हिंदी माध्यम नोट्स
निजीकरण में बाधाएँ क्या है ? भारत में निजीकरण में समस्याएँ क्या है obstacles in privatization in india
obstacles in privatization in india in hindi निजीकरण में बाधाएँ क्या है ? भारत में निजीकरण में समस्याएँ क्या है समस्या अथवा बाधा क्या है जिसके कारण निजीकरण नहीं हो पा रहा है ?
निजीकरण में बाधाएँ
पूरे विश्व के अनुभवों से पता चलता है कि निजीकरण कार्यक्रम का कार्यान्वयन उस गति से नहीं हुआ है जितना कि इससे आशा की गई थी। कुछ देशों को छोड़कर, निजीकरण विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के छोटे सार्वजनिक उपक्रमों तक ही सीमित रहा है। निजीकरण में दो प्रकार की बाधाओं को देखा जा सकता है-कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे और राजनीतिक बाधाएँ। हम इन पर बारी-बारी से विचार करेंगे।
कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दे
निजीकरण में तकनीकी बाधाएँ प्रबन्धकीय कमियों और अर्थव्यवस्था की कमजोरी दोनों से संबंधित है
पहला, निजीकरण के लिए उच्च स्तरीय प्रशासनिक क्षमता की आवश्यकता होती है। कुछ विकासशील देशों में, सुस्थापित, कुशल प्रबन्धन परामर्श समूहों, एकाउंटिंग फर्मों (लेखा फर्मों) और निवेश बैंकों की कमी है। इनकी आवश्यकता तकनीकी परामर्श और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मूल्यांकन के लिए है। फलस्वरूप, कुछ मामलों में विदेशी विशेषज्ञों की सेवाएँ ली गई हैं।
दूसरा, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की बिक्री की पेशकश से पूर्व उसके मूल्यांकन की जरूरत होती है। किंतु मूल्यांकन की इस प्रक्रिया को पूरी करने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। मूल्यांकन का काम राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील है क्योंकि सरकार उच्च बिक्री मूल्य रखना चाहती है तथा साथ ही साथ मूल्यांकन प्रक्रिया पूर्व सरकारी प्रबन्धन और निवेश संबंधी निर्णयों पर भी प्रश्न खड़ा कर सकती है। मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी करने में काफी विलम्ब होता है। यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा विभिन्न रिकार्ड व्यवस्थित ढंग से नहीं रखे गए हों।
तीसरा, मूल्यांकन का कार्य एक बार पूरा हो जाने के बाद बोली लगाने वाले खरीदारों का मूल्यांकन करने, वित्त और बीमा का प्रबन्ध करने और कई जटिल कानूनी मुद्दों को निपटाने के लिए प्रशासनिक क्षमता की आवश्यकता होती है। कभी-कभी निजीकरण को मूर्त रूप प्रदान करने से पहले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के लिए समग्र पुनरूद्धार योजना तैयार करनी पड़ती है, इसके लाभ-हानि का मूल्यांकन करना होता है और वित्तपोषण की व्यवस्था करनी होती है। इतना ही नहीं उपयुक्त विनियामक संरचनाएँ विद्यमान नहीं हो सकती हैं और जब निजीकरण से विशेष रूप से एकाधिकार की स्थापना की संभावना होती है तो इनका गठन किया जाना वांछनीय हो जाता है।
चैथा, कई विकासशील देशों में पूंजी बाजार अत्यधिक कमजोर हैं और इनके लिए नियम कानून भी पर्याप्त तथा उपयुक्त नहीं है। इक्विटी में भारी निवेश नहीं के बराबर होता है। सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों की गणना देश की सबसे बड़ी फर्मों में होती है और निजी क्षेत्र उनकी विशाल परिसम्पत्तियों को खरीदने के लिए निधियों की व्यवस्था नहीं कर सकता है। राष्ट्रीयकरण का इतिहास देखते हुए निजी क्षेत्र सरकार की मंशा को संदेह से देखता है। दूसरी ओर, सरकार विदेशी निवेशकों को अपनी परिसम्पत्तियाँ बेचने की इच्छुक नहीं हो सकती हैं।
राजनीतिक बाधाएँ
साधारणतया, निजीकरण की कीमत लोगों के छोटे समूह, अर्थात् उपक्रम के कर्मचारी जिनकी रोजगार छिन सकती है अथवा आपूर्तिकर्ता जिन्हें ठेके में अधिमानता मिलती थी, को चुकाना पड़ सकता है। किंतु इससे बड़ी संख्या में लोगों को और कभी-कभी जनसंख्या के बड़े वर्ग को लाभ पहुँचता है। सार्वजनिक पसन्द सिद्धान्त से यह निष्कर्ष निकलता है कि वैसी स्थिति में निजीकरण कार्यक्रम के लिए सहयोग जुटाने की अपेक्षा विरोध को नियंत्रित करना अधिक आसान होता है। अनुभवों से हमें पता चलता है कि कई देशों में निजीकरण कार्यक्रम लोकप्रिय सहयोग प्रेरित करने में असफल हो जाता है और वस्तुतः जबर्दस्त विरोध को जन्म देता है।
विशेषकर ट्रेड यूनियन निजीकरण के विरूद्ध तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करने की प्रवृत्ति रखते हैं। ट्रेड यूनियन की शक्ति बहुधा सार्वजनिक क्षेत्र में केन्द्रित होती है और सार्वजनिक क्षेत्र इस तरह की शक्ति के लिए आधार प्रदान करता है। यूनियनें निजीकरण का विरोध करती हैं और इसका कारण सिर्फ यह नहीं होता है कि इससे रोजगार पर प्रभाव पड़ता है बल्कि इसलिए भी कि निजी क्षेत्र में ट्रेड यूनियन की शक्तियाँ घट जाएँगी।
सारांश
निजीकरण सार रूप से राष्ट्र के आर्थिक कार्यकलापों में सरकार की घटती हुई भूमिका को दर्शाता है। 1960 और 1970 के दशकों में, सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों की स्थापना की गई थी और निजी क्षेत्र की अनेक इकाइयों का राष्ट्रीयकरण किया गया था, क्योंकि उस समय यह महसूस किया गया था कि निजी क्षेत्र का उद्देश्य सिर्फ लाभ कमाना होता है और वे संसाधनों का उपयोग सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए नहीं करते हैं। किंतु सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का कार्य निष्पादन संतोषप्रद नहीं था और अब सरकारें उनका निजीकरण करने का प्रयास कर रही हैं। निजीकरण की अनेक पद्धतियाँ हैं और सरकार को यह निर्णय करना चाहिए कि इनमें से वह किस पद्धति को अपनाएगी। निजीकरण की प्रक्रिया में कई महत्त्वपूर्ण कठिनाइयाँ हैं और सरकार को इनका हल करने में सक्षम होना चाहिए।
कुछ उपयोगी पुस्तकें एवं संदर्भ
निकोलस वैन डी वैले, (1989). प्राइवेटाइजेशन इन डेवलपिंग कन्ट्रीज: ए रिव्यू ऑफ दि इश्यूज, वल्र्ड डेवलपमेंट, वौल्यूम 17 सं. 5, पृष्ठ 601-615
आर.आर वैद्य, (1995). ‘‘डिस्इन्वेस्टमेंट ऑफ पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइस शेयर्स‘‘
के.एस. पारिख (संपा) मिड-इयर रिव्यू ऑफ दि इकनॉमी 1994-95 में, पृष्ठ 223-243 कोणार्क पब्लिशर्स
जे. विकर्स एण्ड जी यैरो, (1988). प्राइवेटाइजेशनः ऐन इकनॉमिक एनालिसिस, दि एम आई टी प्रेस।
एम बाला, (2003). सिमेंट इन्डस्ट्री इन इंडियाः पॉलिसी, स्टर्कचर एंड पर्फांेमेंन्स, शिप्रा पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली
सरकारी वेबसाइट http://dpi.nic.in/vsdpe
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…