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गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम क्या है | भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में जानकारी poverty alleviation programmes in hindi
poverty alleviation programmes in hindi in india गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम क्या है | भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के बारे में जानकारी ?
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
भारत में योजना प्रक्रिया में घोर गरीबी को हमेशा ध्यान में रखा जाता है। पहले ही योजनाओं में इस समस्या से परोक्ष रूप से अर्थात् सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि, भूमि सुधारों, सेवाओं की व्यवस्था, न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम आदि कि माध्यम से निपटने का दृष्टिकोण अपनाया गया। छठी पंचवर्षीय योजना में आकर गरीबी हटाने के लिए विशेष कार्यक्रम प्रारंभ किए गए। किन्तु यह माना जाता है कि समस्या इतनी गहरी और व्यापक है कि इसे ऐसे किसी विशेष कार्यक्रम से हल करना सरल नहीं है। सातवीं पंचवर्षीय योजना के दस्तावेज में कहा गया है: ‘‘गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। विशिष्ट गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के जरिए निर्धनता पर सीधे हमले की वर्तमान कार्यनीति इसलिए सही है क्योंकि आर्थिक प्रगति के लाभ गरीबों तक नहीं पहुंच रहे हैं। यह बात माननी होगी कि यदि अर्थव्यवस्था के विकास की गति धीमी होगी और इस विकास के लाभों का बँटवारा असमान रहेगा तो गरीबी दूर करने की यह कार्यनीति न तो अधिक समय तक चली पाएगी और न ही इसके अपेक्षित परिणाम मिलेंगे। …. ढाँचे में परिवर्तन, शिक्षा के विकास, चेतना तथा सोच में परिवर्तन और लोगों के दृष्टिकोण को गतिशील बनाने जैसे उपायों के जरिए सामाजिक परिवर्तन लाए बिना निर्धन वर्गों का आर्थिक उत्थान संभव नहीं है।‘‘
यहाँ जिन विशिष्ट कार्यक्रमों का उल्लेख किया जा रहा है उन्हें ऊपर के वक्तव्य के संदर्भ में देखा जाना चाहिए । यहाँ बताए जा रहे कार्यक्रम सातवीं पंचवर्षीय अवधि में लागू थे।
एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम तथा अन्य रोजगार कार्यक्रम
एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम 1970 के दशक के अंतिम वर्षों में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम का लक्ष्य दो मुख्य उद्देश्यों के लिए एक व्यावहारिक एकीकृत कार्यनीति विकसित करना था। एक उद्देश्य था देश के विभिन्न विकास खंडों में भूमि, बिजली और पानी का बेहतर इस्तेमाल करके कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाना और दूसरा उद्देश्य था देश के विभिन्न खंडों में निर्धन वर्गों की आय और संसाधनों में वृद्धि करना। एकीकृत करने का अर्थ है विशिष्ट कार्यक्रमों या क्षेत्र कार्यक्रमों को एक साथ लाना। उदाहरण के लिए, लघु किसान विकास, सीमांत किसान तथा खेतिहर मजदूर कार्यक्रम और सूखा प्रभावित क्षेत्र कार्यक्रम। यह कार्यक्रम अति निर्धन लोगों, अर्थात् जिनकी पारिवारिक आय 4,800 रुपये निर्धारित हो, तो इतनी आमदनी वाले लोग अति निर्धन की श्रेणी में कैसे आ सकते हैं? कार्यक्रम के अंतर्गत चलाई जाने वाली विशिष्ट गतिविधियाँ निर्धारित समूहों की आवश्यकताओं के अनुरूप थीं। जैसे कि विशेष चावल कार्यक्रम, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने का कार्यक्रम (वचमतंजपवद सिववक), हथकरघा कार्यक्रम, रेशम उत्पादन आदि। इसके अंतर्गत उद्योगों, सेवाओं तथा व्यापार में वृद्धि के प्रयास किए जाने थे। वित्तीय सहायता अनुदान और ऋणों के रूप में दी गई।
बेरोजगारी गरीबी का महत्त्वपूर्ण पहलू है। ग्रामीण क्षेत्रों में खेतिहर मजदूरों को केवल फसल के मौसम में काम मिलता है। बेरोजगारों की दर में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। 1971 में लगभग 35 लाख लोग बेरोजगार थे। 1983 में यह संख्या बढ़कर 45 लाख हो गई। इस समय देश के रोजगार दफ्तरों में करीब तीन करोड़ व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं। इसलिए गरीबी की समस्या से निपटने में रोजगार के अवसर बढ़ाना एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है।
इन क्षेत्रों में शुरू किए गए कार्यक्रम हैं: राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम। 1980 के दशक के दूसरे भाग में एक अन्य कार्यक्रम ‘‘जवाहर रोजगार योजना‘‘ का शुभारंभ किया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में प्रति वर्ष 30 से 40 करोड़ कार्य-दिवसों का रोजगार जुटाने का लक्ष्य तय किया गया। इसके अंतर्गत सिंचाई के लिए नहरों, सामाजिक वानिकी, मृदा संरक्षण, सड़कों, विद्यालय की इमारतों, पंचायत घर आदि के निर्माण का प्रावधान था। ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम गाँवों में रहने वाले भूमिहीन लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से चलाया गया। इस कार्यक्रम में प्रत्येक ग्रामीण भूमिहीन परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को 100 दिनों के लिए रोजगार देने और निर्माण कार्य चलाने का प्रावधान किया गया। इन कार्यक्रमों के अंतर्गत अन्य कार्यों के अलावा आवास निर्माण तथा सामाजिक वानिकी को शामिल किया गया। जवाहर रोजगार योजना में सामुदायिक भवन, बारात घर आदि के निर्माण के जरिए देने की व्यवस्था की गई।
सोचिए और करिए 2
किसी ग्रामीण इलाके अथवा स्लम क्षेत्र में जाकर वहाँ चलाए गए गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के संबंध में जानकारी एकत्र कीजिए। एकत्र की गई सूचना के आधार पर ग्रामीण/स्थल क्षेत्र में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के प्रभाव पर 20 पंक्तियों का नोट लिखिए। यदि संभव हो तो अपने नोट को अपने अध्ययन केंद्र के अन्य विद्यार्थियों द्वारा लिखे गए नोट से मिलाकर देखिए।
महिला, युवा एवं क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम
1980 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायोगिक तौर पर एक अन्य कार्यक्रम प्रारंभ किया गया, जिसका नाम था ‘‘ग्रामीण महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम‘‘। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था, महिलाओं की आय बढ़ाना तथा उन्हें आय पैदा करने वाली गतिविधियाँ चलाने लायक बनाने के लिए आवश्यक सहायता और सेवाएँ उपलब्ध कराना। महिलाओं का जीवन-स्तर ऊँचा उठाने के लिए रोजगार लायक शिक्षा देने तथा स्वास्थ्य सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया। छठी पंचवर्षीय योजना के प्रारंभ में ग्रामीण युवा स्व-रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाया गया। यह कार्यक्रम गरीबी की रेखा से नीचे के परिवारों के 18 से 35 वर्ष के युवाओं के लिए था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत हर साल प्रत्येक खंड के 40 युवकों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य था। इसके लिए चुने गए युवकों को छात्रवृत्ति मिलती थी। युवकों को भौगोलिक आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण देने के प्रयास भी किए गए।
कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जिन पर प्रकृति की विशेष कृपा नहीं हुई। जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र, रेगिस्तानी तथा पर्वतीय क्षेत्र आदि। ऐसे इलाकों में लोगों की आमदनी में काफी उतार-चढ़ाव रहता है। इन क्षेत्रों के निर्धन लोगों की मदद के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं। उदाहरण के लिए, सूखा प्रभावित क्षेत्र कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले इलाकों में बागवानी, कृषि, पशु-पालन, रेशम उत्पादन जैसे कार्यक्रम चलाए गए। इसी प्रकार, रेगिस्तानी इलाकों में वृक्षारोपण, पशुपालन, भूमिगत जल का उपयोग संबंधी कार्यक्रम हाथ में लिए गए।
शहरी इलाकों में स्लम क्षेत्रों में मुख्य रूप से पर्यावरण सुधार पर ध्यान दिया गया। बुनियादी सुविधाओं, सड़कों, पैदल चलने के रास्तों, जल आपूर्ति आदि के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 300 रुपये की दर से सहायता उपलब्ध कराई गई।
कार्यक्रमों का यह ब्यौरा बहुत सतही है। हमारा उद्देश्य निर्धनता की समस्या से निपटने के प्रति सरकार के दृष्टिकोण से संबंध में सामान्य जानकारी देना मात्र है। इन कार्यक्रमों की उपलब्धियों के मूल्यांकन के लिए अनेक अध्ययन हुए हैं। इन अध्ययनों में से अधिकतर की राय में स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, किन्तु जो लक्ष्य तय किए गए, वास्तविक उपलब्धि उनसे काफी कम रही।
बोध प्रश्न 3
2) किसी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का वर्णन कीजिए। अपना उत्तर पाँच-सात पंक्तियों में लिखिए।
शब्दावली
चरम निर्धनता (Absolute Poverty) ः चरम निर्धनता का अर्थ उस व्यक्ति या परिवार की अक्षमता से है, जो जीवन की. बुनियादी आवश्यकताएँ जुटा पाने में अक्षम हो।
क्षेत्रीय कार्यक्रम (Area Programme) ः ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जिन पर प्रकृति की कृपा नहीं है। इन क्षेत्रों के निर्धन लोगों की सहायता के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए गए हैं।
निर्धनता (Poverty) ः इसकी परिभाषा विभिन्न रूपों में की गई है, मुख्यतया गरीबी की रेखा के रूप में, जिससे नीचे रहने वाले व्यक्ति को निर्धन माना जाता है। अब इसमें राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक तथा समाजशास्त्रीय पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है।
तुलनात्मक निर्धनता ः इस अवधारणा के अनुसार निर्धनता का आकलन निश्चित (Relative Poverty) समय एवं स्थान के जीवन के स्तर के आधार पर किया जाता है।
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 3
2) एकीकृत ग्राम विकास कार्यक्रम 1970 के दशक के अंत में चलाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि तथा भूमि से जुड़े अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाना था। इसमें समाज के कमजोर वर्गों की आय तथा साधनों में वृद्धि का भी प्रावधान किया गया था।
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