JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: इतिहास

ओडिसी नृत्य जानकारी , इतिहास , परिचय का वर्णन , निबंध क्या है , odissi dance in hindi which state

odissi dance in hindi which state ओडिसी नृत्य जानकारी , इतिहास , परिचय का वर्णन , निबंध क्या है ?

ओडिसी
सांस्कृतिक इतिहासकारों ने यह माना है कि ओडिशा में नृत्य के प्राचीन अवशेष मौजूद हैं। बौद्ध व जैन युग के बने उदयगिरी, खण्डगिरी, जैन प्रस्तर मंदिर आदि स्थानों में अनेक शिलालेख, गुफाचित्र, भास्कर्यादि तथा नृत्य भंगिमाएं उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर के राजरानी व वेंकटेश मंदिर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर और नट मंडपन तथा कोणार्क के सूर्य मंदिर में भी प्राप्त असंख्य प्रमाणों से यह बात प्रमाणित होती है कि वे सब केवल धार्मिक स्थान ही नहीं थे, अपितु कला, साहित्य, संगीत, नृत्य आदि के शिक्षा केंद्र भी थे।
हिंदू शास्त्रानुसार नटराज शिव प्रलय के नियंता तथा नृत्यकला के स्रष्टा थे। इसीलिए उनकी पूजा में अर्पण नृत्य को श्रेष्ठतम माना जाता है। ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में महरिस नामक एक सम्प्रदाय था, जो शिव मंदिरों में नृत्य करता था। महरिस या देवदासी सम्प्रदाय परंपरा से मंदिरों में नृत्य गीत करते रहै, जो कालांतर में ओडिसी नृत्य कला के रूप में विकसित हुआ। यह नृत्य शैली संभवतः नाट्यशास्त्र में वर्णित ओड्रा नृत्य पर आधारित है।
दरअसल भारत में ‘देवदासी’ प्रथा का जन्म आदिकालीन सामन्ती समाज की विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक संरचना से हुआ। ‘देवदासी’ का शाब्दिक अर्थ है देवता की दासी या सेविका। देवदासी प्रथा भारत की मंदिर संस्कृति से उपजी और पांचवीं-छठी शताब्दी से अर्थात् जबसे मध्यकाल का प्रारंभ माना जाता है, यह प्रथा प्रचलित हुई। तत्कालीन शिलालेखों से ज्ञात होता है कि मंदिर-निर्माण को लेकर राजसी परिवारों और संपत्तिशाली अभिजात्य वग्र में कड़ी प्रतिद्वंद्विता रहती थी। ओडिया सोतों में कहा गया है कि कोणार्क के मंदिर का निर्माण गंगा राजा नरसिंह देव प्रथम द्वारा पुरी के विशाल मंदिर को टक्कर देने के लिए किया गया था। मंदिरों में बड़े पैमाने पर दान इत्यादि द्वारा स्वर्ण एवं धन एकत्रित होता गया। धर्माधिकारी मंदिरों की सारी व्यवस्था देखते थे। नृत्य-गान मंदिरों में पूजा-अर्चना की व्यवस्था और मंदिर प्रतिमा की आठों प्रहर सेवा करने के लिए स्त्रियां नियुक्त की जागे लगीं, जिन्हें देवदासी कहा गया।
परम्परा के अनुसार देवदासी के रूप में देवता को उस कन्या को समर्पित किया जाता थाए जो रजस्वला न हुई हो। इन देवदासियों को लौकिक विवाह की अनुमति नहीं थी। भारत के विभिन्न भागों में आज भी देवदासी प्रथा विद्यमान है। देवदासी को ‘अखंड सौभाग्यवती’ अथवा ‘नित्य सुंमगली’ कहा जाता है। दक्षिण भारत के मंदिरों में प्राचीनकाल में ‘देवदासी’ समर्पण का एक भव्य उत्सव होता था। महाकाव्यों में आए विभिन्न प्रसंगों से पता चलता है कि नौवीं-दसवीं शताब्दी तक भारत के अलग-अलग भागों में देवदासी प्रथा गहरी जड़ें जमा चुकी थी। द्वेनसांग ने सातवीं शताब्दी में अपनी भारत-यात्रा के दौरान मुलतान के सूर्य मंदिर में देवदासियों का नृत्य देखा था। अलबरूनी ने अपने संस्मरणों में लिखा था कि ‘मंदिरों में देवदासियां बाहर के लोगों से दैहिक संबंधों के बदले में धन लेती थीं। यह आय राजा अपने सैन्य खर्च के लिए इस्तेमाल करता था। स्पष्ट है कि देवदासी प्रथा अत्यंत प्राचीन है, फिर भी गयारहवीं शताब्दी से लेकर तेरहवीं शताब्दी के बीच देवदासी प्रथा अपने चरमोत्कर्ष पर थी।
भारत के विभिन्न भागों में देवदासियों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। ओडिशा में इन्हें महारी कहा गया, अर्थात् वे महान नारियां जो अपनी लौकिक वासनाओं पर नियंत्रण रख सकती हैं। इन देवदासियों के प्रश्रय में ‘ओडिसी’ नृत्य कला फली-फूली। ओडिसी नृत्य गुरु जो स्वयं ‘महारी’ परिवार से संबद्ध हैं, उनके अनुसार ‘महारी’ का अर्थ है महारिपुआरी जो पांच महान शत्रुओं (पंचेन्द्रिय) पर विजय प्राप्त कर चुका है।
कर्नाटक में देवदासियों को ‘येलम्मा’ के अनुयायी के रूप में जागा जाता है, जो उत्तरी कर्नाटक, बेलगाम, बीजापुर, रायचूर, कोप्पल, धारवाड़, शिवमोगा आदि जिलों में फैली हुई हैं। महाराष्ट्र में देवदासियों को मुरली कहा जाता है और उनके पुरुष साथी को वाज्ञा।
यद्यपि सन् 1934 में भारत सरकार द्वारा पारित अधिनियम के तहत् देवदासी प्रथा के उन्मूलन की घोषणा की गई थी और इसके लिए सजग तथा सचेतन प्रयास भी किए गए। लेकिन 70-75 वर्षों के पश्चात् भी लगभग, 4,50,000 देवदासियां धर्म के नाम पर देह-व्यापार से संबद्ध हैं। दूसरी ओर देवदासी प्रथा का धन पक्ष यह है कि मंदिर संस्कृति में देवदासियों के माध्यम से शास्त्रीय नृत्य-संगीत की कला का पुष्पन-पल्लवन हुआ। स्वतंत्रता से पूर्व ही थियोसाॅफिकल सोसायटी की मादाम एच.पी. ब्लावात्सकी और कर्नल एस.एस. ओल्काॅट ने दक्षिण भारत का दौरा कर मंदिर संस्कृति से जुड़ी ‘सादिर’ नृत्य-कला का संरक्षण एवं पुनरुद्धार किया। रुक्मिणी देवी अरुंडेल ने सादिर नृत्य कला को भरतनाट्यम के रूप में प्रसिद्धि दिलाई।
ओडिसी नृत्य-कला पुरी के मंदिरों में देवदासियों द्वारा फली-फूली। आज उसी नृत्य-कला ने देश-विदेश में उत्कृष्ट शैली के रूप में प्रसिद्धि पाई है। गुरु केलुचरण महापात्र जो पट्टचित्र कलाकारों के परिवार से संबद्ध हैं, उन्होंने गोटीपुआ और महारी नृत्य-कला को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गोटीपुआ नृत्य में चैदह वर्ष से कम उम्र के किशोर बच्चे स्त्री-वेश में नृत्य करते हैं। नाग और मेधा-नृत्य शैलियां भी पुरी के मंदिरों में ही विकसित हुई।
12वीं सदी के बाद ओडिसी पर वैष्णववाद का व्यापक प्रभाव पड़ा। जयदेव की अष्टपदी इसका अभिन्न अंग बन गई। कालक्रम से महरिस प्रणाली में कई बुराइयां घर कर गईं। इससे बचने के लिए युवा लड़कों को मंदिरों के आनुष्ठानिक नृत्य में प्रशिक्षित किया गया। ये नर्तक स्त्रियों की भांति वस्त्र पहनते थे और महरिसों की तरह ही नृत्य करते थे। किंतु, अठारह वर्ष की अवस्था होने पर इन्हें अध्यापन कार्य में लगा दिया जाता था। इसी परंपरा के परिणामस्वरूप ओडिसी में प्रसिद्ध गुरुओं की कमी नहीं रही मोहन महापात्र, केलूचरण महापात्र, पंकज चरणदास, हरे कृष्ण बेहड़ा, मायाधरराउत उनमें से कुछ ऐसे ही नाम हैं।
तथापि, ओडिसी को अपेक्षित प्रसिद्धि तब मिली, जब नृत्य आलोचक डाॅचाल्र्स फेबरी ने इस शैली के बारे में लिखा और इंद्राणि रहमान ने इसे सीखने का प्रयत्न किया एवं मंच पर उसका प्रदर्शन किया।
ओडिसी को चलती-फिरती वास्तुकला का नाम दिया गया है। इसमें प्रधानतः तीन प्रकार की भंगिमाएं होती हैं मस्तक, पृष्ठभाग और स्थिर मुद्राएं इसके साथ भाव, राग और ताल का समन्वय रहता है। आरंभ में भूमि प्रणाम, फिर विघ्नराज पूजा, बटू नृत्य, इष्टदेव पूजा, पल्लवी नृत्य, अभिनय नृत्य और आनंद नृत्य होता है। इसमें प्रयुक्त भंग, द्विभंग, त्रिभंग तथा पदचारण की मुद्राएं भरतनाट्यम् से मिलती-जुलती है।
प्रसिद्ध ओडिसी नर्तकों में, प्रथम तौर पर गुरु पंकज चरण दास थे। उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र की शुरुआत जात्राओं में अभिनय करके की और हास्य भूमिकाएं किया करते थे। उन्होंने केलुचरण महापात्रा के साथ मिलकर शिव एवं लक्ष्मी प्रिया नृत्य की कोरियोग्राफी की जिससे उन्हें बेहद प्रसिद्धि प्राप्त हुई।
गुरु केलुचरण महापात्रा को बेहद प्रसिद्ध ओडिसी नृत्य गुरु माना जाता है। वह भारत से एक नृत्य प्रवर्तक हैं जिन्होंने ओडिसी नृत्य संस्कृति की अवधारणा का लोकप्रियकरण एवं आधुनिकीकरण किया।
संयुक्ता पाणिग्रही ने मात्र 4 वर्ष की आयु में नृत्य करना प्रारंभ कर दिया था और 1952 में अंतरराष्ट्रीय बाल नृत्य समारोह में पुरस्कार जीता। यद्यपि उन्हें मुम्बई में कथक नृत्य सीखने के लिए छात्रवृत्ति दी गई, तथापि वे ओडिसी नृत्य की विशेषज्ञा बन गईं।
सोनल मानसिंह एक बेहद उत्कृष्ट ओडिसी नृत्यांगना हैं। उन्होंने स्वयं की कोरियोग्राफी में कई सारे नृत्य कार्यक्रम किए हैं। जब उन्हें 1992 में पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया था, वे सबसे युवा थीं। वर्ष 2003 में, सोनल मानसिंह पहली भारतीय महिला नर्तकी थीं जिन्हें पद्म विभूषण सम्मान प्राप्त हुआ।
इलियाना सिटारिस्टी विदेशी मूल की ओडिसी नर्तकियों में से बेहद सम्मानीय नाम है। जन्म से इटली की नागरिक होने के बावजूद, वे 1979 में ओडिशा में रहने लगीं। उन्होंने गुरु केलुचरण महापात्रा से ओडिसी नृत्य की तालीम ली। उन्होंने जर्मनी, हाॅलैंड एवं फ्रांस में आयोजित कई भारतीय महोत्सवों में अपनी नृत्य प्रस्तुति दी उन्होंने अपने गुरु केलुचरण महापात्रा के जीवन पर एक पुस्तक लिखी।
उन्होंने ‘आर्ट विजन’ नाम से एक ओडिसी नृत्य संस्थान खोला। उनके ओडिसी नृत्य को योगदान को मान्यता देने के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2006 में पद्म श्री सम्मान से विभूषित किया। उन्होंने ओडिसी नृत्य एवं संस्कृति के बारे में यूरोप एवं अमेरिका में विदेशी भाषा के प्रकाशनों में भी लिखा।
ओडिसी नर्तकों के बीच, निलांजना बगर्जी का उल्लेख किए जागे की आवश्यकता है। उन्होंने नृत्य की बारीकियों को दिल्ली के गुरु मयधर राउत से सीखा। उन्होंने पश्चिम में भी ओडिसी को लोकप्रिय बनाया, न केवल भारतीय समुदाय के बीच अपितु विदेशी नागरिकों के बीच भी। उन्होंने अमेरिका एवं यूरोप में आयोजित कई कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी।
ओडिसी की अन्य व्यक्तित्वों में शामिल हैं किरन सहगल, रानी कर्णा, माधवी मुदगल। कुछ विदेशी भी अच्छे ओडिसी नृत्यकार हुए हैं अमरीका की शेराॅन लाॅवेन, अर्जेंटीना की मायर्टा बार्वी प्रसिद्ध हैं।

Sbistudy

Recent Posts

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

2 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

4 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

6 days ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

6 days ago

elastic collision of two particles in hindi definition formula दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है

दो कणों की अप्रत्यास्थ टक्कर क्या है elastic collision of two particles in hindi definition…

6 days ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now