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पंचसिद्धांतिका की रचना किसने की थी panchasiddhantika was written by whom in hindi वराहमिहिर की रचना कौनसी है

panchasiddhantika was written by whom in hindi पंचसिद्धांतिका की रचना किसने की थी , वराहमिहिर की रचना कौनसी है ?

प्रश्न: निम्नलिखित ग्रंथों के लेखकों के नाम लिखिए –
(i) कर्पूरमंजरी, (ii) पंचसिद्धान्तिका, (iii) कविराजमार्ग, (iv) सौन्दरानन्द
उत्तर: (i) कर्पूरमंजरी – राजशेखर
(ii) पंचसिद्धान्तिका – वराहमिहिर
(iii) कविराजमार्ग – अमोधवर्ष प्रथम
(iv) सौन्दरानन्द – अश्वघोष
प्रश्न: निम्नलिखित ग्रंथों के रचयिता कौन थे –
(i) रघुवंश, (ii) मुद्राराक्षस, (iii) अमरकोश, (iv) अष्टाध्यायी, (v) स्वप्नवासवदत्ता
उत्तर: (i) रघुवंश – कालिदास
(ii) मुद्राराक्षस – विशाखदत्त
(iii) अमरकोश – अमरसिंह
(iv) अष्टाध्यायी – पाणिनि
(v) स्वप्नवासवदत्ता – भास
प्रश्न: निम्नलिखित ग्रंथों के लेखकों के नाम बताइये।
(i) सी-यू-की, (ii) मत्तविलास प्रहसन, (iii) चंदायन
उत्तर: (i) सी-यू-की – ह्वेनसांग
(ii) मत्तविलासप्रहसन – महेन्द्रवर्मन प्
(iii) चंदायन – मुल्ला दाऊद

प्रश्न: जैन धर्मग्रंथ में ‘आगम साहित्य‘ का वर्णन कीजिए।
उत्तर: जैन साहित्य को दो भागों में बांटा गया है। आगम साहित्य व आगमेत्तर साहित्य। आगम साहित्य को अर्थागम व सूत्रागम में बांटा गया है। जिनकी भाषा प्राकृत मागधी है। अर्थागम् तीर्थकर भगवान द्वारा उपधिष्ठ वाणी है। तीर्थकरों के प्रवचन के आधार पर गणधरों द्वारा रचित साहित्य सूत्रागम है। ये सूत्रागम ज्ञान के अक्षय भण्डार होने के कारण गणपिटक तथा संख्या में बारह होने के कारण द्वादशांगी कहलाते हैं।
आगम साहित्य प्राकृत भाषा में लिखा गया। जिसे अंतिम लिखित रूप वल्लभी की जैन सभा में दिया गया। आगम में 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण, 6 छन्द सूत्र, वमूल सूत्र सम्मिलित हैं। सूत्र-ऐतिहासिक रूप से भगवती सत्र, आचरांग सत्र, परिशिष्ठिपरवन, भद्रबाहुचरित्र, कालिका पुराण, पद्म पुराण, हरिवंश पुराण, कल्पसूत्र प्रमुख हैं। आचारांग सूत्र में जैन भिक्षुओं के आचार नियमों का उल्लेख है। भगवती सूत्र से महावीर के जीवन पर प्रकाश पडता है।
प्रश्न: बौद्ध धर्म में त्रिपिटक साहित्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर: बौद्ध ग्रंथों को त्रिपिटक कहा जाता हैं जो ‘पालि‘ भाषा में लिखे गये थे। पिटक का अर्थ ‘टोकरी‘ से लिया जाता है। पिटकों में ‘विनयपिटक‘ में संघ सम्बन्धी नियम एवं आचार शास्त्र की शिक्षा दी गयी है। सुत्तपिटक में धार्मिक सिद्धान्त व बद्ध के धर्मोपदेश दिए गए हैं। अभिधम्मपिटक में बौद्ध दर्शन सिद्धान्त की व्याख्या की गई है। निकायों में बौद्ध धर्म के सिद्धान्त व कहानियों का संग्रह दिया गया है। जातक कथाओं में बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथाएँ दी गयी है जो उसमें देवत्व की स्थापना करते हैं। इनके अलावा दीपवंश, महावंश मिलिन्दपन्हों आदि पालिभाषा के प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। साहित्य में संस्कृत का प्रयोग कुषाण काल में हुआ और संस्कृत में बौद्ध साहित्य की रचना की गयी। संस्कत बौद्ध साहित्य की प्रमुख रचनाएं अनलिखित हैं- महावस्थु, कथावत्थु, ललितविस्तर, दिव्यावदान व अश्वघोष की, रचनाएँ (शारिपुत्रप्रकरण, सौनदरानन्द, बुद्धचरित) आदि।
लौकिक साहित्य
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: संगम साहित्य
उत्तर: तमिल साहित्य का प्रारंभिक काल ई.पू. 500 से ई.पू. 200 वर्ष माना जाता है, जिसे ‘संगम साहित्य‘ का काल माना जाता है। इनमें दो वर्ग की कविताएं हैं- प्रेम एवं युद्ध से संबंधित तथा साथ ही तत्कालीन समय की राजनीतिक, सामाजिक वार्मिक एवं आर्थिक दशा की जानकारी मिल जाती है।

प्रश्न: निम्नलिखित ग्रंथों के विषय एवं रचयिताओं का वर्णन कीजिए।
(i) समरांगण सूत्रधार, (ii) अपराजितपृच्छा, (iii) ईशान् गुरुदेव पद्धति, (iv) प्रासादमण्डन
उत्तर: ग्रंथविषय रचयिता
(i) समरागंण सूत्रधार युद्ध नीति भोज परमार
(ii) अपराजितापृच्छा जैन दर्शन जमालि
(iii) ईशान् गुरूदेव पद्धति शैव दर्शन अभिनव गुप्त
(iv) प्रासादमण्डन वास्तुकला में (महल निर्माण) मण्डन (विश्वकर्मा)
प्रश्न: भारवि
उत्तर: भारवि कालिदास का समकालीन था। इसने ‘किरातार्जनीय‘ लिखा है। जिसकी कथावस्तु महाभारत से ली गई है। इसमें अर्जुन तथा किरात वेशधारी शिव के बीच युद्ध का वर्णन है।
प्रश्न: माघ
उत्तर: इसने भारवि के विरुद्ध भागवत सम्प्रदाय से संबंधित ग्रंथ लिखा है जिसका नाम शिशुपालवध है। इसमें युधिष्ठर के राजसूय यज्ञ पर चेदि नरेश शिशुपाल की कृष्ण द्वारा वध करने की कथा है।
प्रश्न: श्रीहर्ष
उत्तर: श्रीहर्ष के प्रमुख ग्रंथ हैं:- ‘नैषधचरित‘-इसमें राजा नल और दमयंती की प्रणयकथा है। खण्डनखण्डखाद्य: इसमें अद्वैतवाद और न्यायसिद्धान्त का प्रतिपादन किया गया।
प्रश्न: भवभूति एक साहित्यकार के रूप में
उत्तर: भवभूति के प्रमुख ग्रंथ हैं:- मालती माधव – मालती व माधव की प्रणयकथा। महावीरचरित: राम के चरित्र का वर्णन। उत्तररामचरित: रामायण के उत्तरकाण्ड के बारे में लिखा है।
प्रश्न: विशाखदत्त एक साहित्यकार के रूप में
उत्तर: विशाखदत्त गुप्तकालीन साहित्यकार था जिसने दो नाटक लिखे-मुद्राराक्षस एवं देवीचन्द्रगुप्तम्। मुद्राराक्षस चन्द्रगुप्त मौर्य सम्बन्धी जानकारी देता है जबकि देवीचन्द्रगुप्तम् गुप्तवंशीय सम्राट रामगुप्त व चन्द्रगुप्त द्वितीय से संबंधित है।
प्रश्न: बाणभट्ट एक साहित्यकार के रूप में
उत्तर: बाणभट्ट हर्षवर्धन का दरबारी था। बाणभट्ट के प्रमुख ग्रंथ हैं: ‘हर्षचरित‘ जिसमें वर्द्धनवंश का इतिहास है। ‘कादम्बरी‘ प्रणयकथा और सामाजिक व्यवस्था से संबंधित है। ‘पार्वती प्रणय‘, ‘मुकुट ताद्वित्क‘, ‘चण्डीशतक‘ आदि अन्य ग्रंथ हैं।
प्रश्न: राजतंरगिणी के लेखकों के नाम बताइए।
उत्तर: राजतरंगिणी में कश्मीर का इतिहास दिया गया है, जिसके लेखक निम्नलिखित हैं-
राजतरंगिणी I – कल्हण
राजतरंगिणी II . – जोनाराज
राजतरंगिणी III  – श्रीवर
राजतरंगिणी IV – प्रज्ञाभट्ट एवं सुका
नोटः- नीचे कुछ प्रमुख ग्रंथ, उनके रचयिता एवं उनका संदर्भ दिया गया है। इनमें से किसी भी ग्रंथ या लेखक के बारे में अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न पूछ लिया जाता है। जिसमें आपको लेखक का नाम, ग्रंथ का नाम एवं उसका संदर्भ देना चाहिए।

शुद्रक ः ‘मृच्छकटिकम‘ (मिट्टी की गाड़ी) – चारूदत्त व बसंतसेना का प्रेम आदर्श बताया गया है।
पद्मगुप्त परिमल ः नवसहसांकचरित – इसमें मालवा के परमार वंश का वर्णन है।
विल्हण ः विक्रमांकदेवचरित – इसमें चालुक्य वंश का इतिहास दिया गया है।
नयनचंद्रसूरी ः हम्मीर महाकाव्य – इसमें रणथम्भौर के चैहान वंश का इतिहास है।
वाक्पतिराज ः गौड़वहौ – इसमें कन्नौज नरेश यशोवर्मन का इतिहास दिया गया है।
कथा साहित्य ः
गुणाढ्य ः वृहतकथा – सातवाहन नरेश ‘हाल‘ के बारे में वर्णन किया गया है।
क्षेमेन्द्र ः वृहतकथा मंजरी – नारी सौन्दर्य, हास्य रस व सामाजिक जीवन के बारे में बताया गया है।
सोमदेव ः कथासरितसागर – मौर्यवंश से संबंधित।
विष्णु शर्मा ः पंचतंत्र – पशु पक्षियों को आधार बनाकर मनुष्य की कुटिलता दिखाई गई है।
नारायण ः ‘हितोपदेश‘ – कथा संग्रह है।
अमरसिंह ः शब्दकोष (अमरकोश) – व्याकरण ग्रंथ है। इसका टीकाकार क्षीरस्वामी है।
उदयदेव ः जैनेन्द्र व्याकरण। सोमदेव सूरी रू श्यशस्तिलकचम्पूश्, जैन धर्म ‘नीतिवाक्यामृत‘ – राजनीति ग्रंथ है।
अमोघवर्ष ः ‘कविराजमार्ग‘ – यह कन्नड़ काव्य संग्रह है।
महावीराचार्य ः गणितसारसंग्रह।
साकटायन ः अमोधवृत्ति।
महेन्द्रवर्मन I  ः मत्तविलास प्रहसन – हास्यग्रंथ जिसमें कापालिक व बौद्ध भिक्षओं की हंसी उड़ाई गई है।
कम्बन ः तमिल रामायण।
शेक्लिार ः पेटियपुराण।
जमालि ः अपराजितपृच्छा।
धनजंय ः दशरूपका
भर्तहरि ः नीतिशतक – शैव सम्प्रदाय के बारे में। श्रृंगार शतक, वैराग्य शतक भतृहरि की अन्य रचनाएं हैं।
भास्कराचार्य – लीलावती गणित से संबंधित
संध्याकर नन्दी – रामचरित (राम और बंगाल के पाल शासक रामपाल की कथा है।)
धनजंय श्रुतकीर्ति. – राघवपाण्डवीय।
त्रिविक्रम भट्ट – नल चम्पूध्दमयंती कथा।
दामोदर गुप्त – कुट्टीनमतम्।
लेखक ग्रंथ
अश्वघोष – सूत्रलांकार वज्रसूची
सोमेश्वर – रसमाला, कीर्तिकौमुदी
वराहमिहिर के ग्रंथ – वृहत् संहिता, पंचसिद्धान्तिका, वृहतजातिक, लघुजातिका
भास्कराचार्य – सिद्धान्त शिरोमणि, लीलावती
वाचस्पति मिश्र – तत्वकौमुदी, न्यायवर्तिका, न्यायसूत्रधारा, योगसार संग्रह
यमुनाचार्य – गीतसंग्रह, महापुरुष निर्णय
वाग्भट्ट – अष्टांग हृदय
जयसिम्हा – कुमारपालचरित, हम्मीर मानमर्दन
बल्लाल – भोज प्रबंध
वसुमित्र – महाविभिषाशास्त्र
भट्टी – रावणवध
प्रवरसेन प्प् – काव्यसेतुबंध
सुबंधु – वासवदत्ता
भरत मुनि – नाट्यशास्त्र
धन्वतरि – निघंटु
नागार्जुन – माध्यमिक कारिका, युक्तिषष्ठिका, शून्यतासप्तति, विग्रहव्यावर्तनी, प्रज्ञारमिताशास्त्र
आर्यदेव – चतुः शतक
चंद्रकीर्ती – माध्यमिकावतार, प्रसन्नपदा, चतुः शतक व्याख्या
दिड़नाग – प्रमाण समुच्चय
असंग – सूत्रांलकार
जनमालि – भट्टभुवनदेव
आयुर्वेद ग्रंथ
लेखक – ग्रंथ
धन्वतरि – निघंटु
हलायुध – अभिधान रत्नमाला
मैत्रेयरक्षित – धातुप्रदीप
शकटायन – शब्दानुशासन
यादव प्रकाश – वैजयती
माधवंकर – रोगनिश्चय
नागार्जुन – रसरत्नाकार
चक्रपाणिदत्त – चरक एवं सुश्रुत पर भाष्य लिखा
सुरेश्वर – लौहपद्धति
भोज – शालिहान (घोड़ो की चिकित्सा से संबंधित)
भोज – हस्ति आयुर्वेद
संगीत ग्रंथ
लेखक – ग्रंथ
नारद – संगीत मकरानंद
जगदेकमल्ल – संगीत चूडामणि
सोमेश्वर – मानसोल्लास
सारंग देव – संगीत रत्नाकर
राजनीति शास्त्र के ग्रंथ
लेखक – ग्रंथ
हेमचंद्र – अहव – अर्हनीति
भोज – युक्तिकल्पतरू
चण्डेश्वर – नीतिरत्नाकर व शुक्रनीतिसार

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