हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: Physics
प्रकाश विद्युत प्रभाव (photoelectric effect in hindi) , की खोज या प्रतिपादन किसने किया
(photoelectric effect in hindi) प्रकाश विद्युत प्रभाव की खोज या प्रतिपादन किसने किया : जब कोई प्रकाश किसी पदार्थ या धातु पर गिरता है तो पदार्थ या धातु से इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन होता है , इस घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते है।
या घटना तभी घटित होती है जब प्रकाश की आवृत्ति देहली आवृत्ति से अधिक हो , यदि धातु पर आपतित प्रकाश की आवृति का मान इस देहली आवृति से कम हो तो धातु से कोई इलेक्ट्रान उत्सर्जित नहीं होते है अर्थात प्रकाश विद्युत प्रभाव के लिए एक न्यूनतम आवृति का प्रकाश आपतित होना आवश्यक शर्त है।
चिरसम्मत विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत के अनुसार जब किसी धातु पर प्रकाश पड़ता है तो प्रकाश के कणों के पास जो ऊर्जा होती है वह उसे धातु में उपस्थित इलेक्ट्रानों को दे देता है जिससे उनकी गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है और वे इलेक्ट्रान धातु को छोड़कर उत्सर्जित हो जाते है जिससे प्रकाश विद्युत प्रभाव प्रदर्शित होता है।
लेकिन जब तक इलेक्ट्रान के पास इतनी उर्जा न हो की वह धातु के बंधन को पार न कर सके तब तक इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन नहीं होता है इसलिए धातु पर जब तक देहली आवृत्ति का प्रकाश आपतित नहीं होता है तब तक उसमे प्रकाश विद्युत प्रभाव प्रदर्शित नहीं होता है।
जो न्यूनतम ऊर्जा इलेक्ट्रान को धातु से मुक्त होने के लिए आवश्यक होती है उसे देहली ऊर्जा तथा आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो इलेक्ट्रान को धातु की सतह से मुक्त कराने के लिए आवश्यक हो उस आवृति को देहली आवृत्ति कहते है। आपतित प्रकाश या विकिरण की वह अधिकतम तरंग दैर्ध्य जो धातु की सतह से इलेक्ट्रान का उत्सर्जन करने के लिए आवश्यक हो उसे देहली तरंग दैर्ध्य कहते है।
प्रकाश विद्युत की घटना या प्रभाव के बारे में सबसे पहले हर्ट्ज़ वैज्ञानिक ने बताया था , इसके बाद सन 1988 में विलियम हालवास तथा फिलिप लेनार्ड ने प्रकाश विद्युत प्रभाव का विस्तार से अध्ययन किया और इससे समबन्धित कई महत्वपूर्ण घटकों के बारे में बताया जैसे देहली ऊर्जा , आवृत्ति , तरंग दैर्ध्य आदि।
या घटना तभी घटित होती है जब प्रकाश की आवृत्ति देहली आवृत्ति से अधिक हो , यदि धातु पर आपतित प्रकाश की आवृति का मान इस देहली आवृति से कम हो तो धातु से कोई इलेक्ट्रान उत्सर्जित नहीं होते है अर्थात प्रकाश विद्युत प्रभाव के लिए एक न्यूनतम आवृति का प्रकाश आपतित होना आवश्यक शर्त है।
चिरसम्मत विद्युत चुम्बकीय सिद्धांत के अनुसार जब किसी धातु पर प्रकाश पड़ता है तो प्रकाश के कणों के पास जो ऊर्जा होती है वह उसे धातु में उपस्थित इलेक्ट्रानों को दे देता है जिससे उनकी गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है और वे इलेक्ट्रान धातु को छोड़कर उत्सर्जित हो जाते है जिससे प्रकाश विद्युत प्रभाव प्रदर्शित होता है।
लेकिन जब तक इलेक्ट्रान के पास इतनी उर्जा न हो की वह धातु के बंधन को पार न कर सके तब तक इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन नहीं होता है इसलिए धातु पर जब तक देहली आवृत्ति का प्रकाश आपतित नहीं होता है तब तक उसमे प्रकाश विद्युत प्रभाव प्रदर्शित नहीं होता है।
जो न्यूनतम ऊर्जा इलेक्ट्रान को धातु से मुक्त होने के लिए आवश्यक होती है उसे देहली ऊर्जा तथा आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम आवृत्ति जो इलेक्ट्रान को धातु की सतह से मुक्त कराने के लिए आवश्यक हो उस आवृति को देहली आवृत्ति कहते है। आपतित प्रकाश या विकिरण की वह अधिकतम तरंग दैर्ध्य जो धातु की सतह से इलेक्ट्रान का उत्सर्जन करने के लिए आवश्यक हो उसे देहली तरंग दैर्ध्य कहते है।
प्रकाश विद्युत की घटना या प्रभाव के बारे में सबसे पहले हर्ट्ज़ वैज्ञानिक ने बताया था , इसके बाद सन 1988 में विलियम हालवास तथा फिलिप लेनार्ड ने प्रकाश विद्युत प्रभाव का विस्तार से अध्ययन किया और इससे समबन्धित कई महत्वपूर्ण घटकों के बारे में बताया जैसे देहली ऊर्जा , आवृत्ति , तरंग दैर्ध्य आदि।
प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रयोग
चित्रानुसार एक निर्वात नलिका में दो इलेक्ट्रोड लगाते है और एक खुली खिड़की रखते है , इससे एक अमिटर जोड़ देते है जो परिपथ में यदि कोई धारा प्रवाहित हो रही है तो उसका मापन करता है।
जब खिड़की बंद रखी जाती है अर्थात कोई प्रकाश आपतित नहीं किया जाता है तो अमीटर में कोई विक्षेप उत्पन्न नहीं होता है अर्थात परिपथ में कोई धारा प्रवाहित नहीं हो रही है।
जब खिड़की को खोला जाता है और प्रकाश इससे होते हुए धातु इलेक्ट्रोड पर पड़ता है तो हम देखते है कि अमिटर में विक्षेप उत्पन्न हो जाता है जिससे यह सिद्ध होता है कि परिपथ में अल्प धारा प्रवाहित हो रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्यूंकि जब प्रकाश धातु के एलेक्ट्रोड़ पर गिरा तो इससे प्रकाश विद्युत प्रभाव के कारण इलेक्ट्रान मुक्त हुए जो दुसरे इलेक्ट्रोड द्वारा आकर्षित किये गए और इस प्रकार इलेक्ट्रान की गति प्रारंभ हो गयी और चूँकि हम जानते है कि इलेक्ट्रान की गति से धारा उत्पन्न होती है जिससे परिपथ में हमें धारा देखने को मिली , यह प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रायोगिक प्रदर्शन है।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
18 hours ago
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
18 hours ago
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
2 days ago
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
2 days ago
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
3 months ago
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…
3 months ago