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कोलाइडी विलयन का शुद्धिकरण , अपोहन सूक्ष्म निस्पंदन (purification of colloidal solution in hindi)

(purification of colloidal solution in hindi) कोलाइडी विलयन का शुद्धिकरण , अपोहन सूक्ष्म निस्पंदन : जब कोई ताजा कोलाइड विलयन बनाया जाता है तो इसके अन्दर विभिन्न प्रकार की विद्युत अपघट्य अशुद्धियाँ उपस्थित होती है और जैसा कि हम जानते है कि विद्युत अपघट्य की कम मात्रा में उपस्थिति कोलाइडी विलयन के स्थायित्व को बढ़ा देती है लेकिन यदि यदि किसी कोलॉइडी विलयन में विद्युत अपघट्य की मात्रा अधिक मात्रा में उपस्थित हो तो कोलॉइड विलयन का स्थायित्व घट जाता है जिससे इसका स्कंदन होने लगता है इसलिए किसी भी कोलाइडी विलयन में उपस्थित इन विद्युत अपघट्य की अशुद्धियों को हटाना जरुरी है।
कोलाइड विलयन से अशुद्धि हटाने के लिए निम्न विधियाँ काम में ली जाती है –
1. अपोहन (Dialysis)
2. विद्युत अपोहन (Electrodialysis)
3. अति सूक्ष्म फिल्टरन या अतिसूक्ष्म निस्पंदन (Ultrafiltration)
आगे हम इन तीनो विधियों को विस्तार से अध्ययन करते है –

1. अपोहन (Dialysis)

हमने देखा था कि जंतु झिल्ली से किसी कोलाइडी विलयन में विलेय आयनिक और अन आयनिक पदार्थों के कण तो निकल जाते है जिन्हें हम अशुद्धि कहते है लेकिन जंतु झिल्ली से कोलाइड कण बाहर नहीं निकल पाते है , जंतु झिल्ली के इस गुण का उपयोग कर हम कोलाइडी विलयन को शुद्ध करते है।
एक जंतु झिल्ली से बने पात्र में अशुद्ध कोलाइड विलयन भरते है और इस कोलाइड विलयन से भरे हुए पात्र को पानी में रख देते है जैसा चित्र में दिखाया गया है –
जंतु झिल्ली के गुण के अनुसार कोलाइड विलयन में उपस्थित अशुद्धियाँ झिल्ली से बाहर स्थित पानी में विसरित होने लगती है और इस तरह धीरे धीरे पूरी अशुद्धियाँ झिल्ली से पार होकर पानी में चली जाती है और जंतु झिल्ली पात्र में केवल शुद्ध अवस्था में कोलाइड कण या पदार्थ बच जाता है या शुद्ध अवस्था में कोलाइड विलयन रह जाता है जिसमें अब किसी प्रकार की विद्युत अपघट्य या आयनिक , अनआयनिक प्रकार की अशुद्धि उपस्थित नहीं है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को अपोहन कहा जाता है और इस विधि द्वारा कोलाइड शुद्धिकरण को अपोहन विधि कहते है।

2. विद्युत अपोहन (Electrodialysis)

हमने जो ऊपर अपोहन की विधि पढ़ी यह विधि बहुत ही धीमे वेग से चलती है अर्थात इसमें विद्युत अपघट्य अशुद्धियों के विसरण में बहुत अधिक समय लग जाता है , इसलिए ऊपर वाली अपोहन विधि में जंतु झिल्ली वाले पात्र जिसमें कोलाइडी विलयन भरा हुआ है उसके दोनों तरफ इलेक्ट्रोड लगा देते है और जब इन दोनों इलेक्ट्रोड पर विद्युत क्षेत्र लागू कर दे तो विद्युत अपघट्य में उपस्थित आयन , विपरीत आवेशित इलेक्ट्रोड की तरफ तीव्र वेग से गति करेंगे और अपोहन की घटना बहुत ही शीघ्रता से संपन्न होगी अर्थात इस विधि में विद्युत अपघट्य , आयनिक अशुद्धियों को किसी कोलाइड विलयन से तीव्रता के साथ अलग किया जा सकता है। इस विधि को विद्युत अपोहन विधि कहते है।

3. अति सूक्ष्म फिल्टरन या अतिसूक्ष्म निस्पंदन (Ultrafiltration)

साधारण फ़िल्टर पेपर के छिद्रों का आकार बहुत बड़ा होता है जिनसे होकर अशुद्धियाँ तो बाहर निकल ही जाती है साथ में विलायक के कण और कोलाइड कण भी इस फ़िल्टर पेपर से बाहर निकल जाते है। इसलिए किसी अशुद्ध कोलाइडी विलयन से अशुद्धियों को दूर करने के लिए साधारण फ़िल्टर पेपर का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
यदि साधारण फ़िल्टर पेपर के छिद्रों का आकार यदि कम कर दिया जाए तो इस फ़िल्टर पेपर को कोलाइड विलयन के शुद्धिकरण में उपयोग किया जा सकता है।
साधारण फ़िल्टर पेपर के छिद्रों का आकार घटाने की प्रक्रिया को जिससे केवल इस फ़िल्टर से अशुद्धि के कण ही विसरित हो सके कोलाइड के कण नहीं अति सूक्ष्म फिल्टरन या अतिसूक्ष्म निस्पंदन कहते है। और इस प्रक्रिया के बाद बने साधारण फ़िल्टर को अति सूक्ष्म फिल्टर कहा जा सकता है।
इसके लिए साधारण फ़िल्टर पेपर को जिलेटिन या कोलोडीयन के विलयन में डुबोया जाता है और इसके बाद इसे सुखा दिया जाता है , इससे फ़िल्टर के रंध्रो या छिद्रों का आकार छोटा हो जाता है , अब यह सूक्ष्म फ़िल्टर केवल अशुद्धि के कणों को विसरित होने देगा कोलाइड कणों को नहीं।
कोलोडीयन क्या है ? :- सेल्युलोज नाइट्रेट या नाइटो सेल्युलोज का एथिल एल्कोहल या इथर में 4% विलयन को कोलोडीयन कहते है।
Sbistudy

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