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तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त , व्यतिकरण , विस्पंद , अप्रगामी तरंग superposition of waves
(principle of superposition of waves in hindi ) तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धान्त : जब दो या दो से अधिक तरंगे एक ही समय पर समान माध्यम में गति करते है तो दोनों तरंग एक दूसरे को बिना डिस्टर्ब (विचलित) किये बिना एक दूसरे से होकर गुजरती है तो स्पेस या समय के किसी बिंदु पर माध्यम का कुल विस्थापन का मान सभी तरंगो के अलग अलग विस्थापन के सदिश योग के बराबर होता है। इसे ही अध्यारोपण का सिद्धांत कहते है।
चित्र में दिखाए अनुसार दो तरंगे किसी माध्यम में गति कर रही है इनको हमने चित्र में wave 1 और wave 2 नाम से दर्शाया है , अब यहाँ परिणामी तरंग का विस्थापन दोनों तरंगो के विस्थापन के सदिश योग के बराबर होगा।
माना wave 1 का विस्थापन x1 है और wave-2 का विस्थापन x2 है तो परिणामी तरंग का विस्थापन = x1 + x2 होगा इसे हम अध्यारोपण का सिद्धांत कहते है।
अध्यारोपण के बाद परिणामी तरंग का विस्थापन किन किन बातों पर निर्भर करता है –
- अध्यारोपण के कारण परिणामी तरंग का विस्थापन का मान तरंग के आयाम , आवृति , गति की दिशा और पथानंतर या कलांतर पर निर्भर करता है।
तरंगो के अध्यारोपण के कारण होने वाली घटनाएँ
1. व्यतिकरण (interference) : जब समान आवृति और लगभग समान आयाम की तरंगे आपस में अध्यारोपित होती है तो इस घटना को व्यतिकरण कहते है। इसमें दोनों तरंगे एक दूसरे की तरफ चलती है और अध्यारोपित होती है।
2. विस्पंद (beats) : जब लगभग समान आवृति की तरंगे समान दिशा में गति करती हुई अध्यारोपित होती है तो अध्यारोपण के बाद बनी तरंग को विस्पंद तरंग और इस घटना को विस्पंद कहते है।
3. अप्रगामी तरंग (stationary waves) : जब समान तरंगे एक दूसरे की ओर विपरीत दिशा में चलकर अध्यारोपित होती है तो इस घटना को अप्रगामी तरंग कहते है।
यहाँ अप्रगामी तरंगो के अध्यारोपण को दर्शाया गया है –
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