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प्रायोजना विधि व समस्या समाधान विधि में अन्तर क्या है ? difference project and problem solving method in hindi
difference between project and problem solving method in hindi प्रायोजना विधि और समस्या समाधान विधि में अंतर क्या है ?
प्रश्न 4. प्रायोजना विधि व समस्या समाधान विधि में अन्तर बताइये।
Differentiate between project and problem solving method.
उत्तर-प्रायोजना विधि-प्रायोजना विधि का मूल आधार प्रयोजनावाद है। इसके जनक दिलयम किल पैट्रिक माने जाते हैं। यह विधि जान डेवी के यथार्थवाद पर आधारित है।
किल पैट्रिक ने कहा था कि छात्रों के सामने ऐसे अवसर लाने चाहिए कि जिनमें वे अपने साथियों की सहायता से निर्णय कर सकें कि उन्हें किस सीमा तक क्या पढ़ना है। इस प्रक्रिया में उन्हें सफलता का भी पता रहना चाहिए।
समस्या समाधान विधि-यह शिक्षण की एक प्राचीन विधि है। इसमें छात्रों के सामने कोई समस्या रखी जाती है। इसके बाद छात्र विधि के चरणों को अपनाते हुए उसे हल करने का प्रयास करते हैं। शिक्षक समय-समय पर छात्रों की सहायता व जाँच करते हैं। इसमें छात्रों की चिन्तन शक्ति, निरीक्षण शक्ति, खोज करने की शक्ति का विकास होता है। यह एक व्यवहारिक विधि है । इसके अध्ययन से भविष्य में आने वाली समस्याओं को चरणबद्ध तरीके से हल करना सीखते हैं।
प्रायोजना विधि व समस्या समाधान विधि में अन्तर-
प्रायोजना विधि समस्या समाधान विधि
1. प्रायोजना विधि एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है। इसमें छात्र जो कार्य (प्रोजेक्ट) हाथ में लेते हैं उसे पूर्ण करना उनका
प्रमुख उद्देश्य होता है। यहाँ मानसिक व शारीरिक दोनों प्रकार की क्षमताओं का उपयोग होता है। समस्या समाधान विधि बालक के गहन चिन्तन पर बल देती है।
मुख्य रूप से एक मानसिक प्रक्रिया है।
2. प्रायोजना विधि का मूल आधार प्रायोजनावाद है। समस्या समाधान विधि मनोविज्ञान की विचारधारा पर आधारित है।
3. प्रायोजना विधि किसी समस्यामूलक कार्य को करने पर बल देती है। समस्या समाधान विधि मात्र समस्या के बारे में चिंतन करके उसे
हल करने पर बल देती है।
4. प्रायोजना विधि में पहले से तय किए गए क्रमबद्ध चरणों के आधार पर उद्देश्य की प्राप्ति की जाती है। समस्या समाधान विधि में क्रमबद्ध चरणों का पालन अनिवार्य नहीं है। इसमें मुख्यतः विचार-विमर्श द्वारा समस्या का हल खोजा जाता है।
5. प्रायोजना विधि का अंतिम परिणाम प्रायः किसी उत्पाद के रूप में होता है। समस्या समाधान विधि का परिणाम निष्कर्ष के रूप में होता है।
6. यह विधि ज्ञान, अवबोध व कौशल पर बल देती है। समस्या समाधान विधि में कौशल विकसित होना महत्वपूर्ण नहीं है। इसमें मुख्यतः ज्ञान व अवबोध का विकास होता है।
7. यह विधि प्रायः बड़ी कक्षाओं के लिए उपयुक्त है। परन्तु छोटी कक्षाओं में भी छात्रों को छोटे-छोटे प्रोजेक्ट दिए जा सकते हैं।
यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है।
प्रश्न 3. अच्छे प्रदर्शन की क्या विशेषताएँ होती हैं ?
What are the characteristics of a good demonstration ?
उत्तर- अच्छे प्रदर्शन की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं
1. नियोजित प्रदर्शन-प्रदर्शन विस्तृत रूप से नियोजित (Planned) होने चाहिए। प्रदर्शन के लिए विभिन्न सावधानियों को मस्तिष्क में रखना चाहिए।
2. स्पष्ट उद्देश्य व लक्ष्य-प्रदर्शन के उद्देश्य और लक्ष्य शिक्षक के मन में स्पष्ट होने चाहिए।
3. समस्यात्मक-प्रदर्शन विधि द्वारा विद्यार्थियों के सम्मुख समस्या उत्पन्न की जानी चाहिए और समस्या का समाधान भी साथ ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
4. सभी को दिखाई दे-प्रदर्शन की प्रक्रिया कक्षा में सभी विद्यार्थियों को दिखाई देनी चाहिए। ऐसा न हो कि कुछ विद्यार्थी प्रदर्शन को देखने से वंचित रह जाएँ।
5. सुव्यवस्थित-प्रदर्शन के लिए प्रयुक्त होने वाले सामान को व्यवस्थित रखना चाहिए। जटिल सामान का प्रयोग विद्यार्थियों को कुछ सीखने से रोकता है।
6. सरलता व सहजता-प्रदर्शन बहुत ही सरल और गति से होना चाहिए।
7. रूचिपूर्ण-प्रदर्शन के समय विद्यार्थियों की रुचि और ध्यान बनाये रखा जाना चाहिए।
8. छात्रों द्वारा सम्पन्न–प्रदर्शन में प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं का प्रयोग विद्यार्थियों द्वारा किया जाना चाहिए।
9. उद्देश्यपूर्ण-शिक्षक को प्रदर्शन के उद्देश्य स्पष्ट होने के साथ-साथ इस प्रदर्शन से उसको क्या सामान्यीकरण करना है इसका ज्ञान भी होना आवश्यक है। प्रदर्शन के उद्देश्यों के अनुसार ही उसे प्रदर्शन करना चाहिए।
10. उपकरणों का संयोजन-प्रदर्शन में प्रयुक्त उपकरणों को क्रम में रखना चाहिए तथा इसे शिक्षक अपनी बायीं ओर रखें और प्रयोग किए गए उपकरणों को अपनी दायीं ओर रखता चला जाए।
11. सहायक सामग्री का उपयोग-प्रदर्शन में अन्य सहायक सामग्री जैसे-चार्ट मॉडलों आदि का प्रयोग भी किया जाना चाहिए।
12. पारस्परिक सहयोग-प्रदर्शन में विद्यार्थियों और शिक्षकों का आपसी सहयोग आवश्यक है। इसके बिना प्रदर्शन सफल नहीं हो सकता। शिक्षक उपकरणों आदि की व्यवस्था करने तथा उसे सैट करने में विद्यार्थियों की सहायता ले सकता है।
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