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प्रक्षेप्य गति क्या है , परिभाषा , प्रक्षेप्य का पथ , उड्डयन काल , अधिकतम ऊँचाई , क्षैतिज परास
(projectile motion in hindi) प्रक्षेप्य गति : प्रक्षेप्य का अभिप्राय है किसी वस्तु पर केवल एक ही बल कार्य कर रहा है और वह बल गुरुत्वाकर्षण बल होगा।
यदि किसी वस्तु पर गुरुत्वाकर्षण बल के अलावा अन्य कोई बल भी कार्यरत है तो इसे प्रक्षेप्य नही कहेंगे।
जब कोई वस्तु गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन गति करती है तो वस्तु की इस गति को ही प्रक्षेप्य गति कहते है।
चाहे वस्तु ऊँचाई से नीचे की तरफ स्वतंत्र गति करे , या ऊपर की ओर स्वतंत्र गति करे , या आगे की तरफ स्वतंत्र रूप से फेंकी जाए , या फिर पीछे की तरफ फेंकी जाये।
सभी स्थितियों में गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की तरफ कार्य करता है तथा सभी स्थितियों में फ्री बॉडी डायग्राम भी समान बनता है।
प्रक्षेप्य गति की परिभाषा : जब एक वस्तु को क्षैतिज में किसी कोण पर फेंका जाए तो फेंकने के बाद यह गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन गति करता है। यहाँ वायु के प्रतिरोध को शून्य या नगण्य मानते है अत: हम कह सकते है की वस्तु केवल गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन ही गतिशील है। इस प्रकार की गति को प्रक्षेप्य गति कहते है।
इस वस्तु पर कार्य करने वाले त्वरण या वेग का मान ज्ञात करने के लिए घटकों को क्षैतिज घटक और उर्ध्वाधर घटकों में वियोजित करे उसका अध्ययन आसानी से कर सकते है।
यदि किसी वस्तु पर गुरुत्वाकर्षण बल के अलावा अन्य कोई बल भी कार्यरत है तो इसे प्रक्षेप्य नही कहेंगे।
जब कोई वस्तु गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन गति करती है तो वस्तु की इस गति को ही प्रक्षेप्य गति कहते है।
चाहे वस्तु ऊँचाई से नीचे की तरफ स्वतंत्र गति करे , या ऊपर की ओर स्वतंत्र गति करे , या आगे की तरफ स्वतंत्र रूप से फेंकी जाए , या फिर पीछे की तरफ फेंकी जाये।
सभी स्थितियों में गुरुत्वाकर्षण बल नीचे की तरफ कार्य करता है तथा सभी स्थितियों में फ्री बॉडी डायग्राम भी समान बनता है।
प्रक्षेप्य गति की परिभाषा : जब एक वस्तु को क्षैतिज में किसी कोण पर फेंका जाए तो फेंकने के बाद यह गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन गति करता है। यहाँ वायु के प्रतिरोध को शून्य या नगण्य मानते है अत: हम कह सकते है की वस्तु केवल गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन ही गतिशील है। इस प्रकार की गति को प्रक्षेप्य गति कहते है।
इस वस्तु पर कार्य करने वाले त्वरण या वेग का मान ज्ञात करने के लिए घटकों को क्षैतिज घटक और उर्ध्वाधर घटकों में वियोजित करे उसका अध्ययन आसानी से कर सकते है।
प्रक्षेप्य का पथ (path of projectile)
जब एक वस्तु क्षैतिज से θ कोण पर u वेग के प्रारम्भिक वेग से फेंका जाए।
प्रारंभिक स्थिति में वेग u के घटक लेने पर।
क्षैतिज घटक Ux = Ucosθ
उर्ध्वाधर घटक Uy = Usinθ
चूँकि वस्तु प्रक्षेप्य गति कर रहा है तो इस पर केवल गुरुत्वाकर्षण बल ही कार्यरत होगा। चूँकि हवा के प्रतिरोध को शून्य या नगण्य माना जाता है।
गुरुत्वाकर्षण बल उर्ध्वाधर नीचे की तरफ कार्यरत होता है।
अत: गुरुत्वाकर्षण त्वरण उर्ध्वाधर कार्य करेगा।
लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल क्षैतिज में शून्य होता है अत: गुरुत्वाकर्षण त्वरण का मान क्षैतिज के लिए शून्य होगा।
गुरुत्वाकर्षण त्वरण क्षैतिज में = ax =0
गुरुत्वाकर्षण त्वरण का उर्ध्वाधर घटक ay = – g
यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है की त्वरण उर्ध्वाधर नीचे की तरफ कार्यरत है।
t समय बाद माना वस्तु के निर्देशांक (x , y) है तो गति के द्वितीय समीकरण से
x = Ut + at2/2
t समय बाद वस्तु द्वारा तय क्षैतिज दूरी
गुरुत्वाकर्षण बल उर्ध्वाधर नीचे की तरफ कार्यरत होता है।
अत: गुरुत्वाकर्षण त्वरण उर्ध्वाधर कार्य करेगा।
लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल क्षैतिज में शून्य होता है अत: गुरुत्वाकर्षण त्वरण का मान क्षैतिज के लिए शून्य होगा।
गुरुत्वाकर्षण त्वरण क्षैतिज में = ax =0
गुरुत्वाकर्षण त्वरण का उर्ध्वाधर घटक ay = – g
यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है की त्वरण उर्ध्वाधर नीचे की तरफ कार्यरत है।
t समय बाद माना वस्तु के निर्देशांक (x , y) है तो गति के द्वितीय समीकरण से
x = Ut + at2/2
t समय बाद वस्तु द्वारा तय क्षैतिज दूरी
u = ux , a = ax = 0
मान समीकरण में रखने पर
अत: x = Ucosθt
t समय बाद वस्तु द्वारा तय की गयी उर्ध्वाधर दूरी
u = uy , a = ay = -g
गति के द्वितीय समीकरण में सभी मान रखने पर
प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (time of flight of a projectile)
जब वस्तु को फेंका जाता है तो फेंकने के बाद से लेकर वस्तु के पुन: तल पर आने के बीच वस्तु हवा में गति करती रहती है , तो वस्तु हवा में जितनी देर रहती है या गति करती है इस समय को ही उड्डयन काल कहते है।
जब वस्तु को U वेग से फेंका जाता है तो माना t समय बाद वह वस्तु अपनी अधिकतम ऊँचाई तक पहुँच जाती है , अपनी अधिकतम ऊँचाई पर वस्तु का वेग V माने तो इसके घटक करने पर
क्षैतिज घटक = Vx
उर्ध्वाधर घटक = Vy
यहाँ उर्ध्वाधर घटकVy = 0 होगा क्योंकि वस्तु अपनी अधिकतम ऊँचाई पर है अत: अधिकतम ऊँचाई बिंदु पर वस्तु का उर्ध्वाधर घटक शून्य होगा।
गति के समीकरण V = U + at में मान रखने पर
उर्ध्वाधर के लिए
V = Vy , U = Uy , a = -g
समीकरण में मान रखने पर
Vy = Uy + att
चूँकि उर्ध्वाधर घटक के लिए Vy = 0 होगा
अत:
0 = Uy + (-gt)
चूँकि Uy = Usinθ
मान रखने पर
Usinθ – gt = 0
t = Usinθ /g
चूँकि वस्तु एक बार ऊपर जाएगी फिर नीचे आयेगी अत: उड्डयन काल T = 2t
T = 2Usinθ /g
प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई (H) (maximum height of projectile)
जब किसी वस्तु को प्रक्षेप्य करते हुए फेंका जाता है तो वह अधिक कितनी ऊँचाई तक जाएगी इसका अध्ययन हम यहाँ करेंगे।
चूँकि वस्तु की अधिकतम ऊँचाई में उर्ध्वाधर घटक की भागीदारी ही होगी अत: यहाँ क्षैतिज घटक का कोई रोल नही होता है।
पिछले समीकरण से
माना वस्तु t समय पर अपनी अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचती है अत:
t समय पर , y = H (अधिकतम ऊँचाई)
यहाँ t का मान समीकरण से लेने पर t = Usinθ /g
दोनों मान रखने पर समीकरण निम्न प्रकार बन जाता है
प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) (horizontal range of a projectile)
जब वस्तु को प्रक्षेप्य गति के लिए फेंका जाता है तो वह अपने उड्डयन के दौरान क्षैतिज में दूरी तय करती है।
और फेंकने के बाद वह फेंके गए बिंदु से क्षैतिज में कितनी दूर जाकर गिरती है इसे प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास कहते है। इसे R से व्यक्त करते है।
मान वस्तु को U प्रारंभिक वेग से फेंका जाता है , घटक करने पर हम देख सकते है की क्षैतिज परास के लिए केवल क्षैतिज घटक ही जिम्मेदार होगा।
U = Ucosθ
तथा वह तब तक क्षैतिज गति करेगा जब तक वस्तु हवा में है अर्थात अपने उड्डयन काल (T) तक
अत: t = T और T = 2Usinθ /g
दूरी = चाल x समय
परास दूरी R = Ucosθ.T
T का मान रखने पर
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