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क्लॉड विधि और लिण्डे प्रक्रिया : गैसों के द्रवीकरण की क्लाइड विधि का वर्णन कीजिए। claude’s method of liquefaction of gases in hindi

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रसायन विज्ञान में द्रवण की क्लॉड विधि और लिण्डे प्रक्रिया : गैसों के द्रवीकरण की क्लाइड विधि का वर्णन कीजिए। claude’s method of liquefaction of gases in hindi ?

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admin Selected answer as best October 1, 2022
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लिण्डे विधि (Linde’s method) – यह विधि जूल-टॉमसन प्रभाव पर आधारित है। उपकरण को चित्र 3.22 में प्रदर्शित किया गया है। वायु अथवा गैस को, जिसे द्रवित करना है, उच्च दाब (लगभग 200 atm) पर केन्द्रित पाइपों (concentric pipes) ‘0’ में से द्रय वायु गुजारते हैं। फिर वाल्व V को खोलकर गैस को जैट ‘J’ में से चौड़े चैम्बर ‘C’ में प्रसारित होने देते हैं। इससे गैस का दाब घटकर 50 वायुमण्डल हो जाता है। शीतल वायु (cooled air) को बाह्य नली ‘B’ में से प्रवाहित होने दिया जाता है जिससे आने वाली वाय का शीतलन होता जाता है। इस प्रकार प्रशीतित वायु को फिर 200 वायुमण्डलीय दाब पर संपीडित करके इस वायु प्रक्रिया से गुजारते हैं। प्रक्रिया को तब तक दोहराते हैं जब तक कि गैस द्रवित न हो जाये।

क्लॉड विधि (Claude’s method) – इस विधि में जूल-टॉमसन प्रभाव के साथ गैसों के रुद्धोम प्रसार के संयुक्त प्रभाव का उपयोग करके गैसों का द्रवण किया जाता है। उपकरण का स्वरूप चित्र 3.22 में दिये गये उपकरण जैसा होता है। गैस अथवा जलवाष्प तथा CO2 रहित वायु को 200 वायुमण्डलीय दाब तक संपीडित करके पाइप ABC में से गुजारा जाता है। सिरे C पर यह पाइप दो भागों में बंट जाता है, एक भाग सिलिण्डर D से होकर निकलता है जिसमें एक वायुरुद्ध द्रव वायु s ariria (air-tight) पिस्टन लगा रहता है। जब गैस अथवा वायु यहां से । उच्च दाब पर गुजरती है तो उसका ऐडियाबैटिक या रुद्धोष्म प्रसार (adiabatic expansion) होता है और वह पिस्टन को धक्का देती ” — (air-tighesर D से होकर निकला भागों में बंट जाता है गुजारा है, इसमें गैस को यान्त्रिकी कार्य करना पड़ता है जिसमें उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा का कछ भाग खर्च होता है। गतिज ऊर्जा में कमी आते ही उसका ताप कम हो जाता है और इस प्रकार से शीतित वायु नला। E में ऊपर की ओर जाती है। केन्द्रित नली F में ऊपर से उच्च दाब वाली वाय नीचे आ रही होती है जो चारों ओर से ऊपर आती हुई शीतित वायु द्वारा शीतित हो जाती है। इस उच्च दाब वाली शीतित वायु का। वाल्व V खोलकर जैट J में से निम्न दाब की ओर प्रसारित होने दिया जाता है। जल-टॉमसन प्रभाव पड़ता। है और इसका तापमान और कम हो जाता है। इस प्रकार से यह प्रक्रिया तब तक दोहरायी जाती है जब। तक कि गैस द्रवित न हो जाये। (4) रुद्घोष्म विचुम्बकन विधि (Adiabatic demagnetisation method)- इस विधि द्वारा शीतलना करने के लिए सर्वप्रथम अनुचुम्बकीय पदार्थ का एक द्रव हीलियम बाथ के सम्पर्क में समतापीय चम्बकीकरण। करवाया जाता है। समतापीय (isothermal) अवस्थाओं में ताप स्थिर रहता है। उसके बाद पदार्थ का ऐडियाबैटिका या रुद्धोष्म विचुम्बकन करवाया जाता है, जिससे शीतलन होता है। शीतलन की मात्रा, लगाये गये चम्बकाया क्षेत्र, चुम्बकीकरण की तीव्रता तथा अनुचुम्बकीय लवण की ऊष्माधारिता पर निर्भर करती है। उपकरण निम्न प्रकार का होता है (चित्र 3,24)। अनुचुम्बकीय पदार्थ को 1K पर द्रव हीलियम के सम्पर्क में रखा जाता है। पहली समतापीय (isothermal) अवस्था में, D स्थान में हीलियम गैस भरी रहती है

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जिससे द्रव हीलिमय व पदार्थ के बीच ऊष्मा का आदान-प्रदान हो जाता है। दूसरी अवस्था में D स्थान को निर्वात(evacuate) कर दिया जाता है जिससे रुद्धोष्म परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है अर्थात् पदार्थ व द्रव हीलियम के मध्य ऊष्मा का आदान-प्रदान नहीं होता और पदार्थ का शीतलन हो जाता है।

नाभिकीय चुम्बकीय आघूर्णों के रुद्धोष्ण विचम्बकन से 10 °K तक का शीतलन सम्भव

द्रवित सम्पीडित गैसों के उपयोग (Uses of Liquified and Compressed gases)

द्रवित गैसें तथा उच्च दाब पर सम्पीडित गैसों_ का वर्तमान में उद्योगों में काफी महत्वपूर्ण योगदान है। इनके कुछ प्रमुख उपयोग निम्न हैं :

  1. विरंजन bleaching) तथा कीटनाशक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अब तक ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग होता रहा है, लेकिन आजकल इसका स्थान द्रव क्लोरीन ने ले लिया है।
  2. द्रव अमोनिया तथा द्रव सल्फर डाइऑक्साइड का शीतलन (refrigeration) में व्यापक उपयोग होता है।
  3. सोडा फब्बारों में द्रव कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग किया जाता है।
  4. रॉकेटों, जेट विमानों, आदि में ऑक्सीजन के स्रोत के रूप में द्रव वायु का उपयोग होता है।
  5. सम्पीडित ऑक्सीजन का वेल्डिंग में उपयोग होता है।
  6. हवाई जहाजों में सम्पीडित हीलियम का उपयोग होता है।
  7. कई रासायनिक अभिक्रियाओं को सम्पन्न कराने के लिए उदासीन वातावरण की आवश्यकता होती हैं, इसके लिए सम्पीडित नाइट्रोजन का व्यापक उपयोग होता है।

8 हमारे घरों में जलाने वाली गैस द्रवित पेट्रोलियम गैस या LPG Liquefied Peteroleum Gas) होती है।

9 अस्पतालों में जीवनरक्षक उपकरणों में ऑक्सीजन सिलिण्डर का व्यापक उपयोग होता है।

  1. प्रयोगशाला में निम्न ताप उत्पन्न करने के लिए द्रव नाइट्रोजन, द्रव हाइड्रोजन आदि का उपयोग किया जाता है।
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