JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Uncategorized

निर्धनता निवारण संबंधी कार्यक्रमों के नाम लिखिए | गरीबी उन्मूलन नीतियाँ poverty reduction programs in hindi

poverty reduction programs in hindi reduce preventation name list निर्धनता निवारण संबंधी कार्यक्रमों के नाम लिखिए | गरीबी उन्मूलन नीतियाँ का वर्णन कीजिये किसे कहते है ?

गरीबी उन्मूलन नीतियाँ
यदि दक्षिण एशिया के अधिकांश गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में हैं तो इस क्षेत्रा के देशों में गरीबी उन्मूलन की क्या उपयुक्त नीतियाँ हैं? पिछले कुछ वर्षों से गरीबी उन्मूलन के लिए उपयुक्त नीतियाँ बनाने के संबंध में नीति निर्माताओं और आर्थिक विश्लेषकों की सोच में परिवर्तन आया है तथा जैसाकि हम आगे चर्चा करेंगे कि यह गरीबी दूर करने के प्रमुख हथियार के रूप में आर्थिक विकास और पुनर्वितरण के बीच रही। १९७० के दशक के आरम्भिक वर्षों तक विकास प्रयासों की प्रधान विचारधारा यह थी कि आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप इसका लाभ फैलकर अंत में गरीब तक पहुंचेगा और उसे लाभ होगा। इस अवधि के दौरान चलाए गए कार्यक्रम जैसे – भारत में समुदाय विकास कार्यक्रम तथा पाकिस्तान में ग्राम सहायता कार्यक्रमों का उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सामाजिक कल्याण तक पहुंच बढ़ाना था न कि सीधे तौर पर गरीबी उन्मूलन। इन कार्यक्रमों का प्रमुख उद्देश्य कृषि उत्पादन बढ़ाना भी था।

१९७० के दशक के प्रारम्भिक वर्षों तक यह स्पष्ट हो चुका था कि आर्थिक विकास की प्रक्रिया से गरीबों को कोई लाभ नहीं हुआ है और कई मामलों में तो उनकी स्थिति बद से बदतर हो गई थी। लगातार हुए विकास अध्ययनों से यह बात उभरकर सामने आई है कि आर्थिक विकास से परिसम्पत्तियों अथवा आय का पूनर्वितरण स्वतः नहीं हो पाएगा और निर्धन की स्थिति कुल मिलाकर वही रहेगी। पाकिस्तानी अर्थशास्त्री और ‘ह्यूमन डेवलेपमेंट इन साउथ एशिया रिपोर्ट १९९७‘ (भ्नउंद क्मअमसवचउमदज पद ैवनजी ।ेपं त्मचवतजए 1997) के लेखक ने उपयुक्त टिप्पणी की है कि “पाकिस्तान के विकास संबंधी नियोजन के एक दशक के अनुभव के बाद मुझे इस कठोर तथ्य का एहसास हो गया था। १९६० के दशक के दौरान सकल घरेलू उत्पाद ७ प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से प्राप्त करने के उपरांत हमारे युवा एवं उत्साही आर्थिक नियोजक १९६८ में राष्ट्रीय अवस्था की ओर झुकाव कर रहे थे। हमे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि अधिकांश लोग विकास से उतने खुश नहीं थे, जितने कि हम थे, बल्कि सरकार की तत्काल बर्खास्तगी की मांग कर रहे थे। वास्तव में यह हुआ था कि राष्ट्रीय आय में तो वृद्धि हुई थी परन्तु मानव जीवन संकुचित हो गया था क्योंकि विकास के लाभ सशक्त दबाव समूहों ने उठा लिये थे।‘‘ अतः, गरीबी उन्मूलन के लिए न केवल आर्थिक विकास की दर अपितु विकास के प्रकार और गुणवत्ता का भी महत्व है।

व्यष्टि बनाम समष्टि दृष्टिकोण
इन्हीं परिस्थितियों में गरीबी उन्मूलन के संबंध में पुनर्वितरण तरीकों को लोकप्रियता मिली। १९७० के दशक के अंतिम वर्षों से अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों ने गरीबी उन्मूलन तथा ग्रामीण विकास के लिए विशेष नीतियाँ और कार्यक्रम चलाए। एक उल्लेखनीय परिवर्तन यह आया कि इस चरण में गरीबी उन्मूलन तथा ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में कई गैर-सरकारी संगठनों को शामिल किया गया। १९८० के दशक के अंतिम वर्षों से प्रतिकूल बाह्य व्यापार पर्यावरण और ऋण संकट के कारण दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों में सामाजिक क्षेत्रों पर व्यय में कमी आई और इस प्रकार गैर-सरकारी संगठन उभरकर सामने आए।

गरीबी दूर करने के मुद्दे से संबंधित नीतियों को प्रमुखतया तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है। पहली वे नीतियाँ हैं जो प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन बढ़ाने और आय सृजित करने की ओर अभिमुख हैं जैसे – काश्तकारी और भूमि सुधार जिससे गरीबों के परिसम्पत्ति आधार और उत्पादकता में वृद्धि होती है। दूसरी वे नीतियाँ हैं जो व्यक्तियों अथवा घरों की आय तथा उपभोग के प्रवाह को प्रभावित करती हैं जैसे रोजगार और मजदूरी रोजगार। तीसरी प्रकार की नीतियाँ ग्रामीण सड़कों और पेय जल आपूर्ति जैसी मूल ढांचागत तथा अन्य सुविधाओं से संबंधित सार्वजनिक व्यय नीतियाँ हैं जो गरीबों के रहन-सहन में सुधार के लिए अनिवार्य हैं। आइए अब हम दक्षिण एशिया में गरीबी उन्मूलन से जुड़ी कुछ नीतियों और कार्यक्रमों की चर्चा करें।

 भूमि सुधार
अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों ने स्वतंत्राता के बाद से ही भूमि सुधार कार्यक्रमों को लागू कर दिया था। भूमि उच्चतम सीमा निर्धारण (ब्मपसपदह) व पुनर्वितरण नीति अब तक की सबसे क्रान्तिकारी प्रकृति की नीति रही है यद्यपि व्यवहार में यह सबसे कम सफल रही है। भारतीय सुधार कार्यक्रम १९५० के दशक में आरम्भ हुए। १९८० के दशक के मध्य तक कृषित भूमि का लगभग १.५ प्रतिशत उच्चतम सीमा निर्धारण के अंतर्गत अधिगृहीत किया जा चुका था तथा ८० प्रतिशत से कम वास्तव में वितरित किया गया। इसके अतिरिक्त, चूंकि वितरण के लिए कम भूमि उपलब्ध थी, अतः इसके कुल लाभार्थी गरीब घरों के अनुपात में बहुत कम थे।

बंगलादेश का रिकार्ड और भी निराशाजनक है। यदि उच्चतम सीमा को सख्ती से लागू किया जाता तब भी सीमा के ऊपर की भूमि कृषित भूमि के १ प्रतिशत से अधिक नहीं हो पाती। व्यावहारिक तौर पर संभावित भूमि के केवल १५ प्रतिशत का वितरण किया गया।

नेपाल में भूमि अधिनियम १९६४ के द्वारा चलाए गए अत्यंत व्यापक भूमि सुधारों के परिणाम भी निराशाजनक ही रहे। कृषित भूमि का केवल ३ प्रतिशत उच्चतम सीमा से अधिक पाया गया। २३,५८८ हैक्टेर क्षेत्रा (कृषित क्षेत्रा के १ प्रतिशत से थोड़ा अधिक) को पुनः वितरित किया गया।
पाकिस्तान में १९५९ के भूमि सुधारों से केवल २.५० मिलियन एकड़ भूमि अधिगृहीत की जा सकी जो कि तत्कालीन कृषित भूमि का लगभग ४ प्रतिशत थी। १९७२ के सुधारों से १.८२ मिलियन एकड़ भूमि प्राप्त की जा सकी।

श्रीलंका की उपलब्धियाँ अधिक उल्लेखनीय प्रतीत होती हैं। १९७२ तथा १९७५ के तत्काल बाद कृषि भूमि का २० प्रतिशत अधिग्रहित किया जा सका परन्तु भूमिहीन तथा सीमान्त किसानों को अधिग्रहित भूमि का केवल १२ प्रतिशत मिला जोकि कृषित भूमि का २.४ प्रतिशत ही है। इसका कारण यह रहा कि सुधार का प्रमुख उद्देश्य बागान क्षेत्रा थाः इस प्रक्रिया में धान की केवल १ प्रतिशत भूमि अधिग्रहित की गई। बागानी भूमि का अधिकांश हिस्सा राज्य के संचालन वाले कार्पोरेशनों के अधिकार में था जिससे भूमिहीन निर्धनों का नियंत्राण बढ़ाने में कोई मदद नहीं मिली।

इस प्रकार से इस क्षेत्रा भर में पुनर्वितरण भूमि सुधारों के नगण्य प्रभाव की तस्वीर बनती है। सामान्य तौर पर, निर्धारित उच्चतम सीमा इतनी अधिक थी कि पर्याप्त अतिरिक्त भूमि नहीं प्राप्त की जा सकी। यहां तक कि जो थोड़ी-बहुत भूमि वैधानिक तौर पर अधिग्रहित की जा सकती थी, वह भी नहीं हो सकी क्योंकि भूमि मालिक भूमि का अधिकार अपने पास रखने के लिए बेनामी हस्तांतरण जैसे विविध कानूनी बचाव के रास्ते उपयोग में लाए। इसके अतिरिक्त दी गई मामूली भूमि भी उपजाऊ नहीं थी। इनमें से अधिकांश खाइयों, दलदली भूमि तथा बंजर भूमि में से थी।

काश्तकारी विधेयक
अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों ने काश्तकारों को स्वामित्व का अधिकार देने और उत्पाद का हिस्सा बंटाई पर फसल बोने वाले को तय करने के लिए विधेयक बना रखे हैं। तथापि, ये विधेयक न केवल भूमि पर काश्तकारों के नियंत्राण में सुधार लाने में सफल हुए अपितु बड़े पैमाने पर बेदखली से उनके हालात और बिगड़ गए। मौजूदा स्वामित्व अधिकारों और भूमिहीन व सीमान्त किसानों की भूमि प्राप्ति की लालसा के मद्देनजर केवल विधेयक बनाने से काम नहीं चलेगा। जमींदारों के पहले से मौजूद श्रेष्ठता अधिकारों को कम करने के लिए काश्तकारों को स्थानीय स्तर पर राजनैतिक अधिकार प्राप्त कर बराबरी करनी होगी। इसके अतिरिक्त, यदि काश्तकारों के पास भूमि आ भी जाती है तो इसके लिए उन्हें उपभोग ऋण, चल पूंजी ऋण तथा आजीविका बीमा सुनिश्चितता जैसे नए स्रोतों की आवश्यकता होगी क्योंकि यह सब अब उन्हें जमींदार से प्राप्त नहीं हो सकता। संक्षेप में, इन शर्तों के पूरा न हो पाने के कारण अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों में काश्तकारी सुधार लगभग पूरी ऋतरह असफल हो गए।

 परिसम्पत्ति आधार के सुदृढ़ीकरण के द्वारा स्व-रोजगार को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ
भूमि की अत्यंत कमी के कारण गरीबी उन्मूलन की कई ऐसी योजनाएँ चलाई गई हैं जिनका लक्ष्य गरीबों के परिसम्पत्ति आधार को सुदृढ़ बनाकर गैर-फार्म कार्यकलापों को बढ़ावा देना है। दक्षिण एशियाई देशों में इस प्रकार की निम्नलिखित योजनाएँ हैं।

मूल आवश्यकताओं के लिए सार्वजनिक प्रावधान
यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि निर्धन की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति के संबंध में सार्वजनिक व्यय को लक्ष्य बनाने से व्यक्ति विशेष की मानव संसाधन क्षमता का विकास करने में मदद मिली है। इस संबंध में श्रीलंका और भारत मे केरल राज्य के अनुभव की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट हुआ है। यहाँ लोगों की प्रति व्यक्ति आय के उच्च स्तर, अथवा भूमि सुधार और रोजगार जुटाने संबंधी कार्यक्रमों ने नहीं अपितु भोजन, स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा जैसी मूल सुविधाओं के सार्वजनिक प्रावधान ने भूमिका निभाई है। जीवन की गुणवत्ता के सभी सूचकों की दृष्टि से श्रीलंका तथा केरल दोनों ही शेष दक्षिण एशिया से काफी आगे हैं।

बोध प्रश्न १
नोट: अपने उत्तर के लिए कृपया दिए गए स्थान को उपयोग में लाएँ। अपने उत्तर की जाँच इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तर से करें।

१) लेखक के मूल्यांकन के अनुसार उच्चतम सीमा निर्धारण सह पुनर्वितरण नीतियों (Ceiling cum redistribution policies) का दक्षिण एशिया में नगण्य प्रभाव क्यों पड़ा है?
२) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।

 बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न २

१) पुनर्वितरण भूमि सुधारों का प्रभाव नगण्य रहा है। सामान्य तौर पर, उच्चतम निर्धारित सीमा उच्च होने के कारण बहुत कम भूमि अतिरिक्त भूमि के रूप में प्राप्त की गई। इसके अतिरिक्त भूमि मालिकों ने भूमि अपने पास रखने के लिए कानूनी बचाव के कई रास्ते अपनाए। बहुत कम भूमि जो सरकार को दी गई, वह खेती के लिए अनुपयुक्त है।

२) १९८० के दशक से कई गैर सरकारी संगठन गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में जुटे हैं। वे स्थानीय नेतृत्व को शामिल करने, स्थानीय संसाधनों के उपयोग, सशक्तिकरण तथा क्षमता निर्माण पर बल देते हैं। योजनाओं को तैयार करने और उनके कार्यान्वयन में उन्होंने निर्धनों को शामिल किया है। इसका कार्यक्रमों की सफलता में योगदान रहा है। गैर-सरकारी संगठन सरकार के समष्टि विकास प्रयासों के पूरक हैं।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

14 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

14 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now