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कैलोरीमिति का सिद्धांत क्या है , सूत्र , उदाहरण (principle of calorimetry in hindi , meaning , working)

(principle of calorimetry in hindi) meaning , working कैलोरीमिति का सिद्धांत क्या है , सूत्र , उदाहरण : कैलोरीमिति का मतलब होता है ऊष्मा का मापन।  जैसा की हम जानते है कि जब दो अलग अलग वाली ताप वाली वस्तुओं को आपस में मिलाया जाता है तो अधिक ताप वाली वस्तु से ऊष्मा  , कम ताप वाली वस्तु की ओर स्थानान्तरित होती है , यह ऊष्मा का स्थानांतरण तब तक चलता है जब तक की दोनों वस्तुओं का ताप का मान समान न हो जाए।

इस प्रक्रिया में अधिक ताप वाली वस्तु द्वारा दी गयी ऊष्मा का मान , कम ताप वाली वस्तु द्वारा ली गयी ऊष्मा के बराबर होती है अर्थात कैलोरीमिति सिद्धान्त ऊष्मा संरक्षण के नियम पर आधारित होता है।

अधिक गर्म वस्तु द्वारा त्यागी ऊष्मा = कम गर्म वस्तु द्वारा ग्रहण ऊष्मा

अत: कैलोरीमिति का सिद्धांत यह बताता है कि यदि वातावरण में किसी प्रकार की कोई ऊष्मा हानि नहीं हो रही है तो गर्म वस्तु द्वारा त्यागी ऊष्मा का मान , ठंडी वस्तु द्वारा ग्रहण की गयी ऊष्मा का मान बराबर होता है।

सूत्र का निर्माण

मान लेते है कि हमारे पास दो वस्तुएं है जिनका द्रव्यमान m1 तथा दूसरी वस्तु का द्रव्यमान m2 है। इन दोनों वस्तुओं की विशिष्ट उष्मा क्रमशः c1 तथा c2 है। इन दोनों वस्तुओं का ताप क्रमशः θ1 तथा θ2 है। यहाँ θ1 का मान θ2 से अधिक है। जब इन दोनों वस्तुओं को आपस में मिलाया जाता है तो एक मिश्रण प्राप्त हो जाता है , माना उस मिश्रण का ताप θmix है।

जैसा कि हम कैलोरीमिति के सिद्धांत से जानते है कि गर्म पदार्थ द्वारा दी गयी ऊष्मा का मान , ठण्डे पदार्थ द्वारा ग्रहण की गयी ऊष्मा के मान बराबर होता है।

m1c1 – θmix) = m2c2mix – θ2)

θmix = (m1c1 θ1 + m2c2 θ2)/(m1c1 + m2c2)

कैलोरीमिति : ऊष्मा गतिकी की वह शाखा जिसमें ऊष्मा मापन का अध्ययन किया जाता है कैलोरीमिती कहलाती है। एक साधारण कैलोरी मीटर कॉपर का बनाया जाता है और समान धातु का विलोबक बनाते है। पात्र को लकड़ी के बक्से में रखते है ताकि यह आस पास के वातावरण से विलगित रहे।

तापमापी की सहायता से इसका तापमान ज्ञात करते है। विभिन्न तापमानों के पदार्थ कैलोरीमिति में परस्पर सम्पर्क में आते है। परिणामस्वरूप पदार्थ आपस में और कैलोरी मीटर के साथ ऊष्मा का आदान प्रदान करते है। वातावरण से ऊष्मा का आदान प्रदान नगण्य मानते है।

मिश्रण का नियम

जब दो अलग अलग तापक्रम वाले पदार्थो को आपस में मिलाया जाता है तो उनके बीच ऊष्मा का आदान प्रदान तब तक चलता है जब तक उनका तापमान बराबर न हो जाए। इस तापमान को मिश्रण का तापमान कहते है।

यहाँ एक पदार्थ द्वारा ली गयी ऊष्मा = दुसरे के द्वारा दी गयी ऊष्मा

m1s1 (T1 – Tm) = m2s2(Tm – T2)

प्रश्न : एक लोहे के 2 kg द्रव्यमान वाले ब्लॉक को 10 मीटर ऊँचाई से गिराते है। धरातल से टकराते के बाद इसकी 25% ऊर्जा वातावरण में चली जाती है तो ब्लॉक का तापमान कितना बढेगा (विशिष्ट ऊष्मा = 470 J/Kg डिग्री सेल्सियस)

उत्तर : mSΔʘ = mgh/4

Δʘ = (10 x 10)/(4 x 470)

कैलोरीमिति (calorimetry in hindi)

सिद्धांत : जब दो वस्तुएँ भिन्न भिन्न तापमान रखती है और ये जब संपर्क में लायी जाती है। तो गर्म वस्तु से ठण्डी वस्तु की ओर ऊष्मा का प्रवाह होता है। यदि निकाय पर्याप्त रूप से इसके वातावरण से तापीयरूप से विलगित होता है तो गर्म वस्तु द्वारा खोयी गयी ऊष्मा और ठण्डी वस्तु द्वारा प्राप्त की गयी ऊष्मा बराबर होती है।

Q = mSΔʘ = cΔʘ

जब वस्तु का तापमान परिवर्तित होता है तब उसकी अवस्था में परिवर्तन नहीं होता है।

Q = mL

जब वस्तु का अवस्था परिवर्तन होता है जबकि तापमान परिवर्तन नहीं होता है।

जहाँ s = वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा

L = वस्तु की गुप्त ऊष्मा

सिद्धान्त : कैलोरीमिति का अर्थ है ऊष्मा का मापन। जब दो भिन्न भिन्न ताप की वस्तुओं (जिसमे एक ठोस और एक द्रव या दोनों द्रव) को आपस में मिलाया जाता है तो अधिक ताप वाली वस्तु से कम ताप वाली वस्तु में ऊष्मा का स्थानान्तरण तब तक होता है , जब तब कि दोनों वस्तुओं का तापमान समान न हो जाए। इस प्रक्रिया में अधिक ताप पर स्थित वस्तु के द्वारा की गयी ऊष्मा कम ताप पर स्थित वस्तु द्वारा ली गयी ऊष्मा के ठीक बराबर होती है।

अत: दी गयी ऊष्मा = ली गयी ऊष्मा

इस प्रकार कैलोरीमिति का सिद्धांत , ऊष्मीय ऊर्जा के संरक्षण पर आधारित है।

यदि दो पदार्थो के द्रव्यमान क्रमशः m1 और m2 , जिनकी ग्राम विशिष्ट उष्मायें क्रमशः C1 और C2 तथा ताप क्रमशः ʘ1 व ʘ2 (ʘ1 > ʘ2) हो को मिश्रित किया जाए और मिश्रण का ताप ʘmix हो तब

गर्म पदार्थ द्वारा दी गयी ऊष्मा = ठंडे पदार्थ द्वारा ली गयी ऊष्मा

m1c1 (ʘ– ʘmix) = m2c2mix – ʘ2)

ʘmix = (m1c1ʘ– m2c2ʘ2)/( m1c– m2c2)

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