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ऐपण का सम्बन्ध किस राज्य से है ? ऐपण लोक कला कहाँ की है ? aipan is associated with which state

737 viewsइतिहास
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प्रश्न : ऐपण का सम्बन्ध किस राज्य से है ? ऐपण लोक कला कहाँ की है ? aipan is associated with which state in hindi ?

admin Changed status to publish November 25, 2022
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ऐपण
वात्स्यायन-कामसूत्र की चैसठ कलाओं में से एक कला अल्पना भी है। उत्तराखण्ड में अपनायी जागे वाली लोक कला ऐपण भी मूलतः पूरे भारत में अपनायी जागे वाली इसी लोककला का ही एक रूप है, जो अपने आप में कुछ विशिष्टताएं समाहित किए हुए हैं। ऐपण परम्परा महाराष्ट्र से प्रारंभ होकर पूरे देश में प्रसारित हुई है। इस कला को राजस्थान में मांडवा या महरना, मधुबनी, कहजर, बंगाल में अल्पना, गुजरात में सतिया, महाराष्ट्र में रंगोली, बिहार में अरिपन, ओडिशा में अल्पना, दक्षिण भारत में कोलम, आंध्र प्रदेश में भुग्गल, मध्य प्रदेश में चैक पूरना तथा उत्तर प्रदेश में सांझी के नाम से जागा जाता है।
उत्तराखण्ड में यह कला देश के अन्य भागों में बनाई जागे वाली रंगोली की तरह ही बनाई जाती है, फर्क सिर्फ इतना है कि रंगोली में रंग मिश्रित बुरादे, आटे, फूल, पत्तियों को उपयोग में लाया जाता है, परंतु ऐपणों में लाल मिट्टी, गाय के गोबर,गेरू, बिस्वार इत्यादि को प्रयोग में लाया जाता है। मुख्यतः इस कला के दो रूप सामने आते हैं आनुष्ठानिक एवं कलात्मक।
अनुष्ठान के समय में बना, जागे वाले ऐपण आनुष्ठानिक एवं कल्पना के आधार पर विभिन्न आकृतियों का प्रयोग कर बना, जागे वाले ऐपण कलात्मक ऐपणों के अंतग्रत आते हैं। विभिन्न मंगल कार्यों में बना, जागे वाले ऐपणों को चैकी की संज्ञा दी गई है तथा भिन्न-भिन्न कार्यों में बनाई जागे वाली चैकियों को पृथक्-पृथक् नाम से जागा जाता है। इन अलग-अलग आकृतियों के पीछे एक विशिष्ट चिंतन और उद्देश्य निहित होता है।
मिट्टी के घरों में ऐपण देने के लिए गोबर और लाल मिट्टी का प्रयोग किया जाता है। लिपाई के बाद मुख्य द्वार (देहरी) में गेरू भिगोकर लगाया जाता है जिसके सूखने के बाद बिस्वार, जो चावल को भिगोने के बाद पीसकर गाढ़े पाने के रूप में बनाया जाता है, से विभिन्न चित्र, आकृतियां, बसनधारे (सीधी रेखाएं) चैकोर, तिरछी, गोलाकार रेखाएं अंकित की जाती हैं। ऐपण सर्वप्रथम घर के मंदिर उसके बाद आंगन से देवस्थान तक बना, जाते हैं जिसमें लक्ष्मी के पैर बनाना भी जरूरी समझा जाता है। कहीं-कहीं बिस्वार में सगुन के लिए हल्दी भी मिलाते हैं।
कुमाऊं के कुछ ऐपण एवं चैकियों में ज्योति, बारबूंद, पट्टा, डिकर, प्रकीर्ण, वसनधारा, जन्मदिन चैकी, नामकरण चैकी, विवाह चैकी, सरस्वती पीठ, देवी पीठ, लक्ष्मी पीठ, लक्ष्मी पौ, शिवार्चन पीठ, शिव शक्ति पीठ, नौ बिंदुओं की स्वास्तिक तेरह बिंदुओं की देवी पीठ, देहली ऐपण, भद्र, नींबू आदि आते हैं।

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