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पंजाबी भाषा का आधुनिक साहित्य इतिहास क्या हैं ? punjabi language literature of modern history in hindi
punjabi language literature of modern history in hindi पंजाबी भाषा का आधुनिक साहित्य इतिहास क्या हैं ?
पंजाबी भाषा का आधुनिक साहित्य
पंजाबी साहित्य संपन्न मध्ययुगीन विरासत के साथ आधुनिक चरण में काफी देर से प्रविष्ट हुआ। है किंतु पंजाब काफी लंबे अरसे तक एक स्वाधीन दर्जे पर रहा और ब्रिटिश भारत के शेष भागों से अलग रहा। पंजाब अंग्रेजों के कब्जे में 19वीं शताब्दी के माध्य में आया। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पंजाबी साहित्य बड़ी तेजी से अपने आधुनिक रूप में विकसित हुआ और उसने अपना ही एक दृढ़ रूप धारण किया।
‘सिह सभा लेखकों‘ के नाम से प्रसिद्ध एक लेखक दल 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में साहित्यिक जगत पर छाया रहा। उन्होंने समकालीन सामाजिक धार्मिक पृष्ठभूमि में लिखा। उनके अगुआ थे भाई वीरसिंह। भाई वीर सिंह ने साहित्य का शायद ही कोई पहलू छोड़ा हो-धार्मिक लेखन, कविता और उपन्यास भीउनमें शामिल था 19वीं शताब्दी में विद्यमान परिस्थितियों के निष्पक्ष विश्लेषण से शुरू करके उन्होंने राष्ट्रीय स्वाधीनता संघर्ष के यग और उसके बाद तक के समय की घटनाओं को अपनी विषयवस्तु बनाया। पहले लिखे गए उनके उपन्यासों ‘संुदरी‘ ‘विजय सिंह‘ ‘सतवत कौर‘ और ‘बाबा नंद सिंह‘ में सदाचार, साहस और नैतिकता को सर्वोपरि सिद्ध करने का प्रयत्न किया गया। स्वाधीनता. संघर्ष के अंतिम दिनों में उन उपन्यासों का जन-मानस पर बहुत प्रभाव पड़ा। बाद में वीर सिंह ने धार्मिक विषयों पर निबंध लिखने और कविताएं बनाने पर अधकि बल दिया। उन्होने रूबाइयों के रूप में जो अतुकांत कविताएं लिखीं और उनकी जो विषयवस्त थी वह पंजाबी कविता के विकास के लिए महत्वपूर्ण रही। ‘कहाना सिंह‘ ने सिक्ख पंथ पर एक विश्वकोष तैयार किया। पूर्ण सिंह ने अपनी कविताओं के लिए बिल्कुल ही नए विषय चने और अपनी शैली भी एकदम नई अपनाई पंजाबी पाठकों पर कविता का बहुत बड़ प्रभाव था और इसलिए कवियों को अधिक से अधिक लिखने की प्रेरणा मिलती थी। कुछ आधुनिक उल्लेखनीय कवियों में ‘माहन सिह‘ ने कविता को यथार्थवादी प्रगतिशील और मर्मस्पर्शी बनाया।
‘अमृता प्रीतम‘ ने कविता में कला लाने और उसे स्वाभाविक सरल शैली में लिखने का प्रयत्न किया। गद्य में ‘गुरबख्श सिंह‘ ने निबंधों को पाश्चात्य शैली के प्रभाव के अधीन लिख कर आधुनिकता का सत्रपात किया। इनकी मासिक पत्रिका ‘पीतलडी‘ गद्य लेखन की नई शैली का मुखपत्र बन गई। उपन्यास लेखन के एक नए तरीके से भी गद्य का विकास हुआ। नानक सिंह, जिन्होंने कई उपन्यास लिखे. साहित्यिक लेखन में नए उददेश्य लाए थे। ये उददेश्य थे, समय आर समाज की सच्ची-सही तस्वीर पेश करके लोगों को उनकी परिस्थितियों का भान कराने के लिए संदेश पहुंचाना आर परिवर्तन के मूल्यों को समझने के लिए मानसिक वातावरण तैयार करना। उनके उपन्यास ‘चिट्टा लहू‘ और ‘आदमखोर‘ बहुत शिक्षाप्रद और मर्मस्पर्शी थे।
आधुनिक समय में कहानी को भी पंजाबी साहित्य में काफी अवसर मिले। कहानी की विषयवस्तु विविध ओर नई हो सकती थी। संत सिंह सेखों, करतार सिंह दुग्गल और कुलवंत सिंह बिर्क पंजाबी के कुछ विख्यात कहानीकार हैं। नाटक के क्षेत्र में आई. सी. नंदा और बलवंत गार्गी जैसे लेखकों को अच्छी सफलताएं मिली हैं हालांकि लिखित नाटक और रंगमंच के बीच समन्वय की कठिनाई बनी रही।
अब एक नया पंजाबी भाषी राज्य बनाने से गुरूमुखी लिपि में पंजाबी साहित्य को विकास की नई प्ररेणा मिली है।
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