्रसारित होने दिया जाता है तो ये एक-दूसरे से अलग होकर दूर होते हैं, इसके लिए इन्हें मध्य के आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। इस कार्य के लिए इन अणुओं को ऊर्जा व्यय करनी पड़ती है जो इनकी गतिज ऊर्जा से प्राप्त होती है और इस प्रकार अणुओं की ऊर्जा में कमी आ जाती है फलतः इनका ताप घट जाता है और गैसों का शीतलन हो जाता है। अतः उच्च दाब तथा निम्न ताप पर अणुओं के मध्य आकर्षण बल होता है। – इन कारणों से गैसों का वास्तविक आचरण उनके आदर्श आचरण से विचलित हो जाता है।
इन कारणों को दूर करके सन् 1873 में वाण्डर वाल्स (van der Waals) ने आदर्श गैस समीकरण PV =nRT में कुछ सुधार किये और एक समीकरण व्यत्पित (derive) की जिसे समस्त वास्तविक गैसों पर लागू किया जा सकता है।
वाण्डर वाल्स समीकरण (VAN DER WAALS’ EQUATION)
वाण्डर वाल्स ने वास्तविक गसा के आदर्श आचरण स विचलन क कारणा का ध्यान में रखते ही आदर्श गैस समीकरण PV=nRT में दाब व आयतन में कुछ संशोधन करके नयी समीकरण बनायी वाण्डर वाल्स समीकरण कहते हैं (i) आयतन में संशोधन (Volume correction) आदर्श गैसों के लिए गैस के अणुओं का आय गैस के कल आयतन की तुलना में नगण्य है अर्थात् PV=nRT में Vउस रिक्त स्थान को प्रदर्शित तन्त्र रूप से विचरण करते हैं। वास्तविक गैसों के लिए गैस के अणुओं का आयतन नगण्य नहीं होता। माना कि एक मोल गैस में उपस्थित अणुओं का आयतन b है, और गैस के V आयत उपस्थित गैस के कल अणुओं की संख्या ॥ है तो V आयतन में उपस्थित कुल अणुओं का आयतन होगा। अर्थातो वह स्थान है जो अणुओं का वास्तविक आयतन है अर्थात् जिसे गैस के अणुओं ने घेर रखा है। दूसरे शब्दों में, यह वह आयतन है जहां अणुओं का स्वतन्त्र विचरण नहीं हो सकता, इसे हम अपवर्जित आयतन (excluded volume) कहते है। अतः अणुओं के स्वतन्त्र विचरण के लिए उपलब्ध आयतन
V = V – nb ….(16)
जहां b प्रत्येक गैस के लिए एक ऐसा अभिलाक्षणिक स्थिरांक (characteristic constant) है। अणुओं के आकार पर निर्भर करता है और प्रयोगों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। इसका परिकलन निम्न प्रकार किया जाता है
अपवर्जित आयतन का परिकलन । cal – calation of excluded volume) – गैस के अणुओं की हम ठोस गोलाकार रचना के रूप में। कल्पना करते हैं। माना कि ० व्यास वाले दो अणु A तथाB गति करते हुए एक-दूसरे के पास। आते हैं, समीप आते हुए एक निश्चित दूरी से ये एक-दूसरे के और समीप नहीं आ सकते, क्योंकि इस दूरी पर इन दोनों के किनारे एक-दूसरे को छूते हुए रहते हैं, जैसा कि चित्र 3.6 मेंदर्शाया गया है। अर्थात् इतना क्षेत्र (आयतन) इन दोनों अणुओं के लिए अपवर्जित क्षेत्र (अपवर्जित आयतन, excluded volume), है क्योंकि इस क्षेत्र में ये दोनों अणु स्वतन्त्र विचरण नहीं कर सकते। [चित्र में वर्जित आयतन को बिन्दु वाले क्षेत्र (dotted area) द्वारा बताया गया है।] अतः अणुओं के एक युग्म के लिए अपवर्जित क्षेत्र का आयतन =4/3 q’ होगा। .
एक अणु के लिए अपवर्जित आयतन = 1/2 (4/3 = q3 ………………(17)
एक अणु का वास्तविक आयतन = 4/3 = (q /3 )3 = 4/3 = q 3 /8 = 1/6 = q3 …(18)
इस प्रकार समीकरण (17) व (18) की तुलना करने पर स्पष्ट होता है कि एक अणु के लिए अपवर्जित आयतन उसके वास्तविक आयतन से चार गुना अधिक है। अतः एक मोल के लिए वर्जित आयतन = 4 x एक मोल में उपस्थित अणुओं की संख्या अर्थात् ऐवोगैड्रो संख्या x एक अणु का वास्तविक आयतन अर्थात् प्रति मोल अपवर्जित आयतन b = 4N [4/3 = q/2 ) 3 ) ] ….(19)
इस प्रकार प्रत्येक गैस के लिए स्थिरांक b का मान ज्ञात करके समीकरण (16) में रखकर गैस के नन में संशोधन किया जाता है। यह संशाधन सबसे पहले हर्न (Hin) ने 1865 में प्रस्तुत किया था। उदाहरण 3.2. मेथेन गैस के अणु का आण्विक व्यास 3.80×10-10 मीटर है। मेथेन गैस के प्रति मोल वर्जित आयतन का परिकलन कीजिए। हल : प्रति मोल वर्जित आयतन b= 4N [4/3 r3 ] मान रखने पर, b=4 x6.02×1023 x 4 /3 x 22/7 x (3.80 x 10-10/2)3
b= 6.92×10-5 m3 mol-1 उत्तर
स्वतः हल कीजिए:
एक गैस के एक मोल का वर्जित आयतन ज्ञात कीजिए जबकि इसका आण्विक व्यास 4.2×10-9 मीटर है।
उत्तर- 0.0934 m3 mol-1
(ii ) H2 गैस के अणु का आण्विक व्यास 291 पिकोमीटर है गैस का प्रति मोल आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर -3.1×10-7 m3 mol-1
उदाहरण 3.3. हीलियम के लिए इसके वाण्डर वाल्स स्थिरांक b (= 24 cm3 mol-1) से आण्विक व्यासd का परिकलन करो।
हल : हम जानते हैं कि प्रति मोल वर्जित आयतन
b=4 (4/3 r3) अतः r =3b/ 16N)1/3
सूत्र में b (दिया हुआ है), N (ऐवोगैड्रो संख्या) = 6.023 X 1023 mol-1 और = 3.14
सारे मान सूत्र में रखने पर r = {3×24 cm3 mol-1 /, 16(6.023×1023 mol-1 ) (3.14)}1/2 =1.335×10-8 cm = 133.5 pm
अतः d=2r= 133.5×2=267 pm उत्तर
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