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एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में चक्रण पुरस्सरण क्या है ?

Solved487 viewsभौतिक विज्ञान
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प्रश्न : एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में चक्रण पुरस्सरण (Spin Precession in Constant Magnetic Field) ?

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admin Selected answer as best October 2, 2022
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चक्रण करते हुए लटू की घूर्णन अक्ष का स्वतः ही सममिति अक्ष के सापेक्ष (पारितः) घूमना उसकी पुरस्सरण गति कहलाती है तथा इसकी प्रकार की गति में लटू आकाश में शंकु के आकार की आकृति  प्रसर्पित करता है जिसका शीर्ष (vertex) स्थिर बिन्दु होता है। लट्टू की तरह ही परमाण्वीय की (इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन इत्यादि) का भी नैज कोणीय संवेग (intrinsic angular momentum) होता है जिस प्रचक्रण या स्पिन कोणीय संवेग कहते हैं। चक्रणी आवेशित कण होने के कारण इन कणों में चुम्बकीय आघूर्ण होता है। अतः जब भी चक्रण करते हुए कणों को किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इन पर एक बाह्य बल आघूर्ण कार्य करने लगता है और परिणामस्वरूप कणों का प्रचक्रणी कोणीय संवेग बाह्य बल आघूर्ण के कारण पुरस्सरण गति करने लगता है।

चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कण या पिण्ड पर कार्य करने वाला बल आघूर्ण

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Τ = u x B

Τ = u B sin θ

यहाँ B चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता,u कण का चुम्बकीय आघूर्ण और θ कण की घूर्णन अक्ष व चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य कोण है। बल आघूर्ण Τ कण को चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में लाने का प्रयास करता है। कण के कोणीय संवेग संदिश J का सिरा लटू की भांति ही चुम्बकीय क्षेत्र के चारों ओर वृत्ताकार गति करने लगता है। इस प्रकार एक नियत चुम्बकीय क्षेत्र में रखे गये कण का चुम्बकीय आघूर्ण सदिश पुरस्सरण गति करने लगता है।

इस गति में   u x B = dj/dt

मूल कणों के लिए चुम्बकीय आघूर्ण u प्रचक्रण कोणीय संवेग के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्

U = y J

जहाँ y को चुम्बकीय-यांत्रिक अनुपात (magnetic-mechanical ratio) कहते है। इलेक्ट्रॉन के लिए।

Y = e/mc जहाँ e आवेश है, m द्रव्यमान m तथा c प्रकाश का वेग है।

 

अतः     dj/dt = y (J x B)

यदि चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा Z-दिशा मानें तो B = B k

Dj /dt = y |I     j      k|

|JX   JY   JZ|

|0    0     B|

= Y (JYB I – JX B j)

जिससे   djx/dt = y jy B, djy/dt = – Y JX B, djz/dt = 0

अवकलन से   d2JX/dt2 = y B djy/dt = -y2B2JX

तथा        d2JY/dt2 = – Y2B2JY

उपरोक्त समीकरणों के हल है, JX = JO sin ωt व JY = Jo cos  ωt  तथा Jz = नियतांक।

यहाँ

ω = yB

जिससे     J2X + J2Y = JO2

कोणीय संवेग सदिश J का सिरा X-Y तल मं वृत्त की रचना करेगा अर्थात कोणीय सवग। गया चम्बकीय आघूर्ण सदिश चुम्बकीय क्षेत्र के प्रति कोणीय आवत्ति से घर्णन करेगा। पुरस्सरण की कोणीय आवृत्ति

Ω = yB

= uB/J

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