प्रायिकता कक्षा 12 एनसीईआरटी समाधान गणित प्रश्नावली प्रश्न उत्तर हल probability class 12 ncert solutions in hindi
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प्रायिकता (Feasibility) एक अवधारणा है जो किसी कार्य, परियोजना या निर्णय की व्यावहारिकता और संभवता को मापती है। यह देखने के लिए होती है कि कोई कार्य या परियोजना क्या वास्तविक और व्यावहारिक मायनों में संभव है या नहीं।
प्रायिकता की मूलभूत उपेक्षा तत्वों में विभिन्न मान्यताओं और प्रतिबंधों का आकलन किया जाता है, जिनमें वित्तीय, तकनीकी, व्यावसायिक और कानूनी प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं।
प्रायिकता अध्ययन या प्रायिकता मानचित्रण के माध्यम से इस विचार को निर्दिष्ट किया जाता है कि कोई नई योजना, परियोजना या उद्यम संभव होने के लिए कितनी व्यावहारिकता रखता है। इसके अलावा, प्रायिकता अध्ययन आपातकालीनता, प्रभाव विश्लेषण, आर्थिक मूल्यांकन, प्रबंधन व्यवस्था, संसाधनों का उपयोग, समुदाय के प्रतिक्रिया, और सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
प्रायिकता मानचित्रण और अध्ययन एक मानक कार्य पद्धति हैं जो योजना बनाने, निर्माण करने, निर्धारित करने, या निर्णय लेने की प्रक्रिया के दौरान प्रयोग की जाती है। इसका उपयोग करके व्यवसाय, सरकारी संगठन, निःशक्त निर्माण परियोजनाएँ, और अन्य क्षेत्रों में प्रायिकता की मान्यता की जांच की जा सकती है।
व्यावहारिकता
व्यावहारिकता (Practicality) एक अवधारणा है जो व्यावहारिक परिस्थितियों, वास्तविकताओं, और संभवताओं के साथ संगठन, परियोजना, निर्णय, योजना या कोई भी कार्य की उपयोगिता और प्रभाव मापती है। यह यहाँ तक कि कोई प्रस्तावित या विचारशील नई पहल कितनी व्यावहारिक होगी, क्या उसे अंगीकार किया जा सकेगा, और क्या उसका सफल प्रदर्शन हो सकता है।
व्यावहारिकता का मूल्यांकन करते समय, विभिन्न प्रासंगिक मान्यताओं, प्रतिबंधों, और संदर्भों को ध्यान में रखा जाता है। कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हो सकते हैं:
1. व्यावहारिक विकल्प: यदि कोई पहल, योजना या परियोजना संभवता की दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है, तो उसे अप्रायोगिक माना जा सकता है। क्या उसका अंतरराष्ट्रीय, सामाजिक, प्राधिकारिक, या नैतिक दृष्टि से उपयोगी होने की संभावना है?
2. संसाधन की उपयोगिता: किसी पहल या योजना के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता और उपयोगिता को मापना महत्वपूर्ण होता है। क्या उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग व्यावहारिक होगा और क्या वे पर्याप्त हैं?
3. समय और व्यवस्थापन: व्यावहारिकता में समय और संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्या पहल, योजना या परियोजना विनियामक समयमित होगा और क्या इसका प्रबंधन संभव होगा?
4. संभाव्य प्रतिक्रिया: कोई भी नई पहल, योजना या परियोजना प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकती है। क्या व्यावहारिकता की दृष्टि से प्रतिक्रिया की संभावना है और क्या उसका प्रबंधन संभव होगा?
व्यावहारिकता का मूल्यांकन विभिन्न मान्यताओं, संदर्भों, और दृष्टियों के आधार पर किया जाता है ताकि संभाव्यता, व्यावहारिकता, और उपयोगिता को मापा जा सके।
मानचित्रण
मानचित्रण (Mapping) एक प्रक्रिया है जिसमें वस्तुओं, जगहों, या डेटा को तालिका, छवि, या ग्राफिकल रूप में प्रदर्शित किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का ज्ञान प्रदर्शित करने का तरीका है जो जगह, स्थान, और संबंधित डेटा के बीच सम्बन्धों को स्पष्ट करता है।
मानचित्रण आपको भौगोलिक जगहों, देशों, नदियों, पहाड़ों, नगरों, और अन्य स्थानों को देखने और समझने में मदद करता है। इसके लिए ग्राफिकल उपकरण, जैसे कि मानचित्र, छवियां, नक्शे, या तालिका, का उपयोग किया जाता है।
मानचित्रण कई उद्देश्यों के लिए उपयोगी हो सकता है, जैसे:
1. नक्शा: मानचित्रण का प्रमुख उद्देश्य एक नक्शा बनाना है, जिसमें दिए गए क्षेत्र, देश, या स्थान की स्थिति और स्थानांतर का विवरण दिया जाता है।
2. डेटा विज़ुअलाइज़ेशन: मानचित्रण के माध्यम से डेटा को विज़ुअल रूप में प्रदर्शित किया जाता है, जो इसे समझने और विश्लेषण करने में सहायता करता है।
3. नगरीय योजनाएँ: मानचित्रण नगरीय योजनाओं को बनाने और प्रदर्शित करने में मदद करता है, जिसमें विभिन्न सुविधाओं, संरचनाओं, यातायात के मार्गों, और विभाजन का विवरण शामिल होता है।
4. विज़ार्ड स्थल विज्ञान: मानचित्रण का उपयोग विज़ार्ड स्थल विज्ञान में भी किया जाता है, जिसमें वनस्पति, जल, भूमि, जनसंख्या, आदिवासी क्षेत्र, आदि का अध्ययन किया जाता है।
मानचित्रण विभिन्न विज्ञानों, जैसे भूगोल, सामाजिक विज्ञान, नगरीय योजना, पर्यावरण विज्ञान, आदि में व्यापक रूप से प्रयोग होता है।
निर्दिष्ट
क्षेत्र, विस्तार, और स्थिति की विशेषताओं को दिखाने के लिए निर्दिष्ट (Specific) मानचित्रण का उपयोग किया जाता है। यह मानचित्रण का एक विशेष प्रकार होता है जिसमें केवल निर्दिष्ट डेटा, जानकारी, या संकेत को दिखाने का प्रयास किया जाता है।
निर्दिष्ट मानचित्रण उदाहरणों में शामिल हो सकते हैं:
1. जलवायु नक्शा: जलवायु क्षेत्रों को दर्शाने वाले मानचित्र को निर्दिष्ट मानचित्रण कहा जाता है। इसमें विभिन्न मौसमी प्रभाव, जलवायु श्रेणियाँ, और संबंधित डेटा दिखाए जाते हैं।
2. भूकंप नक्शा: भूकंपों की स्थिति, भूमिका, और ज्यामिति को दर्शाने वाले मानचित्र को निर्दिष्ट मानचित्रण कहा जाता है। यह मानचित्र समीकरण, त्रिकोणमिति, भूमिगत नक्शे, और अन्य भूमिका संबंधित जानकारी प्रदर्शित कर सकता है।
3. वाणिज्यिक नक्शा: व्यापारिक क्षेत्रों, विपणन केंद्रों, और व्यापारिक गतिविधियों को दर्शाने वाले मानचित्र को निर्दिष्ट मानचित्रण कहा जाता है। यह मानचित्र व्यापारिक स्थान, वाणिज्यिक सेवाएं, और आपूर्ति श्रृंखलाएं प्रदर्शित कर सकता है।
निर्दिष्ट मानचित्रण उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं और उद्देश्यों के अनुसार बनाए जाते हैं ताकि सटीकता, प्रभावी प्रदर्शन, और उपयोगिता सुनिश्चित की जा सके।
आकलन
आकलन (Estimation) एक गणितीय प्रक्रिया है जिसका उपयोग अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। यह विभिन्न मापदंडों, आँकड़ों, या जानकारी का उपयोग करके एक मान की अनुमानित मान्यता करने की क्रिया है।
आकलन कई संदर्भों में उपयोगी हो सकता है, जैसे:
1. वित्तीय आकलन: वित्तीय प्रबंधन में, आकलन आय, खर्च, निवेश, और लाभ के संबंध में मदद करता है। इससे वित्तीय परिणाम, बजट तैयारी, निवेश योजना, और वित्तीय निर्णयों का आकलन किया जा सकता है।
2. प्रोजेक्ट मैनेजमेंट: परियोजना प्रबंधन में, आकलन परियोजना के लागत, समय, और संसाधनों के संबंध में मदद करता है। इससे परियोजना की संभावित पूर्णता, समय निर्धारण, और संसाधन प्रबंधन का आकलन किया जा सकता है।
3. सामाजिक आकलन: सामाजिक विज्ञान में, आकलन सामाजिक परिवर्तन, जनसंख्या विस्तार, और सामाजिक प्रभाव के संबंध में मदद करता है। यह सामाजिक पॉलिसी, सामाजिक न्याय, और आर्थिक विकास की योजनाओं के लिए आकलन किया जा सकता है।
4. वैज्ञानिक आकलन: वैज्ञानिक अध्ययन और शोध में, आकलन संगणना मॉडल, अभिलेख, और परिणामों के संबंध में मदद करता है। यह नई संगणना विधियों के विकास, प्राथमिक डेटा विश्लेषण, और वैज्ञानिक प्रगति का आकलन किया जा सकता है।
आकलन विभिन्न विज्ञानों, व्यापारिक क्षेत्रों, और सामाजिक विज्ञान में एक महत्वपूर्ण गणितीय प्रक्रिया है जो निर्णय लेने और योजनाएं बनाने में मदद करती है।
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