हिंदी माध्यम नोट्स
प्रशान्त घाटी बचाओ आन्दोलन क्या है | प्रशांत घाटी बचाओं आंदोलन कब प्रारंभ हुआ pacific valley movement in hindi
pacific valley movement in hindi प्रशान्त घाटी बचाओ आन्दोलन क्या है | प्रशांत घाटी बचाओं आंदोलन कब प्रारंभ हुआ ?
भारत में हुए आन्दोलन
प्रशान्त घाटी बचाओ आन्दोलन
सन 1980 के बाद प्रारंभ हुआ यह अभियान किसी बांध के विरुद्ध भारत में उठाया गया पहला कदम था। इसी के द्वारा केरल में आनुवंशिक रूप से अत्यंत समृद्ध वर्षा-प्रचुर वनों में से अवशिष्ट अंतिम वन जलमग्न होने से बचाया जा सका है। इस अभियान को केरल-साहित्य परिषद् ने प्रारंभ किया था जिसे भारत भर के विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त हुआ था।
ताज बचाओ अभियान
पर्यावरणविदों को डर था कि ताजमहल से 40 कि.मी. दूर मथुरा तेल शोधक कारखाने द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण से उस भव्य इमारत को क्षति पहुँच सकती थी। इस अभियान के कारण जो उत्तेजना फैली उसी का परिणाम है कि अधिकारियों को सावधानी बरतने और वायु प्रदूषण से होने वाली किसी भी क्षति के लिए उक्त स्मारक का समय समय पर अनुवीक्षण करने को बाध्य होना पड़ा।
मिट्टी बचाओ अभियान
मिट्टी बचाओ अभियान का प्रारंभ 1977 में हुआ था। यह अभियान मध्य प्रदेश में बनाए जा रहे तवा बाँध के विरुद्ध हुआ था जिसके कारण उपजाऊ मिट्टी में जलाक्रान्ति तथा लवणता में वृद्धि की आशंका थी। इस अभियान ने स्थानीय किसानों को एक जुट किया था और उन्होंने माँग की थी कि बाँध से प्रभावित भूमि के लिए उन्हें उपयुक्त क्षतिपूर्ति राशि दी जाए।
थाई बेशेट अभियान
मुंबई से 21 कि.मी. दूर थाई वेशेट में संसार के सबसे बड़े यूरिया उत्पादक संयंत्र की स्थापना का, मुबंई नगर के संगठनों, विशेषकर मुंबई – पर्यावरण कार्रवाई – समूह की ओर से जोरदार विरोध किया गया। इन संगठनों को आशंका थी कि उक्त संयंत्र के कारण नगर के प्रदूषण स्तर एवं अकुशलता में वृद्धि होगी। उनके अथक प्रयत्नों के कारण संयंत्र के लगने में दो वर्ष की देरी तो अवश्य हुई किन्तु उसके स्थापन स्थल को परिवर्तित नहीं कराया जा सका।
बेडथी अभियान
भारत में पर्यावरणवादी विरोध के कारण प्रशान्त घाटी के बाद परिव्यक्त दूसरी जल विद्युत परियोजना बेडथी (कर्नाटक) थी। इस परियोजना से बहुत सा वन-प्रदेश तथा सुपारी इलायची एवं काली मिर्च के उद्यानों से सम्पन्न भूभाग जलमग्न हो सकता था। इस परियोजना का विरोध स्थानीय किसानों के साथ-साथ बंगलौर के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने भी किया था।
भोपालपतनम् – इंचमपाल बाँधों पर रोक
महाराष्ट्र में इंद्रावती नदी पर इन दो बाँधों को बनाने की योजना श्जंगल बचाओ मानव बचाओश् आन्दोलन के कारण रद्द करनी पड़ी थी। इस आन्दोलन में आदिवासी, पर्यावरणवादी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा राजनीतिज्ञ, सभी शामिल थे।
दून-खनन
मसूरी पहाड़ियों की दून घाटी में चूने के पत्थर के खनन के कारण इन पहाड़ियों के वनों और स्थायी जल स्रोतों को नष्ट कर के वहाँ स्थायी घाव लगाए हैं। ग्रामीण बादकारी एवं अधिकार केन्द्र, देहरादून ने उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी और न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक निर्णय में खनन बंद करने का आदेश दिया जिससे पर्यावरण क्षय को रोका जा सकें।
कर्नाटक के निम्नीकत वन
कर्नाटक सरकार ने लगभग 80,000 एकड़ निम्नीकृत वन भूमि एवं राजस्व भूमि, वन-रोपण के लिए एक संयुक्त क्षेत्र की कंपनी को देने का निर्णय लिया। पर्यावरणवादियों की ओर से इस निर्णय का विरोध किया गया। एक स्थानीय स्वयंसेवी अभिकरण, समाज परिवर्तन समुदाय ने उच्चत्त्म न्यायालय में इस तर्क के साथ याचिका प्रस्तुत की कि सरकारी वन्य भूमि के क्षेत्र में लोगों के प्रवेश का अधिकार उनके जीवित रहने के लिए अत्यंत आवश्यक था। अतः सरकार द्वारा व्यापारिक लाभ की दृष्टि से वृक्ष रोपण कराना लोगों के जीवित रहने के मौलिक अधिकार को प्रभावित करता था।
काइगा अभियान
काइगा (कर्नाटक) में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने का विरोध 1984 में प्रारंभ हुआ। सरकार, द्वारा इस परियोजना पर काम जारी रखने के निर्णय के बावजूद किसानों, सुपारी उत्पादकों, मछुआरों, पत्रकारों और लेखकों के समूह निरंतर यह चाहते है कि परियोजना बंद कर दी जाए। परियोजना, स्थानीय लोगों की आशंकाओं के बीच पर्याप्त संशोधनों के साथ चलती रही।
गंध मर्दन बॉक्साइट-खनन
उड़ीसा में गंधमर्दन वनों से बॉक्साइट के खनन का प्रस्ताव यद्यपि सरकार द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकार किया जा चुका है किन्तु स्थानीय आदिवासी नहीं चाहते कि उनके वनों को नष्ट किया जाए। अतः उनके तीव्र आन्दोलन के कारण वहाँ काम रूका पड़ा है।
पश्चिमी घाट बचाओ पदयात्रा
पर्यावरणवादी अनेक गुटों ने 1988 में सम्मिलित रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडू तथा केरल राज्यों से होकर 1300 किलोमीटर से अधिक लंबी पदयात्रा का आयोजन किया था। इस पदयात्रा के द्वारा पश्चिमी घाटों की पर्यावरण संबंधी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया था।
टिहरी बाँध अभियान
भूकंपीय हिमालय क्षेत्र में टिहरी बाँध के निर्माण को अनेक पर्यावरणवादी समुदायों ने चुनौती दी है। स्थानीय संगठन टिहरी बाँध विरोधी समिति को आन्दोलन करते हुए 20 वर्ष से अधिक समय हो चुका है। उद्योगों और विद्युत उत्पादन केन्द्रों का निर्माण इस विरोध का प्रमुख लक्ष्य रहा है क्योंकि उसके कारण प्रदूषण और पर्यावरण की क्षति की आशंका है।
हाल के वर्षों में नरौरा, कानपुर, काइगा, कुडंकुलम, नागार्जुन सागर में स्थापित नाभिकीय ऊर्जा संयत्रों तथा ऐसे ही संयंत्रों की केरल में स्थापना का विरोध किया गया है।
रेयन कारखाने द्वारा प्रदूषण
केरल में ‘मयूर‘ का मामला इस बात का उदाहरण है कि कानून क्या कर सकता है। उस क्षेत्र में बाँसों की बहुतायत का काम उठाते हुए बिरला ने रेयन का कारखाना खोला। शीघ्र ही स्थानीय लोगों का जीवन स्तर पहले की अपेक्षा अच्छा हो गया। कारखाने का गंदा पानी नदी में डाला जाने लगा जिसके कारण नदी का पानी पीने के योग्य नहीं रहा। अतः उस कारखाने को बंद करने के लिए आन्दोलन किया गया और कारखाना बंद हो गया। वह कस्बा फिर पहले की तरह ही गरीबी से घिर गया। तब कारखाने को दुबारा खुलवाने के लिए आन्दोलन किया गया जो सफल हुआ किन्तु वायु एवं जल के प्रदूषण को रोकने के उपाय सुनिश्चित किए गए।
ऑरोविले आन्दोलन
ऑरोविले, श्री अरविंद के दर्शन तथा पारिस्थितिक संरक्षण एवं सुरक्षा के आधार पर परस्पर संबद्ध विभिन्न राष्ट्रों के लोगों की बस्ती है। यह बस्ती गत 30 वर्षों से कार्यरत है। अपने ही उदाहरण से इन लोगों में बेहतर पर्यावरण संबंधी चिंताओं और प्रयत्नों को पुनर्जीवित कर दिया है। उनकी गतिविधियों में से कुछ अपह्रासी मृदा (खेती के लिए खराब हो चुकी मिट्टी) के पुनः स्थापन, सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के उत्पादन, बचे पदार्थों का बेहतर कृषि उत्पादन के लिए पुनः चक्रण, रासायनिक उर्वरकों के विकल्पों की खोज, सामाजिक वानिकी, जैव कृषि, टंकी का पुनर्योजन, जल-संभरण प्रबंधन तथा पारिस्थितिक दृष्टि से उपयुक्त आवास आदि, हैं। वस्तुतः ऑरोविले आन्दोलन, शेष भारत के असंख्य लोगों में ऐसे ही आन्दोलनों को जन्म देने की क्षमता रखता है।
बिश्नोइयों की परंपरा
चिपको आन्दोलन ने अपने वृक्षों और वन्य जीवन की रक्षा की प्रेरणा राजस्थान के बिश्नोइयों से ली थी जिनकी महिलाओं ने बहुत पहले वन्य-जीवन-संरक्षण के उद्देश्य से अपने प्राणों की आहुति दी थी। आज फिर वह वन्य जीवन की रक्षा के लिए प्रयत्नशील है। हाल ही में बिश्नोइयों की ही पहल पर उनकी परंपराओं के उल्लंघन के लिए मुंबई के कुछ फिल्मी सितारे बंदी बनाए गए थे। भारत के पर्यावरण आन्दोलनों में यह परंपरा बहुत पुराने समय से अब तक चली आ रही है।
सारांश
पृथ्वी और उसके अवयव मानव जाति को विरासत में मिले संसाधन हैं। मानव समाज के कुछ गिने चुने वर्गों ने इन पर जो स्वामित्व जमा रखा है उसके भयंकर निषेधात्मक परिणाम दूसरों को झेलने पड़ते हैं। जब इन परिहार्य समस्याओं को रोक पाने में सरकारें असमर्थ हो जाती हैं तो उनके लाइलाज होने से पूर्व बचाव के किसी न किसी उपाय की पहल बुद्धिजीवियों, संबद्ध नागरिकों तथा प्रभावित स्थानीय लोगों द्वारा की जाती है। कल्याणकारी सरकार के उत्तरदायित्वों के विस्थापन के लिए गांधीवादियों, मार्क्सवादियों, वैज्ञानिकों, सरंक्षणवादियों तथा उत्पीड़ितों के सम्मिलित प्रयास से राजनीतिक सिद्धान्त का एक नया आयाम उभरने लगता है।
ये आन्दोलन चाहे राजनीतिक एवं सामाजिक प्रतिरोधों के रूप में हों, शैक्षिक एवं जागरूकता अभियानों के रूप में हों या सार्वजनिक राय निर्माण के उद्देश्य से किए गए हों, यह निश्चित है कि ये सब दीर्घकाल के लिए सभी के हित में बेहतर पर्यावरण संबंधी नीति-परिवर्तन कारक सिद्ध होते है।
संसार में पर्यावरण क्षय या उसके प्रति उदासीनता के विरुद्ध अगणित विद्रोह हुए होंगे किंतु न तो उनके उल्लेख मिलते हैं न उनके संबंध में की गई घोषणाएँ उपलब्ध हैं। सन्तोष में बात यह है कि आज संसार भर में इसके प्रति जागृति आ रही है तथा आन्दोलन विकसित हो रहे हैं।
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…