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फास्फोरस के ऑक्सो अम्ल (oxoacids of phosphorus in hindi) , हाइपो फॉस्फोरस अम्ल , ऑर्थो , पायरो , मेटा फॉस्फोरिक अम्ल
(oxoacids of phosphorus in hindi) फास्फोरस के ऑक्सो अम्ल : जब किसी अम्ल में ऑक्सीजन उपस्थित होता है तो उसे ऑक्सो अम्ल कहते है , फास्फोरस विभिन्न प्रकार के ऑक्सो अम्ल बनाता है जैसे –
- हाइपो फॉस्फोरस अम्ल
- ऑर्थो फॉस्फोरस अम्ल
- पायरो फॉस्फोरस अम्ल
- हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल
- ऑर्थो फॉस्फोरिक अम्ल
- पायरो फॉस्फोरिक अम्ल
- मेटा फॉस्फोरिक अम्ल
अब हम इन सब फास्फोरस ओक्सो अम्लों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे।
1. हाइपो फॉस्फोरस अम्ल
इसे फॉस्फिनिक अम्ल भी कहते है , इसका रासायनिक H3PO2 सूत्र होता है , हाइपो फॉस्फोरस अम्ल में उपस्थित फास्फोरस परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था +1 होती है , चूँकि हाइपो फॉस्फोरस अम्ल में एक -OH समूह उपस्थित रहता है इसलिए यह एक क्षारकीय अम्ल होता है।
जब फास्फिन का आयोडीन के द्वारा जल की निश्चित या सिमित मात्रा की उपस्थिति में ऑक्सीकरण कराया जाता है तो क्रिया के फलस्वरूप हाइपो फॉस्फोरस अम्ल प्राप्त होता है , इसकी अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है –
PH3 + 2I2 + 2H2O → H3PO2 + 4 HI
हाइपो फॉस्फोरस अम्ल की संरचना निम्न होती है –
2. ऑर्थो फॉस्फोरस अम्ल
इसे फॉस्फोनिक अम्ल भी कहते है , इसका रासायनिक सूत्र H3PO3 होता है। ऑर्थो फॉस्फोरस अम्ल में P परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है , चूँकि ऑर्थो फॉस्फोरस अम्ल में दो OH समूह उपस्थित होते है इसलिए इसको द्विक्षारकीय अम्ल भी कहा जाता है।
जब फॉस्फोरस ट्राईऑक्साइड का जल अपघटन किया जाता है तो क्रिया के बाद हमें ऑर्थो फॉस्फोरस अम्ल प्राप्त होता है , यह क्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
P4O6 + 6H2O → 4H3PO3
इसकी संरचना निम्न प्रकार होती है –
3. पायरो फॉस्फोरस अम्ल
इसका रासायनिक सूत्र H4P2O5 होता है , पायरो फॉस्फोरस अम्ल में उपस्थित फास्फोरस (P) की ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है , पायरो फॉस्फोरस अम्ल में दो OH समूह उपस्थित होते है इसलिए इसको द्विक्षारकीय अम्ल कहते है।
इसकी संरचना निम्न प्रकार होती है –
4. हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल
इसका रासायनिक सूत्र H4P2O6 होता है , हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल में फास्फोरस (P) परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था +4 होती है , चूँकि हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल में दो OH समूह उपस्थित होते है इसलिए इसको द्विक्षारकीय अम्ल भी कहा जाता है।
जब लाल फास्फोरस और सोडियम क्लोराइड के साथ ऑक्सीकरण की क्रिया करवाई जाती है तो उत्पाद के रूप में हाइपोफॉस्फोरिक अम्ल का डिसोडियम लवण प्राप्त होता है इस लवण को आयन विनिमय के अन्दर से गुजारा जाता है तो इसके फलस्वरूप हमें हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल प्राप्त होता है , इसकी ये अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार संपन्न होती है –
2P + 2NaClO2 + 2H2O → Na2H2P2O6 + 2HCl
Na2H2P2O6 + 2H → H4P2O6 + 2Na – resin
Na2H2P2O6 + 2H → H4P2O6 + 2Na – resin
इसकी संरचना निम्न प्रकार होती है –
5. ऑर्थो फॉस्फोरिक अम्ल
इसका रासायनिक सूत्र H3PO4 होता है , ऑर्थो फॉस्फोरिक अम्ल में फास्फोरस (P) परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था +5 होती है , चूँकि ऑर्थो फॉस्फोरिक अम्ल में तीन OH समूह उपस्थित होते है इसलिए ही इसे त्रिक्षारकीय अम्ल भी कहा जा सकता है।
जब P4O10 की क्रिया गुनगुने पानी के साथ की जाती है तो अभिक्रिया के फलस्वरूप ऑर्थो फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) प्राप्त होता है , यह क्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
P4O10 + 6H2O → 4H3PO4
इसकी संरचना निम्न प्रकार होती है –
6. पायरो फॉस्फोरिक अम्ल
इसका रासायनिक सूत्र H4P2O7 होता है , पायरो फॉस्फोरिक अम्ल में फास्फोरस (P) परमाणु की ऑक्सीकरण अवस्था +5 होती है , चूँकि पायरो फॉस्फोरिक अम्ल में चार OH समूह उपस्थित होते है इसलिए यह चतुक्षारकीय अम्ल होता है।
जब ऑर्थोफोस्फोरिक अम्ल को लगभग 250oC पर गर्म किया जाता है तो हमें उत्पाद के रूप में पायरो फॉस्फोरिक अम्ल प्राप्त होता है , यह क्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
2H3PO4 → H4P2O7 + H2O
इसकी संरचना निम्न प्रकार होती है –
7. मेटा फॉस्फोरिक अम्ल
इसका रासायनिक सूत्र (HPO3)n होता है , जब ऑर्थोफोस्फोरिक अम्ल को लगभग 850 केल्विन ताप पर गर्म किया जाता है तो क्रिया के बाद हमें मेटा फॉस्फोरिक अम्ल प्राप्त होता है , यह क्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
H3PO4 → HPO3 + H2O
याद रखे की यह मोनोमर के रूप में नहीं पाया जाता है , यह चक्रीय ट्रिमर, चक्रीय टेट्रामर या बहुलक के रूप में पाया जाता है।
इसकी सामान्य संरचना को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –
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