JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

भारत में निजीकरण की शुरुआत कब हुई शुरुआत किसने की privatisation in india started in hindi

privatisation in india started in hindi भारत में निजीकरण की शुरुआत कब हुई शुरुआत किसने की ? when was privatization introduced in india hindi me ?

भारत में निजीकरण

 विनिवेश
24 जुलाई 1991 के औद्योगिक नीति वक्तव्य में पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र के चुनिंदा उपक्रमों में सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी के आंशिक विनिवेश की बात कही गई थी। शेयरों के विनिवेश से निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना था: बाजार अनुशासन स्थापित करना, संसाधन जुटाना, व्यापक जन सहभागिता को प्रोत्साहित करना, अधिक उत्तरदायित्व की भावना पैदा करना और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कार्य निष्पादन में सुधार करना। यह प्रस्ताव भी किया गया था कि विनिवेश से जुटाए गए राजस्व का उपयोग स्वास्थ्य और शिक्षा के दो महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में, विशेषकर देश के निर्धन और पिछड़े जिलों में किया जाएगा।

भारत सरकार ने 20 नवम्बर, 1991 को घोषणा की थी कि यह प्रतिस्पर्धी बोली की प्रक्रिया के द्वारा बिक्री के लिए ‘‘पैकेटों‘‘ की पेशकश करेगी जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के 31 उपक्रमों के शेयर होंगे। प्रत्येक पैकेट के लिए एक आरक्षित मूल्य निर्धारित कर दिया गया था। (अर्थात वह मूल्य जिसके नीचे पैकेट नहीं बेचा जा सकता था) और प्रत्येक पैकेट सबसे ऊँची बोली लगाने वाले को बेचा गया। लगभग 3-6 महीनों के बाद, खरीदारों को शेयरों को खोलने तथा उन्हें शेयर बाजार में बेचने की अनुमति होगी।

वर्ष 1992-93 में सार्वजनिक क्षेत्र के अलग-अलग उपक्रमों के शेयरों के लिए खुली नीलामी के द्वारा बोली लगाने की अनुमति दी गई

तालिका 6.2: भारत में विनिवेश
वर्ष बिक्री किए गए
शेयरों की संख्या (करोड़ में) प्राप्त राशि
(करोड़ रु.) लक्ष्य
(करोड़ रु.) अनुमति प्राप्त बोली
लगाने वाला

1991-92 87.21 3038 2500 बीमा कंपनियाँ, म्यूचुअल
फंड, बैंक
1992-93 43.93 1912 2500 उपर्युक्त सभी और
निजी पार्टियाँ
1993-94 11.37 2292 2500 उपर्युक्त सभी और
विदेशी संस्थागत निवेशक
स्रोत: आर.आर वैद्य (1995)

अतएव, पहले वर्ष में बोली लगाने की अनुमति सिर्फ बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंडों और बैंकों को दी गई थी। इतना ही नहीं, शेयरों की बिक्री बंडल में की गई। भारत सरकार उन सभी शेयरों को जिन्हें वह बेचना चाहती थी को नियत मूल्य पर बेचने के लिए प्रतिबद्ध नहीं थी इसलिए कोई भी हामीदार (नदकमतूतपजमते) नियुक्त नहीं किया। इसलिए पूर्ण अभिदान नहीं होने की स्थिति में नहीं बेचे जा सके शेयरों को लेने वाला कोई नहीं था।

समय बीतने के साथ, बोली लगाने वालों के समूह का आकार और बढ़ गया। इतना ही नहीं, शेयर बंडल में नहीं बेचे गए। इससे भारत सरकार को और अधिक मूल्य पर शेयरों को बेचने में सहायता मिली। वर्ष 1991-92 में शुरू होकर वर्ष 2000 तक सार्वजनिक क्षेत्र के 39 उपक्रमों में सरकार के शेयरों का 14 दौरों में विनिवेश किया गया और इससे लगभग 18,288 करोड़ रु. की कुल राशि प्राप्त हुई है।

वर्ष 1999-2000 के बजट भाषण में, सरकार ने घोषणा की कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रति नीति महत्त्वपूर्ण इकाइयों को सुदृढ़ करना, क्रमशः विनिवेश या योजनाबद्ध बिक्री के माध्यम से कम महत्त्वपूर्ण इकाइयों का निजीकरण और कमजोर इकाइयों के लिए लाभप्रद पुनर्वास योजना बनाना, इन सभी का युक्तिसंगत मिश्रण होना चाहिए। यह भी निर्णय किया गया है कि विनिवेश की प्रक्रिया में सामान्यतया, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार के शेयरों के हिस्से को कम करके 26 प्रतिशत के स्तर तक कर दिया जाए। रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मामले में सरकार अधिसंख्य शेयरों को अपने पास ही रखेगी।

सरकार ने विनिवेश कार्यक्रम पर और अधिक बल देने के लिए तथा सरकारी इक्विटी के विनिवेश को गति प्रदान करने के लिए विनिवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया है। इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। सरकार की इक्विटी के विनिवेश संबंधी मामलों को निपटाने के लिए अलग से एक विनिवेश विभाग की स्थापना की गई है। सरकार विनिवेश आयोग की सिफारिशों पर मॉडर्न फूड इण्डस्ट्रीज लिमिटेड (एम एफ आई एल), भारत अल्यूमिनियम कम्पनी लिमिटेड (बाल्को), और मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एम एफ एल) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के कतिपय उपक्रमों में अनुकूल समझौता के माध्यम से शेयर हिस्सेदारी को घटाकर 51 प्रतिशत से कम करने का निर्णय पहले ही कर चुकी है। यह प्रक्रिया चल रही है।

विनिवेश आयोग का गठन 1996 में तीन वर्षों की सीमित अवधि के लिए सरकार को विनिवेश की सीमा, पद्धति, समय और मूल्य के संबंध में सलाह देने हेतु किया गया था। इस आयोग ने 12 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के 58 उपक्रमों के बारे में सिफारिश की गई है। आयोग का कार्यकाल 30.11.99 तक बढ़ा दिया गया था। समिति का कार्यकाल 30.11.99 को पूरा हो गया और तब से आयोग का अस्तित्त्व नहीं है।

वास्तव में, विनिवेश की प्रक्रिया से प्राप्त राजस्व का उपयोग राजकोषीय घाटा को कम करने के लिए किया गया है। लक्ष्य प्राप्त नहीं किए जा सके और इस पूरी प्रक्रिया में काफी विलम्ब हुआ। विनिवेश की प्रक्रिया के साथ बिक्री के लिए इकाई विशेष के चयन ने खासा विवाद पैदा किया (बाल्को में सरकार के हिस्से के विनिवेश का प्रयास इसका नवीनतम उदाहरण है) और भारत सरकार निजीकरण के पक्ष में राष्ट्रीय सहमति बनाने में असफल रही है।

नवरत्न और लघु रत्न

विनिवेश के अतिरिक्त सरकार ने 1997 में सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियों जो तुलनात्मक दृष्टि से लाभ की स्थिति में थीं, को नवरत्न का दर्जा दिया और सार्वजनिक क्षेत्र के इन उपक्रमों के निदेशक मंडल को पर्याप्त स्वायत्तता प्रदान की जिससे कि वे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका निभाने में सफल हो सकें। ये उपक्रम आई.ओ.सी., ओ एन जी सी, बी पी सी एल, एन टी पी सी, सेल, वी एस एन एल, बी. एच ई एल, गेल और एम टी एन एल हैं। उपक्रमों का आकार, कार्यनिष्पादन, कार्यकलाप की प्रकृति, भविष्य में संभावनाएँ और विश्वस्तर पर भूमिका निभाने का सामथ्र्य विकसित करने की संभावना आदि कारक उपक्रम के चयन के मानदंड थे।

सार्वजनिक क्षेत्र के इन उपक्रमों के बोर्डों को अंशकालिक गैर सरकारी निदेशकों की नियुक्ति करके व्यापक आधार प्रदान किया गया है। ये उपक्रम कतिपय दिशा निदेशों के अध्यधीन पूँजीगत व्यय करने, संयुक्त उद्यम स्थापित करने, संगठनात्मक पुनःसंरचना करने, बोर्ड स्तर से नीचे के पदों का सृजन करने और समाप्त करने, घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय बाजारों से पूँजी उगाहने, विनिर्दिष्ट सीमाओं में इक्विटी निवेश के अध्यधीन वित्तीय संयुक्त उद्यम स्थापित करने इत्यादि के लिए स्वतंत्र होंगे।

सरकार ने अन्य लाभ-अर्जित करने वाले उपक्रमों को लघु रत्न का दर्जा दिया और उन्हें भी वित्तीय, प्रबन्धकीय तथा कामकाज संबंधी अधिक स्वायत्तता प्रदान की गई है। लघु रत्न में वे उपक्रम सम्मिलित हैं जो पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ अर्जित कर रहे हैं, जिनकी निवल संपत्ति धनात्मक है, जिन्हें सरकार से बजटीय सहायता या गारंटी की आवश्यकता नहीं है और जिन्होंने सरकार को ऋण/ब्याज के भुगतान में चूक नहीं किया है। ये उपक्रम कतिपय शर्तों और दिशा निर्देशों के अध्यधीन पूँजीगत व्यय कर सकते हैं, संयुक्त उद्यम की स्थापना कर सकते हैं, प्रौद्योगिकीय और रणनीतिक समझौता कर सकते हैं, मानव संसाधन प्रबन्ध के लिए स्कीम तैयार कर सकते हैं, इत्यादि-इत्यादि । यह उन्हें अधिक कार्यकुशल और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए है। 31.12.1999 की स्थिति के अनुसार 39 उपक्रमों को लघु रत्न की श्रेणी में रखा गया था।

बोध प्रश्न 4
1) भारत में विनिवेश प्रक्रिया की पहले तीन वर्षों के दौरान कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
2) सार्वजनिक क्षेत्र के कतिपय उपक्रमों को नवरत्न और लघु रत्न की श्रेणी में रखने का उद्देश्य क्या है?

शब्दावली
एकाधिकार ः किसी वस्तु जिसका निकट स्थानापन्न नहीं है का एकमात्र विक्रेता।
कार्यकुशलता ः जब किसी को बदतर बनाए बिना किसी को और बेहतर नहीं बनाया जा सकता है तो इसे कार्यकुशलता प्राप्त करना कहते हैं। उत्पादन में इसका अभिप्राय आदान की उतनी ही मात्रा का उपयोग करके और अधिक उत्पादन नहीं कर पाने की स्थिति है।
राष्ट्रीयकरण ः निजी क्षेत्र को सरकारी स्वामित्व और प्रबन्धन में लाने की प्रक्रिया।
उदारीकरण ः परम्परागत रूप से एकाधिकार वाले उद्योग में प्रतिस्पर्धा का आरम्भ/संवर्द्धन।
अविनियमन ः बाजार की शक्तियों के प्रचालन के लिए सांविधिक अवरोधों को समाप्त करना।
अर्थव्यवस्था का परिवर्तन ः अर्थव्यवस्थाएँ जो समाजवाद से पूँजीवाद की ओर परिवर्तन कर रही हैं जैसे पोलैण्ड, हंगरी, चेक गणराज्य ।

 

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

12 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

12 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now