हिंदी माध्यम नोट्स
राजस्थान का एकीकरण (political integration of rajasthan in hindi) , rajasthan ka ekikaran
rajasthan ka ekikaran राजस्थान का एकीकरण (political integration of rajasthan in hindi) : इंग्लैंड में जुलाई 1945 में लेबर पार्टी के ” क्लीमेंट एटली ” की सरकार बनी। अर्थात क्लीमेंट एटली इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बनाये गए।
क्लीमेंट एटली ने 20 फ़रवरी 1947 को ब्रिटिश संसद में यह घोषणा की कि जून 1948 तक भारत की शासन व्यवस्था को भारतीयों के हाथों में हस्तांतरित कर दिया जायेगा।
इसके बाद भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल व वायसराय लार्ड बैवेल को इंग्लैंड बुला लिया गया तथा उनके स्थान पर भारत के नये वायसराय व गवर्नर जनरल के पद पर ” लार्ड माउन्ट बैटन ” को भेजा गया।
लार्ड माउन्ट बैटन ने भारत में सांप्रदायिक उन्माद होने से देश को बचाने के उद्देश्य से ब्रिटिश संसद में भारत को शीघ्रातिशीघ्र सत्ता के हस्तांतरण का प्रस्ताव रखा।
3 जून 1947 को ब्रिटिश संसद द्वारा लार्ड माउंट बैटन के इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी। उनके प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही लार्ड माउन्ट बैटन ने अगले ही दिन अर्थात 4 जून 1947 को भारत के विभाजन की घोषणा कर दी।
इसमें यह भी प्रावधान रखा गया कि ब्रिटिश सरकार 15 अगस्त 1947 को सत्ता हस्तांतरित कर देगी।
देशी रियासतों को भारत में विलय करने के उद्देश्य से 5 जुलाई 1947 को सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में रियासती विभाग की स्थापना की गयी।
रियासती विभाग के अध्यक्ष वल्लभ भाई पटेल थे तथा इसके सचिव वी.पी.मेनन थे।
18 जुलाई 1947 ई. को भारत स्वतंत्रता अधिनियम पारित हुआ और इसकी धारा 8 के अनुसार भारत की सभी देशी रियासतों पर से ब्रिटिश सर्वोच्चता (प्रभुसत्ता) समाप्त कर दी गयी है। साथ ही भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 देशी रियासतों का यह अधिकार सुरक्षित रखा गया कि वे स्वेच्छा से भारत अथवा पाकिस्तान में विलय कर सकती है अथवा स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देशी रियासतों से वार्तालाप करना शुरू किया और उन्हें 15 अगस्त 1947 से पूर्व भारत में विलय होने को कहा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह स्पष्ट किया कि विलय होने का तात्पर्य होगा कि रियासतों को अपने रक्षा , संचार तथा विदेशी मामले भारत संघ को सौंपने होंगे तथा अन्य शेष विषयों के आंतरिक मामलों में रियासतें स्वतंत्रता होंगी।
आजादी के समय (15 अगस्त 1947) राजस्थान में 19 रियासते , 3 ठिकाने तथा 1 केंद्र शासित प्रदेश था।
19 रियासते : वे रियासतें जिन्हें अंग्रेजो द्वारा तोपों की सलामी प्राप्त करने का अधिकार था।
3 ठिकाने : इन्हें खुदमुख्तयार ठिकाने भी कहा जाता था। इन्हें अंग्रेजों द्वारा तोपों की सलामी प्राप्त करने का अधिकार नहीं था।
3 ठिकाने निम्नलिखित है –
- लावा (जयपुर)
- नीमराणा (अलवर)
- कुशलगढ़ (बांसवाडा)
1 केन्द्र शासित प्रदेश : अजमेर-मेरवाडा
रियासती विभाग के अनुसार वे रियासते स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती है जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है तथा जिनकी कुल आय 1 करोड़ से अधिक है |
राजस्थान में ऐसी 4 रियासते थी जो निम्नलिखित है –
- मेवाड़
- जयपुर
- जोधपुर
- बीकानेर
मेवाड के राजा भूपाल सिंह ने “राजपूताना , मालवा तथा सौराष्ट्र रियासतों” को आपस में मिलाकर “राजस्थान यूनियन” बनाने का प्रयास किया एवं इसके लिए भूपाल सिंह ने 25-26 जून 1946 को उदयपुर में एक सम्मलेन का भी आयोजन किया लेकिन वे इसमें विफल रहे |
सरदार वल्लभ भाई पटेल के आग्रह तथा दबाव के फलस्वरूप राजस्थान के देशी रियासतों के शासक एक एक करके विलय होते गए और इस प्रकार एकीकृत राजस्थान का निर्माण हो गया |
राजस्थान का निर्माण या एकीकरण निम्नलिखित 7 चरणों में संपन्न हुआ –
प्रथम चरण
मत्स्य संघ का निर्माण किया गया |
मत्स्य संघ में सम्मिलित रियासते : अलवर , भरतपुर , धौलपुर तथा करौली व नीमराणा को मिलाकर उन्हें मत्स्य संघ नाम दिया गया |
मत्स्य संघ की स्थापना या उद्घाटन दिवस :- 18 मार्च 1948
मत्स्य संघ की राजधानी – अलवर
मत्स्य संघ के प्रधानमंत्री – अलवर के शोभाराम कुमावत
उपप्रधानमंत्री – जुगल किशोर चतुर्वेदी
मत्स्य संघ के राजप्रमुख – धौलपुर के तत्कालीन राजा “उदयभान सिंह” को बनाया गया |
मत्स्य संघ के उपराजप्रमुख – करौली के तत्कालीन राजा “गणेश पाल” को बनाया गया |
मत्स्य संघ के उद्घाटनकर्ता – एन.वि.गॉडगिल
इन रियासतों को मिलाकर बनने वाले नए राज्य का नाम “मत्स्य” रखने का सुझाव “कन्हैयालाल माणिक्यलाल (के.एम)” मुंशी ने दिया गया अर्थात मत्स्य संघ का नामकरण कन्हैयालाल माणिक्यलाल (K.M) मुंशी ने किया था | मत्स्य संघ का उद्घाटन भरतपुर में किया गया था |
द्वितीय चरण
पूर्वी राजस्थान या राजस्थान संघ का निर्माण
पूर्वी राजस्थान में सम्मिलित रियासते : इसमें 9 रियासतों तथा 1 ठिकाने को मिलाया गया जो निम्नलिखित है –
9 रियासते : कोटा , बूंदी , डूंगरपुर , किशनगढ़ , प्रतापगढ़ , शाहपुरा , झालावाड , टोंक , बाँसवाड़ा
1 ठिकाना : कुशलगढ़
राजस्थान संघ या पूर्वी राजस्थान का उद्घाटन 25 मार्च 1948 को एन.वी.गॉडगिल द्वारा किया गया था , इसका उद्घाटन कोटा में किया गया था |
पूर्व राजस्थान की राजधानी : कोटा
पूर्व राजस्थान के प्रधानमंत्री – शाहपुरा के शासक “गोकुल लाल असावा” को प्रधानमंत्री बनाया गया |
पूर्व राजस्थान के राजप्रमुख – कोटा के महाराव भीम सिंह को पूर्व राजस्थान के राजप्रमुख बनाये गए |
भीम सिंह हाडौती संघ का निर्माण करना चाहते थे |
पूर्व राजस्थान के कनिष्ठ उपराज प्रमुख – डूंगरपुर के शासक लक्ष्मण सिंह को बनाया गया |
पूर्व राजस्थान के वरिष्ठ उपराजप्रमुख – बूंदी के शासक बहादुर सिंह को वरिष्ठ उपराज प्रमुख बनाया गया |
पूर्वी राजस्थान या राजस्थान संघ के निर्माण के समय जब बाँसवाड़ा तत्कालीन राजा चन्द्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते समय कहा – “मैं अपने डेथ वारंट (मृत्यु दस्तावेज़) पर हस्ताक्षर कर रहा हूँ |”
किशनगढ़ तथा शाहपुरा रियासतों को पहले अजमेर-मेरवाडा में मिलाया गया था परन्तु इन्होने इस विलय का विरोध किया |
किशनगढ़ तथा शाहपुरा रियासतों को तोपों की सलामी का अधिकार नहीं था |
तृतीय चरण
संयुक्त राजस्थान
पूर्व राजस्थान में मेवाड़ (उदयपुर) का विलय कर दिया गया और इसे संयुक्त राजस्थान नाम दिया गया | संयुक्त राजस्थान की स्थापना 18 अप्रैल 1948 को की गयी तथा इसका उद्घाटन पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा उदयपुर में किया गया |
राजधानी : संयुक्त राजस्थान की राजधानी उदयपुर को बनाया गया |
प्रधानमंत्री : माणिक्यलाल वर्मा (उदयपुर के) को संयुक्त राजस्थान का प्रधानमंत्री बनाया गया |
उपप्रधानमंत्री : गोकुल लाल असावा को संयुक्त राजस्थान का उपप्रधानमंत्री बनाया गया |
राजप्रमुख : संयुक्त राजस्थान का राज प्रमुख उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह को बनाया गया |
वरिष्ठ उपराज प्रमुख : कोटा के तत्कालीन राजा भीम सिंह को बनाया गया |
कनिष्ठ उपराज प्रमुख : बूंदी के बहादुर सिंह व डूंगरपुर के लक्ष्मण सिंह को बनाया गया |
विलय के समय कोटा को आश्वस्त किया गया कि प्रतिवर्ष एक बार विधानसभा सभा का अधिवेशन का आयोजन कोटा में किया जायेगा जिससे कोटा का महत्व बना रहे तथा कोटा के विकास के लिए विशेष प्रकार के प्रयास सरकार द्वारा किये जायेंगे विलय करते समय मेवाड़ के महाराणा भूपाल सिंह ने 20 लाख प्रीवीपर्स (पेंशन) की मांग की जिसे निम्न प्रकार दिया गया –
10 लाख औपचारिक प्रिवीपर्स के रूप में
5 लाख राजप्रमुख के वेतन के रूप में तथा
5 लाख धार्मिक अनुदान के रूप में |
राजस्थान आन्दोलन समिति : राम मनोहर लोहिया ने इसका गठन किया तथा शेष रियासतों से आग्रह किया गया कि वे शीघ्र ही राजस्थान में विलय कर ले |
चतुर्थ चरण
वृहत राजस्थान
संयुक्त राजस्थान में जयपुर , जोधपुर , जैसलमेर तथा बीकानेर का विलय होने से वृहत राजस्थान का निर्माण हुआ |
वृहत राजस्थान का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा जयपुर में किया गया | वृहद राजस्थान का उद्घाटन 30 मार्च 1949 को किया गया तथा हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार चैत्र शुक्ल एकम विक्रमी संवत 2006 को इसका उद्घाटन हुआ |
राजस्थान : राजस्थान के एकीकरण का यह सबसे महत्वपूर्ण विलय था इसलिए 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है |
राजधानी : जयपुर व जोधपुर के मध्य वृहत राजस्थान की राजधानी को लेकर विवाद हो गया , इसके समाधान के लिए श्री पी. सत्यनारायण राव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया और इस समिति की सिफारिश के आधार पर जयपुर को वृहत राजस्थान की राजधानी बनाया गया |
तथा उच्च न्यायालय को जोधपुर में रखने का निर्णय रखा गया |
राजप्रमुख : जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय को आजीवन वृहद राजस्थान का राजप्रमुख बनाया गया |
महाराज प्रमुख : उदयपुर (मेवाड़) के महाराणा भूपाल सिंह को वृहद राजस्थान का महाराजा प्रमुख बनाया गया |
प्रधानमंत्री (मुख्यमंत्री) : वृहद राजस्थान का प्रधानमंत्री “पंडित हीरालाल शास्त्री” को बनाया गया |
पाँचवा चरण
संयुक्त वृहत्तर राजस्थान
वृहत राजस्थान तथा मत्स्य संघ को आपस में मिलाकर (विलय) संयुक्त वृहद् राजस्थान का निर्माण किया गया।
वृहत राजस्थान में मत्स्य संघ का विलय अर्थात संयुक्त वृहत्तर राजस्थान का निर्माण 15 मई 1949 को किया गया था।
भरतपुर तथा धौलपुर (मत्स्य संघ की 2 रियासतें) उत्तरप्रदेश में विलय होना चाहती थी और अन्य दो रियासतें (अलवर और करौली) राजस्थान में विलय होना चाहती थी इसके समाधान के लिए “शंकर राव देव समिति” का गठन किया गया और इसी समिति की सिफारिश के बाद मत्स्य संघ को वृहत राजस्थान में 15 मई 1949 को विलय कर दिया गया।
शंकर राव देव समिति एक 3 सदस्यी कमेठी थी जिसके सदस्य प्रभुदयाल , R.K. सिद्धवा तथा शंकर राव देव थे।
शंकर राव देव इस समिति के अध्यक्ष थे।
संयुक्त वृहत्तर राजस्थान के निर्माण के समय मत्स्य संघ की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री शोभाराम कुमावत को हीरा लाल शास्त्री मंत्री मंडल में शामिल कर लिया गया।
राजधानी : संयुक्त वृहत्तर राजस्थान की राजधानी जयपुर को बनाया गया।
प्रधानमंत्री : संयुक्त वृहतर राजस्थान के प्रधानमंत्री पंडित हीरालाल शास्त्री को बनाया गया।
राजप्रमुख : सवाई मानसिंह द्वितीय को बनाया गया।
महाराज प्रमुख : उदयपुर के महाराणा भूपाल सिंह को वृहत्तर राजस्थान का महाराज प्रमुख बनाया गया।
छठा चरण
सातवाँ चरण
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…