JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: Biology

वंशागति और विविधता के सिद्धांत नोट्स कक्षा 12 , principles of inheritance and variation class 12 notes

principles of inheritance and variation class 12 notes in hindi वंशागति और विविधता के सिद्धांत नोट्स कक्षा 12 ?

अध्याय-5 वंशागति और विविधता के सिद्धांत
ऽ वंशागति या आनुवंशिकता (Heredity or Inheritance)
आनुवंशिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में स्थानान्तरण ही वंशागति या आनुवंशिकता कहलाता है।
नोट- माता-पिता के वे लक्षण जो उनकी संतान में पहुंचता है आनुवंशिक लक्षण कहते है।
ऽ विभिन्नता (Variations)
जीव धारियों के बीच पायी जाने वाले अन्तर को विभिन्नता कहलाता है।
ऽ आनुवंशिकी (Gentics)
वंशागति एवं विभिन्नताओं के अध्ययन को आनुवंशिकी (Gentics) कहलाता है।
नोट- विभिन्नता केवल लैंगिक जनन में संभव होता है।
नोट- आनुवंशिकी के जनक ग्रेगर जान मेण्डल है।
इनका जन्म 22 जुलाई 1822 ई0 में जर्मनी के सिलसिया ग्राम मेें हुआ था।ं
इनका प्रयोग  उधान मटर
7 साल (1856-1863) (Pissum Sativum)
पुस्तक- Experiment in Plant Hybridisation
ऽ मेण्डल के मटर का पौधा चुनने के कारण-
व मटर एकवर्षीय पौैधा हैं।
व बगीेचे में आसानी से उगाया जा सकता है।
व मटर के पौधे के लक्षणों के विपर्यासी रूप उपस्थित थें।
व मटर के पुष्प उभयलिंगी होते हैै।
व स्वपरागकण/परपरागकण
व मटर के पौधे एक पीढ़ी मेें उनके बीज उत्पन्न करते है।
ऽ मेण्डल नेे सात लक्षण वाले पौधो को चुना-
क्र.सं. लक्षण प्र्रभावी अप्रभावी
1. लम्बाई लम्बा बोना
2. बीन की आकृति गोल झुर्टीदार
3. बीज का रंग पीला हरा
4. पुष्प का रंग बैंगनी सफेद
5. पुष्प की स्थिती कक्षस्य अग्रस्थ
1. फली का रंग हरा पीला
2. फली की आकृति फैली हुई सिकुड़ी
 मेण्डल का प्रयोग
मेण्डल पहले एकसंकर संकरण प्रयोग किया फिर संकरण का प्रयोग किया।
i. एक संकर संकरण (Monohybnd Cross)
पौधों के किसी एक लक्षण का संकरण एक संकर संकरण कहलाता है।
जैसे- पौधों की लम्बाई, लक्षण का संकरण
ऽ लक्षण प्रारूप अनुपात या फीनोटाइप
जो लक्षण उत्पन्न हुआ उसे देखकर बता सकते है फीनोटाइप कहलाता है।
फीनोटाइप का अनुपात 3ः1
ऽ जीन प्रारूप का अनुपात या जीनोेटाइप
अनुपात 1ः2ः1 यह लक्षण दिखाई नही देता है इसे जीन के आधार पर अनुपात में बांटा गया है।
ii. हिसंकर संकरण प्रयोग (Dihybrid Cross)
मेेण्डल ने जब दो लक्षणों को एक साथ लेकर प्रयोग किया।
जब दो लक्षणांे को एक साथ लेेकर संकरण कराया जाता है तब वह हिसंकरण संकरण कहलाता हैं।
1. बीज का आकार  गोल झुर्रीदार
2. बीज का रंग  पीला हरा
 मेेण्डल के नियम-
मेण्डल ने मुख्य रूप से तीन नियम दिया जो निम्न है।

1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)
जब प्रभावीे लक्षण का जीन व अप्रभावी लक्षण का जीन दोनों साथ में उपस्थित हों तो केवल प्रभावी लक्षण वाला जीन, अपना लक्षण प्रदर्शित करता है, अप्रभावी लक्षण वाला जीन अपना लक्षण उत्पन्न प्रदर्शित नही कर पाता है ये प्रभाविता का नियम कहलाता है।ं
उदाहरण- पौैधे की लम्बाई
2. युग्मकों की शुद्धता अथवा कारकाों के पृथककरण का नियम विसंयोजन का नियम ;स्ंू व िैमहहतमहंजपवदद्ध
कारक युग्ग्मक बनाते समय आधे-आधे पृथक होकर युग्मक में चले जाते हैं।
3. स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)
जब दो लक्षणों को एक साथ लेकर संकरण कराया जाता है तो दोनों लक्षणों के जीन स्वतंत्र रूप से युग्मकों में अलग-अलग जाते है तथा स्वतंत्र रूप से अपना लक्षण प्रदर्शित करते है।
एक लक्षण का जीन दूसरे लक्षण के जीन को प्रभावित नही करता है।

 व्युत्क्रम संकरण
जनक केे नर व मादा पौधोें फेर बदल के भी मेण्डल ने संकरण कराया था जिसे व्युत्क्रम संकरण कहते है।
 पूर्वज या प्रतीप संकरण (Back Cross)
जब ब में प्राप्त संतान का संकरण पुनः उसके पूर्वज से करा दिया जात है तब इसे प्रतीप संकरण कहते है।
इसमें फीनोटाइप अनुपात 1ः1
 परीक्षण संकरण
अज्ञात जीनोटाइप वाले लम्बे पौधे का जीनोटाइप जानने के लिए परीक्षण संकरण कराय जाता है।
i. यदि F1 पीढ़ी में सारे पौधे लम्बेे हो तो अज्ञात पौधे लम्बे का जीनोटाइप (TT) होगा।
ii. आधे लम्बे व आधे बोने तब अज्ञात पौधे लम्बे का जीनो टाइप (Tt) होगा।
 मेण्डल वाद के अपवाद-
मेण्डलवाद के अपवाद निम्न है-

1. अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete Dominance)
इसके अनुसार F1 पीढ़ी में कोई भी लक्षण प्रभावी या अप्रभावी ना होकर मध्यवर्ती परिणाम देता है।

i. गुलाबांस (Mlrabilis Jalapa) के लाल व सफेद पुष्पों के पादपों के संकरण कराने पर F1 संतान के पौधोें में गुुलाबी पुष्प प्राप्त होते है।
ii. मीटी मटर (Lathyrus Odoratus)
iii. स्नेैेपड्र्रेेगन
2. सहप्रभाविता (Codominance)
इसमें दोनों जनकों के लक्षणों F1 पीढ़ी में प्रकट होते है।
यदि लाल पुष्प वाले पौधे का संकरण श्वेत पुष्प वाले के साथ कराया जाये तो संतान चितकबरी होती हैं।
3. बहुविकल्पिता (Multiple Allelism)
मेडल ने बताया था कारक हमेशा जोड़े में होते है प्रत्येक लक्षण के दो ही रूप होते है किन्तु मानव रूधिर वर्ग में एक लक्षण के दो से अधिक विकल्प है यह नियम ही बहुविकल्पिता कहलाता है।
उदाहरण- मानव रूधिर वर्ग
A, B, AB, O
मानव में चार प्रकार के रूधिर वर्गो को निर्धारित करने के लिए I जिम्मेदार होता है।
IA o IB i पर पूर्ण रूप से प्रभावी होत हैैं।
उदाहरण-पिता का रूधिर वर्ग – A
शिशु का रूधिर वर्ग – O है
तो जीनोटाइप-
पिता का जीनोटाइप- IA i
4. बहुप्रभाविता
इसमें एक जीन कई फीनोटाइप लक्षणों को नियंत्रित करता है।
5. बहुजीनी वंशागति
एक लक्षण को एक से अधिक जीन नियंत्रित करते हैै उदाहरण- गेहंू में केरनल रंग

 जुड़वा बच्चें (Twins) –
दो बच्चों के एक साथ जन्में को जुड़वा बच्चें या यमज कहते है।
ये निम्न प्रकार के होते है-

1. एक युग्मनजी यमज (Monozygotic twins)
इसमें अण्डाणु व शुक्राणु के निषेचन के पश्चात् बने युग्मनज विभाजन द्वारा दो वाला स्टोमीयर्स बनाता है यदि ये दोनों बाल्स्टोमीयर्स अलग-अलग होे जाये तो में विकसित होेकर नया अलग-अलग भ्रूण बनाते है जो विकसित होकर, नये संतान का रूप् लेता हैे, इससे प्राप्त दोनो संतान लैंगिक आधार पर समरूप होतेे है।
2. द्वियुग्मनजी यमज (Dçygotic twins)
मादा में 28 दिनांे में समान्य अवस्था में सिर्फ एक अण्डाणु बन कर बाहर आता है लेकिन कभी-कभी दो अण्डाणु 28 दिन में निकल आते तथा शुक्राणु से निषेचन करने के पश्चात् दो अलग भ्रूण का निर्माण करते है जो विकसित होकर दो संतान उत्पन्न होता है।
ये संतान लैंगिक रूप से समरूप या भिन्न हो सकता है।
3. स्यामी यमज (Siamese Twins)
इसमें बालस्टोमीयर्स पूर्ण रूप से अलग नही हो पाते है वे कहीं पर जुड़े हुये होते हैै जो निषेचन के पशचात् दो भ्रूण बनता है जो आपस में जुड़े हुये नये संतान उत्पन्न करता है जो आपस में जुड़े हुये होते है।

 लिंग निर्धारण
मनुष्य मेें गुणसूत्र 46 होता हैे।

1. गुणसूत्रों द्वारा लिंग निर्धारण- ये निम्न प्रकार होता है।
(i) XX-XY गुणसूत्रों के द्वारा लिंग निर्धारण।
उदाहरण- मनुष्यों व ड्रोेसोफिला मक्खी

(ii) XX-XO गुणसूत्रों के द्वारा लिंग निर्धारण।
उदाहरण-टिड्डी, खटमल, कृमियों
(iii)jZ~ W- गुणसूत्रों के द्वारा
उदाहरण- कीटों मेें , मछली, सरीसृप में
(iv) ZOZ- गुणसूत्रों द्वारा।
उदाहरण- तितिलयों , मांप

 गुणसूत्रीय या क्रोमसोम विकार-
निम्नलिखित दो प्रक्रिया सेे होता है।

(i) एकाधिसूत्रता (Trisomy)

किसी जोड़ी में गुणसूत्रों की संख्या 3 हो जाय तो यह एकाधिसूत्रता कहलाता है।

ii. एकलसूत्रता (Monosomy)

किसी जोड़ी में एक गुणसूत्र कम हो जाय (2-1=1) तब वह एकलसूत्रता कहलाता है।

 मानव में आनुवंशिक अनियमतता (Gentic Disorder in Human)
A. दैहिक गुुणसूत्रों में परिवर्तन द्वारा रोग-
दैहिक गुणसूत्र 22 जोड़ी या 44 होता है इनमें परिवर्तन उत्पन्न रोग निम्न है।

i. डाउन सिन्ड्रोम – यह रोग 21वीं जोड़ी के गुणसूत्र मेें एकाधिसूत्रता (1 गुण सूत्र की वृद्धि) के कारण होता हैं।
लक्षण-

इस रोग से ग्रस्त मनुष्य में निम्न लक्षण प्रदर्शित होते है-
ऽ चेहरा मंगोलियन की भांति
ऽ माथा चैड़ा, गर्दन व अंगुली छोटी
ऽ कद छोटा, मन्द बुद्धि
ऽ खुरदरी त्वचा, मोेटी जीभ
ऽ उभरा हुआ निचला होंढ
इसे मंगोलियन जड़ता रोग भी कहते है।
नोट- इस रोग के खोजकर्ता लैंगडोन डाउन है।

ii. एडवर्ड सिन्ड्रोम – यह रोग 18वीं जोड़ी के गुणसूत्र के एकाधिसूत्रता के कारण होता है।
इसे मानव में गुणसूत्र की संख्या 47 हो जाती है।
लक्षण-
इस रोग के लक्षण निम्न हैं-
ऽ नाक चोंच के समान
ऽ विकृति सर
ऽ कान बड़े लटके हुये
ऽ मानसिक व शारीरिक वृृद्धि कम होती है

iii. पटाउ सिन्ड्रोम – यह रोग 13वीं जोड़ी के गुणसूत्र मेें एकाधिसूत्रता के कारण होता है।
लक्षण-
इस रोग ग्रसित बच्चंे अधिकतर जन्म नही ले पाते है यदि जन्म नही ले पाते हैे यदि जन्म हो जाता है तो उनके पहले वर्ष में ही मृत्यु हो जाती हैं।

B. लिंग गुणसूत्र में परिवर्तन द्वारा-
इसके कारण निम्न रोग होते है-

i. क्लाइनेफेल्टर्स सिण्ड्रोम- लिंग गुणसूत्रों में एकाधिसूत्रता के कारण यह रोग होता है।
उदाहरण- (XXY)
लक्षण-
y. गुणसूत्र के कारण पुरूषों के समान
x. गुणसूत्र के कारण वृषण जननांग अल्पविकसित स्तन विकसित
नर बन्ध्य होते है।
नोट- पुरूषांे मेें स्तन के विकास की प्रक्रिया गाइकोमास्टिया कहलाता है।
ii. टर्नर सिण्ड्रोम- यह रोग लिंगगुणसूत्र के एकलसूत्रता के कारण होता है।

लक्षण- इससे प्रभावित मादा में
ऽ अण्डाशय कम विकसित
ऽ लम्बाई कम
ऽ गर्दन जालयुक्त होता है

 कायिक गुणूसत्र केे जीन में परिवर्तन से उत्पन्न रोग-
निम्नलिखित रोग क्रमानुसार है-

i. रजकहीनता (Albirism)
इस रोग से ग्रसित जीव में मिलेनिन वर्णक का संश्लेषण नही होता जिसके कारण उनके त्चचा का रंग सफेद होता है।
कारण-
(a) अप्रबल जीन टाइरोेसिनेज एंजाइम बनाने सक्षम नहीं होता है जिसके मिलेेनिन नहीं बनता है।
लक्षण-
बाल सफेद, त्वचा सफेद, पुतली लाल या गुलाबी

रजकहीनता रोग की वंशागति
रंजकहीनता सामान्य
नर (a) x मादा (Aa)

ii. एल्केप्टोन्यूरिया

फिनाइलएलेनीन व टाइरोसीन  उपपाचय के एक चरण में होमोजेन्टसिक का निर्माण होता है।
कारण-
हमारे शरीर में होमोेजेेन्टिसिक अम्ल का उपापचय होेना चाहिए किन्तु अप्रबल जीन के कारण होमोजेन्टिक अम्ल का उपापचय नही होता है।
लक्षण-
होमोजेन्टिक अम्ल की अधिकता के कारण यह मूत्र के बाहर आता है इसके उपस्थिती में मूत्र का रंग वायु काला पड़ जाता है।
iii. फिनाइलकीटोेन्यूरिया
कारण-
फिनाइलऐलेनीन नामक अमीनो अम्ल को टाइरोसीन नामक अमीनों अम्ल में बदलने वाला एन्जाइम अनुपस्थित होता है।
जिसके कारण फिनाइलएलेनीन तंत्रिका उतक को प्रभावित करता है तथा फिनाइलकीटोन्यूरिया नामक रोग उत्पन्न करता है।

लक्षण-
इस रोग का मुख्य लक्षण मस्तिष्क विकास में बाधा उत्पन्न होता है अर्थात मस्तिष्क अल्पविकसित होता है।

iv. दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle Cell Anemia) या हानियांकार, रूधिराणु रक्ताल्पता
इस रोग से ग्रसित व्यक्ति का जब आॅक्सीजन की कमी होता है तब RBC में हिमांेग्लोंबिन अणु की संरचना में परिवर्तन हो जाता है जिससे RBC का आकार हसियांकार के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
कारण-
 लिंग गुणसूत्रों पर उपस्थित जीन्स के परिवर्तन-
(i) X- सहलग्न रोग- हीमोफीलिया, वर्णान्धता
A. हीमोफीलिया (Hemophilia)
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में चोट लगने पर रूधिर का थक्का नही बनता और लगातार रूधिर बहने के कारण रोगी की मृत्यु हो जाती हैं।
यह रोग अप्रभावी X सुहलग्न जीन के कारण होता है।
B. वर्णान्धता ;ब्वसवनत इसपदकदमेेद्ध
इस रोग से ग्रसित व्यक्ति लाल व हरे रंग का भेद नही कर पाता। इसकी जीन ग् गुणसूत्र पर उपस्थित होता है।

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

15 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now