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पैरावैधुतता (pyroelectricity) , दाब विद्युतता , प्रतिचुम्बकीय ठोस , लघु लौह चुम्बकीय ठोस / फेरी चुंबकीय ठोस
चुम्बकीय गुणों के आधार पर ठोस के प्रकार : ठोस में चुम्बकीय गुणों की उत्पत्ति इलेक्ट्रॉन के कारण होती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन एक सूक्ष्म चुम्बक के समान व्यवहार करता है , यह इलेक्ट्रान दो प्रकार की गतियाँ दर्शाता है –
2. चक्रण गति
इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति के कारण कक्षीय चुम्बकीय आघूर्ण एवं चक्रण गति के कारण चक्रण चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न होता है तथा कुल चुम्बकीय आघूर्ण इन दोनों चुम्बकीय आघूर्ण के योग के बराबर है।
चुम्बकीय आघूर्ण को मापने की इकाई bore-megnetone (BM) (बोर-मैन्गेटोन) है।
चुम्बकीय गुणों के आधार पर ठोस पांच प्रकार के होते है –
1. प्रति चुम्बकीय ठोस (Di magnetic)
2. अनु चुम्बकीय ठोस
3. लौह चुम्बकीय ठोस / फेरो चुम्बकीय ठोस
4. प्रति लोह चुम्बकीय ठोस
5. लघु लौह चुम्बकीय ठोस / फेरी चुंबकीय ठोस
1. प्रतिचुम्बकीय ठोस (Di magnetic) : इस प्रकार के ठोस चुम्बकीय क्षेत्र में दुर्बल रूप से प्रतिकर्षित होते है , इन ठोसों में युग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते है। इलेक्ट्रॉन युग्म में दोनों इलेक्ट्रान का चक्रण एक दूसरे के विपरीत दिशा में होने के कारण यह एक दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को नष्ट कर देते है , अत: इनके चुम्बकीय आघूर्ण का मान शून्य होता है।
उदाहरण : NaCl , जल (H2O) , C6H6 आदि।
2. अनु चुम्बकीय ठोस : इस प्रकार के ठोस चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर दुर्बल रूप से आकर्षित होते है।
इन ठोसों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते है अत: अयुग्मित इलेक्ट्रान के कारण इनके चुम्बकीय आघूर्ण का मान शून्य नहीं होता है।
उदाहरण : Fe3+ , Cr3+ , Cu2+ , O2 , TiO , Ti2O3 आदि।
इनमे अस्थायी चुम्बकत्व का गुण पाया जाता है।
3. लौह चुम्बकीय ठोस / फेरो चुम्बकीय ठोस : इस प्रकार के ठोस चुम्बकीय क्षेत्र में प्रबल रूप से आकर्षित होते है। इनमे स्थायी चुम्बकत्व का गुण पाया जाता है अर्थात इनसे अच्छे व स्थायी चुम्बक बनाये जा सकते है।
इस प्रकार के ठोसो में धातु आयन छोटे छोटे समूहों में बंट जाते है , यह समूह डोमेन कहलाते है। प्रारंभ में यह डोमेन अनियमित दिशाओ में विन्यासित होते है लेकिन इन ठोसो को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर इनके डोमेन एक ही दिशा में विन्यासित होकर प्रबल चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न करते है।
अत: इनके चुम्बकीय आघूर्ण का मान सर्वाधिक होता है।
उदाहरण : Fe , Co , Ni , Gd , CrO2 आदि।
4. प्रति लोह चुम्बकीय ठोस : इस प्रकार के ठोसो में भी लौह चुम्बकीय ठोसो के समान डोमेन पाए जाते है लेकिन इन ठोसो को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर इनके डोमेन एक दुसरे के विपरीत समान्तर व प्रति समांतर दिशाओ में विन्यासित हो जाते है अत: इनके चुम्बकीय आघूर्ण का मान शून्य होता है।
उदाहरण : MnO2 , Mn2O3 आदि।
5. लघु लौह चुम्बकीय ठोस / फेरी चुंबकीय ठोस : इस प्रकार के ठोसो में भी डोमेन पाए जाते है लेकिन इन ठोसों को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर इनके डोमेन समान्तर व प्रतिसमान्तर दिशाओ में असमान रूप से विन्यासित हो जाते है अत: इनके चुम्बकीय आघूर्ण का मान कम होता है।
उदाहरण : मैग्नेटाइड , फेराइट आदि।
लघु लोह चुम्बकीय ठोस को गर्म करने पर यह अनुचुम्बकीय ठोस में बदल जाते है।
प्रश्न : फेरो चुम्बकीय ठोस व फेरी चुम्बकीय ठोस में अंतर लिखिए।
उत्तर :
फैरो चुम्बकीय ठोस | फैरी चुम्बकीय ठोस |
1. यह ठोस चुम्बकीय क्षेत्र में प्रबल रूप से आकर्षित होते है। | यह ठोस चुम्बकीय क्षेत्र में दुर्बल रूप से आकर्षित होते है। |
2. इन्हें चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर इनके डोमेन एक ही दिशा में विन्यासित हो जाते है। | इन्हें चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर इनके डोमेन समान्तर – प्रतिसमान्तर दिशाओ में असमान रूप से विन्यासित हो जाते है। |
3. इनके चुम्बकीय आघूर्ण का मान सर्वाधिक होता है। | इनमे चुम्बकीय आघूर्ण का मान कम होता है। |
4.
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5. उदाहरण : Fe , Co , Ni , Gd , CrO2 आदि। | उदाहरण : मैग्नेटाइड , फेराइट आदि। |
ठोसो के पैरावैद्युत गुण
अचालक पदार्थो में इलेक्ट्रॉन परमाणु अथवा आयन के साथ दृढ़ता से बंधे होते है अत: इलेक्ट्रॉन का गमन नहीं होने से इनमे विद्युत धारा का प्रवाह नहीं होता है लेकिन कुछ अचालक पदार्थो को स्थिर विद्युत क्षेत्र में रखने पर इनमे ध्रुवणता उत्पन्न हो जाती है तथा ऐसे पदार्थो को गर्म करने से या दाब लगाने पर इनमे विद्युत धारा का प्रवाह होने लगता है , यह ठोसों का पैरा वैद्युत गुण कहलाता है .
इसके निम्न दो प्रकार है –
1. पैरावैधुतता (pyroelectricity) : यदि क्रिस्टल को गर्म करने पर उसमे विद्युत धारा का प्रवाह होता है तो यह पैरा विद्युत प्रभाव (pyroelectricity effect) कहलाता है तथा उसका यह गुण पैराविद्युतता कहलाता है।
उदाहरण : गैलियम नाइट्राइट , सीजियम नाइट्रेट , लिथियम टेनथेलेट , फेनिल , आदि।
2. दाब विद्युतता : यदि क्रिस्टल पर दाब या यांत्रिक प्रतिबल लगाने से विद्युत धारा का प्रवाह होता है तो वह दाब विद्युत प्रभाव कहलाता है तथा उसका यह गुण दाब वैद्युतता कहलाता है।
उदाहरण : बेरियम टाइरेनेट , रोशेल लवण आदि।
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