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प्रकाशीय बेंच क्या होता है ? प्रकाशीय बैंच की परिभाषा प्रयोग बेंच त्रुटि किसे कहते है Optical Bench in hindi
Optical Bench in hindi experiment प्रकाशीय बेंच क्या होता है ? प्रकाशीय बैंच की परिभाषा प्रयोग बेंच त्रुटि किसे कहते है ?
प्रकाशीय बैंच (Optical Bench):
प्रकाशीय बैंच का प्रयोग गोलीय दर्पणों तथा लेन्सों की फोकस दूरी ज्ञात . करने में किया जाता है। इसमें लकड़ी या लोहे की एक मीटर लम्बी छड़ होती है जो आधार के सहारे टिकी होती है। इस पर इसकी लम्बाई के समान्तरं मिलीमीटर व सेण्टीमीटर के चिन्ह बने होते हैं। इस पर कुछ ऊर्ध्वाधर स्टैण्ड लगे होते हैं जिन्हें बैंच की लम्बाई के अनुसार चलाया जा सकता है तथा पेंचों की सहायता से किसी भी स्थिति में कसा जा सकता है। ये स्टैण्ड अन्दर से खोखले होते हैं जिनके अन्दर ऊपर-नीचे खिसकाकर पिनों को अथवा लेन्स होल्डर को इच्छित ऊंचाई पर पेंचों की सहायता से कसा जा सकता है। चित्र में एक प्रकार का प्रकाशीय बेंच प्रदर्शित किया गया है जिसमें एक-एक मीटर लम्बी धातु की दो छड़ें एक-दूसरे के समान्तर दो आधारों पर लगी होती हैं। इनमें से एक छड़ में मिमी और सेमी. के चिन्ह अंकित होते हैं। इन छड़ों को प्रकाशीय बेंच का भुजा गया समतलकारी पेंच लगे होते हैं। प्रकाशयी बेंच की भुजाओं पर
लम्बाई के अनुदिश पिन स्टैण्ड और लेंस या दर्पण में खिसकाये जा सकते हैं तथा नीचे लगे पेंचों की सहायता से ये किसी भी स्थिति में कसे जा सकते हैं। कुछ स्टैण्डों में लेस, दर्पण या पिन को बायीं ओर या दायीं ओर खिसकाने के लिए स्लो-मोशन स्क्रू (low – motion screw) भी लो होते हैं।
बेंच त्रुटि (Bench Error) : दर्पण या लेंस से वस्त पिन के बीच की दूरी को न से प्रदर्शित करते हैं। इसी तरह दर्पणा या लेंस से प्रतिबिम्ब पिन के बीच की दूरी को अ से प्रदर्शित करते हैं। प्रयोग करते समय हम दर्पण या लैंस। पिन की वास्तविक दूरी ज्ञात करने के बजाय प्रकाशीय बेंच पर उनकी स्थितियां नोट करके न या अ का मान ज्ञात करहैं। यदि दर्पण या लेंस से पिन की वास्तविक दुरी प्रकाशीय बेंच पर नापी गई दूरी के ठीक बराबर है तो कोई बेंच बार ऽ नहीं होती है किन्तु यदि ऐसा नहीं है तो बेंच त्रुटि होती है।
बेंच त्रुटि दो प्रकार की होती है-(प) धनात्मक और (पप) ऋणात्मक
(प) धनात्मक बेंच त्रुटि- यदि प्रकाशीय बेंच पर नापी गई दूरी वास्तविक दूरी से अधिक है तो बेंच त्रुटि धनात्मक होती है। इसे प्रकाशीय बेंच पर नापी गई दूरी से घटाया जाता है।
(पप) ऋणात्मक बेंच त्रुटि- यदि प्रकाशीय बेंच पर नापी गई दूरी वास्तविक दूरी से कम है तो बेंच बार ऋणात्मक होती है। इसे प्रकाशीय बेंच पर नापी गई दूरी में जोड़ा जाता है।
बेंच त्रुटि ज्ञात करने के लिए ज् आकार की छड़ प्रयुक्त करते हैं जिसे ज् छड़ कहते हैं। ज्-छड़ के नुकीले सिरे वाली भुजा को प्रकाशीय बेंच के समान्तर इस प्रकार रखते हैं कि उसका एक नुकीला सिरा पिन की नोक को तथा दूसरा नुकीला सिरा दर्पण के ध्रुव या लेंस के मध्य भाग को स्पर्श करें।
प्रकाशीय बेंच पर उनकी स्थितियां नोट करके उनके बीच की दूरी ज्ञात करते हैं। इसे T-छड़ की भुजा की लम्बाई में घटाने या जोड़ने पर बेंच त्रुटि निकल आती है। ध्यान रहे बेंच त्रुटि को चिन्ह सहित सदैव घटाया जाता है।
लम्बन त्रुटि एवं इसका निराकरण (Parallax and its removal):
जब दो वस्तएं एक सीधी रेखा पर आंख की सीध में हो तो क्रमशः दायीं एवं बायीं आंख से देखने पर एक वस्तु के सापेक्ष दूसरी वस्तु.विस्थापित होती. हुई प्रतीत होती है। इस घटना को ही लम्बन कहते हैं।
यदि दोनों वस्तुएं ठीक एक ही स्थान पर हों तो उनके मध्य लम्बन नहीं होता। प्रकाशीय प्रयोगों में प्रतिबिम्ब की सही स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रतिबिम्ब पिन का उपयोग किया जाता है। वस्तु (बिम्ब) पिन एवं प्रतिबिम्ब पिन को इस प्रकार समायोजित किया जाता है वस्तु (बिम्ब) के प्रतिबिम्ब की नोक प्रतिबिम्ब पिन की नोक को स्पर्श क .ती दिखाई दे। अब इन्हें अपनी एक आंख बन्द कर दूसरी आंख को देखते हैं तथा फिर दूसरी आंख बन्द कर पहली आंख से देखते हैं। यदि नया में पिन की नोक एक दूसरे के सापेक्ष विस्थापित हो जाती है तो इसका अर्थ है अभी लम्बन समाप्त नही हुइा है। इस प्रकार प्रतिबिम्ब पिन को तब तक समायोजित करते हैं जब तक लम्बन समाप्त न हो।
गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)
किसी खोखले गोले में से काटा हआ भाग जिसके एक पार्श्व पर पॉलिश की गई हो, गोलीय दर्पण कहालाता है। ये दो प्रकार के होते हैं-
(i) उत्तल दर्पण (Convex Mirror) (ii) अवतल दर्पण (Convcave Mirror)
चित्र 8.1ः जब गोले के कटे हुए भाग के अवतल चित्र 8.2: जब गोले के कटे हुए के उत्तल पार्श्व पर पार्श्व पर पॉलिश की गई हो तो यह उत्तल दर्पण ऋ पॉलिश की गई हो तो अवतल दर्पण कहलाता है। इसमें कहलाता है। इसमें उत्तल पार्श्व परावर्तक की भांति . अवतल पार्श्व परावर्तक की भांति कार्य करता है। कार्य करता है।
कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Some Important Definitions):
1. वक्रता केन्द्र (Centre of curvature)ः जिस खोखले गोले में से काटकर गोलीय दर्पण बनाया गया है, उस खोखले गोले का केन्द्र वक्रता केन्द्र कहलाता है। चित्र में C वक्रता केन्द्र है।
2. वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature)ः गोलीय दर्पण, जिस खोखले गोले का भाग है उस खोखले गोले त्रिज्या, वक्रता त्रिज्या कहलाती है इसे त् से व्यक्त करते हैं। चित्र में OC वक्रता त्रिज्या को व्यक्त करती है।
3. दर्पण का ध्रुव (Pole of Mirror) : गोलीय दर्पण का केन्द्र, दर्पण का ध्रुव कहलाता है। चित्र में O, दर्पण का ध्रुव है।
4. मुख्य अक्ष (Principal axis): गोलीय दर्पण के ध्रव तथा वक्रता केन्द्र को मिलाने वाली रेखा CO दर्पण की मुख्य अक्ष कहलाती है।
5. द्वारक (Aperture): दर्पण का वह भाग जिससे प्रकाश किरणें परावर्तित होती हैं, दर्पण का द्वारक कर है चित्र में M1M2 गोलीय दर्पण का द्वारक है।
6. मुख्य फोकस (Principal Focus): गोलीय दर्पण पर मुख्य अक्ष के समान्तरं आपतित प्रकाश किरणें या से परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से होकर जाती है (अवतल दर्पण) या जिस बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती है (उत्तल दर्पण), दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। इसे F से व्यक्त करते हैं।
7. फोकस दूरी (Focal Length): ध्रुव O से फोकस बिन्दु F की दूरी दर्पण की फोकस दूरी कहलाती है इसे f से व्यक्त करते हैं। अवतल दर्पण के लिए फोकस बिन्दु वास्तविक तथा फोकस दूरी ऋणात्मक होती है। उत्तल दर्पण के लिए फोकस बिन्दु आभासी तथा फोकस दूरी धनात्मक होती है।
दर्पण की फोकस दूरी f तथा वक्रता त्रिज्या में निम्न सम्बन्ध होता है
f= R/2
दर्पण से प्रतिबिम्ब रचना (Formation of Images by Mirrors):
गोलीय दर्पण से प्रतिबिम्ब निर्माण के लिए हम बिम्ब (वस्तु) से दर्पण पर आपतित निम्न तीन प्रकाश किरणों में से किन्हीं दो या तीनों का चयन करते हैं। दर्पण से परावर्तन के पश्चात् ये किरणें जिस बिन्दु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, प्रतिबिम्ब उसी स्थान पर निर्मित होता है।
1. मुख्य अक्ष के समान्तर प्रकाश किरणें, दर्पण से परावर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से होकर जाती है (अवतल दर्पण) या मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है (उत्तल दर्पण)
2. मुख्य फोकस से होकर आने वाली या मुख्य फोकस की ओर दिष्ट प्रकाश किरणें, दर्पण से परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर गमन करती हैं।
3. वक्रता केन्द्र से होकर आने वाली या वक्रता केन्द्र की ओर दिष्ट प्रकाश किरणें, दर्पण से परावर्तन के पश्चात् अपने मार्ग पर ही वापस लौटती हैं।
दर्पण सूत्र (Mirror Formula):
गोलीय दर्पण के धुव व् से बिम्ब (वंस्तु) की दूरी नए निर्मित प्रतिबिम्ब की दूरी अ तथा फोकस दूरी f में निम्न सम्बन्ध होता है
1f/ = 1/v़ 1/u
सूत्र का उपयोग करने में चिन्ह परिपाटी का उपयोग करते है-
ंचिन्ह परिपाटी:
(प) सभी दूरियों का मापन ध्रुव से करते हैं।
(पप) आपतित किरणों की दिशा में मापी गई दूरियां धनात्मक तथा विपरीत दिशा में मापी गई दूरियां ऋणात्मक ली जाती हैं।
(पपप) मुख्य अक्ष के लम्बवत् ऊपर की ओर दूरियां धनात्मक तथा नीचे की ओर दूरियां ऋणात्मक ली जाती हैं।
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